Smt. Charu Sharma filed a consumer case on 12 Apr 2018 against Samsung India ltd. in the Muradabad-II Consumer Court. The case no is CC/83/2017 and the judgment uploaded on 01 May 2018.
Uttar Pradesh
Muradabad-II
CC/83/2017
Smt. Charu Sharma - Complainant(s)
Versus
Samsung India ltd. - Opp.Party(s)
12 Apr 2018
ORDER
न्यायालय जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम-द्वितीय, मुरादाबाद
परिवाद संख्या-83/2017
श्रीमती चारू शर्मा उम्र 35 वर्ष पत्नी श्री दीपक शर्मा एडवोकेट निवासी श्री सांई निवास कानून गोयान निकट हाथी वाला मंदिर मुरादाबाद। परिवादनी
बनाम
1-सैमसंग इंडिया इलेक्ट्रोनिक्स प्रा.लि. बी-1 सैक्टर-81 फेज-2 नोएडा जिला गोतमबुद्ध नगर द्वारा इसके अधिकृत प्राधिकारी।
2-चौधरी एन्टरप्राइजेज बाजार गंज मुरादाबाद द्वारा इसके मालिक।
3-श्री सांई ट्रेडर्स सी 8 पंडित शंकर दत्त शर्मा मार्ग सिविल लाइन्स थाना सिविल लाइन मुरादाबाद द्वारा इसके मालिक। विपक्षीगण
वाद दायरा तिथि: 25-8-2017 निर्णय तिथि: 12.04.2018
उपस्थिति
श्री पवन कुमार जैन, अध्यक्ष
श्री सत्यवीर सिंह, सदस्य
(श्री पवन कुमार जैन, अध्यक्ष द्वारा उद्घोषित)
निर्णय
इस परिवाद के माध्यम से परिवादी ने यह अनुतोष मांगा है कि विपक्षीगण से उसे परिवाद के पैरा-1 में उल्लिखित मोबाइल का मूल्य 18 प्रतिशत वार्षिक ब्याज सहित दिलाया जाये। क्षतिपूर्ति की मद में 60 हजार रूपये और वाद व्यय की मद में 10 हजार रूपये परिवादनी ने अतिरिक्त मांगे हैं।
संक्षेप में परिवाद कथन इस प्रकार हैं कि परिवादनी ने सैमसंग कंपनी का एक मोबाइल सैट विपक्षी-2 से अंकन-15,999/-रूपये में दिनांक 25-8-2016 को खरीदा था। यह मोबाइल गैलेक्सी जे-7 मॉडल का है, जिसका आईएमईआई नं.-359473072384395 है। परिवादनी के अनुसार मोबाइल सैट कुछ दिन तक सही चला किन्तु बाद में अपने आप स्विच आफ होने लगा। ऑन करने पर यह हैंग हो जाता था। परिवादनी ने विपक्षी-2 से इसकी शिकायत की किन्तु विपक्षी-2 ने इसे ठीक नहीं किया। माह जनवरी, 2017 में एक और समस्या मोबाइल में उत्पन्न हो गई। बात करते-करते स्पीकर बन्द होने के बावजूद आवाज बाहर आती रहती थी। परिवादनी ने इसकी शिकायत विपक्षी के सर्विस सेंटर विपक्षी-3 से की। उन्होंने मोबाइल सैट अपने पास रख लिया और कुछ दिन बाद वापस कर दिया। विपक्षी-3 द्वारा सैट वापस देने के कुछ दिनों तक तो मोबाइल ठीक चला किन्तु उसमें पुन: पहले वाली शिकायतें आने लगीं। विपक्षी-3 से शिकायत करने पर उनके कर्मचारी ने मोबाइल में नया साफ्टवेयर चढ़ाकर परिवादनी को दे दिया किन्तु इसके बाद भी मोबाइल ठीक से कार्य नहीं कर रहा है। परिवादनी का यह भी आरोप है कि विपक्षी-3 के कर्मचारी ने उससे अंकन-230/-रूपये चार्ज किये थे, जबकि मोबाइल वारंटी अवधि में है। परिवादनी ने उक्त कथनों के आधार पर यह कहते हुए कि विपक्षीगण ने परिवादनी को सेवा प्रदान करने में कमी की है, परिवाद में अनुरोधित अनुतोष दिलाये जाने की प्रार्थना की।
परिवाद के साथ परिवादनी ने मोबाइल खरीदने की सेल इंवायस की छायाप्रति कागज सं.-3/6 दाखिल की है।
