सुरक्षित
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
अपील संख्या-2095/2010
1. M/s. PepsiCo India Holdings 402, Heritage Apartment, 5, Park Road, Hazratganj, Lucknow, through its Manager (now 29/9, VIth Floor), Raj Chambers, Rana Pratap Marg, Lucknow.
अपीलार्थी/विपक्षी संख्या-1
बनाम्
1. Sardar Jaswinder Singh son of Sri Bhag Singh, Resident of 15-B, Krishna Nagar, Kanpur Road, Lucknow.
2. Wadhva Bakers, Opposite Krishna Nagar Police Station, Krishna Nagar, Kanpur Road, Lucknow, through its Proprietor.
प्रत्यर्थीगण/परिवादी/विपक्षी संख्या-2
एवं
अपील संख्या-2162/2010
Wadhva Bakers, Opposite Krishna Nagar Police Station, Krishna Nagar, Kanpur Road, Lucknow, through its Proprietor.
अपीलार्थी/विपक्षी संख्या-2
बनाम्
1. Sardar Jaswinder Singh son of Sri Bhag Singh, Resident of 15-B, Krishna Nagar, Kanpur Road, Lucknow.
2. M/s. PepsiCo India Holdings 402, Heritage Apartment, 5, Park Road, Hazratganj, Lucknow, through its Manager (now 29/9, VIth Floor), Raj Chambers, Rana Pratap Marg, Lucknow.
प्रत्यर्थीगण/परिवादी/विपक्षी संख्या-1
समक्ष:-
1. माननीय श्री उदय शंकर अवस्थी, पीठासीन सदस्य।
2. माननीय श्री गोवर्द्धन यादव, सदस्य।
अपीलार्थी की ओर से : श्री विकास सिंह, विद्वान अधिवक्ता।
प्रत्यर्थी संख्या-1 की ओर से : कोई नहीं।
प्रत्यर्थी संख्या-2 की ओर से : श्री इन्द्रजीत यादव, विद्वान अधिवक्ता।
दिनांक 06.02.2020
मा0 श्री उदय शंकर अवस्थी, पीठासीन सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
प्रस्तुत दोनों अपीलें, अर्थात् अपील संख्या-2095/2010 एवं अपील संख्या-2162/2010 परिवाद संख्या-289/2003 में जिला मंच, द्वितीय (अतिरिक्त) लखनऊ द्वारा पारित प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक 25.09.2010 के विरूद्ध क्रमश: परिवाद के विपक्षी संख्या-1 एवं विपक्षी संख्या-2 की ओर से योजित की गयी हैं। उपरोक्त दोनों अपीलें एक ही निर्णय के विरूद्ध योजित किये जाने के कारण दोनों अपीलों का निस्तारण साथ-साथ किया जा रहा है। अपील संख्या-2095/2010 अग्रणी अपील होगी।
संक्षेप में तथ्य इस प्रकार हैं कि प्रत्यर्थी संख्या-1/परिवादी के कथनानुसार परिवादी ने अपील संख्या-2162/2010 के अपीलकर्ता, वाधवा बेकर्स, जो परिवाद में विपक्षी संख्या-2 हैं, से दिनांक 14.10.2002 को पेप्सी कम्पनी की एक सील बंद बोतल 10/- रूपये में क्रय की, जिस पर बैच नम्बर जे-40509021521 पड़ा था। परिवादी के कथनानुसार इस सील बंद बोतल में कोई विषैली वस्तु अंदर बंद थी, जो बाहर से देखने पर स्पष्ट दिखाई पड़ती थी। अत: क्षतिपूर्ति के भुगतान हेतु परिवाद जिला मंच में प्रस्तुत किया गया।
अपीलकर्ता/विपक्षी संख्या-1, मेसर्स पेप्सिको इण्डिया द्वारा प्रतिवाद पत्र जिला मंच के समक्ष प्रस्तुत किया गया। अपीलकर्ता के कथनानुसार परिवादी द्वारा पेप्सी खरीदने की जो रसीद प्रस्तुत की गयी, उसमें परिवादी का नाम उल्लिखित नहीं था। अत: प्रत्यर्थी संख्या-1/परिवादी को उपभोक्ता नहीं माना जा सकता। अपीलकर्ता का यह भी कथन है कि परिवादी द्वारा यह स्पष्ट नहीं किया गया है कि प्रश्नगत बोतल में क्या अपमिश्रित पदार्थ पाया गया। ऐसी परिस्थिति में यह नहीं माना जा सकता कि कोई विषैला पदार्थ प्रश्नगत बोतल में विद्यमान था। अपीलकर्ता का यह भी कथन है कि परिवादी ने बोतल में स्थित पदार्थ का निर्विवाद रूप से कोई उपयोग नहीं किया और न ही उपयोग करने का कोई आशय प्रकट किया। अपीलकर्ता का यह भी कथन है कि परिवादी ने प्रश्नगत पदार्थ का रासायनिक परीक्षण नहीं कराया। अपीलकर्ता का यह भी कथन है कि प्रस्तुत प्रकरण में पेय पदार्थ अपीलकर्ता द्वारा संबंधित बोतल में नहीं भरा गया। अपीलकर्ता द्वारा पूरी सतर्कता, सुरक्षा एवं सफाई के साथ बोतल में पेय पदार्थ भरा जाता है। अवांछित तत्वों द्वारा भी अवैध रूप से अपमिश्रित पेय पदार्थ भरकर पेप्सी के नाम से बेचे जाने के भी अनेकों मामलें आ चुके हैं। अपीलकर्ता का यह भी कथन है कि पेय पदार्थ के उपयोग की अधिकतम सीमा निर्माण तिथि से 06 माह की ही होती है, जबकि प्रस्तुत प्रकरण में कथित पेय पदार्थ रासायनिक परीक्षण योग्य नहीं बचा। अपीलकर्ता का यह भी कथन है कि प्रश्नगत पेय पदार्थ जिला मंच के समक्ष भी वर्षों प्रस्तुत नहीं किया गया। मात्र अंतिम तर्क प्रस्तुत किये जाने की तिथि में ही जिला मंच के अवलोकनार्थ प्रस्तुत किया गया।
