सुरक्षित
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग उ0प्र0 लखनऊ
अपील संख्या 803 सन 2024
मैनेजर लोन डिपार्टमेन्ट, बैंक आफ बड़ौदा, 19-ए टैगोर टाउन, इलाहाबाद व एक अन्य।
.................. अपीलार्थी
-बनाम-
सरिता डिमरी आयु लगभग 40 वर्ष पुत्री श्री के0 एन0 डिमरी निवासिनी जी एफ ए-1, भगवती कुन्ज अपार्टमेन्ट-91 ए, म्योर रोड, इलाहाबाद।
......................प्रत्यर्थी
समक्ष
मा० न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष ।
अपीलार्थी की ओर से विद्वान अधिवक्ता - श्री मदन सिंह विष्ट
प्रत्यर्थी की ओर से विद्वान अधिवक्ता – कोई नहीं
दिनांक-27.06.2024
माननीय न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष द्वारा उद्घोषित
निर्णय
प्रस्तुत अपील जिला उपभोक्ता आयोग, प्रयागराज द्धारा परिवाद संख्या 516 सन 2018 में पारित प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक 07.03.2024 के विरुद योजित की गयी है।
संक्षेप में, परिवाद पत्र के कथनानुसार परिवादिनी जगत तारन गोल्डेन जुबली स्कूल में अध्यापिका है जो एक प्राइवेट स्कूल है तथा परिवादिनी मध्यम वर्गीय परिवार की है। परिवादिनी के परिवार में केवल परिवादिनी ही कमाती है। परिवादिनी के पिता St. Joseph स्कूल में पढ़ाते थे और अब कुछ नहीं कमाते हैं तथा परिवादी का भाई शहर से बाहर जयपुर रह कर कमाता है तथा अपने परिवार को पाल रहा है।
परिवादिनी अपने माता-पिता के साथ बहुत समय से एक किराये के मकान संख्या-23 ए.. चर्च लेन, बंद रोड, इलाहाबाद में रह रही थी, जिस वजह से उन्होंने अपना खुद का मकान खरीदने की सोचा। परिचादिनी ने एक फ्लैट जी.एफ.ए-1ए भगवती कुंज, म्योर रोड, इलाहाबाद में देखा जिसके मालिक अनवर शेराजी तथा शमीम शेराजी थे। परिवादिनी उपरोक्त फ्लैट को कुल 48,00,000/-रू० (अड़तालीस लाख रूपये) में खरीदने को तैयार हुयी और उक्त धनराशि फ्लैट के मालिकों कि सहमति से निर्धारित हुयी, जो की रकम बड़ी होने के कारण परिवादिनी ने उक्त फ्लैट को बैंक द्वारा होम लोन से खरीदने का निश्चय किया।
परिवादिनी की तनख्वा इतनी पर्याप्त नहीं थी कि इतनी बड़ी रकम बैंक इनको दे, इसलिए परिवादिनी ने यह निश्चय किया कि वह अपने भाई, जिसकी उम्र 40 साल है तथा जयपुर में अपना काम कर रहा है, के साथ मिलकर बैंक से होम लोन के लिए आवेदन करेंगे। परिवादिनी ने बैंक से पता किया, कि क्या बैंक द्धारा भाई-बहन को साथ में कर्ज दिया जाता है तत्पश्चात परिवादिनी को बैंक ऑफ बड़ौदा के बारे में पता चला जो ऐसे लोगों को कर्ज देता है। परिवादिनी फिर बैंक ऑफ बड़ौदा विपक्षी संख्या-01 के पास गयी जहाँ से उसको विपक्षी संख्या-02 के पास जानकारी प्राप्त करने हेतु भेजा गया।