विपक्षी-2 की ओर से प्रतिवाद पत्र कागज सं.-6/1 लगायत 6/3 दाखिल हुआ। विपक्षी-2 ने परिवादनी को प्रश्नगत मोबाइल बेचा था, वह मोबाइल का सर्विस सेंटर नहीं है। विपक्षी-2 की ओर से कहा गया कि प्रश्नगत मोबाइल विपक्षी-1 द्वारा निर्मित है, परिवादनी ने उत्तरदाता विपक्षी से कोई शिकायत नहीं की। परिवादनी को मोबाइल खरीदते समय बता दिया गया था कि मोबाइल का सर्विस सेंटर विपक्षी-3 है। विपक्षी-2 ने यह कहते हुए कि उत्तरदाता विपक्षी-2 के खिलाफ परिवादनी ने कोई भी कथन नहीं किया, जिससे प्रकट है कि विपक्षी-2 ने परिवादनी को सेवा देने में कोई कमी नहीं की है। उसकी ओर से परिवाद को सव्यय खारिज किये जाने की प्रार्थना की गई।
विपक्षी-1 व 3 की ओर से दाखिल प्रतिवाद पत्र कागज सं.-7/1 लगायत 7/7 में कहा गया कि परिवाद असत्य कथनों पर आधारित है, प्रश्नगत मोबाइल में कोई निर्माण संबंधी दोष है, इस संदर्भ में परिवादनी की ओर से कोई एक्सपर्ट की रिपोर्ट दाखिल नहीं की गई है, उत्तरदाता विपक्षी-1 मोबाइल की एक प्रतिष्ठित कंपनी है, जो अपने डीलर्स के माध्यम से मोबाइल विक्रय करती है। बेचने से पूर्व कंपनी द्वारा इसकी सघन जांच की जाती है। उत्तरदाता विपक्षीगण की ओर से अग्रेत्तर कथन किया गया कि परिवादनी ने कभी भी उत्तरदाता कंपनी अथवा उसके सर्विस सेंटर में कोई संपर्क नहीं किया और न ही कभी मोबाइल की कोई शिकायत की। तत्संबंधी परिवाद कथन असत्य हैं। परिवादनी का यह कथन भी असत्य है कि सर्विस सेंटर के कर्मचारी ने उससे 230/-रूपये चार्ज किये हों। फोरम को परिवाद की सुनवाई का क्षेत्राधिकार नहीं है, क्योंकि मोबाइल निर्माता कंपनी का कार्यालय इस फोरम के भौगोलिक क्षेत्राधिकार में नहीं है। परिवादनी यह दर्शाने में असफल रही है कि मोबाइल में किसी प्रकार की कोई तकनीकी अथवा अन्य खराबी थी। उत्तरदाता विपक्षी-1 व 3 की ओर से परिवाद को सव्यय खारिज किये जाने की प्रार्थना की गई।
परिवादनी ने अपना साक्ष्य शपथपत्र कागज सं.-8/1 लगायत 8/4 दाखिल किया।
विपक्षी-2 की ओर से श्री रविन्द्र कुमार का साक्ष्य शपथपत्र दाखिल हुआ। विपक्षी-1 व 3 की ओर से प्रार्थना पत्र कागज सं.-10 प्रस्तुत कर कथन किया गया कि उनकी ओर से दाखिल प्रतिवाद पत्र में उल्लिखित कथन को ही उनके साक्ष्य के रूप में ग्रहण कर लिया जाये।
किसी भी पक्ष ने लिखित बहस दाखिल नहीं की।
हमने पक्षकारों के विद्वान अधिवक्तागण के तर्कों को सुना और पत्रावली का अवलोकन किया।
विपक्षी-1 प्रश्नगत मोबाइल की निर्माता कंपनी है, विपक्षी-2 इसका डीलर, जिन्होंने परिवादनी को मोबाइल बेचा था तथा विपक्षी-3 मुरादाबाद स्थित मोबाइल का सर्विस सेंटर है।
