राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
मौखिक
अपील सं0-614/2011
(जिला उपभोक्ता आयोग, गाजियाबाद द्वारा परिवाद सं0-281/2007 में पारित प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक 15-02-2011 के विरूद्ध)
1. सीनियर पोस्ट मास्टर, नवयुग मार्केट पोस्ट आफिस, गाजियाबाद।
2. यूपी डाक पाल (सब पोस्ट मास्टर) हरसॉंव पुलिस लाइन, गाजियाबाद।
...........अपीलार्थीगण/विपक्षीगण।
बनाम
सन्तोष कुमार पुत्र श्री दया राम निवासी मकान नं0-एस0ई0-124, शास्त्री नगर, गाजियाबाद द्वारा सैक्रेटरी।
............ प्रत्यर्थी/परिवादी।
समक्ष:-
1. मा0 श्री सुशील कुमार, सदस्य।
2. मा0 श्रीमती सुधा उपाध्याय, सदस्य।
अपीलार्थीगण की ओर से उपस्थित : डॉ0 यू0वी0 सिंह विद्वान अधिवक्ता के
कनिष्ठ सहायक अधिवक्ता श्री श्रीकृष्ण पाठक।
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित: कोई नहीं।
दिनांक : 20-06-2024.
मा0 श्रीमती सुधा उपाध्याय, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
जिला उपभोक्ता आयोग, गाजियाबाद द्वारा परिवाद सं0-281/2007 सन्तोष कुमार बनाम मुख्य डाकपाल में पारित प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक 15-02-2011 के विरूद्ध योजित अपील पर केवल अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता को विस्तार से सुना गया तथा पत्रावली पर उपलब्ध समस्त कथनों/अभिकथनों/प्रलेखीय साक्ष्य तथा प्रश्नगत निर्णय व आदेश का सम्यक् रूप से परिशीलन किया गया। प्रत्यर्थी की ओर से कोई उपस्थित नहीं है।
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विद्वान जिला आयोग ने परिवादी द्वारा प्रेषित डाक समय पर डिलीवरी न होने के कारण अंकन 25,000/- रू0 क्षतिपूर्ति 06 प्रतिशत ब्याज के साथ अदा करने का आदेश पारित किया है। साथ ही परिवाद व्यय के रूप में अंकन 2,000/- रू0 भी अदा किए जाने का आदेश दिया है।
परिवाद के तथ्यों के अनुसार परिवादी द्वारा दिनांक 31-07-2007 को एक आवेदन व्यापार कर आयुक्त गोरखपुर को स्पीड पोस्ट के माध्यम से प्रेषित किया गया था। आवेदन की अन्तिम तिथि दिनांक 06-08-2007 थी। यह डाक कभी भी प्रेषिती को प्राप्त नहीं हुई और परिवादी के पास वापस आ गई, जिस पर यह टिप्पणी अंकित थी कि गोरखपुर कार्यालय द्वारा लेने से इन्कार कर दिया गया, क्योंकि आवेदन पत्र की अन्तिम तिथि निकल चुकी थी, इसलिए विपक्षी द्वारा सेवा में कमी की गई।
विपक्षी ने लिखित कथन में दिनांक 31-07-2007 को डाक प्रेषित करना स्वीकार किया गया परन्तु डाक अधिनियम की धारा-6 का लाभ प्राप्त करने का कथन किया गया, जिसे विद्वान जिला आयोग द्वारास्व्ीकार नहीं किया गया और उपरोक्त वर्णित आदेश पारित किया गया।
नजीर चीफ पोस्टमास्टर जनरल व अन्य बनाम बाबू लाल सेनी, 2018 सीजे (एनसीडीआरसी) 229 पर पारित निर्णय दिनांक 03 मई, 2018 में डाकघर अधिनियम की धारा 6 की व्याख्या की गई है, जिसमें यह व्यवस्था दी गई है कि डाक देरी से प्राप्त होने पर डाकघर केवल उस राशि को अदा करने के लिए बाध्य है, जो डाक प्रेषित करने में खर्च की गई है। अत: इस नजीर की व्यवस्था को दृष्टिगत रखते हुए विद्वान जिला आयोग द्वारा क्षतिपूर्ति हेतु 25,000/- रू0 की अदायगी का पारित आदेश विधि सम्मत नहीं है। तदनुसार प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश परिवर्तित करते हुए अपील आंशिक
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रूप से स्वीकार किए जाने योग्य है।
आदेश
वर्तमान अपील, आंशिक रूप से स्वीकार की जाती है। जिला उपभोक्ता आयोग, गाजियाबाद द्वारा परिवाद सं0-281/2007 में पारित प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक 15-02-2011 इस प्रकार परिवर्तित किया जाता है कि अपीलार्थी/विपक्षी द्वारा परिवादी को, उसके द्वारा स्पीड पोस्ट के लिए अदा की धनराशि परिवाद प्रस्तुत किए जाने की तिथि से वास्तविक भुगतान की तिथि तक 15 प्रतिशत वार्षिक साधारण ब्याज के साथ एक माह के अन्दर अदा की जाए। साथ ही परिवाद व्यय के रूप में अंकन 2,000/- रू0 भी उक्त अवधि में परिवादी को अदा किए जाऐं।
अपील व्यय उभय पक्ष पर।
अपीलार्थी द्वारा यदि उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम की धारा-15 के अन्तर्गत कोई धनराशि जमा की गई हो तो वह सम्पूर्ण धनराशि मय अर्जित ब्याज के सम्बन्धित जिला आयोग को विधि अनुसार शीघ्रातिशीघ्र प्रेषित कर दी जाए ताकि विद्वान जिला आयोग द्वारा प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश के सन्दर्भ में उक्त धनराशि का विधि अनुसार निस्तारण किया जा सके।
उभय पक्ष को इस निर्णय की प्रमाणित प्रति नियमानुसार उपलब्ध करायी जाय।
वैयक्तिक सहायक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।
(सुधा उपाध्याय) (सुशील कुमार)
सदस्य सदस्य
दिनांक : 20-06-2024.
प्रमोद कुमार,
वैय0सहा0ग्रेड-1,
कोर्ट नं.-2.