Uttar Pradesh

StateCommission

A/2013/1668

Tata Motors Finance - Complainant(s)

Versus

Sanjiv Pariya - Opp.Party(s)

Rajesh Chaddha

28 Jul 2023

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/2013/1668
( Date of Filing : 26 Jul 2013 )
(Arisen out of Order Dated in Case No. of District State Commission)
 
1. Tata Motors Finance
a
...........Appellant(s)
Versus
1. Sanjiv Pariya
a
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. Rajendra Singh PRESIDING MEMBER
 HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR JUDICIAL MEMBER
 
PRESENT:
 
Dated : 28 Jul 2023
Final Order / Judgement

(मौखिक)

 

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।

 

अपील संख्‍या-1668/2013

 

 

टाट मोटर्स फाइनेन्‍स लिमिटेड, ग्राउण्‍ड फ्लोर, होटल हिन्‍दुस्‍तान, मेन रोड, बरपुर फर्रूखाबाद-209625                                अपीलार्थी/विपक्षी सं0-2

                                                                  

बनाम

संजीव पारिया, 10 बंगला एरिया, फतेहगढ़ केन्‍ट, फतेहगढ़, फर्रूखाबाद-209601   

 

 प्रत्‍यर्थी/परिवादी

  1. सांई मोटर्स, मेसर्स वृन्‍दावन सेल्‍टर्स प्रा0लि0, 119/505, दर्शनपुरवा, फजलगंज, कानपुर
  2. रिलायंस जनरल इंश्‍योरेन्‍स कमपनी लि0, एल्डिको कारपोरेट फेस-I, ग्राउण्‍ट फ्लोर, विभूती खण्‍ड, गोमती नगर, लखनऊ,

प्रत्‍यर्थी/विपक्षी सं0-1 व 3

 

समक्ष:-

1. माननीय न्‍यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्‍यक्ष ।

2. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्‍य।

 

अपीलार्थी की ओर से     : श्री राजेश चड्ढ़ा, विद्वान अधिवक्‍ता।

प्रत्‍यर्थी की ओर से       : श्री जे0पी0 सक्‍सेना, विद्वान अधिवक्‍ता। 

 

दिनांक : 29.08.2023

 

मा0 श्री सुशील कुमार, सदस्‍य द्वारा उदघोषित

 

निर्णय

        जिला उपभोक्‍ता आयोग, फर्रूखाबाद द्वारा परिवाद संख्‍या 125/2011 संजीव पारिया बनाम सांई मोटर्स, मेसर्स बृन्‍दावन सेल्‍टर्स प्राइवेट लिमिटेड आदि में पारित

 

-2-

निर्णय एवं आदेश दिनांक 25.04.2013 के विरूद्ध यह अपील प्रस्‍तुत की गयी है।  जिला उपभोक्‍ता मंच ने परिवाद स्‍वीकार करते हुए यह आदेश पारित किया गया है। 

         अपीलार्थी/विपक्षी संख्‍या 2 प्रत्‍यर्थी/परिवादी को मु0-3,28,880/-रू0 का भुगातन करे, मानसिक प्रताड़ना के मद में 2,000/-रू0 एवं वाद व्‍यय के रूप में 500/-रू0 अदा करने के लिए भी आदेशित किया गया है। 

         परिवाद के तथ्‍यों के अनुसार प्रत्‍यर्थी/परिवादी द्वारा अंकन 4,99,000/-रू0 का ऋण अपीलार्थी/विपक्षी सं0-2 से प्राप्‍त किया था। शुल्‍क ब्‍याज आदि को जोड़ते हुए कुल 6,38,720/-रू0 वापस करने थे।  बीमित वाहन का बीमा कराया था जो दिनांक 03.02.2008 को चोरी हो गया, जिसकी प्रथम सूचना रिपोर्ट दिनांक 04.02.2008 को दर्ज करायी गयी।  बीमा कम्‍पनी द्वारा सीधे बैंक में अंकन 6,95,955/-रू0 की राशि का भुगतान कर दिया गया।  प्रत्‍यर्थी/परिवादी का यह कथन है कि बैंक द्वारा 4,15,625/-रू0 अधिक प्राप्‍त किया है।  जबकि बैंक का कथन

 

है कि ऋण राशि की कटौती करने के पश्‍चात 3,28,880/-रू0 प्रत्‍यर्थी/परिवादी को लौटा दिये गये थे। 

