राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
अपील संख्या-24/2019
(मौखिक)
(जिला उपभोक्ता आयोग, बुलन्दशहर द्वारा परिवाद संख्या 61/2014 में पारित आदेश दिनांक 19.11.2018 के विरूद्ध)
देवेश सिंह, पुत्र श्री बद्री प्रसाद सिंह, निवासी- ग्राम अमरपुर, परगना पहासू, तहसील शिकारपुर, बुलन्दशहर
........................अपीलार्थी/परिवादी
बनाम
संजीवनी कोल्ड स्टोरेज एण्ड आईस फैक्ट्री, स्थित ग्राम रानऊ (मेरठ बदायूं हाईवे), पी0ओ0 शिकारपुर, जिला बुलन्दशहर
...................प्रत्यर्थी/विपक्षी
समक्ष:-
1. माननीय न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष।
2. माननीय श्री विकास सक्सेना, सदस्य।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : श्री सुशील कुमार शर्मा,
विद्वान अधिवक्ता।
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित : श्री संजय कुमार वर्मा,
विद्वान अधिवक्ता।
दिनांक: 08.12.2022
माननीय न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष द्वारा उदघोषित
निर्णय
प्रस्तुत अपील अपीलार्थी/परिवादी द्वारा इस न्यायालय के सम्मुख जिला उपभोक्ता आयोग, बुलन्दशहर द्वारा परिवाद संख्या-61/2014 देवेश सिंह बनाम संजीवनी कोल्डस्टोरेज एण्ड आईस फैक्ट्री में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 19.11.2018 के विरूद्ध प्रस्तुत की गयी है।
प्रश्नगत निर्णय और आदेश के द्वारा जिला उपभोक्ता आयोग ने उपरोक्त परिवाद निर्णीत करते हुए निम्न आदेश पारित किया है:-
''प्रस्तुत परिवाद परिवादी को सक्षम सिविल न्यायालय/प्राधिकारी के समक्ष प्रस्तुत किये जाने हेतु नियमानुसार वापिस किया जाये। दोनों पक्ष अपना-अपना वाद व्यय स्वंय वहन करेगें। पत्रावली दाखिल दफ्तर की जाये।''
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संक्षेप में वाद के तथ्य इस प्रकार हैं कि परिवादी द्वारा विपक्षी के कोल्ड स्टोरेज में दिनांक 10-04-2013 को 137 बोरी आलू बीज अंकन 100/-रू0 प्रति बोरी किराये की दर से दिनांक 31.10.2013 तक की अवधि के लिए भंडारित किये थे। परिवादी अपने उक्त भण्डारित आलू को निकालने के लिए दिनांक 02.10.2013 को जब विपक्षी के यहॉं गया तो पाया कि उसका आलू सड़कर नष्ट हो गया है। परिवादी का उपरोक्त आलू विपक्षी कोल्ड स्टोरेज की लापरवाही से सड़कर नष्ट हो गया। परिवादी द्वारा विपक्षी से उक्त आलू खराब होने की शिकायत की गयी, जिस पर विपक्षी द्वारा कोई ध्यान नहीं दिया गया। अत: क्षुब्ध होकर परिवादी द्वारा विपक्षी के विरूद्ध परिवाद जिला उपभोक्ता आयोग के सम्मुख योजित करते हुए वांछित अनुतोष की मांग की गयी।
विपक्षी की ओर से जिला उपभोक्ता आयोग के सम्मुख प्रतिवाद पत्र प्रस्तुत किया गया तथा कथन किया गया कि परिवादी के उक्त आलू की निकासी दिनांक 31.10.2013 तक नियत थी। परिवादी विपक्षी के यहॉं दिनांक 02.10.2013 को आलू लेने नहीं पहुँचा। परिवादी जब दिनांक 20.10.2013 को अपना आलू विपक्षी के यहॉं लेने आया तो उस समय तक परिवादी के आलू में 10 से 15 प्रतिशत तक की क्षति हो गयी थी तथा वह बोने योग्य नहीं था। परिवादी द्वारा उक्त आलू लेने से इंकार किया गया तथा मनमानी कीमत मांगी गयी।
विपक्षी का कथन है कि परिवादी द्वारा उक्त आलू गीले खेत से खोदा गया था, जिसके कारण उसमें फंगस लग गयी थी, जबकि परिवादी को नियमानुसार आलू खोदकर 7 दिन तक ढेर में रखने के बाद छटाई करके बोरों में भरवाकर भंडारित करना चाहिए था, परन्तु परिवादी द्वारा ऐसा नहीं किया गया। इस संबंध में जिला उद्यान अधिकारी, बुलन्दशहर द्वारा भी विपक्षी के यहॉं शिकायत के संबंध में स्थलीय जांच की गयी, जिसमें कृषकों की लापरवाही से आलू का खराब होना पाया गया। विपक्षी द्वारा परिवादी के आलू के रखरखाव में कोई लापरवाही नहीं की गयी। विपक्षी द्वारा परिवादी को बार-बार सूचना देने पर भी परिवादी द्वारा अपना आलू
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नहीं उठाया गया क्योंकि आलू के दामों में गिरावट आ गयी थी। विपक्षी आलू किराया व लेबर चार्ज परिवादी से पाने का अधिकारी है। परिवादी द्वारा विपक्षी के किराये का कोई भुगतान नहीं किया गया। परिवाद जिला फोरम के समक्ष पोषणीय नहीं है। परिवाद निरस्त होने योग्य है।
विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा उभय पक्ष के अभिकथन तथा पत्रावली पर उपलब्ध प्रपत्रों का भली-भॉंति परिशीलन करने के उपरान्त परिवादी को सक्षम सिविल न्यायालय/प्राधिकारी के समक्ष परिवाद प्रस्तुत किये जाने हेतु नियमानुसार वापस कर दिया है।
अपील की सुनवाई के समय अपीलार्थी की ओर से विद्वान अधिवक्ता श्री सुशील कुमार शर्मा उपस्थित हैं। प्रत्यर्थी की ओर से विद्वान अधिवक्ता श्री संजय कुमार वर्मा उपस्थित हैं।
हमारे द्वारा उभय पक्ष के विद्वान अधिवक्तागण के तर्क को सुना गया तथा पत्रावली पर उपलब्ध समस्त प्रपत्रों एवं जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश का अवलोकन किया गया।
अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता का तर्क है कि विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश साक्ष्य एवं विधि के विरूद्ध है, अत: अपील स्वीकार करते हुए जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश निरस्त किया जावे।
प्रत्यर्थी के विद्वान अधिवक्ता का तर्क है कि विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा समस्त तथ्यों पर गहनतापूर्वक विचार करने के पश्चात् विधि अनुसार निर्णय पारित किया गया है। अत: अपील निरस्त की जावे।
हमारे द्वारा उभय पक्ष के विद्वान अधिवक्तागण को सुनने तथा पत्रावली पर उपलब्ध समस्त प्रपत्रों एवं जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश का गहनतापूर्वक विश्लेषण करने के उपरान्त हम इस मत के हैं कि विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा समस्त तथ्यों पर गंभीरतापूर्वक विचार करने के उपरान्त विधि अनुसार निर्णय पारित किया गया है, जिसमें हस्तक्षेप हेतु उचित आधार नहीं है।
तदनुसार प्रस्तुत अपील निरस्त की जाती है।
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आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।
(न्यायमूर्ति अशोक कुमार) (विकास सक्सेना)
अध्यक्ष सदस्य
जितेन्द्र आशु0
कोर्ट नं0-1