Shri Bharat Porwal Advocate filed a consumer case on 07 May 2018 against Samsung India Electronics in the Muradabad-II Consumer Court. The case no is CC/54/2017 and the judgment uploaded on 15 May 2018.
Uttar Pradesh
Muradabad-II
CC/54/2017
Shri Bharat Porwal Advocate - Complainant(s)
Versus
Samsung India Electronics - Opp.Party(s)
07 May 2018
ORDER
न्यायालय जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम-द्वितीय, मुरादाबाद
परिवाद संख्या- 54/2017
भरत पोरवाल एडवोकेट उम्र 43 वर्ष पुत्र स्व. श्री विपिन चन्द्र एडवोकेट निवासी गुजराती एनक्लेव पीएमएस स्कूल के पीछे सिविल लाइन्स मुरादाबाद। …......परिवादी
बनाम
1-सैमसंग इंडिया इलेक्ट्रानिक्स प्रा.लि. बी-1 सेक्टर 81 फेज-2 नोएडा जिला गौतमबुद्ध नगर द्वारा इसके अधिकृत प्राधिकारी।
2-राधे राधे मोबाइल कम्यूनिकेशन बुद्ध बाजार निकट सम्राट होटल स्टेशन रोड मुरादाबाद द्वारा इसके मालिक।
3-श्री सांई ट्रेडर्स सी-8 पंडित शंकर दत्त शर्मा मार्ग सिविल लाइन्स थाना सिविल लाइन मुरादाबाद द्वारा इसके मालिक। ….....विपक्षीगण
वाद दायरा तिथि: 29-04-2017 निर्णय तिथि: 07.05.2018
उपस्थिति
श्री पवन कुमार जैन, अध्यक्ष
श्री सत्यवीर सिंह, सदस्य
(श्री पवन कुमार जैन, अध्यक्ष द्वारा उद्घोषित)
निर्णय
इस परिवाद के माध्यम से परिवादी ने यह अनुतोष मांगा है कि विपक्षीगण से उसे परिवाद के पैरा-1 में उल्लिखित मोबाइल का मूल्य अंकन-9750/-रूपये 12 प्रतिशत वार्षिक ब्याज सहित दिलाया जाये। क्षतिपूर्ति की मद में 60 हजार रूपये और परिवाद व्यय की मद में 10 हजार रूपये परिवादी ने अतिरिक्त मांगे हैं।
संक्षेप में परिवाद कथन इस प्रकार हैं कि परिवादी ने परिवाद के पैरा-1 में उल्लिखित एक मोबाइल विपक्षी-2 से अंकन-9750/-रूपये में दिनांक 14-7-2016 को खरीदा था। विपक्षी-2 ने इसकी रसीद परिवादी को दी। कुछ समय चलने के बाद मोबाइल में कमियां उजागर होने लगीं, मोबाइल अपने आप स्विच आफ होने लगा और ऑन करने पर अपने आप हैंग हो जाता था। परिवादी ने इसकी शिकायत विपक्षी-2 से की। विपक्षी-2 के कहे अनुसार परिवादी ने मोबाइल का संचालन किया किन्तु समस्या दूर नहीं हुई। परिवादी एक अधिवक्ता है। मोबाइल के ठीक तरह से काम न करने की वजह से उसे अपने व्यवसाय में परेशानी आ रही है। विपक्षी-3 मोबाइल का सर्विस सेंटर है। परिवादी मोबाइल लेकर दिनांक 15-4-2017 को विपक्षी-3 के पास गया और उसने मोबाइल में विद्यमान समस्या वहां बैठे कर्मचारी से बतायी, वारंटी अवधि में होने के बावजूद भी उस कर्मचारी ने परिवादी से अंकन-230/-रूपये चार्ज कर लिये, मोबाइल इसके बावजूद भी कार्य नहीं कर रहा है। दिनांक 19-4-2017 को मोबाइल लेकर परिवादी जब पुन: सर्विस सेंटर पर गया तो परिवादी से एक हजार रूपये का खर्च बताया गया। परिवादी ने यह कहते हुए कि मोबाइल वारंटी अवधि में है, इसके बावजूद भी उसे ठीक करने हेतु धनराशि की मांग किया जाना गलत है, विपक्षीगण द्वारा सेवा प्रदान करने में कमी बताते हुए परिवाद में अनुरोधित अनुतोष दिलाये जाने की प्रार्थना की।
