Rajasthan

Ajmer

CC/253/2015

DEVI SINGH - Complainant(s)

Versus

SAMSUNG MOBILE - Opp.Party(s)

ADV. DHARMA RAM

12 Apr 2016

ORDER

Heading1
Heading2
 
Complaint Case No. CC/253/2015
 
1. DEVI SINGH
AJMER
...........Complainant(s)
Versus
1. SAMSUNG MOBILE
AJMER
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
  Vinay Kumar Goswami PRESIDENT
  Naveen Kumar MEMBER
  Jyoti Dosi MEMBER
 
For the Complainant:
For the Opp. Party:
ORDER

जिला    मंच,      उपभोक्ता     संरक्षण,         अजमेर

श्री देवी सिंह पंवार  पुत्र स्व. श्री ताराचन्द पंवार, निवासी- मकान नम्बर 27, गली नंबर 1, प्रकाष नगर, फाईसागर रोड, अजमेर । 

                                                -         प्रार्थी

                            बनाम

प्रबन्धक, सेमसंग मोबाईल सर्विस सेन्टर, एफ 7, फस्र्ट फलोर, बजरंगगढ सर्किल के पास, अमर प्लाजा, अजमेर । 

                                               -          अप्रार्थी 
                 परिवाद संख्या 253/2015  

                            समक्ष
                 1. विनय कुमार गोस्वामी       अध्यक्ष
                 2. श्रीमती ज्योति डोसी       सदस्या
                 3. नवीन कुमार               सदस्य

                           उपस्थिति
                  1.श्री धर्माराम चैधरी, अधिवक्ता, प्रार्थी
                  2.श्री विजय स्वामी,  अधिवक्ता अप्रार्थी 
                             