परिवाद के विपक्षी संख्या-2, वाधवा बेकर्स द्वारा कोई प्रतिवाद पत्र जिला मंच के समक्ष प्रस्तुत नहीं किया गया, अत: परिवाद की सुनवाई विपक्षी संख्या-2 के विरूद्ध एकपक्षीय की गयी।
प्रश्नगत निर्णय द्वारा जिला मंच ने परिवाद स्वीकार करते हुए परिवाद के विपक्षीगण (दोनों अपीलों के अपीलकर्तागण) को एकल एवं संयुक्त रूप से क्षतिपूर्ति की अदायगी हेतु उत्तरदायी मानते हुए उन्हें निर्देशित किया कि निर्णय की प्रमाणित प्रति प्राप्त होने के एक माह के अन्दर एक लाख रूपये क्षतिपूर्ति के रूप में परिवादी को भुगतान करें। इसके अतिरिक्त 5,000/- रूपये वाद व्यय के रूप में भी भुगतान करें तथा इस धनराशि पर परिवाद प्रस्तुत किये जाने की तिथि से 10 प्रतिशत वार्षिक ब्याज भी सम्पूर्ण धनराशि की अदायगी तक भुगतान करें।
इस निर्णय एवं आदेश से क्षुब्ध होकर उपरोक्त दोनों अपीलें योजित की गयी हैं।
हमने दोनों अपीलों के अपीलकर्तागण के विद्वान अधिवक्तागण के तर्क सुने। प्रत्यर्थी संख्या-1 पर नोटिस की तामीला के बावजूद प्रत्यर्थी संख्या-1 की ओर से तर्क प्रस्तुत करने हेतु कोई उपस्थित नहीं हुआ।
पत्रावली के अवलोकन से यह विदित होता है कि प्रस्तुत प्रकरण के संदर्भ में प्रश्नगत बोतल की क्रय संबंधी जारी की गयी कथित रसीद में किसी उपभोक्ता का नाम दर्शित नहीं है। परिवाद वर्ष 2002 में योजित किया गया। प्रश्नगत निर्णय दिनांक 25.09.2010 को पारित किया गया। अपीलकर्ता के कथनानुसार प्रश्नगत बोतल मामलें की अंतिम सुनवाई के समय ही संभवत: जिला मंच के अवलोकनार्थ प्रस्तुत की गयी। इस संदर्भ में अपीलकर्ता ने जिला मंच की कार्यवाही से संबंधित आदेश पत्रों की प्रमाणित प्रति प्रस्तुत की गयीं, जिसमें किसी भी स्तर पर प्रश्नगत बोतल जिला मंच में प्रस्तुत किये जाने का कोई उल्लेख नहीं है। प्रश्नगत निर्णय के अवलोकन से यह विदित होता है कि जिला मंच द्वारा परिवादी को यह भी निर्देशित किया गया कि विवादित बोतल को एक लकड़ी के डिब्बे में पैक करके एवं सुरक्षित रूप से उस पर फोरम की सील लगाकर उसको केस प्रापर्टी के रूप में फोरम की अभिरक्षा में दें। जिला मंच के इस निर्देश से भी यह स्पष्ट है कि वस्तुत: मामलें की अंतिम सुनवाई तक प्रश्नगत बोतल परिवादी की अभिरक्षा में ही रही। परिवादी ने प्रश्नगत बोतल के पेय पदार्थ के रासायनिक परीक्षण हेतु जिला मंच के समक्ष कोई प्रमाण पत्र प्रस्तुत नहीं किया और न ही जिला मंच द्वारा प्रश्नगत बोतल के पेय पदार्थ का रासायनिक परीक्षण का कोई प्रयास किया। यह तथ्य भी निर्विवाद है कि स्वंय परिवादी द्वारा प्रश्नगत बोतल के पेय पदार्थ का उपयोग नहीं किया गया। एक लाख रूपये मात्र अनुमान के आधार पर क्षतिपूर्ति की मांग परिवादी द्वारा की गयी। प्रश्नगत बोतल में स्थित पेय पदार्थ वस्तुत: परिवाद के विपक्षी संख्या-1 से संबंधित है, के संबंध में कोई साक्ष्य जिला मंच के समक्ष प्रस्तुत नहीं की गयी। ऐसी परिस्थिति में अपीलकर्तागण द्वारा सेवा में त्रुटि कारित किया जाना प्रमाणित नहीं माना जा सकता। तदनुसार प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश अपास्त किये जाने योग्य है। उपरोक्त दोनों अपीलें स्वीकार किये जाने योग्य हैं।
आदेश
अपील संख्या-2095/2010 एवं अपील संख्या-2162/2010 स्वीकार की जाती हैं। जिला मंच द्वारा पारित प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक 25.09.2010 अपास्त किया जाता है तथा परिवाद निरस्त किया जाता है।
इस निर्णय की मूल प्रति अपील संख्या-2095/2010 में रखी जाये एवं इसकी एक सत्य प्रति अपील संख्या-2162/2010 में भी रखी जाये।
पक्षकारान को इस निर्णय/आदेश की प्रमाणित प्रतिलिपि नियमानुसार उपलब्ध कर दी जाए।
(उदय शंकर अवस्थी) (गोवर्द्धन यादव)
पीठासीन सदस्य सदस्य
लक्ष्मन, आशु0, कोर्ट-2