Uttar Pradesh

StateCommission

A/2010/2157

H D F C Bank Ltd - Complainant(s)

Versus

Sanjay Kumar Singh - Opp.Party(s)

V Shankar ,Brijendra Chaudhary

25 Oct 2024

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/2010/2157
( Date of Filing : 27 Dec 2010 )
(Arisen out of Order Dated in Case No. of District State Commission)
 
1. H D F C Bank Ltd
a
...........Appellant(s)
Versus
1. Sanjay Kumar Singh
a
...........Respondent(s)
First Appeal No. A/2011/132
( Date of Filing : 25 Jan 2011 )
(Arisen out of Order Dated in Case No. of District State Commission)
 
1. Sanjay Kumar Singh
a
...........Appellant(s)
Versus
1. H D F C Bank
a
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR PRESIDING MEMBER
 HON'BLE MRS. SUDHA UPADHYAY MEMBER
 
PRESENT:
 
Dated : 25 Oct 2024
Final Order / Judgement

(सुरक्षित)

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।

अपील सं0 :-2157/2010

(जिला उपभोक्‍ता आयोग, कानपुर नगर द्वारा परिवाद सं0-65/2007 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 29/11/2010 के विरूद्ध)

  1. Branch Manager, H.D.F.C. Bank Ltd, Prahlad Rai Trade Centre, Ayodhya Crossing, Bank Road, Gorakhpur.
  2. Manager, H.D.F.C. Bank Ltd, Pranay Tower, 38 Darbari Lal Sharma Marg, Lucknow.
  3. Director Country Head, H.D.F.C. Bank Ltd, HDFC Bank House, Senapati Vapatt Marg Lower Parel Paschimi Mumbai-400013
  4.                                                                             Appellants

Versus  

              Sanjay Kumar Singh R/O Village-Mohammadpur, Bargadahi, P.S.-Chauri Chaura, District Gorakhpur, Director Deoria Paper Mill Ltd, Hata Road, Narainpur, District Deoria.                        

  • Respondent

तथा

अपील सं0 –132/2011

   Sanjay Kumar Singh Director Deoria Paper Mill limited R/O Village Hata Road, narainpur, District Deoria, Thana-Chauri Chaura, District Gorakhpur.                                                  

  1. Appellant   

Versus

  1. Branch Manager, H.D.F.C. Bank Ltd, Prahlad Rai Trade Centre, Ayodhya Crossing, Bank Road, Gorakhpur.
  2. Manager, H.D.F.C. Bank Ltd, Pranay Tower, 38 Darbari Lal Sharma Marg, Lucknow.
  3. Director Country Head, H.D.F.C. Bank Ltd, HDFC Bank House, Senapati Vapatt Marg Lower Parel Paschimi Mumbai-400012
  4. Rajendra nath Srivastava s/o Sri M.M. Srivastava House no. 400A, Aadarsh Nagar Peeche Durga Agro Pharma Gorakhpur.
  5.                                                                        Respondents      

समक्ष

  1. मा0 श्री सुशील कुमार, सदस्‍य
  2. मा0 श्रीमती सुधा उपाध्‍याय, सदस्‍य

उपस्थिति:

