Uttar Pradesh

StateCommission

A/237/2020

Shanti Medical Centre/ Nursing Home - Complainant(s)

Versus

Sandeep Kumar Gupta - Opp.Party(s)

Pramendra Verma

20 May 2024

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/237/2020
( Date of Filing : 19 Mar 2020 )
(Arisen out of Order Dated 12/02/2020 in Case No. C/149/2013 of District Unnao)
 
1. Shanti Medical Centre/ Nursing Home
Rajdhani marg Near TElephone Exchange Shuklaganj Unnao Through its Director
...........Appellant(s)
Versus
1. Sandeep Kumar Gupta
S/O Shiv Kumar Gupta R/O Saraye Subedar Safipur Thana Safipur Distt. Unnao
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE ASHOK KUMAR PRESIDENT
 
PRESENT:
 
Dated : 20 May 2024
Final Order / Judgement

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ

(मौखिक)

अपील संख्‍या-237/2020

शान्‍ती मेडिकल सेन्‍टर/नर्सिंग होम

बनाम

सन्‍दीप कुमार गुप्‍ता पुत्र श्री शिव कुमार गुप्‍ता व तीन अन्‍य

समक्ष:-

माननीय न्‍यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्‍यक्ष।

अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : श्री प्रमेन्‍द्र वर्मा,  

                            विद्वान अधिवक्‍ता।

प्रत्‍यर्थी सं01 की ओर से उपस्थित : श्री सतीश कुमार त्रिपाठी,  

                              विद्वान अधिवक्‍ता।

प्रत्‍यर्थी सं02,3,4 की ओर से उपस्थित : कोई नहीं।

दिनांक: 21.05.2024

माननीय न्‍यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्‍यक्ष द्वारा उदघोषित

निर्णय

प्रस्‍तुत अपील इस न्‍यायालय के सम्‍मुख जिला उपभोक्‍ता           आयोग, उन्‍नाव द्वारा परिवाद संख्‍या-149/2013 सन्‍दीप कुमार गुप्‍ता बनाम डाक्‍टर प्रतिभा सिंह चौहान व तीन अन्‍य में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 12.02.2020 के विरूद्ध योजित की गयी है। प्रस्‍तुत अपील विगत चार वर्ष से लम्बित है।

मेरे द्वारा अपीलार्थी शान्ती मेडिकल सेन्‍टर/नर्सिंग होम की ओर से उपस्थित विद्वान अधिवक्‍ता श्री प्रमेन्‍द्र वर्मा एवं प्रत्‍यर्थी संख्‍या-1/परिवादी सन्‍दीप कुमार गुप्‍ता की ओर से उपस्थित विद्वान अधिवक्‍ता श्री सतीश कुमार त्रिपाठी को सुना गया तथा प्रश्‍नगत निर्णय एवं आदेश तथा पत्रावली पर उपलब्‍ध समस्‍त प्रपत्रों का अवलोकन किया गया। प्रत्‍यर्थी संख्‍या-2 डा0 प्रतिभा सिंह चौहान, प्रत्‍यर्थी संख्‍या-3 डा0 सी0 लूथरा तथा प्रत्‍यर्थी संख्‍या-4 दि न्‍यू  इण्डिया इंश्‍योरेंस कम्‍पनी लि0 की ओर से कोई उपस्थित नहीं हुआ।

संक्षेप में वाद के तथ्‍य इस प्रकार हैं कि परिवादी  की  पत्‍नी

 

 

 

