Uttar Pradesh

StateCommission

A/2013/1397

Shree Ram General Insurance - Complainant(s)

Versus

Sarfaraz - Opp.Party(s)

Dinesh Kumar

22 Jan 2021

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/2013/1397
( Date of Filing : 25 Jun 2013 )
(Arisen out of Order Dated in Case No. of District State Commission)
 
1. Shree Ram General Insurance
-
...........Appellant(s)
Versus
1. Sarfaraz
-
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. Gobardhan Yadav PRESIDING MEMBER
 HON'BLE MR. Vikas Saxena JUDICIAL MEMBER
 
PRESENT:
 
Dated : 22 Jan 2021
Final Order / Judgement

सुरक्षि‍त

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।

                                                                                      अपील संख्‍या- 1397/2013

 

(जिला उपभोक्‍ता आयोग, अमरोहा द्वारा परिवाद संख्‍या- 85/2012 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 08-05-2013 के विरूद्ध)

 

1- श्रीराम जनरल इंश्‍योरेंश कम्‍पनी लि0 द्वारा ब्रांच मैनेजर, ब्रांच आफिस-108046, ए गांधी नगर, सेकेण्‍ड फ्लोर, रामपुर रोड, मुरादाबाद।

2- श्रीराम जनरल इंश्‍योरेंश कम्‍पनी लि0 E-8, EPIP सीतापुर, जयपुर राजस्‍थान।

                                                                                                   अपीलार्थी/विपक्षीगण

बनाम

                                             

सरफराज, पुत्र श्री जमानत उल्‍लाह, निवासी मोहल्‍ला दानिशमन्‍दान पी०एस० एवं डिस्ट्रिक अमरोहा।

                                                                                        प्रत्‍यर्थी/परिवादी

 

समक्ष:-

 माननीय श्री गोवर्धन यादव, सदस्‍य

 माननीय श्री विकास सक्‍सेना, सदस्‍य

 

अपीलार्थी की ओर से उपस्थित :  विद्वान अधिवक्‍ता, श्री आनन्‍द भार्गव

प्रत्‍यर्थी की ओर से उपस्थित:   विद्वान अधिवक्‍ता श्री आलोक सिन्‍हा

 

दिनांक: 05-08-2021

 

माननीय श्री गोवर्धन यादव, सदस्‍य द्वारा उदघोषित

                                                                                                निर्णय

परिवाद संख्‍या– 85 सन् 2012 सरफराज बनाम श्रीराम जनरल इंश्‍योरेंश कम्‍पनी लि0 व एक अन्‍य में जिला उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, अमरोहा द्वारा पारित आदेश दिनांक 08-05-2013 के विरूद्ध यह अपील धारा- 15 उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम के अन्‍तर्गत राज्‍य आयोग के समक्ष प्रस्‍तुत की गयी है।

2

आक्षे‍पि‍त निर्णय और आदेश के द्वारा जिला आयोग, अमरोहा ने परिवाद विपक्षीगण के विरूद्ध आंशिक रूप से स्‍वीकार करते हुए निम्‍न आदेश पारित किया है:-

" परिवाद आंशिक रूप से विपक्षीगण के विरूद्ध 5000/-रू० (रूपये पांच हजार मात्र) परिवाद व्‍यय सहित स्‍वीकार किया जाता है। विपक्षीगण, परिवादी को उसके वाहन की बीमित धनराशि के रूप में 1,42,500/-रू० (रूपये एक लाख बयालिस हजार पांच सौ मात्र) मय 8 प्रतिशत साधारण वार्षिक ब्‍याज की दर से दावा खण्‍डन की तिथि दिनांक 06-08-2012 से लेकर वास्‍तविक वसूली तक भुगतान करें एवं मानसिक कष्‍ट की क्षतिपूर्ति के रूप में 5000/- अदा करें। आदेश का अनुपालन अन्‍दर एक माह किया जाए।"

जिला आयोग के निर्णय और आदेश से क्षुब्‍ध होकर परिवाद के विपक्षीगण ने यह अपील प्रस्‍तुत की है।

