Uttar Pradesh

StateCommission

A/576/2015

Bhagat Singh - Complainant(s)

Versus

Sanjeevani Cold storage - Opp.Party(s)

O.P. Duvel

09 May 2018

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/576/2015
( Date of Filing : 24 Mar 2015 )
(Arisen out of Order Dated 24/02/2015 in Case No. C/09/2014 of District Bulandshahr)
 
1. Bhagat Singh
Bulandshahar
...........Appellant(s)
Versus
1. Sanjeevani Cold storage
Bulandshahar
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. Vijai Varma PRESIDING MEMBER
 HON'BLE MR. Raj Kamal Gupta MEMBER
 
For the Appellant:
For the Respondent:
Dated : 09 May 2018
Final Order / Judgement

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।

सुरक्षित

अपील संख्‍या-576/2015

(जिला उपभोक्‍ता फोरम, बुलंदशहर द्वारा परिवाद संख्‍या 09/2014 में पारित निर्णय दिनांक 24.02.2015 के विरूद्ध)

भगत सिंह पुत्र श्री करन सिंह निवासी ग्राम बड़ी मिल्‍क, डा0 कैलावन,

जिला बुलंदशहर।                               .........अपीलार्थी/परिवादी

बनाम्

1.मैसर्स संजीवनी कोल्‍ड स्‍टोरेज एण्‍ड आइस फैक्‍ट्री, ग्राम-रानऊ

(बुलंदशहर –बदायूं, हाइवे) निकट शिकारपुर, डा0-शिकारपुर, जनपद

बुलंदशहर द्वारा मालिक डा0 तेल पाल सिंह।

2.डा0 तेज पाल सिंह मालिक मैसर्स संजीवनी कोल्‍ड स्‍टोरेज एण्‍ड

आइस फैक्‍ट्री, ग्राम-रानऊ( बुलंदशहर-बदायूं, हाइवे) निकट शिकारपुर,

डा0-शिकारपुर, जनपद-बुलंदशहर।                 ......प्रत्‍यर्थीगण/विपक्षीगण

समक्ष:-

1. मा0 श्री विजय वर्मा, पीठासीन सदस्‍य।

2. मा0 श्री राज कमल गुप्‍ता, सदस्‍य।

अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : श्री ओ0पी0 दुवेल, विद्वान अधिवक्‍ता।

प्रत्‍यर्थी की ओर से उपस्थित  :श्री अमित शुक्‍ला, विद्वान अधिवक्‍ता।

दिनांक 11.06.2018

मा0 श्री राज कमल गुप्‍ता, सदस्‍य द्वारा उदघोषित

निर्णय

     यह अपील जिला उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष फोरम बुलंदशहर द्वारा परिवाद संख्‍या 09/2014 में पारित प्रश्‍नगत निर्णय एवं आदेश दि. 24.02.2015 के विरूद्ध प्रस्‍तुत की गई है। जिला मंच ने निम्‍न आदेश पारित किया है:-

     '' परिवादी का परिवाद विपक्षीगण के विरूद्ध निरस्‍त किया जाता है1 परिवाद की परिस्थितियों को देखते हुए पक्षकार अपना-अपना वाद व्‍यय स्‍वयं वहन करेंगे। परिवादी यदि चाहे तो वह प्रस्‍तुत प्रकरण के संदर्भ में समक्षम न्‍यायालय के समक्ष विधिक कार्यवाही करने के लिए स्‍वतंत्र होगा।‘’

 

 

-2-

     संक्षेप में तथ्‍य इस प्रकार है कि अपीलार्थी/विपक्षीगण के कोल्‍ड स्‍टोरेज में मार्च 2013 में 618 कट्टे आलू बीज व 145 कट्टे आलू किर्री का भंडारण किया था। प्रत्‍येक कट्टे का वजन 50 किलोग्राम था। परिवादी ने विपक्षीगण के यहां भंडारित किए गए आलू को निकलने हेतु संपर्क किया, लेकिन विपक्षीगण ने उसका आलू नहीं निकाला। परिवादी दि. 31.10.13 तक कभी भी आलू निकाल सकता था। विपक्षी ने न तो आलू समय से उपलब्‍ध कराया और न ही उसकी कीमत ही। परिवादी के अनुसार भंडारित आलू की कीमत रू. 552400/- होती है, जिसमें से किराए की धनराशि काटने के बाद वह धनराशि को मय ब्‍याज के पाने का अधिकारी है।

