जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम, सवाई माधोपुर
समक्ष:- श्री कैलाश चन्द्र शर्मा, अध्यक्ष
श्री सौभाग्यमल जैन, सदस्य
परिवाद सं0:-215/2014 परिवाद प्रस्तुति दिनांकः- 22.04.2014
छीतरमल सैन पुत्र हजारी लाल सैन उम्र 55 साल जाति नापित निवासी बरदाला हालवासी शिवपुरी बी, तीन पुलिया रेल्वे के पास गंगापुर सिटी जिला सवाई माधोपुर।
परिवादी
विरुद्ध
संतोष कुमार सोनी पुत्र रामकरण सोनी जाति स्वर्णकार निवासी धोलेटा हनुमान डी जे एवं ज्वेलरी हाल निवासी सैनिक नगर गंगापुर सिटी।
विपक्षी
उपस्थिति:-
1. श्री प्रेमप्रकाश जोशी अधिवक्ता परिवादी
2. श्री ओमप्रकाश शर्मा अधिवक्ता विपक्षी
द्वारा कैलाश चन्द्र शर्मा (अध्यक्ष) दिनांक:- 24 मार्च, 2015
नि र्ण य
परिवादी ने यह परिवाद संक्षेप में इन कथनों के साथ प्रस्तुत किया है कि उसने अपने दो सुपुत्रों की शादी हेतु विपक्षी प्रो. सन्तोष कुमार सोनी धोलेटा वाले हनुमान डी जे एवं ज्वेलरी प्रतिष्ठान सैनिग नगर गंगापुर सिटी से अनुबन्ध किया कि हदो बच्चो की शादी हेतु चांदी एवं सोने की चीजे समय पर परिवादी को उपलब्ध करवायी जावें। जिससे सहमत होकर विपक्षी ने दिनांक 6.3.13 को 1,111 रूपये सांई में प्राप्त कर सोने एवं चांदी की वस्तुएं जो इस प्रकार से हैंः- काॅलर सोने की नग-2, टीका नग-2, सोने के नथ, नग 2 सोने की अंगूठी, नग-2 सोने के व चूडी सेट 2 सोने के व पातडी नग 2 सोने की व झूमकी नथ 2 सोने की कुल वजनी 131 ग्राम सोने से निर्मित एवं कनकती हाॅफ नग-2, चांदी की तथा तोडिया चांदी की दो जोडीह वजनी 500 ग्राम की तैयार कर शादी से पूर्व संभलाने का आश्वासन दिया तथा मौखिक रूप से तय किया कि दिनांक 13.4.13 का परिवादी, विपक्षी को 50,000 रूपये नगद जमा देगा तथा हिसाब कर शादी पश्चात उक्त वस्तुओं की शेष राशि जो बनती है 51011/-रूपये जमा कर बाकी भुगतान प्राप्त कर लिया जावेगा। उक्त सोने से निर्मित वस्तुओं की कीमत 29900 रूपये प्रति दस ग्राम एवं चांदी से निर्मित वस्तुओं की कीमत 55200 रूपये प्रति किलो ग्राम तय की गई थी। लेकिन विपक्षी ने उक्त आॅर्डर पर वस्तुएं तैयार न कर परिवादी को न केवल धोखा दिया है अपितू नीचा भी दिखवाया है। विपक्षी से शादी से एक दिन पूर्व सोंने व चांदी से निर्मित वस्तुओं के बारे में पूछा तो विपक्षी ने कहा कि मेरी पत्नि की तबियत खराब होने से मेैं उक्त वस्तुओं को नहींे बना सका और आप द्वारा साइ पेटे दिये गये रूपये भी मेरी पत्नि के इलाज पर खर्च हो गये है। आप और मैं तो एक ही तहसील के रहने वाले है। आप अभी तो कहीं से भी इन्तजाम करके शादी निपटा लो। बाद में हिसाब किताब कर लेंगे। परिवादी को इस पर जयपुर से ज्वेलरी खरीदने जाना पडा जिसका जीप किराया भी परिवादी ने 5000 रूपये अदा किये है। इस प्रकार विपक्षी ने सही समय पर सोने चांदी की वस्तुएं बनाकर नहीं दी जो विपक्षी का भारी सेवा दोष है। अतः परिवादी का परिवाद स्वीकार फरमाया जाकर परिवाद में चाहा गया अनुतोष दिलाये जाने का निवेदन किया।