-2-

श्रीमती रोली को दिनांक 03-07-2013 को प्रसव पीड़ा शुरू होने लगी तब परिवादी अपनी पत्‍नी को लेकर सफीपुर अस्पताल गया। वहां पर कार्यरत नर्स विमला सिंह को दिखाया तब उक्त नर्स द्वारा बताया गया कि सरकारी अस्पताल सफीपुर में प्रसव कराये जाने हेतु सब सुविधायें उपलब्ध नहीं हैं तथा उसी नर्स के कहने पर परिवादी अपनी पत्‍नी को लेकर विपक्षी संख्‍या-1 डा० प्रतिभा सिंह चौहान के निवास स्थान शाहगंज, उन्नाव में दिखाया, जिनके द्वारा जांचोपरान्‍त यह बताया कि परिवादी अपनी पत्‍नी को नर्सिंग होम में भर्ती करा दे ताकि बिना किसी परेशानी के आसानी से प्रसव करा दिया जाये। विपक्षी डाक्टर प्रतिभा सिंह के कहने पर परिवादी की पत्‍नी को प्रतिभा सिंह के नर्सिंग होम में भर्ती कराया गया। लगभग एक घन्टा बाद डाक्टर प्रतिभा सिंह परिवादी की पत्‍नी को लेकर शान्ती मेडिकल सेंटर/नर्सिंग होम शुक्लागंज ले गयी और दिनांक 03.07.2013 को ही परिवादी की बिना स्वीकृति लिए पुरुष डाक्टर द्वारा आपरेशन से बच्चे का जन्म कराया गया तथा विपक्षी के अस्पताल में किसी प्रकार की इमरजेन्सी सुविधा उपलब्ध न होने के कारण परिवादी के बच्चे को जब आक्सीजन की आवश्यकता हुई तब विपक्षी के अस्पताल में आक्सीजन की सुविधा उपलब्ध न होने के कारण विपक्षी ने बच्चे को कानपुर मेडिकल सेंटर लाजपत नगर कानपुर में इलाज हेतु रिफर कर दिया।

परिवादी का कथन है कि विपक्षी के पास एम्बुलेंस की सुविधा उपलब्ध नहीं थी तब परिवादी अपने बच्चे को लेकर किसी तरह कानपुर मेडिकल सेंटर पहुँचा और भर्ती कराया वहां कानपुर मेडिकल सेंटर के डाक्टर सी० लूथरा ने जांच करके यह बताया कि विलम्ब से बच्चे को आक्सीजन दिए जाने से उसकी मृत्यु हुई है। परिवादी की पत्‍नी का आपरेशन हुआ था, जिसके कारण उसे विपक्षी के अस्पताल से दिनांक 07.07.2013 को डिस्चार्ज कराया गया। विपक्षी ने परिवादी की पत्‍नी का आपरेशन पुरुष डाक्टर द्वारा  

 

 

 

-3-

किया गया, जो सफल नहीं हुआ। परिवादी की पत्‍नी का स्वास्थ्य खराब हो गया। परिवादी का यह पहला बच्चा था, जिसकी मृत्‍यु विपक्षी की लापरवाही एवं मेडिकल सेवा में त्रुटि के कारण हुई है। बच्चे की मृत्यु के कारण परिवादी को शारीरिक, मानसिक व आर्थिक कष्ट हुआ। अत: क्षुब्‍ध होकर परिवादी द्वारा विपक्षीगण के विरूद्ध परिवाद जिला उपभोक्‍ता आयोग के सम्‍मुख प्रस्‍तुत करते हुए वांछित अनुतोष की मांग की गयी।

जिला उपभोक्‍ता आयोग के सम्‍मुख विपक्षी संख्‍या-1 डा0 प्रतिभा सिंह चौहान द्वारा लिखित कथन प्रस्‍तुत किया गया तथा मुख्‍य रूप से यह कथन किया गया कि विपक्षी संख्या-1 शान्ती मेडिकल सेंटर/नर्सिंग होम शुक्लागंज की मालिक स्वामिनी नहीं है तथा वह कभी भी उक्त नर्सिंग होम में नही जाती है। कोई दूसरी डाक्टर प्रतिभा सिंह हो सकती है, परन्तु उस अस्पताल से विपक्षी संख्‍या-1 का कोई सम्बन्ध नहीं है। विपक्षी सफीपुर अस्पताल में संविदा पर नियुक्त चिकित्सक है। परिवादी की पत्‍नी श्रीमती रोली गुप्‍ता को न तो उन्होनें देखा, न ही इलाज किया तथा न ही किसी भी प्रकार से कोई सलाह दिया। कभी नर्सिंग होम में उन्हें भर्ती नहीं कराया गया तथा दिनांक 03.07.2013 को रोली गुप्ता के प्रसव में भी नहीं थी। परिवादी संदीप कुमार गुप्ता अपने क्षेत्र के दबंग व प्रभावी व्यक्ति हैं और झूठे मामलो में फसाने की धमकी देते हैं और अवैध वसूली करते हैं। परिवाद में सलाह देने वाली नर्स विमला सिंह व अन्य को पक्षकार नहीं बनाया गया है। परिवादी ने झूठा मुकदमा प्रस्तुत किया है। अतः परिवाद सव्यय निरस्त होने योग्य है।

