(सुरक्षित)
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
अपील संख्या-1079/2017
मोटर एण्ड जनरल सेल्स लि0, रायबरेली ब्रांच, रायबरेली द्वारा ब्रांच मैनेजर एण्ड लीगल इंचार्ज आफ हेड आफिस 11, एम.जी. मार्ग, हजरतगंज, लखनऊ।
अपीलार्थी/विपक्षी सं0-2
बनाम्
1. संदीप कुमार पुत्र श्री रमेश चंद्र, निवासी ग्राम बकुलिहा, परगना सरेनी खीरी, तहसील लालगंज, जिला रायबरेली।
2. टाटा मोटर्स फाइनेन्स लिमिटेड, लोधा फस्ट थिंकटेकनो कैम्पस बिल्डिंग ए, द्वितीय तल, पोखरन रेंज, मुम्बई (महाराष्ट्र) द्वारा मैनेजर।
प्रत्यर्थीगण/परिवादी/विपक्षी सं0-1
एवं
अपील संख्या-1570/2018
टाटा मोटर्स फाइनेन्स लिमिटेड, I-थिंक टेकनो कैम्पस बिल्डिंग ए, द्वितीय तल, अपोजिट पोखरन रोड-2, थाने वेस्ट-400601, महाराष्ट्र, द्वारा मैनेजर।
अपीलार्थी/विपक्षी सं0-1
बनाम्
1. संदीप कुमार पुत्र श्री रमेश चंद्र, निवासी ग्राम बकुलिहा, परगना सरेनी खीरी, तहसील लालगंज, जिला रायबरेली।
2. मोटर एण्ड जनरल सेल्स लि0, ब्रांच रायबरेली, बरगद चौराहा, रायबरेली, द्वारा ब्रांच मैनेजर।
प्रत्यर्थीगण/परिवादी/विपक्षी सं0-2
समक्ष:-
1. माननीय श्री राजेन्द्र सिंह, सदस्य।
2. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य।
विपक्षी सं0-1 की ओर से उपस्थित : श्री राजेश चड्ढा,
विद्वान अधिवक्ता।
विपक्षी सं0-2 की ओर से उपस्थित : श्री एम.एच. खान,
विद्वान अधिवक्ता।
परिवादी की ओर से उपस्थित : श्री संजय कुमार वर्मा,
विद्वान अधिवक्ता।
दिनांक: 17.05.2023
माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य द्वारा उद्घोषित
निर्णय
1. परिवाद संख्या-36/2016, संदीप कुमार बनाम टाटा मोटर फाइनेन्स लि0 तथा एक अन्य में विद्वान जिला आयोग, रायबरेली द्वारा पारित निर्णय/आदेश दिनांक 25.10.2016 के विरूद्ध अपील संख्या-1079/2017 विपक्षी संख्या-2 द्वारा प्रस्तुत की गई है, जबकि अपील संख्या-1570/2018, विपक्षी संख्या-1 द्वारा प्रस्तुत की गई है। चूंकि दोनों अपीलें एक ही निर्णय/आदेश के विरूद्ध प्रस्तुत की गई हैं, इसलिए दोनों अपीलों का निस्तारण एक ही निर्णय/आदेश द्वारा किया जा रहा है। इस हेतु अपील संख्या-1079/2017 अग्रणी अपील होगी।
2. परिवाद पत्र के तथ्य संक्षेप में इस प्रकार हैं कि परिवादी ने विपक्षी संख्या-2 द्वारा निर्मित मैजिक सवारी वाहन विपक्षी संख्या-1 से ऋण प्राप्त करने के पश्चात क्रय किया। परिवादी द्वारा अंकन 6,40,000/-रू0 का ऋण प्राप्त किया गया था। ऋण में 04 वर्ष की बीमा शुल्क की राशि भी शामिल थी। मार्च 2013 में विपक्षी ने बताया था कि अंकन 1,38,665/-रू0 बकाया निकल रहे हैं। एक मुश्त भुगतान करने पर एनओसी दिया जा सकता है। परिवादी ने दिनांक 