राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
अपील संख्या-335/2016
(सुरक्षित)
(जिला उपभोक्ता फोरम, इटावा द्वारा परिवाद संख्या 70/2014 में पारित आदेश दिनांक 30.01.2016 के विरूद्ध)
Shriram General Insurance Company Limited, E-8, EPIP, RIICO Industrial Area, Sitapura, Jaipur (Rajasthan)-302022 Branch Office 16, Chintal House, Station Road, Lucknow through its Manager.
..................अपीलार्थी/विपक्षी
बनाम
Santosh Kumar S/o Shri Kripal Singh, R/o Nagla Jagat, Post- Hardoyi, District-Etawah.
...................प्रत्यर्थी/परिवादी
समक्ष:-
माननीय न्यायमूर्ति श्री अख्तर हुसैन खान, अध्यक्ष।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : श्री दिनेश कुमार,
विद्वान अधिवक्ता।
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित : श्री उमेश कुमार शर्मा,
विद्वान अधिवक्ता।
दिनांक: 13.02.2020
मा0 न्यायमूर्ति श्री अख्तर हुसैन खान, अध्यक्ष द्वारा उदघोषित
निर्णय
परिवाद संख्या-70/2014 सन्तोष कुमार बनाम श्रीराम जनरल इं0कं0लि0 व एक अन्य में जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम, इटावा द्वारा पारित निर्णय और आदेश दिनांक 30.01.2016 के विरूद्ध यह अपील धारा-15 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 के अन्तर्गत राज्य आयोग के समक्ष प्रस्तुत की गयी है।
जिला फोरम ने आक्षेपित निर्णय व आदेश के द्वारा परिवाद स्वीकार करते हुए निम्न आदेश पारित किया है:-
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''परिवाद विपक्षीगण के विरुद्ध 2,50,544/-रु0 की वसूली हेतु स्वीकार किया जाता है इस धनराशि पर वाद योजन की तिथि वास्तविक भुगतान की तिथि तक 7 प्रतिशत वार्षिक साधारण ब्याज भी देना होगा। विपक्षीगण को आदेशित किया जाता है कि उपरोक्तानुसार धनराशि निर्णय के एक माह में परिवादी को अदा करें।''
जिला फोरम के निर्णय व आदेश से क्षुब्ध होकर परिवाद के विपक्षी श्रीराम जनरल इंश्योरेंस कम्पनी लि0 की ओर से यह अपील प्रस्तुत की गयी है।
अपील की सुनवाई के समय अपीलार्थी की ओर से विद्वान अधिवक्ता श्री दिनेश कुमार और प्रत्यर्थी की ओर से विद्वान अधिवक्ता श्री उमेश कुमार शर्मा उपस्थित आये हैं।
मैंने उभय पक्ष के विद्वान अधिवक्तागण के तर्क को सुना है और आक्षेपित निर्णय व आदेश तथा पत्रावली का अवलोकन किया है।
उभय पक्ष की ओर से लिखित तर्क प्रस्तुत किया गया है। मैंने उभय पक्ष के लिखित तर्क का भी अवलोकन किया है।
अपील के निर्णय हेतु संक्षिप्त सुसंगत तथ्य इस प्रकार हैं कि प्रत्यर्थी/परिवादी ने अपीलार्थी बीमा कम्पनी के शाखा प्रबन्धक और क्षेत्रीय प्रबन्धक के विरूद्ध परिवाद जिला फोरम के समक्ष इस कथन के साथ प्रस्तुत किया है कि उसका लोडर संख्या UP75/M-1188 दिनांक 24.03.2011 से 23.03.2012 तक के लिए सभी जोखिमों
