Rajasthan

Jaipur-IV

CC/180/2013

Naresh Chandra Goel - Complainant(s)

Versus

Samsung A.C. Co & Others - Opp.Party(s)

Narendra Sharma & Other

12 Feb 2015

ORDER

          जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच, जयपुर चतुर्थ, जयपुर

                      पीठासीन अधिकारी
      डाॅ. चन्द्रिका प्रसाद शर्मा, अध्यक्ष
                         डाॅ. अलका शर्मा, सदस्या
श्री अनिल रूंगटा, सदस्य

परिवाद संख्या:-180/2013 (पुराना परिवाद संख्या 1177/2011)

श्री नरेश चन्द्र गोयल पुत्र श्री जगन प्रसाद गोयल, जाति अग्रवाल, निवासी- 76, सुल्तान नगर, गुर्जर की थड़ी, जयपुर । 
परिवादी
बनाम
01. सैमसंग ए.सी. कम्पनी जरिये मैनेजर, 42, भगत वाटिका, सिविल लाईन्स, सोड़ाला, जयपुर ।
02. गणेशम इलेक्ट्रोटेक जरिये मैनेजर सुपर मार्केट प्रा.लि., तीसरी मंजिल, गौरव टावर, मालवीय  नगर, जयपुर । 
विपक्षी

उपस्थित
परिवादी की ओर से श्री पवन गुप्ता, एडवोकेट
विपक्षी संख्या 1 की ओर से श्री विनोद शर्मा, एडवोकेट
विपक्षी संख्या 2 के विरूद्ध एकतरफा कार्यवाही