मंच द्वारा           :ः- निर्णय:ः-      दिनांकः- 12.04.2016
 
1.           प्रार्थी ( जो  इस परिवाद में आगे चलकर उपभोक्ता कहलाएगा) ने उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम , 1986 की धारा 12 के अन्तर्गत अप्रार्थी के विरूद्व संक्षेप में इस आषय का पेष किया है कि उसके द्वारा  दिनंाक 7.10.2014 को क्रय किए गए सेमसंग मोबाईल ड्यूस 3 जी 313  में जब खराबी आ गई तो उसने ठीक करवाने के लिए अप्रार्थी के यहां दिनांक 30.5.2015 को  जरिए रसीद संख्या 4195201579 के दिया । हैण्ड सेट के ठीक होने की  अप्रार्थी  से  सूचना प्राप्त होने पर जब उसने हैण्ड सेट को चला कर देखा  तो वह  चालू नहीं हुआ । इसकी जानकरी अप्रार्थी के कर्मचारी को दी तो उसने बताया कि  मोबाईल में ऐसी खराबी है जो गारण्टी अवधि में नहीं आती और इसे  दुरूस्त करने में रू. 1000/- का  खर्चा बताया । उपभोक्ता की सहमति देने पर अप्रार्थी द्वारा हैण्ड सेट पुनः अपने पास रख लिया और दुरूस्त होने पर  इसकी सूचना उपभोक्ता को  देना बताया । उपभोक्ता ने  अप्रार्थी के यहां हैण्ड सेट प्राप्त करने के लिए कई चक्कर लगाए । किन्तु अप्रार्थी ने कोई संतोषजनक जवाब नहीं दिया । तो मजबूर होकर उसने दिनांक 1.7.2015 को  अधिवक्ता के माध्यम से नोटिस देते हुए  हैण्ड सेट ठीक करके देने अथवा उसकी एवज में  उसी माॅडल का दूसरा मोबाईल देने की मांग की । किन्तु अप्रार्थी ने नोटिस प्राप्त हो जाने के बाद भी कोई  कार्यवाही नहीं की । उपभोक्ता ने इसे अप्रार्थी का सेवा दोष बताते हुए परिवाद पेष कर उसमें वर्णित अनुतोष दिलाए जाने की प्रार्थना की है ।   परिवाद के समर्थन में उपभोक्ता ने  स्वयं का षपथपत्र पेष किया ।     
2.    अप्रार्थी ने जवाब प्रस्तुत करते हुए  कथन किया है कि उपभोक्ता ने दिनांक 30.5.2015 को प्रष्नगत मोबाईल दुरूस्ती हेतु दिया और उपभोक्ता को   प्रष्नगत जाॅबषीट  मोबाईल के रिपेयर की प्राप्ति हेतु जारी की गई थी । किन्तु  हैण्ड सेट के टेम्पर्ड होने के कारण  उसकी वारण्टी समाप्त होने की वजह से चार्जेबल बेसिस पर  उपभोक्ता को हैण्ड सेट का ऐस्टीमेट दिया गया। किन्तु उपभोक्ता ने  ऐस्टीमेट की राषि देने से मना किए जाने के कारण उपभोक्ता की काॅल केन्सिल कर दी गई । 
    े अपने जवाब परिवाद  में कथन किया है कि उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम की धारा  13(1)(सी)  के तहत  किसी तकनीकी संस्थान से प्रष्नगत हैण्ड सेट की जांच  करना आवष्यक है ।  इसी के क्रम में परिवाद में विभिन्न न्यायिक दृष्टान्तों का हवाला देते हुए  परिवाद सव्यय निरस्त किए जाने की प्रार्थना की है ।  जवाब परिवाद के समर्थन में बेनामी  अधिकृत प्रतिनिधि का षपथपत्र पेष किया है । 
3.       उपभोक्ता के विद्वान अधिवक्ता का प्रमुख रूप से तर्क रहा है कि अप्रार्थी द्वारा मोबाईल गारण्टी अवधि में होने के बावजूद भी ठीक करके नहीं दिया गया हंै ।  उपभोक्ता द्वारा अप्रार्थी  द्वारा मोबाईल ठीक करके देने के लिए उनके बताए अनुसार रू. 1000/- की सहमति देने के बावजूद भी ठीक करके  नहीं दिया गया हैं ।  जो उनकी सेवा में कमी का ज्वलंत उदाहरण है । मोबाईल ठीक करके नहीं देने पर उसे काफी परेषानियों का सामना करना पडा व  मजबूरन दूसरा मोबाईल खरीदना पडा। जिसके कारण उसे आर्थिक नुकसान हुआ हंै । अप्रार्थी का यह कृत्य दोषपूर्ण सेवा में लापरवाही  व अनुचित व्यापार व्यवहार की श्रेणी का है । अतः वह  वांछित अनुतोष प्राप्त करने का अधिकारी  है । 
4.    अप्रार्थी के विद्वान अधिवक्ता ने इन तर्को का खण्डन किया हैं ।  व उपभोक्ता का मोबाईल टेम्पर्ड स्थिति में  होने व वारण्टी अवधि समाप्त  होने के कारण उसे जो ऐस्टीमेट दिया गया था, उपभोक्ता द्वारा उक्त राषि अदा नहीं करने के कारण उसकी काॅल कैन्सिल कर देना बताया। वास्तव में वारण्टी के अभाव में अप्रार्थी उपभोक्ता से सर्विस चार्जेज प्राप्त करने का अधिकारी था । किन्तु उसके द्वारा मना कर दिए जाने के बावजूद मात्र अनुचित लाभ प्राप्त करने की चेष्टा से यह परिवाद प्रस्तुत किया गया है, जो खारिज होने योग्य है । यह भी तर्क  प्रस्तुत किया गया है  मोबाईल को किसी समुचित तकनीकी संस्थान के माध्यम से जांच करवाया जाना आवष्यक है । उत्पाद निर्माता कम्पनी को पक्षकार नहीं बनाया गया है ।  अप्रार्थी ने 2015 (1) सीपीआर पृ.सं. 518(एनसी) एस्कोर्ट टेक्टर लि. बनाम राजेन्द्र सिंह तथा  1994(3) सीपीआर पृ.सं. 395 टाटा इंजीनियरिंग एण्ड लोकोमोटिव कम्पनी लिमिटेड  के  विनिष्चय प्रस्तुत करते हुए परिवाद को खारिज होना बताया । 