     विपक्षीगण ने जिला मंच के समक्ष प्रतिवाद पत्र प्रस्‍तुत किया और यह अभिकथन किया कि परिवादी ने जो 763 कट्टे आलू भंडारित किए थे वे 1 इंच से भी छोटे आकार के थे, जिसका किराया प्रति कट्टे 110/- रूपये का था। परिवादी दि. 03.10.2013 को अपने आलू बीज के 176 कट्टे निकालकर ले गया। परिवादी दि. 03.10.13 से 30.10.13 के बीच कभी भी उनके यहां आलू लेने नहीं आया।  दि. 31.10.13 को परिवादी ने अपना आलू निकलवाया तो उसके आलू बीज की 15-20 प्रतिशत तक की क्षति थी, शेष 80-85 प्रतिशत आलू बोने के लिए उचित था पर परिवादी ने अपने आलू को नहीं उठाया और उसकी नजायज कीमत मांगने लगा। परिवादी द्वारा भंडारित आलू दागी था तथा गीले खेत से खोदा हुआ छोटे आकार का आलू था जिसमें नमी व मिट्टी लगी होने के कारण फंगस लग गई और वह क्षतिग्रस्‍त हो गया। परिवादी की स्‍वयं लापरवाही के कारण उसका आलू क्षतिग्रस्‍त हुआ। परिवादी को आलू का किराया रू. 110/- प्रति बोरे के हिसाब से रू. 64570/- एवं लेबर चार्ज रू. 5870/- अदा करना है।

 

 

-3-

     पीठ ने उभय पक्ष के विद्वान अधिवक्‍ताओं की बहस सुनी एवं पत्रावली पर उपलब्‍ध अभिलेखों एवं साक्ष्‍यों का भलीभांति परिशीलन किया गया।

     अपीलार्थी ने अपने आधार अपील में यह कहा है कि जिला मंच का निर्णय उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम की मूल भावना एवं प्राकृतिक न्‍याय के सिद्धांतों के विपरीत है। जिला मंच ने उसके समक्ष प्रस्‍तुत किए गए साक्ष्‍यों पर विधिवत विचार नहीं किया। जब किसान अपना आलू कोल्‍ड स्‍टोरेज से निकालने आता है तो वह कोल्‍ड स्‍टारेज द्वारा मूल पर्ची प्राप्‍त कर किसान को आलू दे दिया जाता है। इस प्रकरण में प्रत्‍यर्थीगण की लापरवाही की वजह से कोल्‍ड स्‍टोरेज में रखा गया पूरा आलू सड़ गया था। सड़े हुए आलू को लेने से अपीलकर्ता ने मना कर दिया था। अपीलकर्ता के पास आलू रखने की मूल जमा रसीद प्रति मौजूद है, इसलिए प्रत्‍यर्थी का यह कथन कि अपीलकर्ता परिवादी ने 176 कट्टे निकाल लिए असत्‍य है। प्रत्‍यर्थीगण ने अपने जवाबदावे में कहा है कि आलू कोल्‍ड स्‍टोरेज से बाहर फेंक दिय गया था। विद्वान जिला फोरम को यह त‍य करना था कि किसकी लापरवाही से कोल्‍ड स्‍टोरेज में आलू सड़ा, इस बिन्‍दु पर आसानी से निर्णय किया जा सकता था।

जिला मंच ने परिवादी का परिवाद इस आधार पर निरस्‍त किया है कि इस प्रकरण में गहन, विस्‍तृत एवं तकनीकी साक्ष्‍य की आवश्‍यकता होगी, अत: इस प्रकरण का निस्‍तारण सक्षम न्‍यायालय द्वारा किया जाना ही न्‍यायोचित होगा।

इस प्रकरण में सर्वप्रथम यह देखा जाना है कि क्‍या उपभोक्‍ता फोरम प्रस्‍तुत तथ्‍यों एवं साक्ष्‍यों के आधार पर इस परिवाद का निस्‍तारण कर सकता था या नहीं। पत्रावली के अवलोकन से स्‍पष्‍ट है कि जिला मंच के समक्ष विपक्षी ने अपना लिखित कथन प्रस्‍तुत किया है। दोनों पक्षकारों ने अपने कथन के

