Uttar Pradesh

StateCommission

A/3003/2016

Union of India - Complainant(s)

Versus

Sanjay Agrwal - Opp.Party(s)

Dr. U.V. Singh

24 Apr 2018

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/3003/2016
( Date of Filing : 19 Dec 2016 )
(Arisen out of Order Dated in Case No. C/111/2015 of District Jhansi)
 
1. Union of India
Jhansi
...........Appellant(s)
Versus
1. Sanjay Agrwal
Jhansi
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. Udai Shanker Awasthi PRESIDING MEMBER
 HON'BLE MR. Mahesh Chand MEMBER
 
For the Appellant:
For the Respondent:
Dated : 24 Apr 2018
Final Order / Judgement

ओरल

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0 लखनऊ।

अपील संख्‍या : 3003/2016

(जिला उपभोक्‍ता फोरम, झॉसी द्वारा परिवाद संख्‍या-111/2015 में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 17-10-2016 के विरूद्ध)

Union of India, through, Senior Post Master, Head Office,Civil Lines, Jhansi.                                           ……….अपीलार्थी/विपक्षी

बनाम्

Sanjay Agarwal, S/o Late Nanak Chandra Agarwal, R/o 124, Sadar Bazar, City and District-Jhansi.

                                                   ....प्रत्‍यर्थी/परिवादी.

अपीलार्थी  की ओर से उपस्थित-     श्रीकृष्‍ण पाठक।

प्रत्‍यर्थी की ओर से उपस्थित-       श्री राज दीपक।

समक्ष  :-

  1. मा0 न्‍यायमूर्ति श्री अख्‍तर हुसैन खान,     अध्‍यक्ष।
  2. मा0 श्री महेश चन्‍द,                    सदस्‍य

दिनांक : 05-09-2018

मा0 श्री महेश चन्‍द, सदस्‍य द्वारा उद्घोषित निर्णय

परिवाद संख्‍या-111/2015 संजय अग्रवाल बनाम् यूनियन आफ इण्डिया में जिला उपभोक्‍ता फोरम, झॉंसी द्वारा पारित आक्षेपित निर्णय एवं आदेश दिनां‍क 17-10-2016 के विरूद्ध यह अपील धारा-15 उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम के अन्‍तर्गत इस आयोग के समक्ष प्रस्‍तुत की गई है।

    इस प्रकरण में विवाद के संक्षिप्‍त सुसंगत तथ्‍य इस प्रकार है कि परिवादी ने दिनांक 30-03-1998 को विपक्षी के यहॉं से एचयूएफ के अन्‍तर्गत पीपीएफ एकाउन्‍ट खुलवाया एवं उक्‍त एकाउन्‍ट के अन्‍तर्गत परिवादी प्रतिवर्ष रू0 70,000/-

 

2

की धनराशि 15 वर्ष तक जमा कर सकता था। परिवादी उपरोक्‍त धनराशि समय पर विपक्षी के यहॉं वर्ष 2014 तक जमा करता रहा। इस प्रकार दिनांक 31-03-2015 तक कुल रूपया ब्‍याज सहित रू0 15,46,089/- की धनराशि भुगतान हेतु देय थी। दिनांक 01-04-2015 को जब परिवादी द्वारा विपक्षी से भुगतान के लिए कहा गया तो रू0 15,46,089/- के स्‍थान पर मात्र रू0 14,22,345/- का भुगतान किया गया और पासबुक पर पृष्‍ठांकन किया गया कि वर्ष 2014-15 के लिए ब्‍याज रू0 1,23,744/- देय नहीं है (Not Payable)। परिवादी ने जब विपक्षी से रू0 1,23,744/- के भुगतान न किये जाने के बारे में पूछा तो विपक्षी द्वारा यह मौखिक रूप से बताया गया कि उक्‍त खाते पर दिनांक 02-04-2014 तक की जमा राशि पर भुगतान किया जाना था। इसके पश्‍चात जमा धनराशि पर ब्‍याज का कोई भी भुगतान नहीं किया जाना है। यह विपक्षी के स्‍तर पर सेवा में कमी है, जिससे क्षुब्‍ध होकर परिवादी ने परिवाद संख्‍या-111/2015 जिला उपभोक्‍ता फोरम, झॉंसी के समक्ष प्रस्‍तुत करते हुए निम्‍न अनुतोष की याचना की है :-

  1. यह कि रू0 1,23,744/- की राशि पर दिनांक 01-04-2015 से भुगतान की तिथि तक 18 प्रतिशत ब्‍याज सहित दिलाया जावे।
  2. यह कि मानसिक कष्‍ट के तहत रू0 30,000/- दिलाया जावे।
  3. यह कि परिवाद खर्चे के तहत रू0 10,000/- दिलाया जावे।
  4. यह कि अन्‍य मुआवजा जो न्‍यायालय की राय में उचित समझा जावे वह भी दिलाया जावे।