परिवादिनी विपक्षी संख्या-02 के पास गयी जहाँ उसको होम लोन हेतु आवेदन पत्र तथा संलग्न दस्तावेजों की सम्पूर्ण सूची दी गयी। परिवादिनी ने उन दस्तावेजों की सूची में पाया कि बैंक को मकान का इकरारनामा भी चाहिए जो कि रजिस्टर्ड हो या नहीं ये स्पष्ट नहीं था। परिवादिनी ने विपक्षीगण से साफ-साफ पूछा कि इकरारनामा कौन-सा चाहिए। विपक्षीगण ने इकरारनामा को रजिस्टर्ड माँगा।
परिवादिनी ने विपक्षीगण के नियमों को जानने के बाद विपक्षीगण से निवेदन किया कि इकरारनामा रजिस्टर्ड होने में काफी बड़ी रकम बतौर स्टाम्प लग जाएगी तथा कहीं लेन-देन में बैंक ने मना किया तो परिवादिनी इकरारनामा से फंस जायेगी तथा उसकी सारी रकम बेकार हो जाएगी। अतः पहले मकान के बारे में जाँच पड़ताल कर ले जिससे यह पुष्टि हो जाय कि मकान कानूनी तौर पर सही है और कर्ज मिल जायेगा। परिवादिनी की बात मानते हुए विपक्षीगण ने परिवादिनी से मकान का नक्शा माँगा तथा नक्शा मिलते ही विपक्षीगण ने उस नक्शे को अपने अधिवक्ता को देते हुए मकान की जॉच पड़ताल करने को कहा।
विपक्षीगण ने तीन दिन बाद परिवादिनी को सूचना दिया कि मकान की जाँच पड़ताल कर्ज की कार्यवाही के बावत हो गयी है और मकान एकदम सही है और अब परिवादिनी भविष्य की कार्यवाही हेतु आगे बढ़ सकती है। विपक्षीगण के सूचना देने के बाद परिवादिनी ने अपने भाई को सूचित किया और इकरारनामा हेतु इलाहाबाद आने को कहा जिस पर परिवादिनी के भाई ने अपने काम की वजह से तुरंत आने में असमर्थता जताई।
विपक्षीगण ने परिवादिनी को साफ-साफ बताया कि इकरारनामा दोनों के नाम से होना जरूरी नहीं, किसी भी एक के नाम से हो सकता है, परन्तु बैनामे में दोनों का नाम होना जरूरी है। तदुपरांत परिवादिनी ने फ्लैट के मालिकों से रजिस्टर्ड इकरारनामा दिनांक-22.05.2017 को लिया। उक्त रजिस्टर्ड इकरारनामा में परिवादी ने रू0 96,000/- बतौर स्टाम्प दिया तथा रू0 20,060/- बतौर रजिस्ट्री शुल्क तथा रू0 20,000/-रू०, रजिस्ट्री खर्चा तथा रू0 2,000/- अन्य खर्चा अधिवक्ता को देकर इकरारनामा करवाया जो कि कुल खर्चा रू0 1,38,060/- बनता है।
परिवादिनी ने इकरारनामा के बाद सारे दस्तावेज आवेदन पत्र के साथ विपक्षीगण के पास कर्ज हेतु दिनांक-25.05.2017 को दाखिल कर दिया जिसमें रजिस्टर्ड इकरारनामा की मूल प्रति संलग्न थी। दस्तावेज पाने के बाद विपक्षीगण ने कर्ज की कार्यवाही हेतु शुल्क रू0 7,500/- का एक चेक माँगा। परिवादिनी ने युनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया का चेक नंबर-864626 दिनांक-25.05.2017, धनराशि रू0 7,500/- की एक चेक विपक्षीगण को दे दिया। विपक्षीगण ने लगभग 15 दिन का समय लिया और उसके उपरान्त परिवादिनी को सूचित किया कि परिवादिनी का कर्ज आवेदन पत्र बिना किसी कारण खारिज कर दिया गया है। परिवादिनी, विपक्षीगण के उक्त बर्ताव से बहुत क्रोधित हुयी और कर्ज का आवेदन पत्र खारिज करने का सही कारण पूछा परन्तु विपक्षीगण से कोई उत्तर नहीं मिला।
परिवादिनी को संभावना है कि विपक्षीगण ने उसके साथ छल किया है और धोखे से पैसा निकलवाया है। परिवादिनी का इतना पैसा बर्बाद करवा दिया है विपक्षीगण के उक्त कृत्य से क्षुब्ध होकर यह परिवाद योजित किया गया।
