मा0 राष्ट्रीय लोक अदालत
अपील संख्या -738/2007
मेरठ विकास प्राधिकरण बनाम सरिता रानी
मा0 न्यायमूति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष द्वारा उदघोषित
निर्णय
21.05.2023
अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता पियूष मणि त्रिपाठी एवं प्रत्यर्थी के विद्वान अधिवक्ता श्री आर0डी0 क्रान्ति को सुना गया। प्रस्तुत अपील इस न्यायालय में विगत 15 वर्षों से लंबित है, जो कि जिला फोरम द्वारा पारित परिवाद संख्या 423/2003 दिनांक 07.03.2007 के विरूद्ध योजित की गई है, जिला फोरम द्वारा निम्न आदेश पारित किया गया है:-
‘’ एतद् द्वारा परिवादिनी का परिवाद स्वीकार किया जाता है तथा विपक्षी द्वारा जारी मांग पत्र दिनांकित 31/10/1996 अंकन रू. 61425/- निरस्त किया जाता है। इसके अलावा विपक्षी को आदेश दिया जाता है कि वह परिवादिनी को बतौर हर्जा खर्चा अंकन रू. 2000/- एक माह में अदा करें अन्यथा विपक्षी के विरूद्ध धारा-25/27 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम-1986 के तहत कार्यवाही अमल में लायी जायेगी’’
उक्त आदेश के विरूद्ध इस अपील को याजित करते मसय इस न्यायालय द्वारा अपीलार्थी विकास प्राधिकरण के पक्ष में कोई अंतरिम आदेश पारित नहीं किया तब भी उस स्थिति में अपीलार्थी प्राधिकरण द्वारा निर्णय एवं आदेश द्वारा जिला फोरम का अनुपालन सुनिश्चित
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नहीं किया गया। अपील के पैरा 10 में निम्न तथ्य उल्लेख किया गया है:-
“ That on 27.12.2002 sale deed and free hold deed was executed between the appellant and the complainant on the cost of Rs. 225225=00. A photocopy of the free hold is being filed herewith as ANNEZURE NO. 10 to this memo of appeal.”
अपीलार्थी विकास प्राधिकरण द्वारा एक ओर तो सेल डीड परिवादी के पक्ष में किया जाना उल्लिखित किया, साथ ही फ्री सेल डीड किया जाना उल्लिखित किया, जिस हेतु परिवादी द्वारा कुल धनराशि रू. 225225/- प्राप्त किया जाना भी उल्लिखित किया, परन्तु उपरोक्त सेल डीड से संबंधित कोई प्रपत्र पत्रावली पर अपीलार्थी द्वारा प्रस्तुत नहीं किया गया, जो अपीलार्थी की संदिग्ध मानसिकता दर्शित करता है, अतएत अपीलार्थी को आदेशित किया जाता है कि दो माह की अवधि में यदि सेल डीड परिवादिनी के पक्ष में सुनिश्चित नहीं की गई हो तब संपादित की जाए, साथ ही जिला फोरम के आदेश का अनुपालन शतप्रतिशत रूप से सुनिश्चित किया जाए। अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता द्वारा कथन किया गया कि वास्तव में भवन की कीमत अनुमानित थी एवं भवन का कब्जा परिवादिनी के द्वारा परिवाद प्रस्तुत किए जाते समय लिया जा चुका है। जब भवन का कब्जा परिवादिनी को विपक्षी/अपीलार्थी प्राधिकरण द्वारा 20 वर्ष पूर्व प्राप्त कराया जा चुका है तब सेल डीड का संपादन न किया जाना अनुचित है, तदनुसार प्रस्तुत अपील आज राष्ट्रीय लोक अदालत में अंतिम रूप से आदेश के अनुक्रम में निस्तारित की जाती है।
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प्रस्तुत अपील में अपीलार्थी द्वारा यदि कोई धनराशि जमा की गयी हो तो उक्त जमा धनराशि अर्जित ब्याज सहित संबंधित जिला उपभोक्ता आयोग को यथाशीघ्र विधि के अनुसार निस्तारण हेतु प्रेषित की जाए।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस आदेश को आयोग की वेबसाइड पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।
(न्यायमूर्ति अशोक कुमार) अध्यक्ष
राकेश, पी0ए0-2
कोर्ट-1