राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
सुरक्षित
अपील संख्या-316/2018
(जिला उपभोक्ता फोरम, जौनपुर द्वारा परिवाद संख्या-76/2017 में पारित निर्णय दिनांक 18.11.2017 के विरूद्ध)
हंस होण्डा 36 लाजपत नगर, मलदहिया वाराणसी, द्वारा मैनेजर
अजय पाण्डेय। ......अपीलार्थी@विपक्षी
बनाम
संदीप मौर्या पुत्र रामजीत मौर्या साकित मौजा सुक्खीपुर, परगना
हवेली तहसील सदर जौनपुर। ..........प्रत्यर्थी/परिवादी
समक्ष:-
1. मा0 श्री सुशील कुमार, सदस्य।
2. मा0 श्री विकास सक्सेना, सदस्य।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : श्री आदिल अहमद, विद्वान अधिवक्ता।
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित : श्री आलोक रंजन, विद्वान अधिवक्ता।
दिनांक 03.01.2023
मा0 श्री सुशील कुमार, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
1. परिवाद संख्या 76/2017 संदीप मौर्या बनाम हंस होण्डा व एक अन्य में पारित निर्णय/आदेश दि. 18.11.2017 के विरूद्ध यह अपील प्रस्तुत की गई है। जिला उपभोक्ता मंच ने परिवाद स्वीकार करते हुए विपक्षी/ अपीलार्थी को आदेशित किया है कि परिवादी द्वारा क्रय किए गए वाहन को परिवर्तित करके 2017 माडल की एक नई गाड़ी परिवादी को प्राप्त कराई जाए।
2. परिवाद के तथ्यों के अनुसार परिवादी ने अंकन 12 लाख रूपये में एक वाहन हंस होण्डा के प्रबंधक अजय पाण्डेय से क्रय किया। उनके द्वारा वाहन का माडल 2017 बताया गया, परन्तु 2014 माडल की गाड़ी दे दिया गया। मौखिक शिकायत की गई, लेकिन कोई ध्यान नहीं दिया गया। दि. 24.03.2017 को सर्विस कराने के दौरान विपक्षी के कर्मचारी की लापरवाही
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से गाड़ी का गेट तथा फूट रेस्ट क्षतिग्रस्त कर दिया गया। विधिक नोटिस का भी कोई जवाब नहीं दिया गया, इसलिए परिवाद प्रस्तुत किया गया।
3. विपक्षी जिला उपभोक्ता मंच के समक्ष तामीला के बावजूद उपस्थित नहीं हुआ, इसलिए एकतरफा सुनवाई करते हुए उपरोक्त निर्णय व आदेश पारित किया गया।
4. इस निर्णय व आदेश को इन आधारों पर चुनौती दी गई है कि जिला उपभोक्ता मंच ने अवैध और मनमाना निर्णय पारित किया है, जो अपास्त होने योग्य है। हंस होण्डा का शोरूम वाराणसी में स्थित है। जौनपुर स्थित जिला उपभोक्ता मंच को सुनवाई का क्षेत्राधिकार प्राप्त नहीं है, जो माडल बताया गया वही माडल विक्रय किया गया, कोई दूसरा माडल विक्रय नहीं किया गया।
5. दोनों पक्षकारों के विद्वान अधिवक्ताओं को सुना गया। प्रश्नगत निर्णय/आदेश व पत्रावली का अवलोकन किया गया।
6. अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता का यह तर्क है कि 2014 माडल की गाड़ी ही विक्रय की गई है, जिसका रेट दो लाख रूपये कम था। परिवादी द्वारा दो लाख रूपये कम अदा किए गए और पुराने माडल की गाड़ी प्राप्त कर ली गई है, जबकि परिवादी के विद्वान अधिवक्ता का यह तर्क है कि यथार्थ में 2017 माडल के स्थान पर 2014 माडल की गाड़ी विक्रय की गई है, गाड़ी की वारंटी 20.02.2017 से शुरू हुई है तथा अपील के ज्ञापन के साथ जो दस्तावेज प्रस्तुत किए गए हैं, उनके अवलोकन से यह जाहिर नहीं होता कि परिवादी को यह ज्ञात हो कि उसे 2014 माडल की गाड़ी विक्रय की जा रही है, इसलिए परिवादी के विद्वान अधिवक्ता के इस तर्क में बल नहीं होता कि परिवादी की जानकारी में 2014 के माडल की गाड़ी विक्रय की
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गई है। चूंकि यह तथ्य स्थापित नहीं की कि परिवादी की जानकारी में 2017 के माडल की गाड़ी विक्रय की गई और चूंकि विक्रय पत्र 2017 का है तथा वारंटी भी 20.02.17 से हुआ है, इसलिए माना जाएगा कि 2017 माडल की गाड़ी विक्रय की गई है, जबकि स्वयं इस तथ्य को अपील में स्वीकार किया गया है कि परिवादी को 2014 माडल की गाड़ी विक्रय की गई है, इसलिए अपील खारिज होने योग्य है।
आदेश
7. अपील खारिज की जाती है।
अपीलार्थी द्वारा धारा-15 के अंतर्गत जमा धनराशि अर्जित ब्याज सहित जिला उपभोक्ता आयोग को निस्तारण हेतु प्रेषित की जाए। आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस आदेश को आयोग की
वेबसाइड पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।
(विकास सक्सेना) (सुशील कुमार) सदस्य सदस्य
राकेश, पी0ए0-2
कोर्ट-2