जिला उपभोक्‍ता आयोग के सम्‍मुख विपक्षी संख्‍या-2 आकाश गुप्‍ता मालिक शान्‍ती मेडिकल सेंटर/नर्सिंग होम द्वारा लिखित कथन प्रस्‍तुत किया गया तथा मुख्‍य रूप से यह कथन किया गया कि परिवादी के नवजात शिशु की मृत्यु कानपुर में हुई है,  जिसकी

 

 

 

-4-

सुनवाई का क्षेत्राधिकार जिला फोरम को नहीं है। परिवाद पूर्णतया मेडिकल पर आधारित है। किसी विशेषज्ञ की रिपोर्ट दाखिल नहीं की गयी है। विमला नर्स के बारे में कोई जानकारी नहीं है। डाक्टर प्रतिभा सिंह जिसे सफीपुर सरकारी अस्पताल में संविदा चिकित्सक के रूप में नियुक्त होना कहा गया है, का इस शान्ती नर्सिंग होम से कोई वास्ता सरोकार नहीं है। श्रीमती रोली गुप्ता स्वयं ही विपक्षी के शान्ती मेडिकल सेंटर आयी थी तथा वहां उपस्थित महिला डाक्टर श्रीमती अनीता गुप्ता के साथ अन्य सर्जन द्वारा आपरेशन से बच्चे का जन्म कराया गया था। बच्चे के जन्म के तत्काल बाद नवजात शिशु की स्थिति सामान्य न होने के कारण तत्काल परिवादी को बड़े मेडिकल सेंटर में ले जाने की सलाह दी गयी थी। परिवादी द्वारा स्वयं अपने नवजात शिशु को कानपुर मेडिकल सेंटर लाजपत नगर ले जाया गया और वहीं पर नवजात शिशु को भर्ती कराकर इलाज कराया गया था। कानपुर मेडिकल सेंटर में इलाज के दौरान परिवादी के नवजात शिशु की मृत्यु दिनांक 04.07.2013 को रात्रि 1.45 बजे हो गयी थी।

परिवादी की पत्‍नी श्रीमती रोली गुप्ता का सही ढंग से इलाज कराया गया तथा दिनांक 07.07.2013 को डिस्चार्ज कराकर परिवादी उन्हें वापस ले गया। पुन: दिनांक 10.07.2013 को परिवादी अपनी पत्‍नी को लेकर आया तथा छः दिन के पश्‍चात् भी परिवादी ने किसी प्रकार की कोई शिकायत विपक्षी संख्या-2 से नहीं किया। विपक्षी संख्या-2 की देखरेख में शान्ती मेडिकल सेंटर में इलाज कराता रहा। परिवादी के नवजात शिशु की स्थिति जन्म से नाजुक थी, इसी कारण तमाम प्रयासों के बावजूद शिशु को नहीं बचाया जा सका था।

जिला उपभोक्‍ता आयोग के सम्‍मुख विपक्षी संख्‍या-3 डा0 सी0 लूथरा द्वारा लिखित कथन प्रस्‍तुत किया गया तथा मुख्‍य रूप से यह कथन किया गया  कि  जब  परिवादी  का  बच्चा  विपक्षी  

 

 

 