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हेतु अपीलार्थी/विपक्षी बीमा कम्पनी से बीमाकृत था और बीमा अवधि में ही दिनांक 26.12.2011 को सायंकाल 8:15 बजे लोडर ग्राम बुधैया थाना-सैफई जिला-इटावा के अन्तर्गत वायरिंग में शार्ट शर्किट होने से आग लग जाने के कारण क्षतिग्रस्त हो गया। दुर्घटना की सूचना अग्निशमन दल को दी गयी तो अग्निशमन दल ने आकर आग पर काबू पाया। बाद में दुर्घटना की सूचना दिनांक 27.12.2011 को थाना-सैफई जिला-इटावा में जी0डी0 की रपट संख्या-28 पर दर्ज करायी गयी।
परिवाद पत्र के अनुसार प्रत्यर्थी/परिवादी का कथन है कि सभी औपचारिकतायें पूर्ण करने के बाद भी अपीलार्थी/विपक्षी बीमा कम्पनी ने क्लेम नहीं दिया और पत्र दिनांक 15.03.2012 के द्वारा सूचित किया कि वाहन में 03 व्यक्ति बैठे थे इस कारण क्लेम खारिज कर दिया गया है। तब प्रत्यर्थी/परिवादी ने अपीलार्थी/विपक्षी बीमा कम्पनी को पुन: प्रतिवेदन दिया और नोटिस दिया फिर भी कोई कार्यवाही नहीं हुई। तब प्रत्यर्थी/परिवादी ने परिवाद जिला फोरम के समक्ष प्रस्तुत किया।
जिला फोरम के समक्ष अपीलार्थी/विपक्षी बीमा कम्पनी की ओर से लिखित कथन प्रस्तुत किया गया है, जिसमें कहा गया है कि प्रत्यर्थी/परिवादी उपभोक्ता नहीं है। वाहन आग से क्षतिग्रस्त नहीं हुआ था। घटना के समय वाहन में तीन व्यक्ति बैठकर यात्रा कर रहे थे, जबकि वाहन की कुल क्षमता दो व्यक्तियों की है। इस प्रकार वाहन बीमा की शर्त का उल्लंघन कर चलाया जा रहा था।
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इस कारण उसका बीमा दावा पत्र दिनांक 15.02.2012 के द्वारा नो क्लेम किया गया है। लिखित कथन में अपीलार्थी/विपक्षी ने यह भी कहा है कि परिवाद कालबाधित है।
जिला फोरम ने उभय पक्ष के अभिकथन एवं उपलब्ध साक्ष्यों पर विचार करने के उपरान्त यह माना है कि अपीलार्थी/विपक्षी बीमा कम्पनी ने प्रत्यर्थी/परिवादी का बीमा दावा अस्वीकार करने का जो आधार बताया है वह उचित नहीं है। अत: जिला फोरम ने परिवाद स्वीकार करते हुए आक्षेपित आदेश उपरोक्त प्रकार से पारित किया है।
अपीलार्थी/विपक्षी बीमा कम्पनी के विद्वान अधिवक्ता का तर्क है कि जिला फोरम द्वारा पारित निर्णय और आदेश तथ्य और विधि के विरूद्ध है। वाहन में कथित दुर्घटना के समय वाहन की सीटिंग क्षमता 02 से अधिक 03 व्यक्ति बैठे थे।
अपीलार्थी/विपक्षी बीमा कम्पनी के विद्वान अधिवक्ता का तर्क है कि प्रत्यर्थी/परिवादी ने कथित दुर्घटना की कोई सूचना बीमा कम्पनी को नहीं दिया है।
अपीलार्थी/विपक्षी बीमा कम्पनी के विद्वान अधिवक्ता का यह भी तर्क है कि प्रत्यर्थी/परिवादी द्वारा प्रस्तुत परिवाद कालबाधित है। अत: इस आधार पर भी जिला फोरम का निर्णय दोषपूर्ण है।
प्रत्यर्थी/परिवादी के विद्वान अधिवक्ता का तर्क है कि जिला फोरम द्वारा पारित निर्णय और आदेश तथ्य और विधि के अनुसार
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उचित है।