जिला फोरम ने उभयपक्ष द्वारा प्रस्‍तुत साक्ष्‍यों का परिशीलन करने तथा उनके विद्धान अधिवक्‍ताओं के तर्क को सुनने के बाद आक्षेपित निर्णय दिनांक 17-10- 2016 के द्वारा परिवादी का परिवाद स्‍वीकार करते हुए निम्‍नलिखित आदेश पारित किया है :-

’ परिवाद स्‍वीकार किया जाता है और विपक्षी को निर्देशित किया जाता है कि वह दिनांक 02-04-2014 अर्थात मेच्‍योरिटी की तारीख को जो भी धनराशि बनती है, उसका भुगतान दो माह के अंदर 12 प्रतिशत ब्‍याज सहित  अदा करें। यह ब्‍याज की धनराशि

 

 

3

वाद दाखिल करने के दिनांक से भुगतान की तिथि तक देय होगी। मानसिक कष्‍ट के लिए रू0 ,2000/- एवं वाद व्‍यय के लिए रू0 2,000/- अदा करें।’’

उपरोक्‍त आक्षेपित आदेश से क्षुब्‍ध होकर यह अपील योजित की गयी है।

अपीलार्थी की ओर से विद्धान अधिवक्‍ता श्री डा0 उदयवीर सिंह के सहायक अधिवक्‍ता श्री कृष्‍ण पाठक तथा प्रत्‍यर्थी की ओर से विद्धान अधिवक्‍ता श्री राज दीपक उपस्थित हुए।

पीठ द्वारा उभयपक्ष के विद्धान अधिवक्‍ताओं के तर्कों को सुना गया तथा आक्षेपित निर्णय और आदेश तथा पत्रावली का अवलोकन किया है।

अपीलार्थी के विद्धान अधिवक्‍ता का तर्क है कि विद्धान जिला फोरम द्वारा पारित निर्णय साक्ष्‍य और विधि के विरूद्ध है अत: अपास्‍त किये जाने योग्‍य है।

प्रत्‍यर्थी के विद्धान अधिवक्‍ता का तर्क है कि जिला फोरम द्वारा पारित निर्णय व आदेश साक्ष्‍य और विधि के अनुकूल है। अत: अपील निरस्‍त की जाए।

पीठ द्वारा उभयपक्षों के विद्धान अधिवक्‍ताओं के तर्क पर विचार किया गया।

इस प्रकरण में परिवादी की धनराशि दिनांक 31-03-2015 तक विपक्षी/अपीलार्थी के यहॉं जा रही। प्रत्‍यर्थी उक्‍त तिथि 31-03-2015  तक जमा धनराशि पर ब्‍याज पाने का अधिकारी है। वर्ष 2014-15 (दिनांक 31-03-2015 तक) की अवधि का ब्‍याज भुगतान न करना अपीलार्थी के स्‍तर पर सेवा में कमी है।

पत्रावली के अवलोकन से यह स्‍पष्‍ट है कि विद्धान जिला फोरम उभयपक्ष को विस्‍तार से सुनने के पश्‍चात विधि अनुसार आदेश पारित किया गया है जिसमें किसी हस्‍तक्षेप की आवश्‍यकता नहीं है कि विद्धान जिला फोरम द्वारा जो 12 प्रतिशत ब्‍याज दिलाया है वह अत्‍यधिक है और उसे संशोधित करते हुए 09 प्रतिशत किया जाना न्‍यायोचित प्रतीत होता है। तद्नुसार अपील आंशिक रूप से स्‍वीकार किये जाने योग्‍य है।

 

 

 

4

आदेश

अपील आंशिक रूप से स्‍वीकार की जाती है। जिला फोरम द्वारा पारित आक्षेपित निर्णय और आदेश को संशोधित करते हुए ब्‍याज का प्रतिशत 12 के स्‍थान पर 09 प्रतिशत किया जाता है। निर्णय का शेष अंश यथावत रहेगा। उभयपक्ष अपना-अपना अपीलीय व्‍यय स्‍वयं वहन करेंगे। निर्णय की प्रति पक्षकारों को नियमानुसार उपलब्‍ध करायी जाए।

 

(न्‍यायमूर्ति अख्‍तर हुसैन खान)                              (महेश चन्‍द)

          अध्‍यक्ष                                          सदस्‍य

कोर्ट नं0-1 प्रदीप मिश्रा, आशु0

 

 

 

 

 

 
 
[HON'BLE MR. Udai Shanker Awasthi]
PRESIDING MEMBER
 
[HON'BLE MR. Mahesh Chand]
MEMBER

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