राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
पुनरीक्षण संख्या-32/2020
(मौखिक)
(जिला उपभोक्ता आयोग, जौनपुर द्वारा परिवाद संख्या 29/2020 में पारित आदेश दिनांक 20.08.2020 के विरूद्ध)
(1) Shriram Transport Finance Co.Ltd.
Having its corporate office at 101-105
First Floor, B Wing-Shiv Chambers
Sector-11, C.B.D.-Belapur,
Navi Mumbai-400614
(2) Shriram Transport Finance Co.Ltd.
Having its registered office at
Mukambika Complex-3rd floor-No-4
Lady Desika Road-Mailapur
Chennai-600004
(3) Branch Manager
Shriram Transport Finance Co.Ltd
Mugrabadshahpur-Jaunpur
...................पुनरीक्षणकर्तागण/विपक्षीगण
बनाम
Sanjay Kumar Yadav
S/o Premnath
R/o Village-Balmau Khurd-Karjankta
P.S Sarai Khawaza-Pargana-Haveli-District-Jaunpur
...................विपक्षी/परिवादी
समक्ष:-
1. माननीय न्यायमूर्ति श्री अख्तर हुसैन खान, अध्यक्ष।
2. माननीय श्री विकास सक्सेना, सदस्य।
पुनरीक्षणकर्तागण की ओर से उपस्थित : श्री यतीश गुप्ता,
विद्वान अधिवक्ता।
विपक्षी की ओर से उपस्थित : श्री एस0के0 श्रीवास्तव,
विद्वान अधिवक्ता।
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दिनांक: 09.11.2020
मा0 न्यायमूर्ति श्री अख्तर हुसैन खान, अध्यक्ष द्वारा उदघोषित
निर्णय
परिवाद संख्या-29/2020 संजय कुमार यादव बनाम श्रीराम ट्रान्सपोर्ट फाइनेन्स कम्पनी लिमिटेड आदि में जिला उपभोक्ता आयोग, जौनपुर द्वारा पारित अन्तरिम आदेश दिनांक 20.08.2020 के विरूद्ध यह पुनरीक्षण याचिका धारा-47 (1) (बी) उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 2019 के अन्तर्गत राज्य आयोग के समक्ष परिवाद के विपक्षीगण ने प्रस्तुत की है।
जिला उपभोक्ता आयोग ने आक्षेपित आदेश के द्वारा यह आदेशित किया है कि पुनरीक्षणकर्तागण, जो परिवाद में विपक्षीगण हैं, ने विपक्षी, जो परिवाद में परिवादी है, का जो वाहन अभिरक्षा में लिया है उसे परिवादी की अभिरक्षा में एक लाख की एक जमानत एवं उसी धनराशि की अण्डरटेकिंग देने पर दिया जाये।
पुनरीक्षणकर्तागण की ओर से विद्वान अधिवक्ता श्री यतीश गुप्ता और विपक्षी की ओर से विद्वान अधिवक्ता श्री एस0के0 श्रीवास्तव उपस्थित आये हैं।
हमने उभय पक्ष के विद्वान अधिवक्तागण के तर्क को सुना है और आक्षेपित आदेश तथा पत्रावली का अवलोकन किया है।
पुनरीक्षणकर्तागण, जो परिवाद में विपक्षीगण हैं, के विद्वान अधिवक्ता का तर्क है कि जिला उपभोक्ता आयोग का आक्षेपित आदेश तथ्य और विधि के विरूद्ध है। विपक्षी, जो परिवाद में परिवादी है, ने
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पुनरीक्षणकर्ता/विपक्षीगण से प्रश्नगत वाहन हेतु ऋण प्राप्त किया है और ऋण की किश्तों का भुगतान करार पत्र के अनुसार करने में चूक की है। उसने स्वयं वाहन को कम्पनी के यार्ड में लाकर पुनरीक्षणकर्ता/विपक्षीगण के सुपुर्द किया है। पुनरीक्षणकर्ता/विपक्षीगण वाहन को किश्तों का भुगतान करने पर अवमुक्त करने को तैयार हैं, परन्तु जिला उपभोक्ता आयोग ने अपने आक्षेपित आदेश में पुनरीक्षणकर्ता/विपक्षीगण के ऋण के भुगतान हेतु कोई आदेश पारित किये बिना वाहन विपक्षी, जो परिवाद में परिवादी है, की सुपुर्दगी में देने का आदेश दिया है, जो अनुचित और अवैधानिक है। अत: जिला उपभोक्ता आयोग का आक्षेपित आदेश निरस्त किये जाने योग्य है।
