जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, प्रथम, लखनऊ।
परिवाद संख्या:- 236/2021 उपस्थित:-श्री नीलकंठ सहाय, अध्यक्ष।
श्रीमती सोनिया सिंह, सदस्य।
श्री कुमार राघवेन्द्र सिंह, सदस्य।
परिवाद प्रस्तुत करने की तारीख:-05.01.2021
परिवाद के निर्णय की तारीख:-31.03.2023
Smt. Aparna Pandey R/o 537 Gha/84, Srinagar Colony, Sitapur Road, Lucknow-21. .............Complainant .
VERSUS
Samsung India Limited 6th Floor, DLF Centre, Sansad Marg, New Delhi-110001. .............OPPOSITE PARTY.
परिवादीगण के अधिवक्ता का नाम:-श्री डॉ0 कार्तिकेय पाण्डेय।
विपक्षीगण के अधिवक्ता का नाम:-श्री मुजीब इफेन्डी।
आदेश द्वारा-श्री नीलकंठ सहाय, अध्यक्ष।
निर्णय
1. परिवादी ने प्रस्तुत परिवाद विपक्षी से उसके बच्चों को पढ़ाने में हुए नुकसान के लिये रूपये 6,00,000.00 तथा रूपये 10,00,000.00 रूपये क्षतिपूर्ति, तथा आर्थिक, सामाजिक व मानसिक क्षतिपूर्ति व वाद व्यय हेतु रूपये 70,000.00 मय 18 प्रतिशत व्याज के साथ दिलाये जाने की प्रार्थना के साथ प्रस्तुत किया है।
2. संक्षेप में परिवाद के कथन इस प्रकार हैं कि परिवादिनी ने सैमसंग का मोबाइल फोन दिनॉंक 03 जुलाई, 2020 को 16,499.00 रूपये में क्रय किया था। उस फोन का मुख्य उद्देश्य कोविड-19 लॉकडाउन में बच्चों को पढ़ने हेतु क्रय किया था जिससे कि वह पढ़ाई कर सकें। उक्त फोन को विपक्षी द्वारा त्रुटिपूर्ण बेचा गया जिसमें हार्डवेयर में कमी थी, जिसकी सूचना ईमेल के माध्यम से विपक्षी को दी गयी तो विपक्षी द्वारा कमियों को स्वीकार किया गया।
3. दिनॉंक 16 जुलाई, 2020 को उक्त फोन को विपक्षी के यहॉं हजरतगंज में जमा किया गया। विपक्षी द्वारा पैसे की कोई भी अदायगी नहीं की गयी, जबकि उनके द्वारा टूटा हुआ फोन दिया गया था। इस परिप्रेक्ष्य में अधिवक्ता के माध्यम से नोटिस भेजी गयी। उक्त फोन में स्क्रीन में Flickering खराब थी। नोटिस के ढाई माह बाद सैमसंग ने जिस धनराशि में मोबाइल क्रय किया था, उसको वापस कर दिया। परन्तु ब्याज नहीं दिया। काफी समय तक विपक्षी के कब्जे में उक्त फोन रहा और त्रुटि होने के कारण उन्होनें धनराशि वापस किया जो कि परोक्ष रूप से सहमति और उक्त फोन को वापस करने और जमा करने के बीच में कोविड-19 के कारण विपक्षी के पास होने के कारण जिस उद्देश्य से फोन को क्रय किया गया था अर्थात बच्चों को पढ़ाने-लिखाने व अन्य जानकारी प्राप्त करने से वह प्रभावित रहा जिससे कि उनका समय बरबाद हुआ।
4. विपक्षी द्वारा उत्तर पत्र प्रस्तुत करते हुए इस तथ्य को स्वीकार किया गया मोबाइल फोन की धनराशि 16,499.00 रूपये दिनॉंक 27.11.2020 को वापस कर दी गयी थी, जो कि फुल एण्ड फाइनल सटेलमेंट था। फोन की धनराशि वापस देने के बाद कंज्यूमर प्रोटेक्शन एक्ट के तहत परिवादी उपभोक्ता की श्रेणी में नहीं आता है तथा अगर कोई भौतिक रूप से क्षतिपूर्ति पाने के लिये करता है तो उसकी वारन्टी कवर नहीं होती है। परिवादी द्वारा भौतिक डैमेज किया था इसलिए कोई भी धनराशि प्राप्त करने का अधिकारी नहीं है।
5. परिवादी ने अपने परिवाद पत्र के समर्थन में मौखिक साक्ष्य के रूप में शपथ पत्र एवं दस्तावेजी साक्ष्य के रूप में एक्नालेजमेंट, तथा नोटिस आदि दाखिल किया है। विपक्षी की ओर से मोबाइल की फोटो एवं जॉबशीट, लेटर ऑफ सटिस्फैक्शन, आदि दाखिल किये गये हैं।
6. मैने उभयपक्ष के विद्वान अधिवक्ता के तर्कों को सुना तथा पत्रावली का परिशीलन किया।