        निर्णय
दिनांकः- 12.02.2015

यह परिवाद, परिवादी द्वारा विपक्षीगण के विरूद्ध दिनंाक 14.07.2011 को निम्न तथ्यों के आधार पर प्रस्तुत किया गया हैः-
परिवादी ने विपक्षी संख्या 1 द्वारा निर्मित एक ए.सी. विपक्षी संख्या 2 से 23,200/-रूपये में दिनांक 15.03.2010 को जरिये बिल क्रय किया था । उक्त ए.सी. का प्देजंससंजपवद कम्पनी के कर्मचारी श्री इमरान द्वारा दिनंाक 26.06.2010 को किया गया और इसके सामान के अलग से 1,770/-रूपये वसूल किये । लेकिन यह ए.सी. आरम्भ से ही त्रुटिपूर्ण रहा हैं । इसका स्टेपलाईजर डिफेक्टिव था । जिसके संबंध में परिवादी ने दिनंाक 29.10.2010 को कम्पनी टोल फ्री नम्बर शिकायत दर्ज करवाई । लेकिन विपक्षीगण ने संतोषजनक जवाब देकर कोई कार्यवाही नहीं की । इसके बाद मार्च,2011 के प्रथम सप्ताह में परिवादी ने विपक्षी संख्या 2 के टेलीफोन नम्बर पर षिकायत दर्ज करवाई । जिसका विपक्षी संख्या 2 ने कोई जवाब नहीं दिया । अंत में परिवादी ने कम्पनी के टोल फ्री नम्बर पर दिनांक 30.04.2011 को षिकायत दर्ज करवाई तो कम्पनी का कर्मचारी श्री अशोक वर्मा आया और उसने बताया कि ए.सी. की फिटिंग गलत होने के कारण इसकी गैस लीक हो रही है और गैस आरम्भ करने में 1500/-रूपये गैस के तथा 1000/-रूपये सर्विस चार्ज अर्थात् कुल 2,500/-रूपये वसूल करना बताया । जबकि ए.सी. में यह खराबी गारण्टी अवधि में आई थी । इस संबंध में परिवादी ने विपक्षीगण को दिनांक 04.05.2011 को कानूनी नोटिस दिया । जिस पर भी विपक्षीगण द्वारा कोई कार्यवाही नहीं की गई ।
इस प्रकार विपक्षीगण ने परिवादी को त्रुटिपूर्ण ए.सी. विक्रय करके सेवादोष कारित किया है और इस सेवादोष के आधार पर परिवादी अब विपक्षीगण से परिवाद के मद संख्या 11 में अंकित सभी अनुतोष प्राप्त करने का अधिकारी हैं ।
विपक्षी संख्या 1 की ओर से दिये गये जवाब में कथन किया गया है कि परिवादी ने विवादित ए.सी. के संबंध में प्रथम शिकायत दिनांक 30.04.2011 को दर्ज करवाई थी । इसलिए ए.सी. की वारण्टी अवधि, जो एक वर्ष थी, जो निकल चुकी थी। इस कारण विपक्षी संख्या 1 का कोई सेवादोष नहीं हैं । अतः परिवाद, परिवादी निरस्त किया जावें ।
विपक्षी संख्या 2 के विरूद्ध दिनांक 16.12.2011 को एकतरफा कार्यवाही अमल में लाने के आदेष दिये गये ।
परिवाद के तथ्यों की पुष्टि में परिवादी श्री नरेश चन्द्र गोयल ने स्वयं का शपथ पत्र एवं कुल 10 पृष्ठ दस्तावेज प्रस्तुत किये । जबकि जवाब के तथ्यों की पुष्टि में विपक्षी संख्या 1 की ओर से श्री अजय जैन का शपथ पत्र प्रस्तुत किया गया । 
बहस अंतिम सुनी गई एवं पत्रावली का आद्योपान्त अध्ययन किया गया ।
परिवादी की ओर से न्याय सिद्धान्त माननीय राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, राजस्थान, जयपुर, प्रथम अपील संख्या 954/2013, बाबूलाल कुम्हार बनाम फोर्स मोटर्स लिमिटेड, निर्णय दिनांक 01.12.2014 प्रस्तुत किया गया ।
प्रस्तुत प्रकरण में परिवादी ने विवादित ए.सी. दिनांक 15.03.2010 को विपक्षी संख्या 2 से 23,200/-रूपये में क्रय किया था । यह ए.सी. विपक्षी संख्या 1 द्वारा निर्मित था । इस ए.सी. को परिवादी के यहां पर दिनंाक 26.06.2010 को विपक्षी संख्या 1 के कर्मचारी श्री इमरान ने प्देजंसस किया था । प्देजंससंजपवद के लिए जो डंजमतपंस लगा था उसके लिए कम्पनी के कर्मचारी ने परिवादी से 1770/-रूपये वसूल किये     थे । यह तथ्य परिवादी द्वारा प्रस्तुत तत्संबंधी रसीद से स्पष्ट हैं । इसके बाद प्दअवपबम दिनांकित 15.03.2010 की पुष्त पर अंकित इन्द्राज के अनुसार ए.सी. के सही काम नहीं करने के विषय में प्रथम शिकायत दिनांक 29.10.2010 को कम्पनी के टोल फ्री नम्बर पर की गई और दूसरी शिकायत दिनांक 30.04.2011 को की गई । इस प्रकार जो प्रथम षिकायत विवादित ए.सी. के विषय में की गई वह दिनांक 15.03.2010 को ए.सी. क्रय करने के बाद दिनांक 29.10.2010 को यानि कि ए.सी. क्रय करने के करीब सात माह की अवधि में कर दी गई हैं । जबकि इस ए.सी. का वारण्टी पीरियड एक वर्ष था । यह तथ्य उभयपक्ष के मध्य एक स्वीकृत तथ्य हैं । इसलिए विपक्षी संख्या 1 का यह कथन कि विवादित ए.सी. के संबंध में परिवादी द्वारा प्रथम षिकायत दिनांक 30.04.2011 को की गई थी, माने जाने योग्य नहीं हैं क्योंकि उक्त प्दअवपबम पर दोनों तारीखों की षिकायतों का पृष्ठाकंन हैं । और इसके खण्डन में विपक्षीगण की ओर से उनके कार्यालय में संघारित किये जाने वाले अभिलेख की कोई प्रति आदि प्रस्तुत नहीं की गई हैं । इसलिए हमारे विनम्र मत में विवादित ए.सी. के सही रूप से कार्य नहीं करने पाने के विषय को लेकर परिवादी द्वारा उसके क्रय किये जाने के करीब सात माह बाद ही विपक्षीगण के यहां षिकायत दर्ज करवा दी गई थी । लेकिन विपक्षीगण के स्तर पर इस षिकायत किया गया हो, यह स्पष्ट नहीं हैं ।
इस प्रकार दिनंाक 29.10.2010 की शिकायत का निराकरण नहीं करने के बाद जब गर्मी का मौसम आया तो परिवादी ने पुनः दिनंाक 30.04.2011 को कम्पनी के टोल फ्री नम्बर पर षिकायत दर्ज करवाई । जिस पर विपक्षीगण ने कोई कार्यवाही नहीं की तो परिवादी को करणी रेफ्रिजरेषन नामक संस्था से ए.सी. की गैस लीकेज के विषय में सेवाऐं लेनी पड़ी । जिसके लिए परिवादी को 2100/-रूपये खर्च करने पड़ें । जबकि ये समस्त सेवाऐं ए.सी. में खराबी वारण्टी अवधि में आने के कारण विपक्षीगण को ही उपलब्ध करवानी थी ।
परिवादी की ओर से जो न्याय सिद्धान्त प्रस्तुत किया गया है उसके तथ्य प्रस्तुत प्रकरण से सुसंगता नहीं रखते हैं । इसलिए उसके पृथक से विवेचन के आवश्यकता नहीं हैं ।
अतः उपरोक्त समस्त विवेचन के आधार पर विपक्षीगण ने परिवादी को विवादित ए.सी. खरीदने के बाद एक साल की वारण्टी अवधि मंें युक्तियुक्त सेवाऐं प्रदान नहीं करके और ए.सी. समय पर ठीक नहीं करके सेवादोष कारित किया हैं । और इस सेवादोष के आधार पर परिवादी विपक्षीगण से ए.सी. की गैस लीकेज ठीक कराने में व्यय हुई राषि 2,100/-रूपये प्रस्तुत बिल के अनुसार प्राप्त करने का अधिकारी हैं । परिवादी को विपक्षीगण के इस सेवादोष से हुए आर्थिक, मानसिक एवं शारीरिक संताप की क्षतिपूर्ति के रूप में 3,500/-रूपये तथा परिवाद व्यय के रूप में 2,500/-रूपये पृथक से दिलवाये जाने के आदेष दिये जाते हैं ।

