Uttar Pradesh

StateCommission

A/1064/2015

Shriram General Insurance Co. Ltd. - Complainant(s)

Versus

Sanjay Kumar - Opp.Party(s)

Dinesh Kumar

01 Dec 2022

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/1064/2015
( Date of Filing : 01 Jun 2015 )
(Arisen out of Order Dated 29/04/2015 in Case No. C/256/2013 of District Gautam Buddha Nagar)
 
1. Shriram General Insurance Co. Ltd.
Lucknow
...........Appellant(s)
Versus
1. Sanjay Kumar
Gautambudhnagar
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR PRESIDING MEMBER
 HON'BLE MR. Vikas Saxena JUDICIAL MEMBER
 
PRESENT:
 
Dated : 01 Dec 2022
Final Order / Judgement

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ

 (मौखिक) 

अपील सं0- 1064/2015

Shriram General Insurance Company Limited, E-8, EPIP, RIICO Industrial Area, Sitapura, Jaipur (Rajasthan) -302022 Branch Office 16, Chintal House, Station Road, Lucknow through its Manager.

                                               …….Appellant

                       Versus

Sanjay Kumar S/o Shri Jile Singh, R/o- G-68, Sector, Alpha-II, Greater Noida, District-Gautam Budh Nagar. (U.P.)

                                          ……….Respondent

समक्ष:-

   माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्‍य।

   माननीय श्री विकास सक्‍सेना, सदस्‍य।

 

अपीलार्थी की ओर से उपस्थित  : श्री दिनेश कुमार के सहयोगी                   

                             अधिवक्‍ता श्री आनंद भार्गव।                            

प्रत्‍यर्थी की ओर से उपस्थित    : श्री एन0एन0 पाण्‍डेय,

                             विद्वान अधिवक्‍ता।   

                                                                 

दिनांक:- 01.12.2022

माननीय श्री विकास सक्‍सेना, सदस्‍य द्वारा उद्घोषित

 

निर्णय

1.        परिवाद सं0- 256/2013 संजय कुमार बनाम मै0 श्रीराम जनरल इंश्‍योरेंस कं0 लि0 में जिला उपभोक्‍ता आयोग, गौतमबुद्ध नगर द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश दि0 29.04.2015 के विरुद्ध यह अपील प्रस्‍तुत की गई है।

2.        विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग ने बीमित वाहन सं0- HR-55-N-1893 दुर्घटनाग्रस्‍त हो जाने के कारण कारित क्षति की पूर्ति के लिए प्रस्‍तुत किए गए परिवाद को स्‍वीकार करते हुए बीमा कम्‍पनी को आदेशित किया है कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी को 4,60,304/-रू0 की अदायगी 12 प्रतिशत प्रतिवर्ष की दर से ब्‍याज के साथ अदा करें। साथ ही मानसिक प्रताड़ना के मद में रू0 20,000/- और परिवाद व्‍यय के रूप में 10,000/-रू0 अदा करने का आदेश दिया है।

3.        इस निर्णय एवं आदेश के विरुद्ध अपील इन आधारों पर प्रस्‍तुत की गई है कि विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश साक्ष्‍य के विपरीत है। सर्वेयर द्वारा केवल 2,65,000/-रू0 क्षति का आंकलन किया गया था जब कि विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग ने केवल एस्‍टीमेट के आधार पर प्रश्‍नगत धनराशि को अदा करने का आदेश दिया है।

4.        हमने अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता श्री दिनेश कुमार के सहयोगी अधिवक्‍ता श्री आनंद भार्गव एवं प्रत्‍यर्थी के विद्वान अधिवक्‍ता श्री एन0एन0 पाण्‍डेय को सुना। प्रश्‍नगत निर्णय एवं आदेश तथा पत्रावली पर उपलब्‍ध अभिलेखों का सम्‍यक परिशीलन किया।

5.        वाहन सं0- HR-55-N-1893 का बीमा दि0 12.006.2012 से दि0 11.06.2013 की अवधि तक होना, इस वाहन का दुर्घटनाग्रस्‍त होना, सर्वेयर नियुक्‍त होना, सर्वेयर द्वारा अंकन 2,65,000/-रू0 की क्षति का आंकलन करना तथा विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा 4,60,304/-रू0 की क्षति का आदेश करना दोनों पक्षकारों को स्‍वीकार है। अत: इन बिन्‍दुओं पर विस्‍तृत विवेचना की आवश्‍यकता नहीं है।

