(सुरक्षित)
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
अपील संख्या-1674/2010
एक्जीक्यूटिव इंजीनियर, मध्यांचल विद्युत वितरण खण्ड, वाई बाग, शाहजहांपुर।
अपीलार्थी/विपक्षी सं0-3
बनाम्
1. सरजीत सिंह, दलजीत सिंह, एडवोकेट, हरजीत सिंह, रंजीत सिंह समस्त पुत्रगण श्री स्वरूप सिंह, निवासीगण ग्राम शहवाज नगर, परगना, तहसील व जिला शाहजहांपुर।
2. प्रबंधक, शाहजहांपुर क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक, ब्रांच शहवाज नगर, परगना व तहसील सदर, जिला शाहजहांपुर।
3. प्रबंधक, एग्रीकल्चर इंश्योरेंस कंपनी आफ इण्डिया लि0, रीजनल आफिस लखनऊ, सातवां तल, जीवन भवन, फेज-2, नवल किशोर रोड, हजरतगंज, लखनऊ।
प्रत्यर्थीगण/परिवादीगण/विपक्षी सं0-1 एवं 2
एवं
अपील संख्या-1093/2010
मैनेजर, एग्रीकल्चर इंश्योरेंस कंपनी आफ इण्डिया लि0, रीजनल आफिस लखनऊ, सातवां तल, जीवन भवन, फेज-2, नवल किशोर रोड, हजरतगंज, लखनऊ। नाऊ दि रीजनल आफिस शिफ्टेड द्वितीय तल, 'मेरी गोल्ड', 4 शाहनजफ रोड, हजरतगंज, लखनऊ 226001.
अपीलार्थी/विपक्षी सं0-2
बनाम्
1. सरजीत सिंह।
2. दलजीत सिंह, एडवोकेट।
3. हरजीत सिंह।
4. रंजीत सिंह, समस्त पुत्रगण श्री स्वरूप सिंह, निवासीगण ग्राम शहवाज नगर, तहसील सदर, जिला शाहजहांपुर।
5. प्रबंधक, शाहजहांपुर क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक, ब्रांच शहवाज नगर, सदर, शाहजहांपुर।
6. मैनेजर, उत्तर प्रदेश पावर कार्पोरेशन लि0, शक्ति भवन, लखनऊ।
प्रत्यर्थीगण/परिवादीगण/विपक्षी सं0-1 एवं 3
समक्ष:-
1. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य।
2. माननीय श्रीमती सुधा उपाध्याय, सदस्य।
विपक्षी सं0-3, विद्युत विभाग की ओर से : श्री इसार हुसैन।
परिवादीगण की ओर से : श्री आर.के. गुप्ता।
विपक्षी सं0-2, बीमा कंपनी की ओर से : श्री आनन्द भार्गव।
विपक्षी सं0-1, क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक की ओर से : कोई नहीं।
दिनांक: 02.12.2024
माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य द्वारा उद्घोषित
निर्णय
1. परिवाद संख्या-179/2006, सरजीत सिंह तथा तीन अन्य बनाम प्रबंधक, शाहजहांपुर क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक तथा दो अन्य में विद्वान जिला आयोग, शाहजहांपुर द्वारा पारित निर्णय/आदेश दिनांक 31.5.2010 के विरूद्ध अपील संख्या-1674/2010 क्रमश: विपक्षी सं0-3, विद्युत विभाग की ओर से तथा अपील संख्या-1093/2010 विपक्षी सं0-2, बीमा कंपनी की ओर से इस निर्णय/आदेश को अपास्त करने के लिए प्रस्तुत की गयी हैं।
2. उपरोक्त दोनों अपीलें एक ही निर्णय/आदेश से प्रभावित हैं, इसलिए दोनों अपीलों का निस्तारण एक साथ एक ही निर्णय/आदेश द्वारा किया जा रहा है, इस हेतु अपील संख्या-1674/2010 अग्रणी अपील होगी।
3. विपक्षी सं0-3, विद्युत विभाग के विद्वान अधिवक्ता एवं परिवादीगण के विद्वान अधिवक्ता तथा विपक्षी सं0-2, बीमा कंपनी के विद्वान अधिवक्ता को सुना गया तथा प्रश्नगत निर्णय/पत्रावलियों का अवलोकन किया गया। विपक्षी सं0-1, क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक की ओर से कोई उपस्थित नहीं है।
4. विद्वान जिला आयोग ने परिवाद विपक्षी सं0-2 एवं 3 के विरूद्ध स्वीकार करते हुए उन्हें आदेशित किया है कि परिवादीगण को खेत में खड़ी फसल के नुकसान की बावत क्षतिपूर्ति के रूप में अंकन 4,00,000/-रू0 अदा करे तथा इस पर अदायगी की तिथि तक 6 प्रतिशत प्रतिवर्ष ब्याज भी अदा करने के लिए आदेशित किया है।