प्रत्यर्थी/परिवादी के विद्वान अधिवक्ता का तर्क है कि बीमा कम्पनी ने प्रत्यर्थी/परिवादी का बीमा क्लेम गलत आधार पर अस्वीकार किया है। बीमा कम्पनी ने वाहन की क्षतिपूर्ति के आंकलन हेतु सर्वेयर नियुक्त नहीं किया है और वाहन की क्षतिपूर्ति का आंकलन नहीं कराया है। यह भी बीमा कम्पनी की सेवा में कमी है।
मैंने उभय पक्ष के तर्क पर विचार किया है।
जिला फोरम के निर्णय से स्पष्ट है कि जिला फोरम के समक्ष प्रत्यर्थी/परिवादी ने दुर्घटना की पुलिस में दी गयी सूचना की प्रति, वाहन का पंजीयन प्रमाण पत्र, फिटनेस प्रमाण पत्र, रोड टैक्स, फायर रिपोर्ट, बीमा कम्पनी का नो क्लेम पत्र, नोटिस की प्रति एवं रजिस्ट्री रसीद और डी0एल0 प्रस्तुत किया है। जिला फोरम के निर्णय से स्पष्ट है कि अपीलार्थी/विपक्षी की ओर से संजय तिवारी विधि अधिकारी का शपथ पत्र प्रस्तुत किया गया है। साथ में नो क्लेम पत्र, मोटर क्लेम एप्रोवल सीट, क्लेम फार्म, फायर स्टेशन को भेजा गया पत्र एवं बीमा पालिसी की प्रति प्रस्तुत की गयी है।
अपीलार्थी/विपक्षी बीमा कम्पनी ने अपील का संलग्नक-5 अपीलार्थी/विपक्षी बीमा कम्पनी द्वारा प्रत्यर्थी/परिवादी सन्तोष कुमार को प्रेषित पत्र दिनांक 15.02.2012 प्रस्तुत किया है, जिसमें प्रत्यर्थी/परिवादी की प्रश्नगत पालिसी का क्लेम नं0 10000/31/12/सी/049456 अंकित है और डेट आफ लॉस
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दिनांक 26.12.2011 अंकित है तथा वाहन का नं0 UP 75 M 1188 अंकित है। इस पत्र के द्वारा बीमा कम्पनी ने प्रत्यर्थी/परिवादी को यह सूचित किया है कि वाहन में दुर्घटना के समय 03 व्यक्ति यात्रा कर रहे थे, जबकि वाहन की ड्राईवर सहित सीटिंग कैपेसिटी 02 की है। इस प्रकार दुर्घटना के समय वाहन बीमा पालिसी की शर्त का उल्लंघन कर चलाया जा रहा था। अत: बीमा कम्पनी उसके क्लेम पर विचार करने में अपने को अक्षम पाती है।
पत्र दिनांक 15.02.2012 के द्वारा प्रत्यर्थी/परिवादी का बीमा दावा अपीलार्थी/विपक्षी बीमा कम्पनी द्वारा नो क्लेम किये जाने पर वाद हेतुक दिनांक 15.02.2012 को उत्पन्न हुआ है। इस प्रकार धारा-24ए उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 के अन्तर्गत परिवाद प्रस्तुत करने हेतु समय-सीमा 15.02.2014 तक थी, परन्तु यह परिवाद दिनांक 04.12.2014 को निर्धारित समय-सीमा के बाद प्रस्तुत किया गया है। लिखित कथन में अपीलार्थी/विपक्षी ने स्पष्ट रूप से कहा है कि परिवाद कालबाधित है, परन्तु जिला फोरम ने इस बिन्दु पर विचार नहीं किया है।
धारा-24क उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 के अनुसार जिला फोरम, राज्य आयोग या राष्ट्रीय आयोग किसी परिवाद को ग्रहण नहीं करेगा जब परिवाद वाद कारण उत्पन्न होने के दिनांक से दो वर्ष की अवधि में प्रस्तुत नहीं किया जाता है।
उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 की धारा-24क की
