Uttar Pradesh

StateCommission

A/627/2019

Vashrvi Rathaur - Complainant(s)

Versus

Sanjay Machinary Store - Opp.Party(s)

T.H. Naqvi & Rajesh Kumar Gupta

14 Mar 2024

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/627/2019
( Date of Filing : 10 May 2019 )
(Arisen out of Order Dated 29/03/2019 in Case No. C/57/2014 of District Lucknow-I)
 
1. Vashrvi Rathaur
Lucknow
...........Appellant(s)
Versus
1. Sanjay Machinary Store
Lucknow
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE ASHOK KUMAR PRESIDENT
 
PRESENT:
 
Dated : 14 Mar 2024
Final Order / Judgement

मौखिक

राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग उ0प्र0 लखनऊ

 

अपील संख्या 627 सन 2019

 

वैष्‍णवीय राठौर पुत्री सुनील कुमार राठौर पता ग्राम पाठकगंज, महमूद नकर, तहसील व थाना मलिहाबाद जिला लखनऊ द्वारा पिता एवं अन्‍य ।

 ..................   अपीलार्थी

-बनाम-

संजय मशीनरी स्‍टोर पता 177 गौतमबुद्ध मार्ग, लखनऊ द्वारा प्रोप0/स्‍वामी संजीव कुमार पाण्‍डेय पुत्र सत्‍य नारायण  एवं अन्‍य ।

   ..............................प्रत्यर्थी

 

 

 समक्ष

मा० न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्‍यक्ष ।

 

अपीलार्थी की ओर से विद्वान अधिवक्ता श्री राजेश कुमार गुप्‍ता ।

प्रत्यर्थी की ओर से विद्वान अधिवक्ता     कोई नहीं ।

                                      

 

दिनांक - 14.03.2024

 

माननीय न्‍यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्‍यक्ष द्वारा उद्घोषित

निर्णय

 

प्रस्‍तुत अपील जिला उपभोक्ता आयोग, प्रथम लखनऊ द्वारा परिवाद संख्या 57 सन 2014 में पारित प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक 29.03.2019 के विरुद्ध योजित की गयी है।

संक्षेप में, वाद के तथ्‍य इस प्रकार हैं कि परिवादी के पिता सुनील कुमार राठौर ने परिवादी के नाम पर दिनॉक-11.10.2013 को विपक्षी से फील्ड मार्शल कम्पनी का एक वाटर कूल्ड जनरेटर सेट 7.5 के०डब्लू० इंजन नं0-ई०एफ०ए० 24177 कय किया जिसे परिवादी ने अपने घर पर इन्स्टाल कराया ओर जनरेटर को चालू किया तो थोड़ी ही देर में जनरेटर काफी गरम हो गया। परिवादी ने जनरेटर बन्द करवा दिया। दोबारा चालू करने पर फिर गरम हो गया। ऐसा बार-बार होता रहा। उक्त के सम्बन्ध में परिवादी ने, विपक्षी से शिकायत की तो विपक्षी ने कहा कि हमने जनरेटर बेंच दिया है अब हमारी कोई जिम्मेदारी नहीं है। विपक्षी ने जनरेटर का परीक्षण तक कराने से मना कर दिया। विपक्षी की दुकान पर काम करने वाले एक आदमी से परिवादी ने जानकारी किया तब परिवादी को पता चला कि उक्त विपक्षी द्वारा फील्ड मार्शल कम्पनी के जनरेटर सेट में ओरिजनल पार्टी की जगह पर दूसरे कम गुणवत्ता वाले पार्टस लगा कर बेंचा जाता है। परिवादी ने जनरेटर ठीक से न चलने व कम गुणवत्ता का होने की सूचना फील्ड मार्शल कम्पनी को फोन पर दिनॉक-15.11.2013 को दिया और जनरेटर सेट ठीक करने को कहा परन्तु कम्पनी द्वारा भी कोई राहत नहीं दी गयी। उक्त जनरेटर विपक्षी के द्वारा डिलीवरी चालान के द्वारा प्राप्त हुआ। परिवादी ने जनरेटर सेट का बिल विपक्षी से माँगा तो विपक्षी ने बिल नहीं दिया। दिनॉक-18.11.2013 को परिवादी ने विपक्षी को डाक से नोटिस भेज कर उक्त जनरेटर सेट को बदलकर दूसरा सेट देने का आग्रह किया। परन्तु विपक्षी द्वारा न तो जनरेटर बदला गया न ही उसमें ओरिजनल पार्टस ही लगवाये गये। बस आश्वास ही दिया गया कि जनरेटर ठीक करा दिया जायेगा। जिससे क्षुब्‍ध होकर परिवाद योजित किया गया।