5. परिवाद के तथ्य संक्षेप में इस प्रकार हैं कि परिवादीगण द्वारा फसली ऋण विपक्षी सं0-1 से प्राप्त किया गया था, जिसका बीमा विपक्षी सं0-2 द्वारा किया गया था। परिवादीगण द्वारा कुल 20 एकड़ गेहूँ की फसल बोई गई थी, जो लगभग पकने की अवस्था में थी, परन्तु दिनांक 28.3.2006 को विद्युत तार की स्पार्किंग की वजह से गेहूँ की फसल में आग लग गई, जिसके कारण पूरी फसल जलकर नष्ट हो गई, जिसके कारण अंकन 4 लाख रूपये की क्षति कारित हुई। विपक्षीगण को नोटिस दिए जाने के बावजूद क्षति की पूर्ति नहीं की गई, इसलिए उपभोक्ता परिवाद प्रस्तुत किया गया।
6. विपक्षी सं0-1 का कथन है कि उन्हें अनावश्यक रूप से पक्षकार बनाया गया है।
7. विपक्षी सं0-2 का कथन है कि एक न्याय पंचायत को यूनिट मानकर क्षतिपूर्ति की राशि वितरित की जाती है। यह प्रक्रिया स्वाभाविक रूप से अपनाई जाती है तथा क्लेम करने की आवश्यकता नहीं होती तथा उस यूनिट के सभी किसान क्षतिपूर्ति प्राप्त करने के लिए अधिकृत हैं, जिसका निर्धारण फसल के उत्पादन में हुई हानि के अनुसार किया जाता है। फसल जितनी कम होती है, उसी अनुपात में हानि की पूर्ति की जाती है। यह भी कथन किया गया कि बड़ोडा पश्चिमी यू.पी. ग्रामीण बैंक, जो नोडल बैंक है, को पक्षकार नहीं बनाया गया है। फसल का नुकसान निर्धारित प्रक्रिया के अनुसार देय है, किसी अन्य माध्यम से नहीं है। कोई व्यक्तिगत किसान उनसे क्लेम का दावा नहीं कर सकता। उत्पादन में कमी के अनुसार ही क्षतिपूर्ति की राशि दी जाती है, इसलिए विपक्षी सं0-2 के विरूद्ध प्रस्तुत परिवाद संधारणीय नहीं है।
8. विपक्षी सं0-3 का कथन है कि उन्हें दुर्घटना होने की कोई जानकारी नहीं है, इसलिए उनके द्वारा सेवा में कोई कमी नहीं की गई है, उनके विरूद्ध परिवाद निरस्त किए जाने योग्य है।
9. सभी पक्षकारों की साक्ष्य पर विचार करने के पश्चात विद्वान जिला आयोग ने निष्कर्ष दिया कि गेहूँ की फसल की हानि के कारण क्षति की पूर्ति विपक्षी सं0-2 एवं 3 द्वारा की जानी चाहिए। तदनुसार विपक्षी सं0-2 एवं 3 के विरूद्ध उपरोक्त वर्णित निर्णय/आदेश पारित किया गया।
10. विपक्षी सं0-3, विद्युत विभाग की ओर से प्रस्तुत अपील में वर्णित तथ्यों का सार यह है कि बीमे से संबंधित मामलों में उनका कोई संबंध नहीं है। परिवादीगण ने कभी भी दुर्घटना की सूचना नहीं दी। इलेक्ट्रिक इंस्पेक्टर को भी सूचना नहीं दी गई, इसलिए तार गिरने के कारण फसल जलने का कोई सबूत नहीं है। अत: विद्युत विभाग के विरूद्ध पारित निर्णय/आदेश अपास्त होने योग्य है।
11. विपक्षी सं0-2, बीमा कंपनी की ओर से प्रस्तुत अपील में वर्णित तथ्यों का सार यह है कि विद्वान जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश विधि विरूद्ध एवं मनमाना है। विद्युत तार गिरने से फसल की हानि का कोई सबूत नहीं है, इसलिए क्षतिपूर्ति की राशि देय नहीं है।
12. विद्वान अधिवक्तागण की बहस सुनने तथा पत्रावली का अवलोकन करने के पश्चात प्रस्तुत दोनों अपीलों के विनिश्चय के लिए संयुक्त विनिश्चायक बिन्दु यह उत्पन्न होता है कि क्या परिवादीगण की फसल विद्युत तार गिरने के कारण क्षतिग्रस्त हुई, यदि हॉं तब प्रभाव ?