6.        प्रस्‍तुत केस में अपीलार्थी/विपक्षी के विद्वान अधिवक्‍ता द्वारा यह कथन किया गया है कि प्रारम्‍भ में प्रत्‍यर्थी/परिवादी का यह कथन रहा है कि वाहन को निरंतर चलाया जा रहा था जब कि उसके पास वैध ड्राइविंग लाइसेंस नहीं था। अपने तर्क की पुष्टि में विद्वान अधिवक्‍ता ने इस पीठ का ध्‍यान दस्‍तावेज सं0- 6 की ओर आकृष्‍ट किया है। यथा‍र्थ में यह दस्‍तावेज दि0 22.10.2012 थाने की जी0डी0 है जिसमें नरेन्‍द्र कुमार को अन्‍य व्‍यक्तियों के साथ थाने में उपस्थित आना दर्शाया है। नरेन्‍द्र कुमार द्वारा यह भी अंकित कराया गया है कि वह वाहन सं0- HR-55-N-1893 पर ड्राइवरी करता है। इस ट्रक को हाइवे पर छोड़कर गया था, यह ट्रक दुर्घटनाग्रस्‍त हो गया है। थाने की जी0डी0 में जो भी दर्ज किया गया है वह नरेन्‍द्र कुमार के बताने पर किया गया है। नरेन्‍द्र कुमार द्वारा दुर्घटना का विवरण प्रस्‍तुत किया गया है। इसलिए अपीलार्थी/विपक्षी के विद्वान अधिवक्‍ता के इस तर्क में पर्याप्‍त बल है कि नरेन्‍द्र कुमार द्वारा ही दुर्घटना के समय वाहन चलाया जा रहा था और नरेन्‍द्र कुमार द्वारा ड्राइविंग लाइसेंस प्रस्‍तुत नहीं किया गया। इसके पश्‍चात पप्‍पू सिंह द्वारा यह कथन किया गया कि वह ट्रक को चला रहा था। दि0 22.10.2012 की जी0डी0 के अवलोकन से जाहिर होता है कि पप्‍पू सिंह का नाम वास्‍तविक लेख के बाद अंकित किया गया है। अत: पप्‍पू सिंह द्वारा वाहन चलाने की कहानी फर्जी रूप से तैयार की गई है। यह तथ्‍य प्रमाणिक है कि दुर्घटना के समय नरेन्‍द्र कुमार ही वाहन चला रहा था और चूँकि इसके पास ड्राइविंग लाइसेंस नहीं था तब इस तथ्‍य को छिपाते हुए पप्‍पू सिंह द्वारा वाहन चलाने की फर्जी और बनावटी कहानी तैयार की गई। विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग ने पप्‍पू सिंह के ड्राइविंग लाइसेंस की फोटो कॉपी पर विचार करते हुए यह निष्‍कर्ष दिया है कि ड्राइवर के पास वैध ड्राइविंग लाइसेंस था जब कि अपीलार्थी/विपक्षी की ओर से जिन दस्‍तावेज की ओर इस पीठ का ध्‍यान आकृष्‍ट किया गया उन पर कोई निष्‍कर्ष नहीं दिया गया जब कि स्‍वयं नरेन्‍द्र कुमार द्वारा दुर्घटना के विस्‍तृत विवरण के साथ प्रस्‍तुत की गई सूचना में स्‍वयं को वाहन का ड्राइवर बताया था। अत: स्‍पष्‍ट है कि विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा साक्ष्‍य के विपरीत निर्णय पारित किया गया है। चूँकि ड्राइवर के पास वैध ड्राइविंग लाइसेंस नहीं था। इसलिए कुल क्षतिपूर्ति की धनराशि में से 50 प्रतिशत की कटौती किया जाना विधिसम्‍मत था। अत: विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा क्षतिपूर्ति की जो राशि निश्चित की गई है उस राशि में से 50 प्रतिशत की कटौती करते हुए 2,30,152/-रू0 की क्षतिपूर्ति का आदेश देना उचित है। इसी प्रकार ब्‍याज दर 12 प्रतिशत की दर से सुनिश्चित की गई है जो अत्‍यधिक है। ब्‍याज 06 प्रतिशत प्रतिवर्ष की दर से अदा करने का आदेश दिया जाना उचित है।

7.        अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता द्वारा यह बहस की गई है कि सर्वेयर द्वारा आंकलित की गई राशि को विचार में लेना चाहिए, परन्‍तु चूँकि विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग के समक्ष सर्वेयर रिपोर्ट प्रस्‍तुत नहीं की गई। सर्वेयर रिपोर्ट के आधार पर ही क्‍लेम निस्‍तारित  नहीं किया गया। इसलिए एस्‍टीमेट के आधार पर क्‍लेम निस्‍तारित करने में किसी प्रकार की बाधा जिला उपभोक्‍ता आयोग को नहीं थी। अत: इस पीठ द्वारा भी क्षति के आंकलन के बिन्‍दु को पुष्‍ट किया जाता है। तदनुसार अपील आंशिक रूप से स्‍वीकार किए जाने योग्‍य है।     ‍                    

                          आदेश

8.        अपील आंशिक रूप से स्‍वीकार की जाती है। विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा पारित प्रश्‍नगत निर्णय एवं आदेश इस प्रकार परिवर्तित किया जाता है कि वाहन चालक के पास तत्समय वैध डी0एल0 न होने के कारण कुल क्षतिपूर्ति राशि की 50 प्रतिशत राशि यानी 2,30,152/-रू0 प्रत्‍यर्थी/परिवादी को मय 06 प्रतिशत वार्षिक ब्‍याज वाद योजन की‍ तिथि से अन्तिम भुगतान की तिथि तक देय होगी। शेष निर्णय एवं आदेश की पुष्टि की जाती है।   

          अपील में धारा 15 उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम के अंतर्गत अपीलार्थी द्वारा जमा धनराशि अर्जित ब्‍याज सहित इस निर्णय एवं आदेश के अनुसार जिला उपभोक्‍ता आयोग को निस्‍तारण हेतु प्रेषित की जाए।  

          आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय एवं आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।         

 

   (विकास सक्‍सेना)                         (सुशील कुमार)

             सदस्‍य                                  सदस्‍य  

                                

शेर सिंह, आशु0,

कोर्ट नं0- 2

 
 
[HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR]
PRESIDING MEMBER
 
 
[HON'BLE MR. Vikas Saxena]
JUDICIAL MEMBER
 

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