अपीलार्थी बैंक की ओर से विद्वान अधिवक्‍ता:-श्री बृजेन्‍द्र चौधरी   

प्रत्‍यर्थी/परिवादी की ओर से विद्वान अधिवक्‍ता:- श्री ए0के0 पाण्‍डेय  

दिनांक:-25.10.2024 

माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्‍य द्वारा उदघोषित

निर्णय

  1.           जिला उपभोक्‍ता आयोग, कानपुर नगर द्वारा परिवाद सं0-65/2007 संजय कुमार सिंह बनाम शाखा प्रबंधक, एच0डी0एफ0सी0 बैंक लि0 व अन्‍य में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 29/11/2010 के विरूद्ध अपील सं0 2157/2010 एच0डी0एफ0सी0 बैंक द्वारा प्रस्‍तुत की गयी है, जबकि अपील सं0 132/2011 स्‍वयं परिवादी द्वारा बढ़ोत्‍तरी हेतु प्रस्‍तुत की गयी है। चूंकि दोनों अपीलें एक ही निर्णय से प्रभावित हैं। अत: दोनों अपीलों का निस्‍तारण एक साथ किया जा रहा है।
  2.            जिला उपभोक्‍ता आयोग ने परिवाद स्‍वीकार करते हुए विपक्षी सं0 1 लगायत 3 को आदेशित किया है कि परिवादी को 7.50 लाख रूपये का भुगतान एक माह के अंदर किया जाए। शारीरिक एवं मानसिक प्रताड़ना के मद में 15,000/-रू0 तथा  परिवाद व्‍यय के रूप में अंकन 25,000/-रू0 के लिए भी आदेशित किया गया है। नियत अवधि मे भुगतान न करने पर 09 प्रतिशत प्रतिवर्ष की दर से ब्‍याज के लिए भी आदेशित किया गया है।
  3.          परिवाद के तथ्‍य संक्षेप में इस प्रकार है कि परिवादी ने चेक सं0 364522 विपक्षी बैंक में अपने खाता सं0 2842560002431 में जमा किया था, जो गायब हो गया। परिवादी को विपक्षी की ओर से दिनांक 25.01.2007 को 11:30 बजे एक एसएमएस प्राप्‍त हुआ, जिसमें सूचित किया गया था कि गायब शुदा चेक का भुगतान कीमत 7.50 लाख रू0 विपक्षी सं0 2 के लखनऊ स्थित बैंक में करा ली गयी है। विपक्षी सं0 1 ने प्रश्‍नगत चेक पर वादी के हस्‍ताक्षर का मिलान नहीं किया। यदि मिलान किया गया होता तब चेक की राशि का भुगतान नहीं होता। विपक्षी सं0 4, विपक्षी सं0 1 व 2 के कर्मचारी है और आपसी संबंधों का लाभ उठाते हुए भुगतान प्राप्‍त कर लिया गया। इस घटना की सूचना दिनांक 26.01.2007 को दी गयी, जिस पर अपराध सं0 42 सन 2007 दर्ज हुआ।
  4.        विपक्षी सं0 1 त 3 का कथन है कि परिवादी का व्‍यवसायिक प्रतिष्‍ठान है, इसलिए उपभोक्‍ता नहीं है। चेक का भुगतान परिवादी द्वारा कर लेने के पश्‍चात लिखित आवेदन दिनांक 25.01.2007 को दिया गया। विपक्षीगण की ओर से सेवा में कोई कमी नहीं की गयी। प्रश्‍नगत चेक पर परिवादी के हस्‍ताक्षर हैं, जिसका नियमानुसार मिलान करके भुगतान किया गया। बैंक का यह भी कथन है कि परिवादी ने दिनांक 23.01.2007 को चेक गायब होने के संबंध में कोई सूचना नहीं दी थी। चेक गायब होने पर दिनांक 23.01.2007 या 24.01.2007 को सूचना दी जा सकती थी।
  5.          साक्ष्‍य की व्‍याख्‍या करने के पश्‍चात जिला उपभोक्‍ता  आयोग द्वारा यह निष्‍कर्ष दिया गया कि परिवादी की स्‍वीकृत हस्‍ताक्षर एवं चेक पर मौजूद हस्‍ताक्षर की तुलना विपक्षीगण द्वारा नहीं की गयी। जिला मंच के समक्ष भी इस प्रकार की तुलना का कोई प्रयास नहीं किया गया तथा इस तथ्‍य से भी इंकार नहीं किया कि दिनांक 23.01.2007 को दूरभाष से चेक सं0 364522 गायब होने की सूचना नहीं दी गयी थी। परिवादी उपभोक्‍ता है। तदनुसार अवैध रूप से राशि निकालने के लिए विपक्षी बैंक उत्‍तरदायी है।