13. परिवाद पत्र की प्रति पत्रावली पर दस्तावेज सं0-14 लगायत 16 पर मौजूद है, इस परिवाद पत्र के पैरा सं0-4 में यह कथन है कि विद्युत तार गिरने के कारण पूरी फसल जलकर राख हो गई, जिसकी सूचना विपक्षीगण को दी गई, परन्तु सूचना देने की तिथि, समय एवं तरीके का कोई उल्लेख सम्पूर्ण परिवाद पत्र में नहीं है। विद्युत विभाग की ओर से प्रस्तुत लिखित कथन में उल्लेख है कि विद्युत तार टूट कर गिरने से फसल की हानि की कोई सूचना कभी प्राप्त नहीं हुई। गेहूँ की फसल में लगी आग को बुझाने के लिए फायर ब्रिगेड को सूचना देने का उल्लेख भी परिवाद पत्र में नहीं है। मौके पर फायर ब्रिगेड पहुँची भी नहीं। 20 एकड़ फसल में आग लगने से तुरन्त सम्पूर्ण रकबे की फसल नष्ट नहीं होगी, बल्कि अग्नि धीरे-धीरे आगे बढ़ेगी, इस बीच अग्नि को बुझाने का उल्लेख परिवाद पत्र में नहीं है। स्थानीय प्रशासन अधिकारी को इस संबंध में सूचना देने का भी कोई उल्लेख परिवाद पत्र में नहीं है। किसी भी प्रकार के सूचना पत्र को परिवादीगण की ओर से न तो प्रस्तुत किया गया और न ही साबित किया गया। विद्वान जिला आयोग ने अपने निर्णय/आदेश में ऐसे किसी भी सूचना पत्र का उल्लेख नहीं किया है, जिससे ज्ञात होता हो कि परिवाद पत्र में वर्णित किस समय पर विद्युत तार गिरने से 20 एकड़ की फसल नष्ट हुई। 20 एकड़ फसल विद्युत तार गिरने से नष्ट होना कहा था, यह बहुत बड़ी घटना है, इस घटना की जानकारी स्थानीय प्रशासन को होना अवश्य संभावी है। फायर ब्रिगेड को सूचना दिया जाना भी अवश्य संभावी है या कम से कम स्थानीय निवासियों द्वारा आग बुझाने के प्रयास का उल्लेख आवश्यक था, परन्तु जिस रूप में अग्निकाण्ड का विवरण दिया गया है, वह कपोल-कल्पित लगता है। अग्निकाण्ड के पश्चात जले हुए गेहूँ का कोई नमूना भी नहीं लिया गया। अग्निकाण्ड से जली हुई फसल की राख तक इकट्ठा नहीं की गई न ही राख के बारे में कोई विवरण दिया गया। अत: यह तथ्य साबित नहीं है कि विद्युत का तार गिरने के कारण गेहूँ की फसल में हानि कारित हुई। तदनुसार अपीलार्थीगण कोई भी क्षतिपूर्ति प्रदान करने के लिए उत्तरदायी नहीं हैं। विद्वान जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश अपास्त होने और प्रस्तुत दोनों अपीलें स्वीकार होने योग्य हैं।
आदेश
14. अपील संख्या-1674/2010 तथा अपील संख्या-1093/2010 स्वीकार की जाती हैं। विद्वान जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश दिनांक 31.05.2010 अपास्त किया जाता है।
प्रस्तुत अपीलों में अपीलार्थी द्वारा यदि कोई धनराशि जमा की गई हो तो उक्त जमा धनराशि अर्जित ब्याज सहित अपीलार्थी को यथाशीघ्र विधि के अनुसार वापस की जाए।
इस निर्णय/आदेश की मूल प्रति अपील संख्या-1674/2010 में रखी जाए एवं इसकी एक सत्य प्रति संबंधित अपील में भी रखी जाए।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।
(सुधा उपाध्याय) (सुशील कुमार)
सदस्य सदस्य
लक्ष्मन, आशु0,
कोर्ट-2