विपक्षी ने अपनी आपत्ति प्रस्तुत करते हुए कथन किया कि संजय मशीनरी स्टोर फील्ड मार्श कम्पनी के साथ ही अन्य कई कम्पनियों की मशीनरी प्रोडेक्ट की कम्पनियों की ओर से विक्रय करने के अधिकृत हैं। परिवादी ने फील्ड मार्शन कम्पनी जो इंजन की निर्माता कम्पनी है अल्टीनेटर दूसरी कम्पनी बनाती है तथा आवश्यक पक्षकार है, को पक्षकार नहीं बनाया है। संजय मशीनरी स्टोर कई कम्पनियों का माल बेंच कर अपना कमीशन प्राप्त कर शेष धनराशि संबंधित निर्माता कम्पनियों को प्राप्त कराती है। यदि इंजन में निर्माण दोष है तो उसका निराकरण निर्माता कम्पनी ही उत्तरदाता विपक्षी के माध्यम से करेगी। परिवादी उक्त जनरेटर सेट का प्रयोग व्यापारिक उ‌द्देश्य हेतु कर रहा है। परिवादी उपभोक्ता की श्रेणी में नहीं आता है। इस कारण भी परिवादी का परिवाद निरस्त किये जाने योग्य है। विपक्षी ने न तो कम गुणवत्ता वाला माल परिवादी को बेचा है और न ही उनके किसी कृत्य से परिवादी को आर्थिक, मानसिक व शारीरिक कष्ट उठाना पड़ा।

विद्वान जिला आयोग ने अपने विवेच्‍य निर्णय में यह अवधारित किया है कि परिवादी टेन्ट हाउस का कारोबार करता है, और वह शादी, तिलक एवं अन्य समारोहो में जनरेटर का उपयोग करता है। परन्तु विपक्षी ने ऐसा कोई साक्ष्य नहीं दिया है जिससे पता चले कि परिवादी जनरेटर का वाणिज्यिक उपयोग कर रहा है।

अभिलेख अवलोकन से यह भी प्रतीत होता है कि परिवादी ने फील्ड मार्शल कम्पनी को पक्षकार नहीं बनाया है। यदि विपक्षी ने परिवादी को पसन्द किये गये जनरेटर के स्थान पर दूसरा जनरेटर सेट परिवादी को दिया तब परिवादी को इसकी शिकायत पूर्व में करनी चाहिए थी परन्तु परिवादी ने ऐसा नहीं किया। इस वाद में विपक्षी जिसको बनाया गया है वह सिर्फ विक्रेता है और उसकी जिम्मेदारी जनरेटर मरम्मत करने की नहीं है। विपक्षी का यह भी कथन है कि उसने परिवादी को जनरेटर का बिल भी दिया था, और परिवादी के अनुसार उसे बिल नहीं दिया गया था। ऐसी परिस्थिति में विपक्षी का यह कर्तव्य था कि वह रसीद/बिल की कार्बन प्रति या द्वितीय प्रति फोरम के समक्ष प्रस्तुत करता। परन्‍तु विपक्षी ने ऐसा नहीं किया। अतः फोरम यह पाता है कि विपक्षी ने परिवादी को जनरेटर एवं अल्टीनेटर का बिल नहीं दिया था। परिवादी ने मिस्त्री का जिसने जनरेटर की बाद में जाँच की थी, का भी शपथ पत्र नहीं दिया है। रसीद नहीं देने पर विपक्षी की सेवा में कमी पायी जाती है। परन्तु जहाँ तक पाटर्स बदलकर दूसरा जनरेटर देने की बात है उसके लिये विपक्षी को दोषी न पाते हुए परिवाद को आंशिक रूप से स्‍वीकार करते हुए निम्‍न आदेश पारित किया :-