अपील की सुनवाई के समय अपीलार्थी/विपक्षीगण की ओर से विद्वान अधिवक्‍ता श्री आनन्‍द भार्गव उपस्थित आए हैं। प्रत्‍यर्थी/परिवादी की ओर से विद्वान अधिवक्‍ता श्री आलोक सिन्‍हा उपस्थित हुए हैं।

हमने उभय-पक्ष के विद्वान अधिवक्‍तागण के तर्क को सुना है और आक्षेपित निर्णय और आदेश तथा पत्रावली का अवलोकन किया है।

अपील के निर्णय हेतु संक्षिप्‍त सुसंगत तथ्‍य इस प्रकार हैं कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने परिवाद जिला आयोग के समक्ष इस कथन के साथ प्रस्‍तुत किया है कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी वाहन संख्‍या– यू0पी0 27 टी- 1281 टाटा ए०सी०ई० का पंजीकृत स्‍वामी है। उक्‍त वाहन पालिसी संख्‍या-108046/31/11/005656 के अन्‍तर्गत दिनांक 26-03-2011 से दिनांक     25-03-2012 की अवधि हेतु बीमित था। बीमा अवधि में ही दिनांक       

3

29-08-2011 को प्रत्‍यर्थी/परिवादी अपने उक्‍त वाहन को रात 9.30 बजे खड़ा करके घर चला गया और दिनांक 30-08-2011 को प्रात: 4.45 बजे नमाज के लिए मस्जिद जाते समय उसने देखा कि उसका उक्‍त वाहन अपने गन्‍तव्‍य स्‍थान पर नहीं था, चोरी हो गया था। परिवाद पत्र के अनुसार प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने वाहन को ढूंढने का बहुत प्रयास किया परन्‍तु वाहन नहीं मिला। तब उसने थाना अमरोहा नगर में रिपोर्ट दर्ज कराया। पुलिस भी उक्‍त वाहन का पता नहीं लगा सकी। तब प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने समस्‍त आवश्‍यक औपचारिकताएं पूर्ण करके विपक्षीगण के समक्ष क्‍लेम प्रस्‍तुत किया। इस सम्‍बन्‍ध में उसने अपीलार्थी/विपक्षीगण को दिनांक- 04-06-2012 को एक रजिस्‍टर्ड प्रार्थना-पत्र प्रेषित किया परन्‍तु विपक्षीगण ने अपने पत्र दिनांक 06-08-2012 के द्वारा  एफ०आई०आर० में देरी होने के आधार पर प्रत्‍यर्थी/परिवादी का दावा नो क्‍लेम कर दिया जिससे क्षुब्‍ध होकर उसने परिवाद जिला आयोग के समक्ष प्रस्‍तुत किया है।

जिला आयोग के समक्ष अपीलार्थी/विपक्षीगण की ओर से अपना वादोत्‍तर प्रस्‍तुत किया गया है जिसमें कहा गया है कि वाहन की चोरी दिनांक       29-08-2011 को हुयी है जबकि प्रत्‍यर्थी/परिवादी द्वारा वाहन चोरी की सूचना दिनांक 30-08-2011 को विलम्‍ब से पुलिस और बीमा कम्‍पनी को दी गयी है जो बीमा पालिसी की शर्त संख्‍या-1 का उल्‍लंघन है। अत: इसी आधार पर बीमा कम्‍पनी ने प्रत्‍यर्थी/परिवादी का दावा नो क्‍लेम किया है। 

जिला आयोग ने उभय-पक्ष के अभिकथन एवं उनके द्वारा प्रस्‍तुत साक्ष्‍यों पर विचार करने के उपरान्‍त आक्षेपित निर्णय एवं आदेश पारित किया है जो ऊपर अंकित है।

 

4

अपीलार्थी/विपक्षीगण बीमा कम्‍पनी के विद्वान अधिवक्‍ता का तर्क है कि जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय उचित नहीं है। जिला आयोग द्वारा पारित