विपक्षी ने परिवाद का जवाब प्रस्तुत कर कथन किया है कि परिवादी ने विपक्षी से उक्त जेबर बनवाने की बात की थी और दिनांक 6.3.13 को 1111/- रूपये साइ में दिये थे और दो चार दिन बाद 50,000 रूपये दिये थे और परिवादी ने यह कहा था कि शादी से पहले सामान उठाउंगा तब बाजार भाव से तुलाई के अनुसार राशि अदा करने पर बना हुआ माल ले लूंगा। माल बन जाने पर परिवादी ने जेबरात की कीमत जो पंाच लाख रूपये के करीब होती है, अदा नहीं की और कहने लगा कि शादी के बाद रूपये दूंगा। इस पर मुझ विपक्षी ने परिवादी से कहा कि हम तो मजदूर व्यक्ति है और साख के आधार पर बाजार से आठ दस दिन की उधार पर सोना चांदी उधार लाते है। इतनी राशि का माल उधार देने की हमारी हैसियत नहीं है। इस पर परिवादी लाल ताता हो गया और गाली गलोच पर उतारू हो गया और विपक्षी को धमकी देकर चला गया। परिवादी द्वारा आॅर्डर देकर माल नहीं उठाने पर विपक्षी की साख बाजार में खराब हो गई और विपक्षी ने मिलने वालो से पांच लाख रूपये उधार दो रूपये सेंकडे से लाकर सोने चांदी वालों का हिसाब किया। इस पर विपक्षी को प्रति माह करीब 10,000 रूपये का अकारण नुकसान हो रहा है। यदि परिवादी विपक्षी का पूरा हिसाब कर दे तो विपक्षी परिवादी को पूरा जेबर देने को तैयार है। इस प्रकार विपक्षी ने परिवादी को तैयार शुदा जेबर नहीं देकर कोई सेवा दोष कारित नहीं किया है। अतः परिवादी का परिवाद मय हर्जे खर्चे के खारिज फरमाये जाने का निवेदन किया।
परिवादीने परिवाद के समर्थन में स्वयं का शपथ पत्र एवं दस्तावेजी साक्ष्य में अभिलाष जोशी एडवोकेट का नोटिस, हिसाब की पर्ची दिनांकित 6.3.13, हिसाब की पर्चाी दिनांकित 13.4.13, आदि पेश किये है जबकि विपक्षी ने जवाब के समर्थन में स्वयं का शपथ पत्र एवं मोहम्मद सईद का शपथ पत्र, नकीउददीन का शपथ पत्र, व दस्तावेजी साक्ष्य में बही खाता जेवरात क हिसाब की फंोटो प्रति पेश की है।
उभय पक्षकारान की बहस अंतिम सुनी गई। पत्रावली का अध्योपान अध्ययन किया गया।
प्रस्तुत प्रकरण में परिवादी का यह कथन है कि उसने विपक्षी को दिनांक 6.3.13 को 1011 रूपये एवं दिनांक 13.4.11 का 50,000 रूपये भुगतान किया था। लेकिन विपक्षी ने ना तो जेवरात बनाकर दिये और ना ही उसकी राशि लौटाई गई। जो विपक्षी का सेवा दोष है। इसके विपरीत विपक्षी द्वारा जवाब प्रस्तुत कर जवाब के मद संख्या 2 में यह तथ्य स्वीकार किया गया है कि दिनांक 6.3.13 को 1111 रूपये साही में दिये और दो चार दिन बाद 