26.03.2013 को अंकन 1,40,000/-रू0 का भुगतान कर दिया। तब परिवादी को वाहन वापस कर दिया गया, परन्तु एनओसी नहीं दी गई, जबकि परिवादी विपक्षी के कार्यालय लखनऊ आया तब बताया गया कि अंकन 31,200/-रू0 जमा करने हैं, जो मजबूरीवश दिनांक 17.5.2013 को जमा कर दिए गए, परन्तु एनओसी नहीं दी गई और जनवरी 2016 में पुन: अंकन 1,40,000/-रू0 की मांग की गई, इसलिए परिवाद प्रस्तुत किया गया।
3. विपक्षीगण नोटिस के बावजूद अनुपस्थित रहे हैं, इसलिए एकतरफा सुनवाई करते हुए विद्वान जिला आयोग द्वारा यह निर्णय/आदेश पारित किया गया कि परिवादी को अंकन 5,05,736/-रू0 तथा इस राशि पर वाहन क्रय करने की तिथि दिनांक 30.11.2011 से अदायगी की तिथि तक 8 प्रतिशत ब्याज भी अदा करें तथा अंकन 05 हजार रूपये क्षतिपूर्ति तथा अंकन 01 हजार रूपये वाद व्यय भी अदा करें।
4. इस निर्णय/आदेश के विरूद्ध अपील संख्या-1079/2017, विपक्षी संख्या-2 द्वारा इन आधारों पर प्रस्तुत की गई है कि मुख्य रूप से विपक्षी संख्या-1, फाइनेन्सर के विरूद्ध अनुतोष की मांग की गई है। उनके द्वारा ही अंकन 6,40,000/-रू0 का ऋण दिया गया और फाइनेन्सर द्वारा ही वाहन को बलपूर्वक कब्जे में लिया गया है। परिवादी द्वारा जनवरी 2013 तक अंकन 1,84,536/-रू0 जमा करना कहा गया है, इसलिए अपीलार्थी/विपक्षी संख्या-2 के विरूद्ध परिवादी के प्रति सेवा में कमी का कोई सबूत नहीं है। अत: अवैध आदेश पारित किया गया है।
5. विपक्षी संख्या-1, द्वारा अपील संख्या-1570/2018 इन आधारों पर प्रस्तुत की गई है कि विद्वान जिला आयोग को परिवाद की सुनवाई का क्षेत्राधिकार प्राप्त नहीं है। क्रय किया गया वाहन कामर्शियल है। सभी विवादों का निस्तारण बम्बई स्थित मध्यस्थ द्वारा किया जाना चाहिए था। कभी भी शमन प्राप्त नहीं हुआ, इसलिए परिवाद का विरोध नहीं किया जा सका। मध्यस्थ द्वारा परिवादी के विरूद्ध अवार्ड पारित किया जा चुका है, इसलिए वाहन अपने कब्जे में लिया गया। परिवादी ने मध्यस्थ की कार्यवाही को छिपाते हुए परिवाद प्रस्तुत किया गया, जिस पर अवैध रूप से निर्णय/आदेश पारित किया गया है। चूंकि किश्तों का भुगतान नहीं किया गया। मध्यस्थ द्वारा अवार्ड पारित किया जा चुका है, इसलिए वाहन को कब्जे में लेने की कार्यवाही विधिसम्मत है।
6. सभी पक्षकारों के विद्वान अधिवक्तागण की बहस सुनी गई तथा प्रश्नगत निर्णय/आदेश तथा पत्रावलियों का अवलोकन किया गया।
7. परिवाद पत्र के अवलोकन से ही ज्ञात हो जाता है कि विपक्षी संख्या-2, मोटर एण्ड जनरल सेल्स लि0 यानी निर्माता कंपनी के विरूद्ध सेवा में कमी का आरोप स्वंय परिवाद पत्र में नहीं लगाया गया है। अत: निर्माता कंपनी के विरूद्ध कोई देयता निर्धारित नहीं की जा सकती। तदनुसार निर्माता कंपनी द्वारा प्रस्तुत की गई अपील संख्या-1079/2017 स्वीकार होने योग्य है।
