राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
सुरक्षित
अपील सं0-1641/2018
(जिला उपभोक्ता आयोग, सीतापुर द्वारा परिवाद सं0-54/2018 में पारित प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक 07-08-2018 के विरूद्ध)
सलवान आटोमोबाइल्स, टी0वी0एस0 मोटर्स कम्पनी लि0 द्वारा डीलर/ऑथराइज्ड सेलर जितेन्द्र सलवान, निकट मोहल्ला आनन्द नगर, जिला सीतापुर, मोबाइल नं0-9125410555.
...........अपीलार्थी/विपक्षी सं0-1.
बनाम
1. संजय कुमार पुत्र कैलाश चन्द्र निवासी ग्राम सरवाहनपुर, पोस्ट मानपुर, तहसील बिसवॉं, जिला सीतापुर। ............ प्रत्यर्थी/परिवादी।
2. टी0वी0एस0 मोटर कम्पनी लि0 द्वारा एरिया मैनेजर (सेल्स), प्रथम तल, साइबर टावर, टी0सी0 34, एन-2, विभूति खण्ड, गोमती नगर, लखनऊ-226010. ............ प्रत्यर्थी/विपक्षी सं0-2.
समक्ष:-
1. मा0 श्री राजेन्द्र सिंह, सदस्य।
2. मा0 श्री विकास सक्सेना, सदस्य।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित: कोई नहीं।
प्रत्यर्थी सं0-1 की ओर से उपस्थित : श्री राघवेन्द्र पाण्डेय विद्वान अधिवक्ता
के कनिष्ठ सहायक अधिवक्ता श्री राहुल कुमार।
प्रत्यर्थी सं0-2 की ओर से उपस्थित : कोई नहीं।
दिनांक :- 08-01-2024.
मा0 श्री राजेन्द्र सिंह, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
यह अपील, जिला उपभोक्ता आयोग, सीतापुर द्वारा परिवाद सं0-54/2018 में पारित प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक 07-08-2018 के विरूद्ध उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 की धारा-15 के अन्तर्गत योजित की गयी है।
संक्षेप में अपीलार्थी का कथन है कि विद्वान जिला आयोग ने प्रश्नगत निर्णय में अपीलार्थी/विपक्षी सं0-1 के साक्ष्यों को नहीं देखा और परिवादी के पक्ष में आदेश मात्र कल्पनाओं के आधार पर दिया। प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश मनमाना है, जो मात्र अनुमानों और परिकल्पनाओं पर आधारित है। निर्णय शीघ्रता में दिया गया है। अगर तर्क के लिए यह मान भी लिया जाये कि मोटरसाइकिल में निर्माण सम्बन्धी दोष था तब भी यह स्पष्ट है कि दूषित हिस्सों को बदलने के लिए ही उत्तरदायित्व है।
विद्वान जिला आयोग ने दिनांक 07-08-2018 को निम्नलिखित आदेश पारित किया :-
'' परिवादी संजय कुमार का उपभोक्ता परिवाद विरूद्ध विपक्षीगणइस आशय से स्वीकार किया जाता है कि एक माह की अवधि में विपक्षी सं0-1 सलवान आटोमोबाइल्स द्वारा परिवादी को मोटरसाइकिल की विक्रय कीमत राशि रू0-67,500/- (रू0 सरसठ हजार पॉंच सौ), क्षतिपूर्ति राशि रू0-15,000/-(रू0 पंद्रह हजार) एवं वाद व्यय राशि रू0-5,000/-(रू0 पॉंच हजार) अदा की जाए अन्यथा आदेशित राशि पर परिवाद प्रस्तुत करने की तिथि 06-04-2018 से 9-प्रतिशत वार्षिक चक्रवृद्धि ब्याज देय होगा।
विपक्षीगण द्वारा समय सीमा एक माह की अवधि में आदेश का अनुपालन न किए जाने पर परिवादी को उक्त आदेश का अनुपालन इस जिला उपभोक्ता फोरम के माध्यम से कराने का अधिकार होगा। ''
अपीलार्थी के अनुसार यह अवार्ड गलत और तथ्यों से परे है। अत: माननीय राज्य आयोग से निवेदन है कि विद्वान जिला आयोग का प्रश्नगत निर्णय अपास्त करते हुए अपील स्वीकार की जाए।
हमारे द्वारा प्रत्यर्थी सं0-1 के विद्वान अधिवक्ता श्री राघवेन्द्र पाण्डेय के कनिष्ठ सहायक अधिवक्ता श्री राहुल कुमार की बहस विस्तार से सुनी गई तथा पत्रावली पर उपलब्ध समस्त अभिलेखों/साक्ष्यों तथा प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश का सम्यक् रूप से परिशीलन किया गया। अपीलार्थी एवं प्रत्यर्थी सं0-2 की ओर से बहस करने हेतु कोई उपस्थित नहीं हुआ।