परिवादी का परिवाद आंशिक रूप से स्वीकार किया जाता है। विपक्षी को आदेश दिया जाता है कि वह 'परिवादी को रसीद नहीं देने के लिये मुबलिग-10,000/- (दस हजार रूपया मात्र) क्षतिपूर्ति के रूप में एवं मुबलिग-5,000/- (पाँच हजार रूपया मात्र) वाद व्यय के लिये 30 दिनों के अन्दर अदा करेंगें। विपक्षी जनरेटर सेट व अल्टीनेटर का बिल परिवादी को देंगें। यदि आदेश का पालन निर्धारित अवधि में नहीं होता है तो उपरोक्त सम्पूर्ण राशि पर विपक्षी परिवादी को 09 प्रतिशत वार्षिक की दर से ब्याज भी अदा करेंगें।

उक्‍त आदेश से क्षुब्‍ध होकर यह अपील योजित की गयी है।अपील के आधारों में कहा गया है कि जिला आयोग का निर्णय विधि के विरूद्ध है और दोषपूर्ण है। अपील स्‍वीकार कर जिला आयोग का निर्णय व आदेश समाप्‍त करते हुए परिवाद निरस्‍त किया जाए ।

     प्रत्‍यर्थी/परिवादी के विद्वान अधिवक्‍ता का तर्क है कि जिला आयोग का निर्णय व आदेश उचित है। अपील बलरहित है और निरस्‍त किए जाने योग्‍य है।

विपक्षी की ओर से अधिवक्‍ता श्री प्रेम प्रकाश श्रीवास्‍तव का स्‍थगन प्रार्थना पत्र प्राप्‍त हुआ । अधिवक्‍ता अपीलार्थी के अनुरोध पर उनके मौखिक तर्को को सुना गया तथा प्रस्‍तुत अपील पत्रावली का सम्‍यक अवलोकन किया गया ।

     पत्रावली में उपलब्‍ध साक्ष्‍य एवं अभिलेख का भलीभांति परिशीलन करने के पश्‍चात मेरे विचार से जिला मंच ने उभय पक्षों द्वारा दाखिल सभी अभिलेखों व शर्तो का अवलोकन करते हुए साक्ष्‍यों की पूर्ण विवेचना करते हुए प्रश्‍नगत परिवाद में विवेच्‍य निर्णय पारित किया है, जो कि तथ्‍यों एवं साक्ष्‍यों से समर्थित एवं विधि-सम्‍मत है एवं उसमें हस्‍तक्षेप करने की कोई आवश्‍यकता नहीं है।

 

तद्नुसार प्रस्‍तुत अपील खारिज किए जाने योग्‍य है।

आदेश

     प्रस्‍तुत अपील खारिज की जाती है।

प्रस्‍तुत अपील में अपीलार्थी द्वारा यदि कोई धनराशि जमा की गयी हो तो उक्‍त जमा धनराशि अर्जित ब्‍याज सहित संबंधित जिला उपभोक्‍ता आयोग को यथाशीघ्र विधि के अनुसार निस्‍तारण हेतु प्रेषित की जाए।

उभय अपीलों में उभयपक्ष अपना-अपना वाद व्‍यय स्‍वयं वहन करेंगे।

आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।

    

(न्‍यायमूर्ति अशोक कुमार)

अध्‍यक्ष

सुबोल श्रीवास्‍तव

पी0ए0(कोर्ट नं0-1)

 

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE ASHOK KUMAR]
PRESIDENT
 

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