जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोषण फोरम, जशपुर (छ0ग0)
प्रकरण क्रमांक :-CC/14/2016
प्रस्तुति दिनांक :- 01/02/2016
अजय सिंह
पिता श्री लाल मोहन सिंह उम्र 28 वर्ष
जति रौतिया, निवासी ग्राम जामटोली
पो. इचकेला, तह. जशपुर
जिला-जशपुर (छ.ग.) ......... .........परिवादी/आवेदक
( विरूद्ध )
सम्पदा अधिकारी
छ.ग. गृह निर्माण मंडल
सम्पदा प्रबंधक प्रक्षेत्र अम्बिकापुर छ.ग. .........विरोधी पक्षकार/अनावेदक
///आदेश///
(आज दिनांक 21/10/2016 को पारित)
1. परिवादी/आवेदक ने उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 की धारा 12 के अंतर्गत यह परिवाद विरूद्ध पक्षकार/अनावेदक के विरूद्ध सेवा में कमी करने के आधार पर घर को पूर्व निर्धारित मूल्य 3,90,000/-रू. में दिलाए जाने हेतु दिनांक 01.02.2016 को प्रस्तुत किया है।
2. स्वीकृत तथ्य है कि :-
1. अटल विहार योजना अंतर्गत अनावेदक छ.ग.गृह निर्माण मंडल से परिवादी ने भवन/फ्लेट का आबंटन हेतु आवेदन किया था।
2. परिवादी ने उक्त हेतु दिनांक 21.03.2014 को 58,500/-रू. जमा किया था।
3.परिवाद के निराकरण के लिए आवश्यक तथ्य संक्षेप में इस प्रकार है कि परिवादी/आवेदक ने अटल विहार योजना के तहत 2014 में घर को 58,500/-रू. का डी.डी. जमा कर पंजीयन कराया था। उस समय घर की लागत 3,90,000/-रू. थी, किंतु दिनांक 01.01.2016 की स्थिति में घर की कीमत 4,10,000/-रू. किया गया है, जो कि 20,000/-रू. अधिक है। अतः परिवादी/आवेदक ने यह परिवाद प्रस्तुत कर अनावेदक से उक्त घर को पूर्व निर्धारित मूल्य 3,90,000/-रू. में दिलाए जाने की प्रार्थना किया है।
4. अ. अनावेदक ने लिखित कथन प्रस्तुत कर स्वीकृत तथ्य को छोड़ शेष तथ्य को इंकार करते हुए अभिकथन किया है कि शासन के निर्देशानुसार छ.ग.गृह निर्माण मंडल अटल विहार योजना के अंतर्गत भवन आबंटन शर्तों के अनुसार नियम एवं शर्तों की कण्डिका 3,6 तथा कण्डिका 27 अ,ब,स अनुसार होना है, जिसमें एल.आई.जी. एवं ई.डब्ल्यू.एस. भवन एवं फ्लेट के लिए चयन कलेक्टर की अध्यक्षता में गठित समिति द्वारा लाटरी पद्धति से किया जायेगा। जिसके लिए हितग्राहियों को सक्षम अधिकारी द्वारा वार्षिक आय की सीमा के संबंध में आय प्रमाण पत्र देना होगा। योजना में घोषित मूल्य से 10 प्रतिशत से अधिक की मूल्य वृद्धि होती है तब योजना में पंजीकृत हितग्राही यदि भवन लेने में असहमति व्यक्त करते हैं तो उनकी जमा राशि में 7.5 प्रतिशत ब्याज दर सहित वापस कर दी जाएगी।
ब. अनावेदक मंडल द्वारा बताया गया मकान/फ्लेट का मूल्य अंतिम है। अंतिम मूल्य निर्धारण सक्षम अधिकारी से स्वीकृत होने के पश्चात प्रस्तुत किया जावेगा। यह अभिवचन भी किया गया है कि अटल विहार योजना अंतर्गत जारी समस्त कथनों में यह स्पष्ट किया गया है कि यदि शासन को आपसे निर्धारित शुल्क से अधिक वसूल की जाती है तो आप इसके संबंध में सक्षम अधिकारी के समक्ष आवेदन प्रस्तुत कर उक्त आवेदन का निराकरण करा सकते हैं । अधिक राशि प्राप्त की गई हो तो प्रावधानों के अनुसार वापस भी कर दी जाएगी।
5. परिवाद पर परिवादी, अनावेदक एवं उनके अधिवक्ता को विस्तार से सुना गया। अभिलेखगत सामग्री का परिशीलन किया गया है ।
6. विचारणीय प्रश्न यह है कि :-
क्या अनावेदक/विरूद्ध पक्षकार ने परिवादी/आवेदक के विरूद्ध सेवा में कमी किया है ?