  6.            इस निर्णय एवं आदेश को इन आधारों पर चुनौती दी गयी है कि जिला उपभोक्‍ता आयोग ने साक्ष्‍य के विपरीत निर्णय पारित किया है। चेक के गुम होने की कोई सूचना परिवादी द्वारा नहीं दी गयी। चेक पर परिवादी के हस्‍ताक्षर हैं। उनके हस्‍ताक्षर से युक्‍त चेक का आदर किया गया है, इसलिए अपीलार्थी बैंक की ओर से सेवा में कोई कमी नहीं की गयी है। तदनुसार जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा यह पारित निर्णय/आदेश अपास्‍त होने योग्‍य है। विवादित चेक पत्रावली पर एनेक्‍जर सं0 ए(1) है, जो सेल्‍फ के लिए जारी किया गया है, जिस पर 7,50,000/-रू0 मुद्रा अंकित है, इस पर संजय कुमार सिंह के हस्‍ताक्षर मौजूद हैं।
  7.         परिवाद पत्र पर भी संजय कुमार सिंह के हस्‍ताक्षर मौजूद हैं। यद्यपि यह कोड हस्‍तलेख विशेषज्ञ के तौर पर निष्‍कर्ष नहीं दे सके, परंतु दोनों हस्‍तलेखों की तुलना नग्‍न आंखों से इस पीठ द्वारा ही की जा सकती है, विवादित चेक पर जो हस्‍ताक्षर हैं, उसी प्रकृति के हस्‍ताक्षर संजय कुमार सिंह द्वारा परिवाद पत्र के प्रत्‍येक पृष्‍ठ पर किया गया है। इस चेक के गायब होने की सूचना दिनांक 23.01.2007 को बैंक को उपलब्‍ध कराने से संबंधित कोई साक्ष्‍य पत्रावली पर मौजूद नहीं है। परिवादी ने अपने परिवाद पत्र के पैरा सं0 4 में टेलीफोन के माध्‍यम से सूचना देने का कथन किया है, परंतु टेलीफोन से मिलाये गये नम्‍बर के संबंध में टेलीफोन सुविधा प्रदाता कम्‍पनी का कोई प्रमाण पत्र प्रस्‍तुत नहीं किया गया है, जबकि यह साक्ष्‍य सुगमता से प्राप्‍त किया जा सकता था। चूंकि चेक पर दिनांक 25.01.2007 के हस्‍ताक्षर हैं, इसलिए दिनांक 25.01.2007 को भुगतान की सूचना मिलने पर कोई अतिरंजिश कार्य नहीं हुआ, इस राशि का भुगतान हुआ, इसलिए बैंक द्वारा परिवादी के मोबाइल नम्‍बर पर चेक के भुगतान का एस0एम0एस किया गया।
  8.          चूंकि चेक पर परिवादी के हस्‍ताक्षर हैं, इसलिए इन हस्‍ताक्षरों की प्रमाणिकता की तुलना कराने का भार परिवादी पर था न कि बैंक पर। जैसा कि जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा निष्‍कर्ष दिया गया है, जो विधि-विरूद्ध है। अत: अपीलार्थी बैंक के विरूद्ध लापरवाही बरतने की कोई साक्ष्‍य मौजूद नहीं है। नजीर Project Manager Unit 21 C. & D.S. U.P. Jal Nigam Versus Bank of Baroda & 4 ors I (2023) CPJ 515 (NC) में भी यही व्‍यवस्‍था दी गयी है। नजीर HDFC Bank Limited Versus Goloke Dutt I (2013) CPJ 608 (NC) के तथ्‍यों के अनसार बैंक के कर्मचारी द्वारा ही परिवादी के चेक पर फर्जी हस्‍ताक्षर कर धन निकाला गया था, इसलिए बैंक को लापरवाही के लिए उत्‍तरदायी पाया गया, साथ ही परिवादी को भी योगदायी उपेक्षा के लिए उत्‍तरदायी पाया गया, परंतु प्रस्‍तुत केस की स्थिति भिन्‍न है। प्रस्‍तुत केस में बैंक को सूचना देने का तथ्‍य स्‍थापित नहीं है तथा फर्जी हस्‍ताक्षर किये गये हैं। यह तथ्‍य भी स्‍थापित नहीं है। परिवादी की चेक बुक में से एक चेक क्‍यों और किन परिस्थितियों में गायब हुआ, यह तथ्‍य भी स्‍थापित नहीं है, जबकि सम्‍पूर्ण चेक बुक परिवादी के पास अवशेष रही। इन सभी तथ्‍यों को साबित करने का दायित्‍व परिवादी पर था। प्रथम दृ‍ष्‍टया चेक पर परिवादी के हस्‍ताक्षर प्रतीत होते हैं। यदि इस चेक पर परिवादी के हस्‍ताक्षर मौजूद नहीं था तब चेक के फर्जी एवं बनावटी होने के तथ्‍य को साबित करने का दायित्‍व परिवादी पर था, जिसे पूरा नहीं किया गया। अत: जिला उपभोक्‍ता  आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश अपास्‍त होने योग्‍य है। तदनुसारअ अपील सं0 2157/2010 स्‍वीकार होने योग्‍य है। परिवादी द्वारा प्रस्‍तुत की गयी अपील में बढ़ोत्‍तरी का आधार प्रतीत नहीं होता है। तदनुसार अपील सं0 132/2011 खारिज होने योग्‍य है।  
  9.  