विपक्षी, जो परिवाद में परिवादी है, के विद्वान अधिवक्ता का तर्क है कि पुनरीक्षणकर्ता/विपक्षीगण ने वाहन अवैधानिक ढंग से निरूद्ध किया है। विपक्षी/परिवादी ऋण की धनराशि का भुगतान करने हेतु तैयार है।
विपक्षी, जो परिवाद में परिवादी है, के विद्वान अधिवक्ता का तर्क है कि जिला उपभोक्ता आयोग के आदेश को अवैधानिक और अनुचित कहा जाना उचित नहीं है। पुनरीक्षण याचिका निरस्त किये जाने योग्य है।
हमने उभय पक्ष के तर्क पर विचार किया है।
उभय पक्ष को यह स्वीकार है कि विपक्षी, जो परिवाद में परिवादी है, ने प्रश्नगत वाहन पुनरीक्षणकर्तागण, जो परिवाद में विपक्षीगण हैं, से आर्थिक सहायता प्राप्त कर क्रय किया है और प्राप्त धनराशि का भुगतान
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उसे किश्तों में करना है। पुनरीक्षणकर्ता/विपक्षीगण के अनुसार विपक्षी/परिवादी ने किश्तों के भुगतान में चूक की है और स्वयं वाहन उनके यार्ड में लाकर समर्पित किया है, जबकि विपक्षी जो परिवाद में परिवादी है का कथन है कि पुनरीक्षणकर्ता/विपक्षीगण ने वाहन अवैधानिक ढंग से कब्जे में लिया है। इसके साथ ही उल्लेखनीय है कि विपक्षी, जो परिवाद में परिवादी है, ने वाहन हेतु पुनरीक्षणकर्ता/विपक्षीगण से ली गयी ऋण धनराशि की किश्तों का अद्यतन भुगतान न तो अभिकथित किया है और न ही दर्शित किया है। अत: जिला उपभोक्ता आयोग ने विपक्षी/परिवादी द्वारा देय किश्तों के सम्बन्ध में स्थिति स्पष्ट किये बिना वाहन पुनरीक्षणकर्ता/विपक्षीगण की अभिरक्षा से विपक्षी/परिवादी को देने हेतु जो आक्षेपित आदेश पारित किया है, वह उचित नहीं है। जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा अन्तरिम आदेश पारित करते समय वाहन की अभिरक्षा विपक्षी, जो परिवाद में परिवादी है, को देने के साथ ही लम्बित किश्तों के भुगतान के सम्बन्ध में भी विचार किया जाना आवश्यक है।
उपरोक्त निष्कर्ष के आधार पर जिला उपभोक्ता आयोग का आक्षेपित आदेश विधि अनुकूल नहीं कहा जा सकता है। अत: पुनरीक्षण याचिका स्वीकार की जाती है और जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा पारित आक्षेपित आदेश अपास्त करते हुए जिला उपभोक्ता आयोग को निर्देशित किया जाता है कि जिला उपभोक्ता आयोग विपक्षी, जो परिवाद में परिवादी है, द्वारा प्रस्तुत अन्तरिम आदेश प्रार्थना पत्र पर उभय पक्ष को सुनकर इस निर्णय में ऊपर की गयी विवेचना के प्रकाश में पुन: आदेश एक माह के अन्दर पारित करे।
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उभय पक्ष जिला उपभोक्ता आयोग के समक्ष दिनांक 01.12.2020 को उपस्थित हों।
(न्यायमूर्ति अख्तर हुसैन खान) (विकास सक्सेना)
अध्यक्ष सदस्य
जितेन्द्र आशु0
कोर्ट नं0-1