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उपधारा-2 में प्राविधान है कि यदि परिवादी जिला फोरम, राज्य आयोग या राष्ट्रीय आयोग जैसी भी स्थिति हो, को सन्तुष्ट कर देता है कि उसके पास इस अवधि के अन्दर परिवाद प्रस्तुत न करने का समुचित कारण था तो जिला फोरम परिवाद ग्रहण कर सकता है, परन्तु जिला फोरम, राज्य आयोग या राष्ट्रीय आयोग जैसी भी स्थिति हो, विलम्ब क्षमा किये जाने के कारणों को अभिलिखित किये बिना परिवाद ग्रहण नहीं करेगा।
उपरोक्त विवरण से यह स्पष्ट है कि अपीलार्थी/विपक्षी बीमा कम्पनी द्वारा पत्र दिनांक 15.02.2012 के द्वारा बीमा दावा नो क्लेम किये जाने के दो साल से अधिक समय के बाद परिवाद प्रस्तुत किया गया है। अत: धारा-24क उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 के अन्तर्गत परिवाद तभी ग्रहण किया जा सकता था जब प्रत्यर्थी/परिवादी परिवाद में विलम्ब का उचित कारण दर्शित करे और जिला फोरम लिपिबद्ध कारणों से विलम्ब हेतु उचित आधार पाये, परन्तु जिला फोरम ने धारा-24क उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 के प्राविधान का पालन किये बिना परिवाद ग्रहण कर आक्षेपित आदेश पारित किया है, जो विधि की दृष्टि से उचित नहीं है। अत: गुणदोष के आधार पर जिला फोरम के निर्णय पर विचार किये बिना जिला फोरम का निर्णय और आदेश अपास्त करते हुए पत्रावली जिला फोरम को इस निर्देश के साथ प्रत्यावर्तित किया जाना उचित प्रतीत होता है कि जिला फोरम धारा-24क उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 के प्राविधान के अनुसार
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परिवाद में मीयाद की बाधा के सम्बन्ध में उभय पक्ष को साक्ष्य और सुनवाई का अवसर देकर विचार करे और विधि के अनुसार आदेश पारित करे तथा परिवाद का विलम्ब क्षमा किये जाने और परिवाद ग्रहण किये जाने की दशा में जिला फोरम उभय पक्ष को साक्ष्य और सुनवाई का अवसर देकर विधि के अनुसार पुन: निर्णय और आदेश पारित करे।
उपरोक्त निष्कर्ष के आधार पर अपील स्वीकार की जाती है और जिला फोरम द्वारा पारित आक्षेपित निर्णय और आदेश अपास्त करते हुए पत्रावली जिला फोरम को इस निर्देश के साथ प्रत्यावर्तित की जाती है कि जिला फोरम धारा-24क उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 के प्राविधान के अनुसार परिवाद में मीयाद की बाधा के सम्बन्ध में उभय पक्ष को साक्ष्य और सुनवाई का अवसर देकर विचार करे और विधि के अनुसार आदेश पारित करे। परिवाद का विलम्ब क्षमा किये जाने और परिवाद ग्रहण किये जाने की दशा में जिला फोरम उभय पक्ष को साक्ष्य और सुनवाई का अवसर देकर विधि के अनुसार पुन: निर्णय और आदेश पारित करेगा।
उभय पक्ष जिला फोरम के समक्ष दिनांक 25.03.2020 को उपस्थित हों।
अपील में उभय पक्ष अपना-अपना वाद व्यय स्वयं वहन करेंगे।
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अपीलार्थी की ओर से धारा-15 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 के अन्तर्गत अपील में जमा धनराशि अर्जित ब्याज सहित अपीलार्थी को वापस की जायेगी।
(न्यायमूर्ति अख्तर हुसैन खान)
अध्यक्ष
जितेन्द्र आशु0
कोर्ट नं0-1