( मौखिक )
‘’राष्ट्रीय लोक अदालत दिनांकित 14-09-2024 ’’
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0 लखनऊ।
अपील संख्या :663/2012
दि न्यू इण्डिया एश्योरेंस कम्पनी लि0 बनाम श्री सरदार अली व अन्य
दिनांक : 14-09-2024
मा0 न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष द्वारा उदघोषित निर्णय
प्रस्तुत अपील अत्यन्त पुरानी है और वर्ष 2012 से सुनवाई हेतु लम्बित है अत: प्रस्तुत अपील आज आयोजित राष्ट्रीय लोक अदालत-2024 के माध्यम से सुनवाई हेतु इस पीठ के समक्ष सूचीबद्ध है।
अपील की सुनवाई के समय अपीलार्थी के विद्धान अधिवक्ता श्री जफर अजीज उपस्थित आए जब कि प्रत्यर्थी की ओर से कोई उपस्थित नहीं है।
परिवाद संख्या-12/2011 सरदार अली व अन्य बनाम भारतीय स्टेट बैंक व एक अन्य में जिला आयोग, औरैया द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश दिनांकित 22-02-2012 के विरूद्ध प्रस्तुत अपील परिवाद के विपक्षी सं0-2 दि न्यू इण्डिया इं0कं0लि0 की ओर से उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के अन्तर्गत इस न्यायालय के सम्मुख योजित की गयी है।
-2-
आक्षेपित निर्णय एवं आदेश के द्धारा विद्धान जिला आयोग ने परिवाद स्वीकार करते हुए निम्नलिखित निर्णय एवं आदेश पारित किया है:-
‘’परिवाद स्वीकार किया जाता है। ट्रैक्टर संख्या-यू0पी0 79 बी-0636 से यदि दिनांक 15-12-2009 को हुई तथा कथित दुर्घटना में अमित कुमार की मृत्यु के लिए कोई प्रतिकर परिवादीगण के उपरोक्त वाहन के लिए परिवादीगण से दिलाया जाता है, तो उसको भुगतान करने का उत्तरदायित्व विपक्षीगण का होगा। परिवादीगण विपक्षीगण से
मानसिक आघात तथा वाद व्यय के लिए भी रू0 2,000/- प्राप्त करेंगे जिसका भुगतान विपक्षीगण परिवादी को आज से 30 दिन में करें।‘’
अपीलार्थी के विद्धान अधिवक्ता का तर्क है कि विद्धान जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश साक्ष्य एवं विधि के विरूद्ध है। उनकी ओर से सेवा में किसी प्रकार की कोई कमी नहीं की गयी है अत: अपील स्वीकार करते हुए जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश अपास्त किया जावे।
मेरे द्वारा अपीलार्थी के विद्धान अधिवक्ता के तर्क को सुना गया तथा पत्रावली पर उपलब्ध समस्त प्रपत्रों एवं जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश का सम्यक परिशीलन एवं परीक्षण किया गया।
मेरे द्वारा अपीलार्थी के विद्धान अधिवक्ता को विस्तारपूर्वक सुनने तथा पत्रावली पर उपलब्ध समस्त प्रपत्रों का भली-भॉंति परिशीलन एवं
-3-
परीक्षण करने के उपरान्त मैं इस मत का हूँ कि विद्धान जिला आयोग द्वारा समस्त तथ्यों पर गहनतापूर्वक विचार करने के उपरान्त विधि अनुसार निर्णय एवं आदेश पारित किया गया है, जिसमें हस्तक्षेप हेतु कोई उचित आधार नहीं है किन्तु विद्धान जिला आयोग द्वारा जो विपक्षीगण से परिवादी को मानसिक आघात तथा वाद व्यय के मद में 2000/-रू0 अदा करने का आदेश पारित किया गया है उसे वाद के तथ्यों और परिस्थितियों को दृष्टिगत रखते हुए उचित नहीं कहा जा सकता है और अपास्त किये जाने योग्य है। तदनसार अपील आंशिक रूप से स्वीकार किये जाने योग्य है।
आदेश
अपील आंशिक रूप से स्वीकार की जाती है और विद्धान जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश को संशोधित करते हुए मानसिक आघात तथा वाद व्यय के मद में रू0 2000/- अदा करने के आदेश को अपास्त किया जाता है। निर्णय के शेष भाग की पुष्टि की जाती है।
इस निर्णय एवं आदेश का अनुपालन निर्णय से 45 दिन की अवधि में किया जाना सुनिश्चित किया जावेगा।
अपील योजित करते समय अपीलार्थी द्वारा अपील में जमा धनराशि (यदि कोई हो) तो नियमानुसार अर्जित ब्याज सहित जिला आयोग को विधि अनुसार निस्तारण हेतु यथाशीघ्र प्रेषित की जावे।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।
(न्यायमूर्ति अशोक कुमार)
अध्यक्ष
प्रदीप मिश्रा, आशु0 कोर्ट नं0-1