-4-

समर्थन में अपना-अपना शपथपत्र व अन्‍य अभिलेख प्रस्‍तुत किए हैं। यह प्रकरण परिवादी द्वारा विपक्षी से ली गई सेवाओं के संबंध में है, जिसमें उसके द्वारा विपक्षी/प्रत्‍यर्थी के कोल्‍ड स्‍टोरेज में अपना आलू सुरक्षित रखने के लिए सेवाएं प्राप्‍त की थीं। जिला उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम 1986 के अंतर्गत जिला मंच सेवा में कमी के संबंध में परिवाद का निस्‍तारण कर सकते हैं। जिला फोरम के अध्‍यक्ष जिला जज स्‍तर के न्‍यायिक अधिकारी होते हैं, अत: यह नहीं कहा जा सकता कि फोरम इन प्रकरणों का निस्‍तारण नहीं कर सकता है। जिला उपभोक्‍ता फोरम उपलब्‍ध अभिलेखों एवं साक्ष्‍यों के आधार पर प्रकरण का निस्‍तारण कर सकता था। अत: पीठ इस मत की है कि जिला मंच को इस प्रकरण का निस्‍तारण गुणदोष के आधार पर करना चाहिए था।    

     यह तथ्‍य निर्विवाद है कि परिवादी ने 763 कट्टे आलू बीज व किर्रा विपक्षी के कोल्‍ड स्‍टोरेज में भंडारण किया था। भंडारित आलू को दि. 31.10.2013 से पूर्व निकाल लिया जाना था। परिवादी का कथन है कि दि. 31.10.13 से पूर्व उसको आलू उपस्थित होने के बावजूद भी उपलबध नहीं कराया और न ही आलू की धनराशि का भुगतान किया, जबकि विपक्षी का कथन है कि परिवादी दि. 03.10.2013 को अपने आलू बीज के 176 कट्टे निकालकर ले गया, जबकि विपक्षी इस कथन को नकार रहा है। विपक्षी ने 176 कट्टे निकाले जाने के संबंध में कोई अभिलेखीय साक्ष्‍य प्रस्‍तुत नहीं किया है, जबकि उसका स्‍वयं का कथन है कि उसके द्वारा गेटपास जारी किया गया था और रजिस्‍टर में इन्‍द्रराज किया गया था। यदि उसके द्वारा परिवादी को 176 कट्टे दे दिए थे तो विपक्षी के पास गेटपास उसका रजिस्‍टर व परिवादी द्वारा हस्‍ताक्षारित अभिलेख होने चाहिए जो प्रस्‍तुत नहीं किए गए। अत: परिवादी द्वारा दि. 03.10.13 को 176 कट्टे आलू निकाले थे, सिद्ध नहीं होता है।

 

-5-

     अब प्रश्‍न यह उठता है कि क्‍या भंडारित आलू क्षतिग्रस्‍त हो गया था। विपक्षी का यह कथन है कि जो आलू भंडारित किया गया वह गीले खेत से खोदा हुआ मिट्टी लगा हुआ था, जिसके कारण आलू को फंगस लग गई और आलू क्षतिग्रस्‍त हो गया, परन्‍तु विपक्षी/प्रत्‍यर्थी के इस कथन में विरोधाभास है। यदि गीले खेत से खोदा हुआ नमी व मिट्टी लगा हुआ आलू भंडारित किया गया होता तो ऐसे समस्‍त आलू में फंगस लग जाती और वह क्षतिग्रस्‍त हो जाता, जबकि प्रत्‍यर्थी/ विपक्षी ने स्‍वयं यह कहा है कि आलू बीज की 15 से 20 प्रतिशत क्षति हुई थी और शेष 80-85 प्रतिशत तक आलू बोने हेतु उचित था। इस प्रकार एक तरफ तो उसका यह कहना है कि आलू क्षतिग्रस्‍त हो गया, दूसरी ओर यह भी कहा गया है कि 80-85 प्रतिशत आलू बोने हेतु उचित था। One cannot blow hot and cold in same breath. अत: निश्चित रूप से भंडारित आलू कोल्‍ड स्‍टोर में ही क्षतिग्रस्‍त हुआ जिसके लिए विपक्षी/प्रत्‍यर्थी जिम्‍मेदार है।