आदेश
 अतः उपरोक्त समस्त विवेचन के आधार पर परिवाद, परिवादी स्वीकार किया जाकर आदेष दिया जाता है कि परिवादी विपक्षीगण से विवादित ए.सी. की गैस लीकेज ठीक कराने में व्यय हुई राषि 2,100/-रूपये प्रस्तुत बिल के अनुसार प्राप्त करने का अधिकारी हैं । परिवादी को विपक्षीगण के उपरोक्त सेवादोष से हुए आर्थिक, मानसिक एवं शारीरिक संताप की क्षतिपूर्ति के रूप में 3,500/-रूपये तथा परिवाद व्यय के रूप में 2,500/-रूपये पृथक से दिलवाये जाने के आदेश दिये जाते हैं ।
विपक्षीगण को आदेश दिया जाता है कि वे उक्त समस्त राशि परिवादी के रिहायशी पते पर जरिये डी.डी./रेखांकित चैक इस आदेश के एक माह की अवधि में उपलब्ध करायेंगे ।

अनिल रूंगटा              डाॅं0 अलका शर्मा            डाॅ0 चन्द्रिका प्रसाद शर्मा 
  सदस्य             सदस्या              अध्यक्ष

निर्णय आज दिनांक 12.02.2015 को पृथक से लिखाया जाकर खुले मंच में हस्ताक्षरित कर सुनाया गया ।

अनिल रूंगटा              डाॅं0 अलका शर्मा            डाॅ0 चन्द्रिका प्रसाद शर्मा 
  सदस्य             सदस्या              अध्यक्ष

 

 

Consumer Court Lawyer

Best Law Firm for all your Consumer Court related cases.

Bhanu Pratap

Featured Recomended
Highly recommended!
5.0 (615)

Bhanu Pratap

Featured Recomended
Highly recommended!

Experties

Consumer Court | Cheque Bounce | Civil Cases | Criminal Cases | Matrimonial Disputes

Phone Number

7982270319

Dedicated team of best lawyers for all your legal queries. Our lawyers can help you for you Consumer Court related cases at very affordable fee.