परिवादी का कथन है कि परिवादी ने दिनांक 06-02-2018 को एक टी0वी0ए0 विक्टर-ई-एस डिस्क 67,500/- रू0 में विपक्षी सं0-1 से खरीदी थी, जो विपक्षी सं0-2 द्वारा निर्मित है। विपक्षी सं0-1, विपक्षी सं0-2 का अधिकृत डीलर/विक्रेता है। परिवादी द्वारा खरीदी गयी मोटरसाइकिल का रजिस्ट्रेशन नंम्बर यू0पी0 34 एपी 5935 है। परिवादी की मोटरसाइकिल चलते-चलते बन्द हो जाती थी। मोटरसाइकिल की पहली सर्विस दिनांक 20-02-2018 को हुई, उसके चार दिन बाद एकाएक मोटरसाइकिल बन्द हो गयी तब परिवादी ने टी0वी0एस0 कम्पनी के टोल फ्री नम्ब्र 18004252077 पर शिकायत दर्ज कराई तो अगले दिन दिनांक 25-02-2018 को विपक्षी सं0-1 के द्वारा सही कराया गया। दिनांक 26-03-2018 को परिवादी की मोटरसाइकिल पुन: बन्द हो गयी तब परिवादी ने उसे उठवाकर दिनांक 28-03-2018 को विपक्षी सं0-1 के वर्कशाप में जमा किया। सही होने के बाद दिनांक 30-03-2018 को पुन: मोटरसाइकिल स्टार्ट नहीं हुई, तब परिवादी दिनांक 31-03-2018 को पुन: विपक्षी सं0-1 के वर्कशाप में समय 10.22 ए0एम0 पर जमा कर गया था। तब से परिवादी की मोटरसाइकिल व मूल जाबकार्ड विपक्षी सं0-1 के वर्कशाप में जमा है, परिवादी की मोटरसाइकिल कई बार बनवाने के बाबजूद सही नहीं पा रही है। परिवादी की मोटरसाइकिल विपक्षी सं0-1 द्वारा कई बार सही कराने पर भी सही नहीं हो रही है। परिवादी ने अपनी सुविधा के लिए मोटरसाइकिल ली थी, परन्तु उसे अत्यन्त परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। उसे कई बार रास्ते में गाड़ी बन्द हो जाने के कारण मोटरसाइकिल उठवाकर ले जानी पड़ी। इस प्रकार विपक्षीगण द्वारा प्रदान की गयी सेवा दोषपूर्ण है।
विद्वान जिला आयोग ने अपने निर्णय में लिखा है कि :-
परिवादी के कथनानुसार मोटरसाइकिल की पहली सर्विस दिनांक 20-02-2018 को कराई गयी यह तथ्य विपक्षीगण को स्वीकार है। दिनांक 25-02-2018 को विपक्षी सं0-1 के द्वारा मोटरसाइकिल कम्पनी के टोल फ्री नम्ब्र 18004252077 पर शिकायत दर्ज कराए जाने पर ठीक कराई गयी लेकिन दिनांक 26-03-2018 को मोटरसाइकिल पुन: बन्द हो गयी, उठवाकर दिनांक 28-03-2018 को मोटरसाइकिल विपक्षी सं0-1 के वर्कशाप में जमा की, सही सही कराकर मोटरसाइकिल दिनांक 30-03-2018 को दी गयी, जो पुन: स्टार्ट न होने पर दिनांक 31-03-2018 को विपक्षी सं0-1 के वर्कशाप में समय 10.22 ए0एम0 पर जमा की गयी। दिनांक 31-03-2018 को मोटरसाइकिल विपक्षी सं0-1 के वर्कशाप में जमा किया जाना विपक्षी सं0-1 को भी स्वीकार है जैसा कि विपक्षी सं0-1 द्वारा दाखिल किए गए साक्ष्य शपथ पत्र गगन सलवान के पैरा-12 में उल्लेख किया गया है कि मोटरसाइकिल बिल्कुल सही दशा में वर्कशाप में खड़ी है, जिसे शिकायतकर्ता कभी भी ले जा सकता है, उसमें कोई भी कमी नहीं है।
जहॉ तक निर्माण सम्बन्धी दोष का प्रश्न है, इसको सिद्ध करने का भार परिवादी का है और इस सम्बन्ध में निम्नलिखित न्यायिक दृष्टान्त विचारणीय हैं :-
In the case of Mohd Hasan Khalid Haider Vs General Motors India Private Limited & Ors , Revision Petition Number 525/2018, judgement dated 8 June 2018 , the Hon’ble National Commission taking reference of its own earlier judgement passed in Tata Motors vs Rajesh Tyagi judgement dated 03.12.2013 (revision petition number 1030/2008) has said that some defects occured in the vehicle after some time of taking its delivery and the complainant came to know that there is water logging in the floor area and front seat which cannot be removed by the opposite party but in the case of Mohd Hasan Khalid Haider the problem in the vehicle developed after 9 to 10 months of taking its delivery and the vehicle has already run 2500 km and if it would have been manufacturing defect the vehicle could not run so much kilometres. The defect has already been repaired so the Hon’ble National Commission did not consider it as manufacturing defect.
