Uttar Pradesh

StateCommission

A/1066/2019

Dakshinanchal Vidyut Vitaran Nigam Ltd - Complainant(s)

Versus

Sanjiv Jain - Opp.Party(s)

Maya Sinha

19 May 2023

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/1066/2019
( Date of Filing : 05 Sep 2019 )
(Arisen out of Order Dated 06/08/2019 in Case No. C/174/2018 of District Firozabad)
 
1. Dakshinanchal Vidyut Vitaran Nigam Ltd
Firozabad
...........Appellant(s)
Versus
1. Sanjiv Jain
Firozabad
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE ASHOK KUMAR PRESIDENT
 
PRESENT:
 
Dated : 19 May 2023
Final Order / Judgement

( मौखिक )

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0 लखनऊ।

 

अपील संख्‍या : 1066/2019

 

दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड व एक अन्‍य

बनाम

श्री संजीव जैन व एक अन्‍य

दिनांक : 19-05-2023

 

मा0 न्‍यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्‍यक्ष द्वारा उदघोषित निर्णय

     परिवाद संख्‍या-174/2018 संजीव जैन बनाम दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड व दो अन्‍य  में जिला उपभोक्‍ता आयोग, फिरोजाबाद द्वारा पारित निर्णय और आदेश दिनां‍क 06-08-2019 के विरूद्ध  यह अपील उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम के अन्‍तर्गत इस न्‍यायालय के सम्‍मुख प्रस्‍तुत की गयी है।

     विद्धान जिला आयोग द्वारा परिवाद आंशिक रूप से स्‍वीकार करते हुए निम्‍न आदेश पारित किया गया है :-

     ‘’ परिवादी का परिवाद आंशिक रूप से स्‍वीकार किया जाता है विपक्षीगण को आदेशित किया जाता है कि वह परिवादी को पुर्नसंयोजन शुल्‍क के रूप में प्राप्‍त की गयी धनराशि मु0 1367/-रू0 इस निर्णय के 30 दिन के भीतर अदा करें। इसके अतिरिक्‍त बतौर क्षतिपूर्ति मु0 25,000/-रू0 एवं परिवाद व्‍यय मु0 2,000/-रू0 भी विपक्षीगण उक्‍त अवधि में परिवादी को अदा करेगा। ‘’

 

 

 

 

 

-2-

     अपील की सुनवाई के समय अपीलार्थी की विद्धान अधिवक्‍ता श्रीमती माया सिन्‍हा  उपस्थित। प्रत्‍यर्थी  की ओर से विद्धान अधिवक्‍ता श्री विनय प्रताप सिंह उपस्थित।

     अपील के निर्णय हेतु संक्षिप्‍त सुसंगत तथ्‍य इस प्रकार है कि परिवादी श्री राजबहादुर कपूरी देवी बीतराग विज्ञान पाठशाला ट्रस्‍ट चौबेजी का बाग फिरोजाबाद का सेक्रेटरी है उक्‍त ट्रस्‍ट के परिसर में विद्युत संयोजन स्‍थापित है। मोहल्‍ले चौबेजी का बाग में सभी खम्‍बों में लगे हुए विद्युत कनेक्‍शन की केबिलें पुरानी हटाकर नई डाली गयी, किन्‍तु ट्रस्‍ट की बिल्डिंग की केबिल नहीं डाली गयी। परिवादी के आग्रह पर विपक्षीगण द्वारा कहा गया कि केबिल स्‍टाक में होने पर बदली जायेगी जिस कारण ट्रस्‍ट विद्युत का उपयोग नहीं कर सका। विपक्षीगण द्वारा मासिक बिल का प्रेषण भी किया गया, किन्‍तु ट्रस्‍ट उक्‍त बिल के भुगतान के लिए उत्‍तरदायी नहीं है। परिवादी ने ट्रस्‍ट के अधिवक्‍ता  की हैसियत से विपक्षी संख्‍या-2 को नोटिस प्रेषित किया जिसका विपक्षी संख्‍या-2 द्वारा गलत उत्‍तर दिया गया। नोटिस देने के फलस्‍वरूप विपक्षीगण ने परिवादी के व्‍यक्तिगत संयोजन संख्‍या-223/71482 मीटर  संख्‍या-14798472 को दिनांक 04-09-2018 को 4:07 पी0एम0 पर विच्‍छेदित कर दिया। विच्‍छेदन के समय काफी आबादी देख रही थी जिस कारण परिवादी की प्रतिष्‍ठा धूमिल हुई। जन समुदाय द्वारा विपक्षी संख्‍या-2  से विद्युत विच्‍छेदन का कारण पूछा तो विपक्षी संख्‍या-2 द्वारा कहा गया कि बड़े वकील बनते हैं, बिल जमा नहीं करते, परिवादी न्‍यायालय से 4:30 बजे पी0एम0 पर घर पहुँचा तब विपक्षी संख्‍या-2 के नियम विरूद्ध कृत्‍य की जानकारी हुई। परिवादी की मॉं का घर पर इलाज चल रहा था। परिवादी एक प्रतिष्ठित व्‍यक्ति है व कई संस्‍थाओं का पदाधिकारी भी है। परिवादी ने विपक्षी संख्‍या-2 के कार्यालय में सम्‍पर्क किया किन्‍तु विपक्षी संख्‍या-2 कार्यालय में उपस्थित नहीं हुआ। विपक्षी

 