8. अब विपक्षी संख्या-1, टाटा मोटर्स फाइनेन्स लि0 द्वारा प्रस्तुत की गई अपील पर विचार किया जाता है। विद्वान जिला आयोग ने अपने निर्णय/आदेश में स्पष्ट रूप से उल्लेख किया है कि विपक्षीगण पर शमन की तामील हुई है, परन्तु तामील होने के बावजूद विपक्षीगण उपस्थित नहीं हुए। अत: इस तर्क में कोई बल नहीं है कि अपीलार्थी/विपक्षी संख्या-1 पर शमन की तामील नहीं हुई। चूंकि परिवाद पत्र में वर्णित तथ्यों का कोई खण्डन नहीं किया गया और न ही विद्वान जिला आयोग के समक्ष कोई साक्ष्य प्रस्तुत की गई है। अत: अखण्डनीय साक्ष्य के अभाव में विद्वान जिला आयोग द्वारा उपरोक्त निर्णय/आदेश किया गया है। विद्वान जिला आयोग ने अपने निर्णय/आदेश में उन रसीदों का उल्लेख किया है, जो परिवादी को विपक्षी द्वारा प्राप्त कराई गई हैं, जिनके आधार पर यह तथ्य स्थापित माना गया कि अनुबंध में दी गई अवधि में दो वर्ष के पूर्व ही ऋण का भुगतान कर दिया गया, इसलिए एनओसी जारी करने के बजाय दिनांक 26.07.2015 को वाहन को अनाधिकृत रूप से कब्जे में ले लिया गया। चूंकि परिवादी द्वारा ऋण की राशि जमा की जा चुकी थी, इसलिए वाहन को कब्जे में लेने का कोई औचित्य नहीं था। अत: विद्वान जिला आयोग द्वारा दिया गया निर्णय/आदेश विधिसम्मत है। तदनुसार टाटा मोटर फाइनेन्स लि0 द्वारा प्रस्तुत की गई अपील संख्या-1570/2018 निरस्त होने योग्य है।
आदेश
9. मोटर एण्ड जनरल सेल्स लि0 द्वारा प्रस्तुत की गई अपील संख्या-1079/2017 स्वीकार की जाती है। विद्वान जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश दिनांक 25.10.2016 विपक्षी संख्या-2 के संदर्भ में अपास्त किया जाता है।
प्रस्तुत अपील में अपीलार्थी द्वारा यदि कोई धनराशि जमा की गई हो तो उक्त जमा धनराशि अर्जित ब्याज सहित अपीलार्थी को यथाशीघ्र विधि के अनुसार वापस की जाए।
टाटा मोटर फाइनेन्स लि0 द्वारा प्रस्तुत की गई अपील संख्या-1570/2018 निरस्त की जाती है।
प्रस्तुत अपील में अपीलार्थी द्वारा यदि कोई धनराशि जमा की गई हो तो उक्त जमा धनराशि अर्जित ब्याज सहित सम्बन्धित जिला उपभोक्ता आयोग को यथाशीघ्र विधि के अनुसार निस्तारण हेतु प्रेषित की जाए।
इस निर्णय/आदेश की मूल प्रति अपील संख्या-1079/2017 में रखी जाए एवं इसकी एक सत्य प्रति संबंधित अपील में भी रखी जाए।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।
(सुशील कुमार) (राजेन्द्र सिंह)
सदस्य सदस्य
निर्णय एवं आदेश आज खुले न्यायालय में हस्ताक्षरित, दिनांकित होकर उद्घोषित किया गया।
(सुशील कुमार) (राजेन्द्र सिंह)
सदस्य सदस्य
लक्ष्मन, आशु0,
कोर्ट-2