50,000 रूपये दिये थे और परिवादी ने यह कहा था कि शादी से पहले सामान उठाउंगा तब बाजार भाव से तुलाई के अनुसार राशि अदा करने पर बना हुआ माल ले लूंगा। लेकिन राशि का भुगतान नहीं किया। विद्वान अधिवक्ता विपक्षी का यह तर्क भी है कि उभय पक्षों के मध्य अनुबन्ध हुआ है। अतः जिला मंच को यह परिवाद सुनने का क्षेत्राधिकार नहीं है तथा यह प्रकरण सिविल कोर्ट में चलने योग्य है। परिवादी जेवरात लेकर नहीं गया इससे विपक्षी को ब्याज का नुकसान भी हुआ है। लेकिन विपक्षी द्वारा हमारे समक्ष इस प्रकार की कोई साक्ष्य प्रस्तुत नहीं की गई है कि निर्धारित समय पर विपक्षी ने जेवरात तैयार कर लिये हो और उसके बाद परिवादी द्वारा जेवरात नहीं ले जाने पर उसे लिखित में कोई सूचना दी हो। परिवादी ने विपक्षी को राशि अदा की है और उसके बदले परिवादी को ना तो जेवरात दिये गये है और ना ही उसकी मूल जमा राशि लौटाई गई है। अतः यह स्पष्ट रूप से एक उपभोक्ता परिवाद है तथा विपक्षी का सेवा दोष साबित करता है। अतः प्रस्तुत प्रकरण के समस्त तथ्यों एवं परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुये हम विपक्षी को यह आदेश दिया जाना उचित समझते है कि वह परिवादी को 51,111 रूपये की राशि दो माह में जरिये डिमाण्ड ड््राफट/ बैंकर्स चैकर से अदा करें और परिवादी से रसीद प्राप्त करें। यदि विपक्षी परिवादी को निर्णय दिनांक से दो माह की अवधि में उक्त राशि अदा नहीं करता है तो परिवादी विपक्षी से उक्त राशि 51,111 रूपये पर दिनांक 13.4.2013 से आयन्दा अदायगी तक 18 प्रतिशत वार्षिक दर से ब्याज प्राप्त करने का अधिकारी होगा। विपक्षी परिवादी को परिवाद व्यय एवं मानसिक सन्ताप की राशि 5000 रूपये भी अलग से दो माह की अवधि में अदा करेगा।
आदेश
.. अतः परिवादी द्वारा प्रस्तुत परिवाद स्वीकार किया जाकर एवं प्रस्तुत प्रकरण के समस्त तथ्यों एवं परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुये हम विपक्षी को यह आदेश दिया जाना उचित समझते है कि वह परिवादी को 51,111 रूपये की राशि दो माह में जरिये डिमाण्ड ड््राफट/ बैंकर्स चैकर से अदा करें और परिवादी से रसीद प्राप्त करें। यदि विपक्षी परिवादी को निर्णय दिनांक से दो माह की अवधि में उक्त राशि अदा नहीं करता है तो परिवादी विपक्षी से उक्त राशि 51,111 रूपये पर दिनांक 13.4.2013 से आयन्दा अदायगी तक 18 प्रतिशत वार्षिक दर से ब्याज प्राप्त करने का अधिकारी होगा। विपक्षी परिवादी को परिवाद व्यय एवं मानसिक सन्ताप की राशि 5000 रूपये भी अलग से दो माह की अवधि में अदा करेगा।
सौभाग्यमल जैन कैलाश चन्द्र शर्मा
सदस्य अध्यक्ष
निर्णय आज दिनांक 24.03.2015 को खुले मंच में सुनाया गया।
सौभाग्यमल जैन कैलाश चन्द्र शर्मा
सदस्य अध्यक्ष