परिवाद के साथ मोबाइल की सेल इंवायस दिनांकित 15-4-2017, जॉबशीट तथा विपक्षी-3 द्वारा परिवादी से चार्ज किये गये अंकन-230/-रूपये की रसीद की छायाप्रति को दाखिल किया गया है, ये प्रपत्र पत्रावली के कागज सं.-3/5 लगायत 3/7 हैं।
विपक्षी-1 व 3 की ओर से शपथपत्र से समर्थित प्रतिवाद पत्र कागज सं.-8/1 लगायत 8/6 प्रस्तुत किया गया, जिसमें कहा गया कि उत्तरदाता विपक्षीगण के विरूद्ध परिवादी को कोई वाद कारण उत्पन्न नहीं हुआ, फोरम को परिवाद की सुनवाई का क्षेत्राधिकार नहीं है और परिवाद में उठाया गया विवाद ‘’उपभोक्ता विवाद’’ नहीं है। अग्रेत्तर यह भी कहा गया कि स्वयं परिवाद कथनों के अनुसार प्रश्नगत मोबाइल क्रय किये जाने के बाद लगभग 9 माह तक सही चला, अतएव मोबाइल में निर्माण संबंधी दोष होना प्रकट नहीं है, यह भी कहा गया कि परिवादी ने इस संदर्भ में कि मोबाइल में निर्माण संबंधी दोष है, किसी एक्सपर्ट रिपोर्ट को दाखिल नहीं किया है। प्रतिवाद पत्र में अग्रेत्तर कहा गया है कि एक बार दिनांक 15-4-2017 को परिवादी उत्तरदाता विपक्षी-3 के यहां आया था और परिवादी की संतुष्टि के अनुरूप मोबाइल को ठीक कर दिया गया था। परिवादी से अंकन-230/-रूपये गलत चार्ज नहीं किये गये थे। दिनांक 15-4-2017 के बाद कभी भी परिवादी सर्विस सेंटर पर नहीं आये, तत्संबंधी उसका कथन असत्य है। अग्रेत्तर यह अभिकथित करते हुए कि अनुचित लाभ प्राप्त करने के उद्देश्य से परिवादी ने असत्य कथनों पर यह परिवाद योजित किया है, परिवादी को खारिज किये जाने की प्रार्थना की।
विपक्षी-2 की ओर से तामील के बावजूद कोई उपस्थित नहीं हुए और न कोई प्रतिवाद पत्र दाखिल हुआ। अतएव फोरम के आदेश दिनांक 01-09-2017 के अनुपालन में परिवाद की सुनवाई विपक्षी-2 के विरूद्ध एकपक्षीय की गई।
परिवादी ने अपना साक्ष्य शपथपत्र कागज सं.-10/1 लगायत 10/3 दाखिल किया, इसके साथ उसने बतौर संल्गनक मोबाइल की सेल इंवायस, दिनांक 15-4-2017 के जॉबकार्ड और विपक्षी-3 द्वारा वसूल किये गये अंकन-230/-रूपये की रसीद दिनांकित 15-4-2017 की छायाप्रतियों को दाखिल किया गया, ये प्रपत्र पत्रावली के कागज सं.-10/3 लगायत 10/6 हैं।
विपक्षी-1 व 3 की ओर से पृथक से कोई साक्ष्य दाखिल नहीं किया गया। प्रार्थना पत्र कागज सं.-13 के माध्यम से उन्होंने अपने प्रतिवाद पत्र को ही बतौर साक्ष्य अंगीकृत किया।
हमने परिवादी तथा विपक्षी-1 व 3 के विद्वान अधिवक्तागण के तर्कों को सुना और पत्रावली का अवलोकन किया।
विपक्षी-2 की ओर से कोई उपस्थित नहीं हुआ।