     विपक्षी/प्रत्‍यर्थी ने अपने शपथपत्र में यह अभिकथन किया है कि जब परिवादी ने निरंतर आग्रह करने के बावजूद अपना आलू नहीं निकाला, इसलिए मजबूर होकर परिवादी के आलू को नवम्‍बर माह के दूसरे सप्‍ताह में कोल्‍ड स्‍टोरेज से लेबर द्वारा बाहर निकलवा दिया गया। प्रथमत: विपक्षी/प्रत्‍यर्थी का यह स्‍वयं कथन है कि जो आलू बीज का था उसमें 80 से 85 प्रतिशत आलू ठीक था तो उसके द्वारा आलू को बाहर क्‍यों फेंका गया। यदि परिवादी कोल्‍ड स्‍टोरेज में भंडारित आलू को उठाने के लिए नहीं आया तो क्‍या उसके धारा 17 कोल्‍ड स्‍टोरेज एक्‍ट के अंतर्गत प्रत्‍यर्थी को विधिनुसार नोटिस दी गई । कोल्‍ड स्‍टोरेज एक्‍ट के अंतर्गत आलू के निस्‍तारण की प्रक्रिया निर्धारित की गई है। प्रत्‍यर्थी ने न तो कोई साक्ष्‍य दिया है और न ही कोई शपथपत्र दिया गया है

 

-6-

जिससे यह सिद्ध हो कि उसके द्वारा कोल्‍ड स्‍टोरेज एक्‍ट के अंतर्गत जो नीलाम की प्रक्रिया दी गई है वह उसके द्वारा अपनाई गई हो। इस प्रकार पीठ इस मत की है कि प्रत्‍यर्थी/विपक्षी ने आलू का सही भंडारण नहीं किया और न ही नियमानुसार आलू का निस्‍तारण किया, अत: उनके द्वारा निश्चित रूप से सेवा में कमी की गई है।

     अब प्रश्‍न यह उठता है कि परिवादी अपने भंडारित आलू की कितनी क्षतिपूर्ति पाने का अधिकारी है। परिवादी ने 618 कट्टा 50-50 किलो के आलू बीज के रखे थे। इस प्रकार यह 309 कुन्‍तल था। बीज का आलू सामान्‍य आलू से अधिक कीमत का होता है। चूंकि पत्रावली से यह स्‍पष्‍ट नहीं है कि वह किस गुणवत्‍ता व श्रेणी का था, अत: इस आलू की कीमत रू. 800/- प्रति कुन्‍तल माना जाना न्‍यायोचित होगा। रू. 800/- कुन्‍तल के हिसाब से 309 कुन्‍तल आलू की कीमत रू. 334200/- आती है। इसके अतिरिक्‍त 145 कट्टे किर्रा आलू था जो कि छोटा तथा घरेलू इस्‍तेमाल के लिए होता है, अत: यह 145 कट्टे की भरावट 50 किलोग्राम थी जिसका वजन 72.5 किलो आता है। तत्‍समय इस किर्रे आलू का मूल्‍य रू. 500/- प्रति कुन्‍तल दिया जाना न्‍यायोचित होगा, जिसका कुल मूल्‍य रू. 36250/- होता है। इस प्रकार परिवादी विपक्षी/प्रत्‍यर्थी से रू. 334200 + 36250 = 370450/- पाने का अधिकारी है। परिवादी ने अपने परिवाद पत्र में स्‍वयं यह कहा है कि देय धनराशि से किराये की धनराशि समायोजित कर ली जाए, अत: देय धनराशि में किराये की धनराशि रू. 64570/- समायोजित करने के पश्‍चात शुद्ध देय धनराशि रू. 305880/- होती है जो परिवादी प्राप्‍त करने का अधिकारी है। इस धनराशि पर वह परिवाद दायर करने की तिथि से अंतिम भुगतान की तिथि तक 9 प्रतिशत

 

 

-7-

ब्‍याज पाने का भी अधिकारी है। तदनुसार अपील स्‍वीकार किए जाने योग्‍य है।

आदेश

     प्रस्‍तुत अपील स्‍वीकार की जाती है। जिला मंच द्वारा पारित निर्णय/आदेश दि. 24.02.2015 निरस्‍त किया जाता है। विपक्षी/परिवादी को रू. 305880/- धनराशि का भुगतान एक माह में करे। इस धनराशि पर परिवाद दायर करने की तिथि से अंतिम भुगतान की तिथि तक 9 प्रतिशत ब्‍याज भी देय होगा।

     उभय पक्ष अपना-अपना अपीलीय व्‍यय स्‍वयं वहन करेंगे।

     निर्णय की प्रतिलिपि पक्षकारों को नियमानुसार उपलब्‍ध कराई जाए।

    

 

        (विजय वर्मा)                               (राज कमल गुप्‍ता)

      पीठासीन सदस्‍य                                  सदस्‍य

राकेश, पी0ए0-2

      कोर्ट-2 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 
 
[HON'BLE MR. Vijai Varma]
PRESIDING MEMBER
 
[HON'BLE MR. Raj Kamal Gupta]
MEMBER

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