-5-

संख्या-3 के अस्पताल कानपुर मेडिकल सेंटर में दिनांक 03.07.2013 को समय 8.50 बजे पी०एम० पर लाया गया उस समय वह मात्र तीन घन्टे का था, उस समय उसे सांस लेने में दिक्कत थी तथा साइनोसिस की समस्या थी, उसके शरीर में आक्सीजन की कमी थी। जब बच्चा कानपुर मेडिकल सेंटर लाया गया तब उसे डाक्टर चन्द्रेयी लूथरा, एम०डी० बाल रोग विशेषज्ञ द्वारा देखा गया, जिनके द्वारा यह पाया गया कि सांस लेने में दिक्कत तथा साइनोसिस के लक्षण दिखायी पड़ रहे थे। बच्चे के साथ आने वाले व्यक्ति को बता दिया गया था कि बच्चे को वेन्टीलेटर में रखना आवश्यक है, परन्तु परिवादी संदीप कुमार गुप्‍ता ने स्वयं ही वेन्टीलेटर पर रखने से मना कर दिया। कानपुर मेडिकल सेंटर द्वारा दवा आक्सीजन आदि दिए जाने के उपरान्त बच्चे की स्थित में कोई सुधार नहीं हो रहा था।

दिनांक 04.07.2013 को करीब 01 बजकर 45 मिनट पी०एम० पर बच्चे की मृत्यु हो गयी। विपक्षी संख्या-3 की किसी भी प्रकार की चिकित्सा सम्बन्धी सेवा में कमी नहीं है तथा किसी भी प्रकार की चिकित्सीय लापरवाही नहीं है। परिवादी ने स्वयं ही वेन्टीलेटर पर रखने से मना किया है। चिकित्सक द्वारा जो सुविधा उपलब्ध हो सकती थी वे सभी सुविधायें बच्चे को बचाने में प्रयोग किया गया, परन्तु बच्‍चे को नहीं बचाया जा सका। जिला आयोग, उन्नाव को इस परिवाद की सुनवाई का क्षेत्राधिकार नही है। अतः परिवाद निरस्त होने योग्य है।

जिला उपभोक्‍ता आयोग के सम्‍मुख विपक्षी संख्‍या-4 दि न्‍यू  इण्डिया एश्‍योरेंस कं0लि0 द्वारा लिखित कथन प्रस्‍तुत किया गया तथा मुख्‍य रूप से यह कथन किया गया कि परिवाद में उन्हें अनावश्यक ढंग से पक्षकार बनाया गया है। विपक्षी संख्या-3 डाक्टर चन्द्रेयी लूथरा द्वारा प्रोफेशनल इन्डेमनिटी बाण्ड इन्श्योरेंस डाक्टर के  तहत  बीमा  पालिसी  ली  गयी  थी  तथा   बीमा   अवधि               

 

 

 

-6-

दिनांक 06-01-2013 से 05-01-2014 तक थी।

बीमा पालिसी के तहत बीमा कर्ता को अविलम्ब सूचना देना आवश्यक है। यदि कोई सूचना समय से नहीं दी जाती है तब उसका उल्लंघन है। यदि चिकित्सक के विरूद्ध कोई क्लेम बनता है तो उससे बीमा कम्पनी मुक्त है। इस प्रकरण में सफीपुर अस्पताल फिर शान्ती मेडिकल सेंटर/नर्सिंग होम शुक्लागंज फिर कानपुर मेडिकल सेंटर, लाजपत नगर कानपुर में प्रसव उपरान्त जन्मे बच्चे का इलाज कराना तथा दुर्भाग्यवश उसकी मृत्यु होना दर्शित किया गया है। इन स्थलों का जोखिम आवरण उक्त बीमा पालिसी के तहत अंकित नहीं है। अत: विपक्षी संख्या-4 को अनावश्यक पक्षकार बनाया गया है।

जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा उभय पक्ष के अभिकथन एवं उपलब्‍ध साक्ष्‍यों/प्रपत्रों पर विचार करने के उपरान्‍त समस्‍त तथ्‍यों  की विस्‍तृत रूप से विवेचना करते हुए यह पाया गया कि इस प्रकरण में शान्ती मेडिकल सेंटर द्वारा डाक्‍टर प्रतिभा सिंह, जो कि इस प्रकरण में मुख्‍य चिकित्‍सक रही हैं, ऐसे चिकित्सक की सेवायें ली गयी, जिसके पास प्रसव कराने की कोई विशेषज्ञता नहीं है। उन्होनें आपरेशन करके बच्चा पैदा किया उस चिकित्सक को बच्चे की देखरेख की कोई विशेषज्ञता नहीं है। उस अस्पताल में बाल रोग विशेषज्ञ भी नहीं है। इसी कारण से नवजात बच्चे को उसी समय आक्सीजन नहीं दिया गया। अस्पताल में एम्बुलेंस जैसी कोई सुविधा भी नहीं है तथा न ही कोई सुविधा उपलब्ध करायी गयी। अत: जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा विपक्षी संख्या-1 डाक्टर प्रतिभा सिंह एवं विपक्षी संख्या-2 शान्ती मेडिकल सेंटर को संयुक्‍ततः               एवं पृथकतः चिकित्सीय लापरवाही के लिए उत्तरदायी माना              गया।

 तदनुसार जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा परिवाद निर्णीत करते हुए निम्‍न आदेश पारित किया गया:-

 

 

 

-7-

''अतः उपभोक्ता परिवाद संख्या 149 सन 2013 सन्दीप कुमार गुप्ता बनाम डा० प्रतिभा सिंह चौहान एम०डी० मुम्बई आदि एतद्वारा स्वीकार किया जाता है। विपक्षी संख्या 1 व 2 को निर्देशित                किया जाता है कि वे परिवादी को 2,00,000/-रूपये (दो लाख रूपये) की धनराशि बतौर क्षतिपूर्ति 45 दिन के अन्दर अदा करें। इसके अतिरिक्त विपक्षी संख्या-1 व 2 परिवाद प्रस्तुत करने की तिथि दिनांक 19-08-2013 से 7 प्रतिशत वार्षिक ब्याज भी अदा करें। शारीरिक, मानसिक व आर्थिक क्षति के लिए 3,500 रूपये की धनराशि (तीन हजार पांच सौ रूपये) व परिवाद व्यय के लिए 2000/- रूपये (दो हजार रूपये) की धनराशि भी विपक्षी संख्या-1 व 2 द्वारा अदा की जायेगी।''

अपीलार्थी एवं प्रत्‍यर्थी संख्‍या-1 के विद्वान अधिवक्‍ता द्वय को सुनने तथा समस्‍त तथ्‍यों एवं परिस्थितियों को दृष्टिगत रखते हुए तथा जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश का परिशीलन व परीक्षण करने के उपरान्‍त मैं इस मत का हूँ कि विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा समस्‍त तथ्‍यों का सम्‍यक अवलोकन/परिशीलन व परीक्षण करने के उपरान्‍त विधि अनुसार निर्णय एवं आदेश पारित किया गया, जिसमें हस्‍तक्षेप हेतु पर्याप्‍त  आधार नहीं हैं।

तदनुसार प्रस्‍तुत अपील निरस्‍त की जाती है।

प्रस्‍तुत अपील में अपीलार्थी द्वारा यदि कोई धनराशि जमा की गयी हो तो उक्‍त जमा धनराशि अर्जित ब्‍याज सहित सम्‍बन्धित जिला उपभोक्‍ता आयोग को यथाशीघ्र विधि के अनुसार निस्‍तारण हेतु प्रेषित की जाए।

आशुलिपि‍क से अपेक्षा की जाती है कि‍ वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर  नियमानुसार  यथाशीघ्र

 

 

 

 

-8-

अपलोड कर दें।

 

     (न्‍यायमूर्ति अशोक कुमार)

अध्‍यक्ष

जितेन्‍द्र आशु0

कोर्ट नं0-1

 

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE ASHOK KUMAR]
PRESIDENT
 

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