निर्णय साक्ष्‍य एवं विधि के विरूद्ध है एवं दोषपूर्ण है। प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने पुलिस और बीमा कम्‍पनी को विलम्‍ब से वाहन चोरी की सूचना दी है जो बीमा पालिसी की शर्त संख्‍या-1 का उल्‍लंघन है। अत: बीमा कम्‍पनी ने प्रत्‍यर्थी/परिवादी का बीमा दावा नो क्‍लेम करके सेवा में कोई कमी नहीं किया है। अपीलार्थी/विपक्षी बीमा कम्‍पनी के विद्वान अधिवक्‍ता का तर्क है कि प्रस्‍तुत अपील स्‍वीकार कर जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय व आदेश अपास्‍त करते हुए परिवाद निरस्‍त किये जाने योग्‍य है।

प्रत्‍यर्थी/परिवादी के विद्वान अधिवक्‍ता का तर्क है कि जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय व आदेश उचित है। अपील बलरहित है और निरस्‍त किये जाने योग्‍य है। प्रत्‍यर्थी/परिवादी के विद्वान अधिवक्‍ता का तर्क है कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने वाहन चोरी की घटना के तुरन्‍त बाद पुलिस और बीमा कम्‍पनी को सूचना दी है। पुलिस ने रिपोर्ट दर्ज करने में देरी की है जिसके लिए प्रत्‍यर्थी/परिवादी को दोषी नहीं ठहराया जा सकता है।

हमने उभय-पक्ष के विद्वान अधिवक्‍तागण के तर्क को सुना है और पत्रावली पर उपलब्‍ध साक्ष्‍यों का सम्‍यक अवलोकन किया है।

पत्रावली के अवलोकन से स्‍पष्‍ट होता है कि प्रस्‍तुत प्रकरण वाहन की चोरी से संबंधित है। मात्र विलम्‍ब से सूचना दिये जाने के आधार पर बीमा क्‍लेम निरस्‍त नहीं किया जा सकता है। प्रस्‍तुत प्रकरण में प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने पुलिस एवं बीमा कम्‍पनी को समय से सूचना दिया है किन्‍तु पुलिस द्वारा एफ०आई०आर० दर्ज करने में विलम्‍ब किया गया है जिसके लिए प्रत्‍यर्थी/परिवादी को दोषी ठहराया जाना उचित नहीं है। अत: विद्वान जिला

5

आयोग द्वारा जो निर्णय पारित किया गया है हमारी राय में वह विधि सम्‍मत है परन्‍तु जिला आयोग द्वारा जो 08 प्रतिशत वार्षिक की दर से ब्‍याज प्रत्‍यर्थी/परिवादी को दिलाया गया है उसे संशोधित करते हुए ब्‍याज दर 06 प्रतिशत किया जाना न्‍यायोचित है, साथ ही जिला आयोग ने जो 5000/-रू० मानसिक कष्‍ट हेतु क्षतिपूर्ति दिलाया है वह निरस्‍त किये जाने योग्‍य है। तदनुसार अपील आंशिक रूप से स्‍वीकार किये जाने योग्‍य है।

                                                               आदेश

प्रस्‍तुत अपील आंशिक रूप से स्‍वीकार की जाती है। विद्वान जिला आयोग द्वारा पारित आक्षेपित निर्णय एवं आदेश को संशोधित करते हुए ब्‍याज दर 08 प्रतिशत के स्‍थान पर 6 प्रतिशत की जाती है तथा जिला आयोग द्वारा जो मानसिक कष्‍ट हेतु क्षतिपूर्ति की धनराशि 5000/-रू० प्रत्‍यर्थी/परिवादी को प्रदान की गयी है उसे अपास्‍त किया जाता है। निर्णय का शेष अंश यथावत कायम रहेगा।

उभय-पक्ष अपना-अपना वाद व्‍यय स्‍वयं वहन करेंगे।

आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस आदेश को आयोग की वेबसाइड पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।

 

(विकास सक्‍सेना)                        (गोवर्धन यादव)

    सदस्‍य                                सदस्‍य                                                    

            

 

कृष्‍णा, आशु0

कोर्ट नं02

 

 
 
[HON'BLE MR. Gobardhan Yadav]
PRESIDING MEMBER
 
 
[HON'BLE MR. Vikas Saxena]
JUDICIAL MEMBER
 

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