(सुरक्षित)
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
अपील संख्या-2203/2012
(जिला उपभोक्ता आयोग, बाराबंकी द्वारा परिवाद संख्या-138/2009 में पारित निणय/आदेश दिनांक 27.08.2012 के विरूद्ध)
लाइफ इंश्योरेंस कारपोरेशन आफ इण्डिया, ब्रांच आफिस, आवास विकास, परगना व तहसील नवाबगंज, जिला बाराबंकी द्वारा ब्रांच मैनेजर।
अपीलार्थी/विपक्षी
बनाम
श्रीमती संतोष कुमारी पत्नी स्व0 ज्ञानेन्द्र कुमार, निवासिनी ग्राम कसरैलाडीह, मजरे खुर्दमऊ, पोस्ट व तहसील सिरौली गौसपुर, जिला बाराबंकी।
प्रत्यर्थी/परिवादिनी
समक्ष:-
1. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य।
2. माननीय श्रीमती सुधा उपाध्याय, सदस्य।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : श्री आईपीएस चड्ढा।
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित : श्री महेन्द्र कुमार मिश्रा।
दिनांक: 04.12.2024
माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य द्वारा उद्घोषित
निर्णय
1. परिवाद संख्या-138/2009, श्रीमती संतोष कुमारी बनाम भारतीय जीवन बीमा निगम में विद्वान जिला आयोग, बाराबंकी द्वारा पारित निर्णय/आदेश दिनांक 27.8.2012 के विरूद्ध प्रस्तुत की गई अपील पर अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता तथा प्रत्यर्थी के विद्वान अधिवक्ता को सुना गया तथा प्रश्नगत निर्णय/पत्रावली का अवलोकन किया गया।
2. विद्वान जिला आयोग ने परिवाद स्वीकार करते हुए अंकन 50,000/-रू0 बीमित राशि 10 प्रतिशत ब्याज के साथ अदा करने का आदेश पारित किया है।
3. परिवाद के तथ्यों के अनुसार परिवादिनी के पति स्व0 ज्ञानेन्द्र कुमार द्वारा अपनी अवयस्क पुत्री अर्चना वर्मा की शिक्षा एवं विवाह हेतु दिनांक 5.2.2005 को विवाह बंदोबस्ती पालिसी/शिक्षा वृत्ति योजना लाभ सहित अंकन 50,000/-रू0 की बीमा पालिसी प्राप्त की गई थी, जिसकी पालिसी सं0-215417088 है। दूसरी किस्त दिनांक 24.4.2006 को विलम्ब शुल्क सहित जमा की गई थी। सितम्बर 2006 में दुर्भाग्यवश लकवे की बीमारी से बीमाधारक पीडित होने के कारण इलाज के बाद दिनांक 2.2.2007 को उनकी मृत्यु हो गई। मृतक द्वारा ली गई प्रथम बीमा पालिसी की राशि का भुगतान विपक्षी द्वारा कर दिया गया। द्वितीय पालिसी के दावे को इस आधार पर नकार दिया गया कि अपने स्वास्थ्य के संबंध में तात्विक जानकारी छिपाई गई, इसलिए उपभोक्ता परिवाद प्रस्तुत किया गया।
4. विपक्षी का कथन है कि बीमा पालिसी प्राप्त करते समय स्वास्थ्य की अच्छी दशा बताई गई थी, इसी आधार पर बीमा पालिसी जारी की गई थी। मृत्यु दावा प्राप्त होने पर जांच की गई, जांच में यह तथ्य प्रकाश में आया कि बीमाधारक ने डा0 अशोक निराला न्यूरो सर्जन, बाराबंकी के नर्सिंग होम में अपना इलाज दिनांक 2.9.2006 को भर्ती होकर कराया था। इलाज के दौरान बीमाधारक ने अपनी बीमारी की अवधि दो वर्ष बताई थी और यह भी बताया था कि एसजीपीजीआई लखनऊ से दो वर्ष पूर्व से इलाज करा रहा था, इसलिए यह तथ्य स्थापित है कि बीमारी के तथ्य को छिपाकर बीमा पालिसी प्राप्त की गई है, इसलिए बीमा क्लेम देय नहीं है।
5. दोनों पक्षों की साक्ष्य पर विचार करने के पश्चात विद्वान जिला आयोग ने यह निष्कर्ष दिया कि बीमा प्रस्ताव भरते समय बीमाधारक को बीमारी की जानकारी थी, यह तथ्य स्थापित नहीं है। बीमा पालिसी लेने के पश्चात इलाज कराया गया है। तदनुसार उपरोक्त वर्णित निर्णय/आदेश पारित किया गया।
6. इस निर्णय/आदेश के विरूद्ध प्रस्तुत की गई अपील के ज्ञापन तथा मौखिक तर्कों का सार यह है कि बीमारी के तथ्य को छिपाया गया, इसलिए बीमा क्लेम देय नहीं है।
7. पत्रावली पर उपलब्ध साक्ष्यों के अवलोकन से ज्ञात होता है कि बीमाधारक द्वारा दिनांक 3.2.2005 को बीमा प्रस्ताव भरा था, इससे पूर्व बीमारी का इलाज कराने का कोई सबूत पत्रावली पर मौजूद नहीं है। बीमारी का इलाज पालिसी प्राप्त करने के बाद दिनांक 2.9.2006 से प्रारम्भ हुआ है, इसलिए बीमारी के तथ्य को छिपाया हुआ नहीं माना जा सकता। विद्वान जिला आयोग द्वारा पारित प्रश्नगत निर्णय/आदेश में हस्तक्षेप का कोई आधार नहीं है। तदनुसार प्रस्तुत अपील निरस्त होने योग्य है।
आदेश
8. प्रस्तुत अपील निरस्त की जाती है।
प्रस्तुत अपील में अपीलार्थी द्वारा यदि कोई धनराशि जमा की गई हो तो उक्त जमा धनराशि अर्जित ब्याज सहित संबंधित जिला आयोग को यथाशीघ्र विधि के अनुसार निस्तारण हेतु प्रेषित की जाए।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।
(सुधा उपाध्याय) (सुशील कुमार)
सदस्य सदस्य
लक्ष्मन, आशु0,
कोर्ट-2