-3-

 संख्‍या-3 द्वारा बताया गया कि परिवादी पर 27559/-रू0 की देयता है। इस कारण परिवादी के संयोजन को विच्‍छेदित किया गया है। विपक्षी संख्‍या-3 द्वारा कहा गया कि परिवादी पुर्नसंयोजन शुल्‍क 1367/-रू0 जमा कर देता है तो परिवादी का संयोजन पुन: उर्जीकृत कर दिया जायेगा। परिवादी द्वारा नेट बैंकिंग के द्वारा मु0 27559/-रू0 जमा कर दिया गया। परिवादी पुन: उर्जीकृत शुल्‍क मु0 1367/-रू0 भी नेट बैंकिंग द्वारा जमा करना चाहता था किन्‍तु उसे बताया गया कि उक्‍त शुल्‍क नगद जमा होगा। परिवादी नगद जमा करने को तैयार था तब विपक्षीगण द्वारा कहा गया कि नगद धनराशि दूसरे दिन जमा होगी। विपक्षीगण ने परिवादी के आग्रह की कोई परवाह नहीं की। विपक्षीगण की लापरवाही व गलत आचरण के कारण  परिवादी व उसके परिवार को मानसिक पीड़ा हुई विपक्षीगण द्वारा बगैर नोटिस के परिवादी के संयोजन को विच्‍छेदित कर सेवा में कमी कारित की गयी है अत: विवश होकर परिवादी ने परिवाद जिला आयोग के समक्ष योजित किया है।

     विपक्षीगण द्वारा परिवाद के विरूद्ध प्रतिवाद पत्र दाखिल करते हुए कथन किया गया कि ट्रस्‍ट की सम्‍पत्ति एक सकरी गली में स्थित है और गली के अन्‍य मकानदारों द्वारा अपने आगे आर्मड केबल डालने का विरोध किया गया अत: उसके कारण से विलम्‍ब हुआ। पूरे जिले में वर्तमान में अलग-अलग सात विद्युत वितरण खण्‍ड हैं और हर एक का कार्य क्षेत्र अलग-अलग है अत: परिवादी स्‍वयं ट्रस्‍ट की कथित शिकायत को गलत पते पर भेजने के लिए उत्‍तरदायी है। परिवादी का संयोजन 06 माह का बकाया होने के कारण विपक्षी संख्‍या-2 विच्‍छेदित किया गया है। परिवादी को नियमानुसार बिल भेजे गये है और उन सभी बिलों में स्‍पष्‍ट रूप से 15 दिन बाद की विच्‍छेदन की तारीख का उल्‍लेख है और उसी के पश्‍चात

 

 

 

-4-

ही परिवादी के कनेक्‍शन की विच्‍छेदित करने की कार्यवाही की गयी है। विपक्षीगण की ओर से सेवा में कोई कमी नहीं की गयी है अत: परिवाद निरस्‍त किये जाने योग्‍य है।

     विद्धान जिला आयोग ने उभयपक्ष को विस्‍तारपूर्वक सुनने के पश्‍चात विपक्षी के स्‍तर पर सेवा में कमी पाते हुए परिवाद स्‍वीकार करते हुए प्रश्‍नगत निर्णय एवं आदेश पारित किया गया है जिसका उल्‍लेख ऊपर किया गया है। 

     अपीलार्थी की विद्धान अधिवक्‍ता का तर्क है कि विद्धान जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश साक्ष्‍य एवं विधि के विरूद्ध है। अत: अपील स्‍वीकार करते हुए जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश को अपास्‍त किया जावे। 

     प्रत्‍यर्थी के विद्धान अधिवक्‍ता का तर्क है कि विद्धान जिला आयोग द्वारा समस्‍त तथ्‍यों पर गहनतापूर्वक विचार करने के पश्‍चात विधि अनुसार निर्णय पारित किया गया है अत: अपील निरस्‍त किये जाने योग्‍य है।

     मेरे द्वारा उभयपक्ष के विद्धान अधिवक्‍तागण को सुना गया तथा पत्रावली पर उपलब्‍ध समस्‍त प्रपत्रों एवं जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश का भली-भॉंति परिशीलन एवं परीक्षण किया गया।

     उभयपक्ष के विद्धान अधिवक्‍तागण को सुनने तथा पत्रावली पर उपलब्‍ध प्रपत्रों का भली-भॉंति परीक्षण एवं परिशीलन करने के पश्‍चात मैं इस मत का हूँ कि विद्धान जिला आयोग द्वारा समस्‍त तथ्‍यों का सम्‍यक अवलोकन करने के  पश्‍चात  विधि अनुसार निर्णय पारित किया गया है, जिसमें हस्‍तक्षेप हेतु उचित आधार नहीं है। तदनुसार अपील निरस्‍त  किये जाने योग्‍य है।

 

 

-5-

आदेश

     अपील निरस्‍त की जाती है। विद्धान जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश की पुष्टि की जाती है।

     इस निर्णय एवं आदेश का अनुपालन निर्णय से 45 दिन की अवधि में किया जाना सुनिश्चित किया जावे। 

     उपभोक्‍ता सरंक्षण अधिनियम के अन्‍तर्गत अपील में जमा धनराशि (यदि कोई हो) तो मय अर्जित ब्‍याज सहित जिला आयोग को विधि अनुसार निस्‍तारण हेतु यथाशीघ्र प्रेषित की जावे।

     आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।

 

 

 

(न्‍यायमूर्ति अशोक कुमार)

अध्‍यक्ष

 

प्रदीप मिश्रा, आशु0 कोर्ट नं0-1

 

 

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE ASHOK KUMAR]
PRESIDENT
 

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