विपक्षीगण ने अपने प्रतिवाद पत्र में परिवाद के पैरा-03 से इनकार किया है उसका कथन है कि परिवादिनी ने उत्तरदाता बैंक द्वारा दी जाने वाली आनलाइन सेवाओं के माध्यम से ऋण का आवेदन पत्र प्राप्त करके व्यक्तिगत ऋण हेतु दिनांक-25.05.2017 को बैंक में आयी। आवेदक ने श्री अनवार शेराजी एवं श्रीमती शमीम शेराजी के साथ दिनांक-22.05.2017 को कथित सम्पत्ति/फ्लैट के लिए एक रजिस्टर्ड विकय समझौता पत्र निष्पादित कराया और ऋण प्रार्थना पत्र दिया।
दिनांक-22.05.2017 का रजिस्टर्ड समझौता श्री अनवार शेराजी एवं श्रीमती शमीम शेराजी द्वारा सरिता डिमरी के नाम पर निष्पादित किया गया ऋण प्रार्थना पत्र बेईमानी से सह आवेदक के हैसियत से भरा गया है। प्रस्तुत परिवाद में परिवादिनी द्वारा अनुचित लाभ लेने के लिए यह परिवाद दाखिल किया गया है। यह परिवाद पोषणीय नहीं है तथा इसे माननीय फोरम को इसका परीक्षण करने का अधिकार क्षेत्र प्राप्त नहीं है।
यह एक फर्जी मुकदमा है. जिसमें अनावश्यक रूप से घसीटा तथा इस मुकदमेबाजी में बैंक को टाइपिंग, फोटोकॉपी, वकील, फीस इत्यादि खर्च करना पड़ रहा है। अतएव उत्तरदाता बैंक, परिवादी से विशेष हर्जाना प्राप्त करने का अधिकारी है। परिवादी फोरम में स्वच्छ हाथों से परिवाद प्रस्तुत नहीं किया है।
माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा S. P. Chengalvaraya Naidu (dead) By LRs. V/s Jagannath (dead) By L.Rs. and others AIR 1994 SC-853 Laid down that" Proceedings in court- Fraud by litigant - Withholding of vital document relevant to litigation - It is fraud on Court - Guilty party is liable to to be thrown out at any stage- Litigant obtaining preliminary decree for partition of property Not mentioning at trial as to his having executed before filing of suit release deed in respect of property in favour of his employer - Decree is vitiated by fraud.
विद्वान जिला आयोग ने उभय पक्ष को सुनने, पत्रावली पर उपलब्ध साक्ष्य के परीक्षण करने के उपरान्त यह अवधारित करते हुए कि परिवादी के परिवाद को आंशिक रूप से आज्ञप्त किया है कि विपक्षीगण को आदेशित किया गया है कि आदेश की तिथि से 02 माह के अन्दर परिवादिनी द्धारा होम लोन के लिए खर्च की गई कुल धनराशि रू0 1,23,560/- मय 08 प्रतिशत साधारण वार्षिक ब्याज सहित परिवाद दाखिल करने की तिथि से भुगतान करना सुनिश्चित करें। परिवादिनी विपक्षीगण से क्षतिपूर्ति के रूप में रू0 5,000/-व वाद व्यय के रूप में रू0 2,000/-भी प्राप्त करने का अधिकारी है।
उक्त आदेश से क्षुब्ध होकर यह अपील परिवादी द्वारा योजित की गयी है।
अपील के आधारों में कहा गया है कि जिला आयोग का निर्णय साक्ष्य एवं विधि के विरूद्ध है और दोषपूर्ण है। अपील स्वीकार कर जिला आयोग का निर्णय व आदेश समाप्त करते हुए परिवाद स्वीकार किया जाए ।