5.        हमने परस्पर तर्क सुन लिए है व पत्रावली पर उपलब्ध अभिलेखों का भी  ध्यानपूर्वक अवलोकन  कर लिया है । नजीरों में प्रतिपादित सिद्वांतों का भी अवलोकन किया । 
6.        यह स्वीकृत तथ्य है कि उपभोक्ता द्वारा अप्रार्थी कम्पनी से दिनंाक 7.10.2014 को  प्रष्नगत सेमसंग मोबाईल खरीदा गया था । उपभोक्ता द्वारा दिनंाक 30.5.2015 को  अर्थात एक वर्ष की अवधि में मोबाईल ठीक करने हेतु अप्रार्थी कम्पनी के सर्विस सेन्टर को दिया गया, जैसा कि उसके द्वारा प्रस्तुत ।बादवूसमकहमउमदज व िैमतअपबम त्मुनमेज दिनंाक 30.5.2015 से स्पष्ट हैं । क्योंकि स्वयं उपभोक्ता ने अपने परिवाद के पैरा संख्या 9 में यह स्वीकारोंक्ति की है कि ’’ उपभोक्ता के मोबाईल  में खराबी ऐसी थी जो वारण्टी अवधि में नहीं आती है। तो उसके  लिए भी उपभोक्ता ने अप्रार्थी को मोबाईल ठीक करके देने के लिए उसके बताए अनुसार रू. 1000/- देने की सहमति देने के बावजूद भी अप्रार्थी ने उपभोक्ता का मोबाईल आज दिन तक ठीक करके नहीं दिया ............’’ । 
7.      अतः उपरोक्त स्वीकारोक्ति को देखते हुए अप्रार्थी के इस तर्क में वजन नजर आता है कि दिनांक 30.5.2015 को वक्त ठीक करवाने हेतु देने के  उक्त मोबाईल वारण्टी/गारण्टी अवधि में नहीं था । इस हेतु प्रस्तुत विलेख को देखने से यह भी प्रकट होता है कि अप्रार्थी द्वारा उपभोक्ता का मोबाईल सर्विस हेतु उनके द्वारा प्राप्त किया गया व इसका ऐस्टीमेट रू. 1000/- बताया गया । विलेख में अप्रार्थी  द्वारा  मोबाईल प्राप्ति स्वरूप किए गए  हस्ताक्षर व उपभोक्ता के हस्ताक्षर   इस बात को साबित करते है कि तत्समय उपभोक्ता ने अपने उक्त मोबाईल को अप्रार्थी कम्पनी के सर्विस सेन्टर में ठीक करवाने हेतु दिया ।  अब यदि कम्पनी द्वारा उपभोक्ता को ऐस्टीमेट की राषि उसके द्वारा नहीं दिए जाने पर  मोबाईल को लौटाने की बात थी, तो इसके लिए अप्रार्थी की ओर से ऐसा कोई प्रलेख  प्रस्तुत नहीं हुआ  कि जिसके द्वारा  उपभोक्ता को उक्त मोबाईल पुनः लौटा दिया गया हो । यही नहीं  उनके  द्वारा  उपभोक्ता को  किसी  प्रकार की कोई ऐसी सूचना फोन पर अथवा  लिखित में दी गई हो, ऐसी स्थिति  भी सामने नहीं आई है । ऐसी स्थिति को ध्यान में रखते हुए यदि अप्रार्थी कम्पनी ने उपभोक्ता को उसका मोबाईल बिना ठीक किए लौटाया है अथवा ठीक किए जाने के बाद ऐस्टीमेट वेल्यू रू. 1000/- की मांग की है, यह अप्रार्थी के अभिवचनों के अलावा साक्ष्य से भी सिद्व नहीं हैं।  फलतः  अप्रार्थी  द्वारा  ऐसा किया जाकर सेवा में कमी व उपभोक्ता के प्रति अनुचित व्यापार व्यवहार किया गया है, ऐसा  प्रकट रूप से सामने आया है ।  इन हालात में  समस्त तथ्यों एवं परिस्थितियों को देखते हुए अब  उपभोक्ता को मात्र मोबाईल की कीमत दिलाया जाना ही न्याय की मंषा के अनुरूप  उचित प्रतीत होता है । अतः उपभोक्ता का परिवाद आंषिक रूप से स्वीकार किए जाने योग्य है एवं आदेष है कि 
                          :ः- आदेष:ः-
8.        (1)    उपभोक्ता अप्रार्थी से  क्रय किए गए सेमसंग मोबाईल संख्या ड्यूस  3 जी 313 की विक्रय राषि प्राप्त करने का अधिकारी होगा । 
            (2)  क्रम संख्या 1 में वर्णित राषि अप्रार्थी उपभोक्ता को इस आदेष से दो माह की अवधि में अदा करें   अथवा आदेषित राषि डिमाण्ड ड््राफट से उपभोक्ता के पते पर रजिस्टर्ड डाक से भिजवावे । 
        (3)  प्रकरण की परिस्थितियों को मद्देनजर रखते हुए खर्चा पक्षकारान अपना अपना स्वयं वहन करेगें ।  
          आदेष दिनांक 17.04.2016 को  लिखाया जाकर सुनाया गया ।
               
(नवीन कुमार )        (श्रीमती ज्योति डोसी)      (विनय कुमार गोस्वामी )
      सदस्य                   सदस्या                      अध्यक्ष    
 

 
 
[ Vinay Kumar Goswami]
PRESIDENT
 
[ Naveen Kumar]
MEMBER
 
[ Jyoti Dosi]
MEMBER

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