निष्कर्ष के आधार
विचारणीय प्रश्न का सकारण निष्कर्ष :-
7. परिवादी ने परिवाद के समर्थन में अपना शपथ पत्र एवं सूची अनुसार दस्तावेज आवेदन फार्म की फोटोकापी दस्तावेज क्रमांक 1, कार्यपालन अभियंता छ.ग. गृह निर्माण मंडल अंबिकापुर को भेजे गये 49,000/-रू. और 9,500/-रू. के डिमांड ड्राफ्ट की कॉपी दस्तावेज क्रमांक 2, कार्यालय संपदा अधिकारी द्वारा भेजे गये घर किश्त का नोटिस दिनांक 01.01.2016 दस्तावेज क्रमांक 3 प्रस्तुत किया है।
8. शपथ पत्र से समर्थित परिवाद में परिवादी ने अनावेदक छ.ग.गृह निर्माण मंडल के अटल विहार योजना के तहत 2014 में ग्राम गम्हरिया जशपुर में भवन आबंटन हेतु पंजीयन कराना बताया है, जिससे संबंधित दस्तावेज क्रमांक 1 प्रस्तुत किया है। परिवादी ने उक्त योजना अंतर्गत 58,500/-रू. का डिमांण्ड ड्राफ्ट जमा करना बताया है, जिसकी छायाप्रति दस्तावेज क्रमांक 2 प्रस्तुत किया है। अनावेदक ने जवाब दावा द्वारा उक्त तथ्य को स्वीकार किया है। इस प्रकार परिवादी उपरोक्तानुसार भवन लेने हेतु राशि जमा करने द्वारा अनावेदक का उपभोक्ता होना स्थापित, प्रमाणित किया है।
9. परिवादी ने अटल विहार योजना के तहत 2014 में पंजीयन कराते समय मकान की लागत 3,90,000/-रू. बताया गया था, किंतु दिनांक 01.01.2016 की स्थिति में 4,10,000/-रू. किया गया है, जो 20,000/-रू. अधिक है। अधिक राशि लेने द्वारा सेवा में कमी किया जाना बताया गया है तथा 3,90,000/-रू. में बुक कराया गया था जिस दर पर मकान दिलाए जाने का आदेश करने का निवेदन किया गया है। परिवादी ने अनावेदक द्वारा उसे दिया गया पत्र दिनांक 01.01.2016 की प्रति दस्तावेज क्रमांक 3 प्रस्तुत किया है।
10. अनावेदक छ.ग.गृह निर्माण मंडल ने परिवादी को दस्तावेज क्रमांक 3 का पत्र दिया जाना स्वीकार किया है तथा परिवादी द्वारा प्रस्तुत दस्तावेज क्रमांक 1 जिसमें छ.ग.गृह निर्माण मंडल संभाग रायगढ़, भवन आबंटन के नियम एवं शर्त हैं जिन पर परिवादी के हस्ताक्षर हैं को अवलंब लेते हुए तर्क किया है कि उक्त शतों की कण्डिका 3,6 एवं 27 अ, ब, स के अनुसार अनावेदक छ.ग.गृह निर्माण मंडल कार्यवाही करने के लिए सक्षम है। भवन आबंटित करने हेतु भवन का मूल्य अंतिम नहीं है। नियम एवं शर्तों के अनुसार अंतिम मूल्य निर्धारण सक्षम अधिकारी से स्वीकृत होने के पश्चात् प्रस्तुत किया जाएगा। योजना अंतर्गत घोषित मूल्य से 10 प्रतिषत से अधिक मूल्य वृद्धि होती है और हितग्राही भवन लेने में असहमति व्यक्त करते हैं तो जमा राशि पर 7.3 प्रतिशत ब्याज दर के सहित वापस कर दी जाएगी । इस प्रकार परिवादी को दस्तावेज क्रमांक 3 द्वारा शेष राशि 3,51,500/-रू. जमा करने के लिए दी गई पंजीकृत डाक से सूचना नियम एवं शर्तों के अनुसार है, जिसके द्वारा परिवादी के विरूद्ध अनावेदक ने किसी प्रकार से सेवा में कमी नहीं किया है।