मैने अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता के तर्क विस्तार से सुने एवं पत्रावली का सम्यक अवलोकन किया।
पत्रावली पर उपलब्ध होम लोन प्रार्थना पत्र के अवलोकन से स्पष्ट है कि परिवादिनी सरिता डिमरी तथा परिवादिनी के भाई दीपक डिमरी द्वारा होम लोन हेतु विपक्षी बैंक ऑफ बड़ौदा में दिनांक-24.05.2017 को आवेदन पत्र प्रस्तुत किया गया था।
पत्रावली पर उपलब्ध Bank of Baroda's "Baroda Home Loan Scheme" Documents required for Home Loan की छायाप्रति के अवलोकन से स्पष्ट है कि विपक्षी बैंक द्धारा ऋण दिये जाने हेतु आवश्यक प्रपत्रों की मांग की गई थी, जिसमें परिवादिनी से रजिस्टर्ड इकरारनामा भी मांगा गया था।
पत्रावली पर उपलब्ध रजिस्टर्ड इकरारनामा के अवलोकन से स्पष्ट है कि श्री अनवार शेराजी एवं श्रीमती शमीम शेराजी (विक्रेतागण/प्रथम पक्ष) तथा सरिता डिमरी (क्रेता/द्धितीय पक्ष) के मध्य रजिस्टर्ड इरारनामा हुआ, जिसमें परिवादिनी का मु० 96,000/-रू० का स्टाम्प शुल्क लगा।
पत्रावली पर उपलब्ध रजिस्ट्री शुल्क की छायाप्रति के अवलोकन से यह भी स्पष्ट है कि परिवादिनी द्वारा रजिस्ट्री शुल्क की एवज में मु० 20.000/-रू० का भुगतान किया गया। पत्रावली पर उपलब्ध बैंक ऑफ स्टेटमेंट की छायाप्रति के अवलोकन से यह भी पुष्ठ होता है कि परिवादिनी ने विपक्षीगण को 7,500/-रू0 की धनराशि , रजिस्टर्ड इकरारनामा तथा अन्य आवश्यक प्रपत्रों की माँग की गई थी, जिसे परिवादिनी द्वारा पूरा किया गया, लेकिन विपक्षी बैंक द्वारा बिना किसी कारण परिवादिनी का होम लोन निरस्त कर दिया गया।
परिवादिनी ने विपक्षी बैंक से जनसूचना अधिकार अधिनियम 2005 के अन्तर्गत होम लोन निरस्त करने का कारण पूछा, जिस पर विपक्षी बैंक द्वारा पत्र दिनांक-15.11.2018 के द्वारा उत्तर दिया कि परिवादिनी का कोई भी ऋण आवेदन विपक्षी बैंक के रिकार्ड में उपलब्ध नहीं है।
पत्रावली पर उपलब्ध अभिलेखों से यह पुष्ठ होता है कि परिवादिनी का होम लोन विपक्षीगण द्धारा बिना किसी कारण के निरस्त किया है।
पत्रावली के अवलोकन से विदित होता है कि पत्रावली में उपलब्ध साक्ष्य एवं अभिलेख का भलीभांति परिशीलन करने के पश्चात मेरे विचार से जिला मंच ने उभय पक्षों द्वारा दाखिल सभी अभिलेखों व शर्तो का अवलोकन करते हुए साक्ष्यों की पूर्ण विवेचना करते हुए प्रश्नगत परिवाद में विवेच्य निर्णय पारित किया है, जो कि तथ्यों एवं साक्ष्यों से समर्थित एवं विधि-सम्मत है एवं उसमें हस्तक्षेप करने की कोई आवश्यकता नहीं है। तद्नुसार प्रस्तुत अपील खारिज किए जाने योग्य है।
आदेश
प्रस्तुत अपील खारिज की जाती है।
उभय पक्ष अपना व्यय स्वयं वहन करेगें।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।
(न्यायमूर्ति अशोक कुमार)
अध्यक्ष
रंजीत, पी.ए.
कोर्ट सं.-01