        दोनों पक्षकारों के विद्वान अधिवक्‍ताओं की बहस सुनने तथा पत्रावली के अवलोकन के पश्‍चात यह तथ्‍य स्‍थापित होता है कि यथार्थ में प्रत्‍यर्थी/परिवादी द्वारा अंकन 2,36,432/-रू0 स्‍वयं अपने पास से जमा किये थे और 4,99,000/-रू0 का ऋण प्राप्‍त किया था।  जिला उपभोक्‍ता मंच ने 2,36,432/-रू0 की राशि को भी प्रत्‍यर्थी/परिवादी द्वारा भुगतान की राशि के साथ जोड़ लिया गया जो अनुचित है।  यर्थात में प्रत्‍यर्थी/परिवादी द्वारा लिये गये ऋण 4,99,000/-रू0 बदले के राशि जमा की गयी वह कुल 2,18,670/-रू0 थी।  इस प्रकार बैंक का बकाया ऋण लौटाने के पश्‍चात 3,28,880/-रू0 प्रत्‍यर्थी/परिवादी को वापस लौटा दिये गये हैं, परन्‍तु जिला उपभोक्‍ता मंच द्वारा अपने इस निर्णय में मार्जिन मनी के रूप में दी गयी धनराशि 2,36,432/-रू0 को भी ऋण की अदायगी के लिए जोड़ दी गयी जो अनुचित है।  अत: प्रत्‍यर्थी/‍विपक्षीगण के विरूद्ध जिस राशि को अदा करने का आदेश दिया गया है उस राशि के भुगतान का आदेश नहीं दिया जा सकता, क्‍योंकि यह राशि क्रय किये गये वाहन के उस मूल्‍य की राशि थी जो ऋण के अति‍रिक्‍त प्रत्‍यर्थी/परिवादी द्वारा अदा किया गया था।  इस प्रकार बैंक द्वारा जो अवशेष राशि लौटाई गयी है वह विधि सम्‍मत है।

         यह उल्‍लेख करना भी समीचीन है कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी को अंकन 3,28,880/-रू0 24 जून, 2009 को प्राप्‍त कराया गया है।  अगर प्रत्‍यर्थी/परिवादी

-3-

को कम धनराशि प्राप्‍त हुई थी तब उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम 1986 की धारा-24 ए के अन्‍तर्गत दो वर्ष की अवधि के अन्‍तर्गत परिवाद प्रस्‍तुत किया जा सकता था, परन्‍तु यह परिवाद दिनांक 06.09.2011 को यानी समयावधि के पश्‍चात प्रस्‍तुत किया गया है।  अत: स्‍पष्‍ट है कि जिला उपभोक्‍ता मंच ने वाद कारण विहीन एवं समयावधि से बाधित प्रस्‍तुत परिवाद पर अपना निर्णय किया है जो अपास्‍त होने योग्‍य है। 

 

आदेश

            अपील स्‍वीकार की जाती है। जिला उपभोक्‍ता मंच द्वारा पारित निर्णय/आदेश अपास्‍त किया जाता है।  परिवाद खारिज किया जाता है। 

प्रस्‍तुत अपील में अपीलार्थी द्वारा यदि कोई धनराशि जमा की गई हो तो उक्‍त जमा धनराशि अर्जित ब्‍याज सहित संबंधित जिला उपभोक्‍ता आयोग को यथाशीघ्र विधि के अनुसार निस्‍तारण हेतु प्रेषित की जाए।

 आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइड पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।                   

       

 

      

       (न्‍यायमूर्ति अशोक कुमार)                  (सुशील कुमार)

             अध्‍यक्ष                              सदस्‍य   

             

नवी हुसैन आशु0 कोट नं0-1/2

 

 

 
 
[HON'BLE MR. Rajendra Singh]
PRESIDING MEMBER
 
 
[HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR]
JUDICIAL MEMBER
 

Consumer Court Lawyer

Best Law Firm for all your Consumer Court related cases.

Bhanu Pratap

Featured Recomended
Highly recommended!
5.0 (615)

Bhanu Pratap

Featured Recomended
Highly recommended!

Experties

Consumer Court | Cheque Bounce | Civil Cases | Criminal Cases | Matrimonial Disputes

Phone Number

7982270319

Dedicated team of best lawyers for all your legal queries. Our lawyers can help you for you Consumer Court related cases at very affordable fee.