7. परिवाद पत्र में यह तथ्य स्वीकृत है कि 16,499.00 रूपये दिनॉंक 27.11.2020 को परिवादी को उक्त मोबाइल फोन की कीमत वापस कर दी गयी है। दिनॉंक 21.10.2020 को नोटिस भेजने के बाद उक्त धनराशि वापस की गयी है। परिवादी का कथन है कि फोन दिनॉंक 16 जुलाई, 2020 को जमा कर दिया गया। संलग्नक 01 के परिशीलन से भी विदित है कि फोन दिनॉंक 16 जुलाई, 2020 को जमा किया गया है। विपक्षी द्वारा दाखिल साक्ष्य से प्रतीत होता है कि फोन में त्रुटि थी। अर्थात जो भी और जितने लम्बे समय तक यानी कि 16 जुलाई 2020 से लेकर 27.11.2020 तक विपक्षी के कब्जे में था, परिवादी के कब्जे में नहीं था, और जैसे ही नोटिस भेजा गया उसके बाद पैसे का भुगतान किया गया। इसका अभिप्राय यह है कि प्रत्यक्ष रूप से कम्पनी अपनी गलती मानती है और पैसे का भुगतान कर दिया।
8. इस तथ्य का विवाद नहीं है कि कोविड-19 के वक्त चरम पर था और पढ़ाई की व्यवस्था तथा मनोरंजन की व्यवस्था सब ऑल लाइन ही चल रही था। जैसा कि परिवादी का कथानक है कि उसने बच्चों की पढ़ाई-लिखायी के लिये फोन क्रय किया था और फोन विपक्षी के यहॉं कुछ महीने कब्जे में रहा। इतने दिन तक उनकी पढ़ाई-लिखायी स्वाभाविक है कि बाधित रही होगा। अत: परिवादी के कथानक में बल है। अगर पैसा ही देना था तो नोटिस की क्या आवश्यकता थी। नोटिस आने की प्रतीक्षा क्यो की गयी। इतने समय तक फोन अपने पास रखकर धनराशि वापस करने का क्या औचित्य।
9. विपक्षी के अधिवक्ता ने कहा कि उक्त मूल धनराशि पर ब्याज भी नहीं दिया गया। चॅूंकि मूल धनराशि ही वापस की गयी तो उक्त धनराशि पर 09 प्रतिशत ब्याज भी परिवादी पाने का अधिकारी प्रतीत होता है। विपक्षी के कब्जे में मोबाइल रहने के दौरान मोबाइल का उपयोग परिवादी द्वारा नहीं किये जाने के सापेक्ष में जो उसकी पढ़ाई-लिखायी का नुकसान हुआ है, उसका भी भुगतान कराया जाना न्यायसंगत प्रतीत होता है। मेरे विचार से इस मद में फोन की धनराशि को ध्यान में रखते हुए 20,000.00 रूपये दिलाया जाना न्यायसंगत प्रतीत हो रहा है।
10. विपक्षी अधिवक्ता द्वारा तर्क प्रस्तुत किया गया कि परिवादी उपभोक्ता की श्रेणी में नहीं आता है। चॅूंकि जैसे ही फोन क्रय किया गया, धनराशि उसे वापस की गयी तो वह उपभोक्ता नहीं रह जाता है।
11. विपक्षी के अधिवक्ता द्वारा इनकार किया गया और यह कहा गया कि कोई भी यदि बकाया रहता है तो परिवादिनी उपभोक्ता की श्रेणी में आती है। मैं परिवादिनी के तर्कों से सहमत हॅूं। चॅूंकि परिवाद पत्र के परिशीलन से विदित है कि परिवादिनी द्वारा फोन क्रय की गयी धनराशि वापस प्राप्त कर चुकी हैं। इससे विपक्षी की कमियों को दर्शाता है। अत: वह मानसिक, आर्थिक क्षतिपूर्ति पाने की अधिकारी है।
12. उपरोक्त विवेचन एवं पत्रावली पर उपलब्ध साक्ष्य के परिशीलन से परिवादिनी का परिवाद आंशिक रूप से स्वीकार किये जाने योग्य है।
आदेश
परिवादिनी का परिवाद आंशिक रूप से स्वीकार किया जाता है। विपक्षी को निर्देशित किया जाता है कि परिवादिनी को हुए मानसिक, कष्ट के लिये मुबलिग 15,000.00 (पन्द्रह हजार रूपया मात्र) तथा वाद व्यय के रूप में मुबलिग 5,000.00 (पॉंच हजार रूपया मात्र) भी अदा करेंगे।
(कुमार राघवेन्द्र सिंह) (सोनिया सिंह) (नीलकंठ सहाय)
सदस्य सदस्य अध्यक्ष
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, प्रथम,
लखनऊ।
आज यह आदेश/निर्णय हस्ताक्षरित कर खुले आयोग में उदघोषित किया गया।
(कुमार राघवेन्द्र सिंह) (सोनिया सिंह) (नीलकंठ सहाय)
सदस्य सदस्य अध्यक्ष
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, प्रथम,
लखनऊ।
दिनॉंक-31.03.2023