11. परिवादी द्वारा अनावेदक छ.ग.गृह निर्माण मंडल से भवन आबंटन हेतु पंजीयन कराया गया है तथा दस्तावेज क्रमांक 1 निष्पादित किया है। प्रस्तुत दस्तावेज क्रमांक 1 में भवन आबंटन कराते समय नियम एवं शर्तों के साथ छ.ग.गृह निर्माण मंडल रायगढ़ (छ.ग. के गम्हरिया जशपुर तथा सारंगढ़ रायगढ़ ) प्रस्तावित भवन हेतु भुगतान तालिका का उल्लेख है।
12. परिवादी द्वारा प्रस्तुत दस्तावेजी प्रमाण से उसने अनावेदक से भवन ई.डब्ल्यू.एस.-1 हेतु आवेदन किया था, जो उसे आबंटित हुआ, जिसमें भुगतान तालिका अनुसार पंजीयन के समय 58,500 /-रू. दिया जाना था, जिसे परिवादी ने डिमांड ड्राफ्ट द्वारा भुगतान कर दिया। उसके पश्चात् प्रत्येक चौथे माह में भुगतान करना था। तालिका अनुसार पंजीयन 16 माह के अंदर तालिका में उल्लेखित राशि 3,90,000/-रू. का भुगतान करना था। पंजीयन तिथि से गणना करने पर दिनांक 21.03.2015 तक उक्त राशि जमा करनी थी। परिवादी द्वारा प्रस्तुत दस्तावेजी प्रमाण से परिवादी ने दिनांक 21.03.2014 को 58,500 /-रू. जमा करने के बाद और जमा नहीं किया है। इस प्रकार उक्त तालिका अनुसार परिवादी ने अनावेदक को भुगतान नहीं किया है, जिससे परिवादी को अनावेदक द्वारा दस्तावेज क्रमांक 3 के पत्र द्वारा ई.डब्ल्यू.एस.आई. भवन क्रमांक 32 के आबंटन होने तथा पंजीयन एवं किश्त की राशि कुल 58,500/-रू. दिनांक 01.01.2016 की स्थिति में जमा होने की जानकारी देते हुए शेष 3,51,500/-रू. जमा करने को निर्देशित किया है।
13. परिवादी द्वारा अनावेदक से भवन आबंटित करते समय अनावेदक द्वारा दिए/बताए नियम एवं शर्तो से सहमत होने बाबत् अपना हस्ताक्षर करके दिया था दस्तावेज क्रमांक 1 से स्पष्ट है। उक्त नियम एवं शर्तों में भवन/फ्लेट की मूल्य के संबंध में भी स्पष्ट लिखा गया है। परिवादी ने दस्तावेज क्रमांक 3 के द्वारा आबंटन के समय प्रस्तावित मूल्य से 20,000/-रू. अधिक लिया जा रहा है, जिसे आबंटन के समय प्रस्तावित मूल्य पर ही भवन दिये जाने हेतु अनावेदक को निर्देशित करने की प्रार्थना की गई है। दस्तावेज क्रमांक 1 नियम एवं शर्तों में कण्डिका 14 एवं 27 का उल्लेख करना उचित होगा, जो निम्नानुसार है :-
14. मंडल द्वारा अंतिम मूल्य निर्धारण सक्षम अधिकारी से स्वीकृति पश्चात् आबंटी को मान्य एवं बंधनकारी होगा। आबंटी को भवन के मूल्य पर आपत्ति हो तो मंडल में जमा राशि नियमानुसार वापस प्राप्त कर सकेगा।