परिवादनी ने अपने साक्ष्य शपथपत्र में परिवाद कथनों को प्रमाणित करते हुए कहा है कि मोबाइल खरीदने के कुछ दिन बाद ही इसमें समस्या आने लगी थी, मोबाइल अपने आप स्विच आफ होने लगा तथा ऑन करने पर हैंग हो जाता था। इसमें स्पीकर बन्द होने के बावजूद भी आवाज बाहर आती रहती थी। विपक्षी-3 से जब शिकायत की गई तो उन्होंने मोबाइल अपने पास रख लिया और कुछ समय बाद यह कहकर वापस कर दिया कि अब इसमें कोई समस्या नहीं आयेगी। परिवादनी के अनुसार जून,2017 में मोबाइल में पुन: पुरानी समस्या रिपीट होने लगी। तब जुलाई, 2017 में परिवादनी ने विपक्षी-3 को दिखाया, विपक्षी-3 ने इसमें नया साफ्टवेयर चढ़ाया, इसके बावजूद भी मोबाइल ठीक से काम नहीं कर रहा है। विपक्षी-3 की और से यद्यपि यह कहा गया है कि परिवादनी कभी भी प्रश्नगत मोबाइल की शिकायत लेकर उनके पास नहीं आयी किन्तु हम विपक्षी-3 के उक्त कथन से सहमत नहीं हैं कोई भी व्यक्ति मोबाइल अपनी सुविधा और इस्तेमाल के लिए खरीदता है। कोई भी व्यक्ति यह नहीं चाहता है कि उसका मोबाइल बार-बार रिपेयर हो, इसके बावजूद भी इसमें कोई न कोई समस्या आती रहे परन्तु जब व्यक्ति नया मोबाइल खरीदता है, उसकी इच्छा यही होती है कि वह मोबाइल ‘’नये मोबाइल’’ की तरह इस्तेमाल करे। कदाचित प्रश्नगत मोबाइल में बार-बार डिफेक्टस आना यह इंगित करता है कि मोबाइल में निर्माण संबंधी दोष है, जिसके लिए विपक्षी-1 व 3 उत्तरदायी हैं। विपक्षी-2 ने प्रश्नगत मोबाइल सील बन्द हालत में परिवादनी को बेचा था, ऐसी दशा में परिवाद में उठाये गये विवाद के संदर्भ में विपक्षी-2 का हम कोई दोष नहीं पाते।
मोबाइल दिनांक 25-8-2016 को खरीदा गया था। इसमें डिफेक्टस वारंटी अवधि के दौरान ही हो गये थे। ऐसी दशा में विपक्षी-1 व 3 की ओर से प्रस्तुत यह तर्क स्वीकार किये जाने योग्य नहीं है कि प्रश्नगत मोबाइल अब वारंटी अवधि में नहीं है।
मामले के तथ्यों एवं परिस्थितियों को देखते हुए यह न्यायोचित दिखायी देता है कि परिवादनी को परिवाद के पैरा-1 में उल्लिखित मोबाइल सैट का मूल्य अंकन-15,999/-रूपये विपक्षी-1 व 3 से दिलाया जाये। परिवाद तद्नुसार स्वीकार होने योग्य है।
विपक्षी-1 व 3 को आदेशित किया जाता है कि वे आज की तिथि से एक माह के भीतर परिवाद के पैरा-1 में उल्लिखित मोबाइल सैट का मूल्य अंकन-15,999/-रूपये परिवादनी को अदा करें। दिनांक 12-5-2018 तक इस आदेश का अनुपालन नहीं किये जाने की दशा में विपक्षी-1 व 3 से परिवादनी उक्त धनराशि पर 9 प्रतिशत वार्षिक की दर से परिवाद योजित किये जाने की तिथि से वास्तिविक वसूली की तिथि तक की अवधि हेतु ब्याज भी पाने की अधिकारणी होगी।
(सत्यवीर सिंह)(पवन कुमार जैन)
अध्यक्ष
आज यह निर्णय एवं आदेश हमारे द्वारा हस्ताक्षरित तथा दिनांकित होकर खुले न्यायालय में उद्घोषित किया गया।
(सत्यवीर सिंह)(पवन कुमार जैन)
अध्यक्ष
दिनांक: 12-04-2018
परिवाद संख्या-83/2017
निर्णय घोषित। आदेश हुआ कि विपक्षी-1 व 3 को आदेशित किया जाता है कि वे आज की तिथि से एक माह के भीतर परिवाद के पैरा-1 में उल्लिखित मोबाइल सैट का मूल्य अंकन-15,999/-रूपये परिवादनी को अदा करें। दिनांक 12-5-2018 तक इस आदेश का अनुपालन नहीं किये जाने की दशा में विपक्षी-1 व 3 से परिवादनी उक्त धनराशि पर 9 प्रतिशत वार्षिक की दर से परिवाद योजित किये जाने की तिथि से वास्तिविक वसूली की तिथि तक की अवधि हेतु ब्याज भी पाने की अधिकारणी होगी।
, अध्यक्ष,
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