जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, प्रथम, लखनऊ।
परिवाद संख्या-153/2018
उपस्थित:-श्री अरविन्द कुमार, अध्यक्ष।
श्रीमती स्नेह त्रिपाठी, सदस्य।
श्री अशोक कुमार सिंह, सदस्य।
परिवाद प्रस्तुत करने की तारीख:-07.05.2018
परिवाद के निर्णय की तारीख:-12.01.2021
डा0 कीर्ति अग्रवाल पत्नी श्री नितिन अग्रवाल, निवासी-12, विज्ञानपुरी, महानगर विस्तार, महानगर लखनऊ। ...............परिवादिनी।
बनाम
Saraf Furniture RIICO industrial Area Kalyanpura Road, Sardarshahr, Rajasthan-331403 Through its Proprietor.
.............विपक्षी।
आदेश द्वारा-श्री अशोक कुमार सिंह, सदस्य।
निर्णय
परिवादिनी ने प्रस्तुत परिवाद विपक्षी से फर्नीचर की कीमत 13,999.00 रूपये दिनॉंक 19.07.2017 से 18 प्रतिशत वार्षिक ब्याज सहित वास्तविक भुगतान की तिथि तक, दोषपूर्ण सेवाओं की वजह से परिवादिनी को हुए मानसिक एवं शारीरिक कष्ट एवं आर्थिक क्षतिपूर्ति के लिये 50,000.00 रूपये एवं वाद व्यय 11,000.00 रूपये दिलाये जाने की प्रार्थना के साथ प्रस्तुत किया है।
संक्षेप में परिवाद के कथन इस प्रकार हैं कि परिवादिनी ने दिनॉंक 19.07.2017 को विपक्षी के यहॉं से ऑनलाइन आर्डर करके सॉलिड वुड महराजा फर्नीचर मंगाया था जिसकी कीमत 13,999.00 रूपये थी। विपक्षी द्वारा उक्त फर्नीचर डैमेज कन्डीशन में भेजा गया। परिवादिनी द्वारा इसकी शिकायत विपक्षी से फोन एवं ईमेल द्वारा कई बार की गयी तो विपक्षी द्वारा उक्त डैमेज फर्नीचर को रिप्लेश किये जाने का वायदा किया गया, परन्तु अब तक फर्नीचर रिप्लेश नहीं किया गया न ही परिवादिनी की धनराशि वापस की गयी। विपक्षी द्वारा कोई कार्यवाही न किये जाने पर परिवादिनी ने नेशनल कन्ज्यूमर हेल्पलाइन पर भी विपक्षी की शिकायत दर्ज करायी, परन्तु इसके बावजूद अब तक न तो फर्नीचर रिप्लेश किया गया न ही परिवादिनी की धनराशि वापस की गयी। नेशनल कन्ज्यूमर हेल्पलाइन द्वारा परिवादिनी से कहा गया कि वह जिला उपभोक्ता फोरम में विपक्षी के विरूद्ध वाद दाखिल करें क्योंकि उनकी बात भी विपक्षी द्वारा नहीं मानी गयी है। विपक्षी द्वारा अनुचित व्यापर प्रक्रिया अपनायी गयी है एवं दी जाने वाली सेवा में घोर कमी की गयी है।
वाद की कार्यवाही विपक्षी के विरूद्ध एकपक्षीय चल रही है।
परिवादिनी ने शपथ पर साक्ष्य प्रस्तुत किया है।
अभिलेख का अवलोकन किया, जिससे प्रतीत होता है कि परिवादिनी द्वारा विपक्षी से ऑन लाइन प्रक्रिया के अन्तर्गत सॉलिड वुड महराजा फर्नीचर मंगाया था, परन्तु विपक्षी द्वारा क्षतिपूर्ण फर्नीचर भेजा गया जिसकी शिकायत परिवादिनी द्वारा विपक्षी को ईमेल तथा फोन से कई बार की गयी जिस पर विपक्षी द्वारा फर्नीचर बदलने का वायदा किया गया, परन्तु विपक्षी द्वारा क्षतिग्रस्त फर्नीचर बदला नहीं गया और न ही धनराशि वापस की गयी। उपभोक्ता अपनी सुविधा तथा मूल्य को ध्यान में रखकर ऑन लाइन प्रक्रिया से वस्तुओं की खरीद करता है। विक्रेता को उसकी गुणवत्ता का ध्यान रखना चाहिए तथा खराब एवं क्षतिग्रस्त वस्तुओं का प्रेषण हो जाने पर उसको बदलने की व्यवस्था सुनिश्चित करना चाहिए तभी उपभोक्तओं को ऑन लाइन व्यवस्था पर विश्वास बढ़ेगा तथा इसके माध्यम से व्यापार को बढ़ावा मिलेगा और नयी व्यवस्था मजबूत व सुदृढ़ होगी। परिवादिनी के मोबाइल पर व्हाटसएप पर संदेश वार्ता से भी ऐसा प्रतीत होता है कि विक्रेता/ऑन लाइन एजेन्सी द्वारा हीला हवाली की गयी और परिवादिनी को क्षति पहुँचाई गयी तथा क्षतिपूर्ण फर्नीचर वापस नहीं किया गया और न ही उसकी धनराशि वापस की गयी। ऐसी परिस्थिति में परिवादिनी का परिवाद आंशिक रूप से स्वीकार किये जाने योग्य है।
आदेश
परिवादिनी का परिवाद आंशिक रूप से स्वीकार किया जाता है, तथा विपक्षी को निर्देश दिया जाता है कि वह परिवादिनी को फर्नीचर की कीमत मुबलिग 13,999.00 (तेरह हजार नौ सौ निन्यानबे रूपया मात्र) 09 प्रतिशत वार्षिक ब्याज के साथ वाद दायर करने की तिथि से 45 दिन के अन्दर अदा करेंगें। शारीरिक, मानसिक, एवं आर्थिक कष्ट के लिये मुबलिग 10,000.00 (दस हजार रूपया मात्र) तथा वाद व्यय के लिये मुबलिग 5,000.00 (पॉंच हजार रूपया मात्र) भी अदा करेंगें। यदि उपरोक्त आदेश का अनुपालन निर्धारित अवधि में नहीं किया जाता है तो उपरोक्त सम्पूर्ण राशि पर 12 प्रतिशत वार्षिक ब्याज भुगतेय होगा।
(अशोक कुमार सिंह) (स्नेह त्रिपाठी) (अरविन्द कुमार)
सदस्य सदस्य अध्यक्ष
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, प्रथम,
लखनऊ।