27. (अ) जिन योजनाओं में घोषित मूल्य से 10 प्रतिशत से अधिक की मूल्य वृद्धि होती है, उन योजनाओं में पंजीकृत हितग्राही, यदि भवन लेने असहमति व्यक्त करते हैं, तो उनकी जमा राशि 7.3 प्रतिशत ब्याज दर सहित वापस की जावेगी। इस प्रकार रिक्त हुए भवनों को पूर्ण मूल्य आधार पर ऑफर दर से नियमानुसार विक्रय की कार्यवाही की जावेगी।
(ब) भवन के विज्ञापित अनुमानित मूल्य के अतिरिक्त अग्रिम लीजरेंट, भू-संधारण शुल्क, सेवा शुल्क, कामन सर्विस चार्जेस, बीमा शुल्क तथा राज्य शासन के अन्य प्रभार एवं नल कनेक्शन प्रभार नियमानुसार पृथक से आबंटन/आधिपत्य पूर्व जो कि भवन के मूल्य का लगभग 10 प्रतिशत होगा, पृथक से देय होगा। स्थानीय निकाय, राज्य शासन एवं केंद्र शासन द्वारा यदि कोई अन्य शुल्क प्रभारित किया जाता है तो वह भी पृथक से देय होंगे।
(स) हितग्राहियों को भवन आधिपत्य लेने के पश्चात स्वयं के व्यय से विद्युत विभाग से विद्युत कनेक्शन एवं नल कनेक्शन नगर निगम से आवेदन कर प्राप्त करना होगा।
14. इस प्रकार उक्त उल्लेखित शर्त अनुसार जहॉं अनावेदक छ.ग.गृह निर्माण मंडल को अंतिम मूल्य निर्धारण करने का अधिकार दिया गया है, जिसे आबंटी को मान्य एवं बंधनकारी होगा तथा भवन के मूल्य पर आपत्ति होने पर मंडल में जमा राशि नियमानुसार 7.5 प्रतिशत ब्याज सहित वापस होने का उल्लेख है, फलस्वरूप स्पष्ट है कि अनावेदक द्वारा दस्तावेज क्रमांक 3 के माध्यम से जो शेष राशि की मांग की जा रही है उस पर परिवादी असहमत है तथा उसके लिए अनावेदक के समक्ष आवेदन करने तथा अनावेदक द्वारा परिवादी के आवेदन पर लिए निष्कर्ष पर परिवादी सहमत नहीं हो तो वह भूमि आबंटन करते समय निष्पादित नियम एवं शर्तों के अनुसार जमा रकम ब्याज सहित वापस प्राप्त करने का विकल्प है। उपरोक्त से अनावेदक ने परिवादी को दस्तावेज क्रमांक 3 का पंजीकृत पत्र देकर राशि की मांग की गई है। उससे परिवादी के विरूद्ध अनावेदक ने सेवा में कमी किया है को हम स्थापित, प्रमाणित नहीं होना पाते हैं।
15. उपरोक्त अनुसार अभिलेखगत सामग्री से विचारणीय प्रश्न अनावेदक के विरूद्ध प्रमाणित नहीं हुआ है, फलतः निष्कर्ष ’’प्रमाणित नहीं’’ में हम देते हैं।
16. परिवादी ने उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 की धारा 12 के अंतर्गत अनावेदक के विरूद्ध सेवा में कमी किए जाने के आधार पर प्रस्तुत यह परिवाद प्रमाणित नहीं हुआ है, फलस्वरूप स्वीकार किए जाने योग्य होना हम नहीं पाते हैं अतः निरस्त किए जाने योग्य पाते हुए निरस्त करते हैं।
17. प्रकरण की परिस्थिति में पक्षकारगण अपना-अपना वाद व्यय स्वयं वहन करेंगे।
(श्रीमती अनामिका नन्दे) (संजय कुमार सोनी) (बी0पी0पाण्डेय)
सदस्य सदस्य अध्यक्ष
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