इस बिन्दु पर कोई विवाद नहीं है कि परिवाद के पैरा-1 में उल्लिखित मोबाइल परिवादी ने दिनांक 14-7-2016 को खरीदा था। परिवादी के अनुसार परिवाद पत्र में उल्लिखित समस्याओं की वजह से परिवादी मोबाइल लेकर दिनांक 15-4-2017 को सर्विस सेंटर विपक्षी-3 के पास गया था, जहां पर उससे गलत तरीके से 230/-रूपये चार्ज किये गये, जबकि मोबाइल वारंटी अवधि में था। परिवादी के विद्वान अधिवक्ता का यह भी कथन है कि जब मोबाइल ठीक नहीं हुआ तो दिनांक 19-4-2017 को परिवादी पुन: इसे लेकर सर्विस सेंटर पर गया था। विपक्षी-1 व 3 का यह कथन असत्य है कि दिनांक 09-4-2017 को परिवादी मोबाइल लेकर विपक्षी-3 के पास नहीं गया। विपक्षी-1 व 3 के विद्वान अधिवक्ता का कथन है कि मोबाइल में कोई निर्माण संबंधी दोष नहीं है और परिवाद असत्य कथनों पर आधारित है, हम इस तर्क से सहमत नहीं हैं। विपक्षी-3 द्वारा परिवादी को दी गई जॉबशीट दिनांकित 15-4-2017 के अवलोकन से प्रकट है कि मोबाइल में आटो आफ होने की भी समस्या थी। मोबाइल को खरीदे हुए इस समय लगभग 9 माह हुऐ थे, विपक्षी-1 व 3 की ओर से दिया गया यह तर्क स्वीकार किये जाने योग्य नहीं है कि जब मोबाइल लगभग 9 माह तक ठीक चला तो उसमें 9 माह बाद यदि कोई समस्या आ गई है तो वह निर्माण संबंधी दोष नहीं कहा जा सकता है। कोई भी व्यक्ति यदि नया मोबाइल खरीदता है तो वह मोबाइल रिपेयर कराता रहे, यह उससे अपेक्षा किया जाना हमारे विनम्र अभिमत में उचित नहीं कहा जा सकता है। यदि किसी व्यक्ति को रिपेयर्ड मोबाइल रखना है तो उसे नया मोबाइल खरीदने की क्या आवश्यकता है, इसका कोई लॉजिक दिखायी नहीं देता। ‘’ऑटो ऑफ’’ की समस्या मोबाइल में उत्पन्न हो जाना कदाचित मोबाइल में निर्माण संबंधी दोष ही कहा जाना सर्वथा उपयुक्त दिखायी देता है। परिवादी को इस बात के लिए बाध्य किया जाना उचित दिखायी नहीं देता है कि वह मोबाइल को बार-बार रिपेयर कराता रहे और रिपेयर्ड मोबाइल का उपयोग करता रहे। हमारे मत में प्रश्नगत मोबाइल के बदले परिवादी को मोबाइल का मूल्य 9 प्रतिशत वार्षिक ब्याज सहित विपक्षी-1 व 3 से दिलाया जाना न्यायोचित दिखायी देता है, तद्नुसार परिवाद स्वीकार होने योग्य है।
परिवाद योजित किये जाने की तिथि से वास्तविक वसूली की तिथि तक की अवधि हेतु 9 प्रतिशत वार्षिक ब्याज सहित अंकन-9750/-रूपये की वसूली हेतु यह परिवाद विपक्षी-1 व 3 के विरूद्ध स्वीकार किया जाता है। इसके अतिरिक्त इन विपक्षीगण से परिवाद व्यय की मद में परिवादी अंकन-2500/-रूपये भी पाने का अधिकारी होगा। इस आदेशानुसार धनराशि प्राप्त करने से पूर्व परिवाद के पैरा-1 में उल्लिखित मोबाइल परिवादी को विपक्षी-1 व 3 को वापस करना होगा।
(सत्यवीर सिंह)(पवन कुमार जैन)
अध्यक्ष
आज यह निर्णय एवं आदेश हमारे द्वारा हस्ताक्षरित तथा दिनांकित होकर खुले न्यायालय में उद्घोषित किया गया।
(सत्यवीर सिंह)(पवन कुमार जैन)
अध्यक्ष
दिनांक: 07-05-2018
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