In the case of Baljit Kaur Vs Divine Motors & Anr , III(2017)CPJ599(NC) the Hon’ble Nation Consumer Commission has said that if any manufacturing defect is alleged then the onus to prove it is on the complainant. In this case complainant had submitted the affidavits of seven or eight persons in his favour, it was held that the affidavits could not take place of the expert opinion.
In the case of Suresh Chand Jain Vs Service Engineer and Sales Supervisor, MRF Limited & Ors [I(2011)CPJ 63 (NC)] the Hon’ble Nation Consumer Commission has said that where it is alleged that there is manufacturing defect of tyres, the burden to prove it is on complainant and he cannot prove it. He could not tender any expert evidence hence he failed to prove that there was any manufacturing defect in the tyres.
The Hon’ble Nation Consumer Commission Hyundai motors India Ltd Vs , Surabhi Gupta , revision petition number 2854/2014 , judgement dated 14.08.2014 , had said that he is convinced with the argument of Hyundai motors India Ltd that if there would have been any manufacturing defect in the vehicle, it would have not run 48,689 km in three and half years. If there would have been any serious defect in the vehicle, it was not possible for the owner to run the vehicle for about 48,000 commuters. The senior officers of the company performed a test drive of the vehicle and wherever defect has been found, it has been repaired or replaced the said part. The Hon’ble National Commission has said that even after this the statement of the complainant cannot be accepted that even after it there is defect in the vehicle.
वर्तमान मामले में निर्माण सम्बन्धी दोष के लिए किसी विशेषज्ञ की आख्या भी परिवादी द्वारा प्रस्तुत नहीं की गयी है कि निर्माण सम्बन्धी दोष किस प्रकार का है और मोटरसाइकिल के किस हिस्से में है।
विद्वान जिला आयोग ने अपने निर्णय में लिखा है कि परिवादी द्वारा वाहन की पहली सर्विस दिनांक 20-02-2018 को करायी गयी, जिसमें खराब शीट लॉक को ठीक किया गया। दूसरी सर्विस दिनांक 29-09-2018 को करायी गयी और गाड़ी 40 कि0मी0 चलाकर देखी गयी तो गाड़ी बन्द नहीं हुई थी, जिससे स्पष्ट होता है कि गाड़ी में कोई निर्माण सम्बन्धी दोष नहीं है।
इस प्रकार समस्त तथ्यों को देखने से स्पष्ट होता है कि प्रश्नगत मोटरसाइकिल में निर्माण सम्बन्धी दोष नहीं है और मोटरसाइकिल की विक्रय कीमत को दिलाये जाने का आदेश विधि सम्मत नहीं है। जहॉं तक क्षतिपूर्ति 15,000/- रू0 और वाद व्यय 5,000/- रू0 दिलाये जाने के आदेश का सम्बन्ध है, उसमें किसी प्रकार के हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं है, किन्तु 67,500/- रू0 का आदेश अपास्त होने योग्य है।
तदनुसार वर्तमान अपील आंशिक रूप से स्वीकार किये जाने योग्य है।
आदेश
वर्तमान अपील आंशिक रूप से स्वीकार की जाती है। जिला उपभोक्ता आयोग, सीतापुर द्वारा परिवाद सं0-54/2018 में पारित प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक 07-08-2018 मात्र इस सीमा तक संशोधित किया जाता है कि विद्वान जिला आयोग द्वारा मोटरसाइकिल की विक्रय कीमत 67,500/- रू0 दिलाये जाने का आदेश अपास्त किया जाता है। निर्णय के शेष भाग की पुष्टि की जाती है।
अपील व्यय उभय पक्ष पर।
राज्य उपभोक्ता आयोग के निबन्धक से अपेक्षा की जाती है कि अपीलार्थी द्वारा उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम की धारा-15 के अन्तर्गत यदि कोई धनराशि जमा की गई हो तो उस धनराशि को अर्जित ब्याज सहित विधि अनुसार एक माह में सम्बन्धित जिला आयोग को प्रेषित किया जाए ताकि विद्वान जिला आयोग द्वारा उक्त धनराशि का विधि अनुसार प्रश्नगत निर्णय के अनुपालन के सन्दर्भ में निस्तारण किया जा सके।
उभय पक्ष को इस निर्णय की प्रमाणित प्रति नियमानुसार उपलब्ध करायी जाय।
वैयक्तिक सहायक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।
(विकास सक्सेना) (राजेन्द्र सिंह)
सदस्य सदस्य
निर्णय आज खुले न्यायालय में हस्ताक्षरित, दिनांकित होकर उद्घोषित किया गया।
(विकास सक्सेना) (राजेन्द्र सिंह)
सदस्य सदस्य
दिनांक : 08-01-2024.
प्रमोद कुमार,
वैय0सहा0ग्रेड-1,
कोर्ट नं.-2.