           अपील सं0 2157/2010 स्‍वीकार की जाती है। जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश अपास्‍त किया जाता है।

           परिवादी द्वारा प्रस्‍तुत अपील सं0 132/2011 खारिज की जाती है। 

इस निर्णय व आदेश की मूल प्रति अपील सं0-2157/2010 में रखी जाये एवं इसकी प्रमाणित प्रतिलिपि सम्‍बंधित अपील सं0-132/2011 में रखी जाये। 

उपरोक्‍त अपीलों में उभय पक्ष अपना वाद व्‍यय स्‍वयं वहन करेंगे।

अपील सं0 2157/2010 में अपीलार्थी द्वारा यदि कोई धनराशि जमा की गई हो तो उक्‍त जमा धनराशि मय अर्जित ब्‍याज सहित अपीलार्थी को यथाशीघ्र विधि के अनुसार वापस की जाये।

अपील सं0 132/2011 में अपीलार्थी द्वारा यदि कोई धनराशि जमा की गई हो तो उक्‍त जमा धनराशि मय अर्जित ब्‍याज सहित संबंधित जिला उपभोक्‍ता आयोग को यथाशीघ्र विधि के अनुसार निस्‍तारण हेतु प्रेषित की जाये।

        आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।

 

       (सुधा उपाध्‍याय)                             (सुशील कुमार)

           सदस्‍य                                   सदस्‍य

 

 

         संदीप सिंह, आशु0 कोर्ट नं0-2

 

 

         

 
 
[HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR]
PRESIDING MEMBER
 
 
[HON'BLE MRS. SUDHA UPADHYAY]
MEMBER
 

Consumer Court Lawyer

Best Law Firm for all your Consumer Court related cases.

Bhanu Pratap

Featured Recomended
Highly recommended!
5.0 (615)

Bhanu Pratap

Featured Recomended
Highly recommended!

Experties

Consumer Court | Cheque Bounce | Civil Cases | Criminal Cases | Matrimonial Disputes

Phone Number

7982270319

Dedicated team of best lawyers for all your legal queries. Our lawyers can help you for you Consumer Court related cases at very affordable fee.