मौखिक
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0 लखनऊ
(जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम, मुरादाबादद्वारा परिवाद संख्या 28/2010 में पारित प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक 25.03.2011 के विरूद्ध)
अपील संख्या 843 सन 2011
बिरला सन लाइफ इंश्योरेंस कम्पनी लि0 .......अपीलार्थी/प्रत्यर्थी
-बनाम-
श्रीमती समर जहां पत्नी स्व0 हारून यासीन अन्सारी . .....प्रत्यर्थी/परिवादी
समक्ष:-
1 मा0 श्री आर0सी0 चौधरी, पीठासीन सदस्य।
2 मा0 श्री गोवर्धन यादव, सदस्य।
अपीलार्थी की ओर से विद्वान अधिवक्ता - श्री नीरज सिंह।
प्रत्यर्थी की ओर से विद्वान अधिवक्ता - श्री एस0पी0 पाण्डेय।
दिनांक: 11.08.2017
श्री, आर0सी0 चौधरी, पीठासीन सदस्य द्वारा उद्घोषित
निर्णय
प्रस्तुत अपील, जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम, मुरादाबाद द्वारा परिवाद संख्या 28/2010 में पारित प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक 25.03.2011 के विरूद्ध प्रस्तुत की गयी है ।
संक्षेप में, प्रकरण के आवश्यक तथ्य इस प्रकार हैं कि परिवादिनी के पति मो0 हारून अन्सारी ने विपक्षी से दिनांक 20.03.08 को पालिसी संख्या 1568452 बीमित धनराशि 5,84,975.00 रू0 हेतु ली थी। दिनांक 02.08.2009 को परिवादिनी के पति की अकाल मृत्यु हो गयी। परिवादिनी ने समस्त औपचारिकतायें पूर्ण करके बीमित धनराशि की मांग विपक्षीगण से की। विपक्षीगण ने परिवादिनी को चेक संख्या 316963 द्वारा 23,237.50 रू0 का भुगतान किया, शेष धनराशि 5,61,737.20 रू0 का भुगतान मांगने के बावजूद भी नहीं किया और उसके लिए किया गया दावा यह कहते हुए खारिज कर दिया कि बीमाधारक ने बीमा कराते समय सही जानकारी नहीं दी थी कि बीमाधारक को शुगर की बीमारी थी । उक्त से क्षुब्ध होकर परिवादिनी ने जिला मंच के समक्ष परिवाद दाखिल किया। जिला मंच के समक्ष विपक्षीगण की ओर से प्रतिवादपत्र दाखिल करके परिवादिनी के पति द्वारा पालिसी लेना स्वीकार किया गया तथा यह उल्लिखत किया गया कि बीमा धारक को वर्ष 2006 से शुगर की बीमारी थी। बीमाधारक ने नियम व शर्तो के अनुरूप सही जानकारी बीमा कम्पनी को न देकर शर्तो का उल्लंघन किया। बीमा धारक द्वारा जो धनराशि पालिसी के संबंध में जमा की गयी थी वह रू0 23,237.80 रू0 उसे जरिए चेक वापस कर दी गयी है। इसके बाद कोई धनराशि परिवादिनी प्राप्त करने की अधिकारिणी नहीं है।
जिला मंच ने उभय पक्ष के साक्ष्य एवं अभिवचनों के आधार पर निम्न आदेश पारित किया :-
'' परिवादिनी का परिवाद विपक्षीगण के विरूद्ध स्वीकार किया जाता है। विपक्षीगण को आदेश दिया जाता है कि वे आदेश की तिथि से 2 माह के अन्दर परिवादिनी को उसके पति की मृत्यु दावा क्लेम की धनराशि अंकन रू0 561,737.20 पैसे परिवाद योजित करने के दिनांक 17.2.2010 से वास्तविक भुगतान की तिथि तक 07 प्रतिशत वार्षिक की दर से ब्याज सहित भुगतान करे। इसके अतिरिक्त परिवादिनी को विपक्षीगण 2000.00 रू0 वाद व्यय भी भुगतान करने के जिम्मेदार होगें। ''
उक्त आदेश से क्षुब्ध होकर प्रस्तुत अपील योजित की गयी है।
अपील के आधारों में कहा गया है कि जिला मंच का प्रश्नगत निर्णय विधिपूर्ण नहीं है तथा तथ्यों को संज्ञान में लिए बिना प्रश्नगत निर्णय पारित किया गया है जो अपास्त किए जाने योग्य है।
हमने उभय पक्ष के विद्वान अधिवक्तागण की बहस विस्तार से सुनी तथा पत्रावली पर उपलब्ध अभिलेखों का सम्यक् अनुशीलन किया।
बहस के समय प्रत्यर्थी के विद्वान अधिवक्ता द्वारा अवगत कराया गया कि उसे अपीलार्थी से जिला फोरम द्वारा आदेशित समस्त धनराशि प्राप्त हो चुकी है। अपीलकर्ता के विद्वान अधिवक्ता द्वारा भी बताया गया कि उसने पूरी रकम दे दी है और अब कोई धनराशि देना शेष नहीं है। उनके द्वारा पत्रावली पर यह टिप्पणी भी अंकित की गयी कि उन्हें अब अपील नहीं चलानी है।
उभय पक्ष को सुनने तथा अपीलार्थी द्वारा अपील '' नाट प्रेस '' करने के कारण अपीलकर्ता की अपील खारिज किए जाने योग्य है।
आदेश
प्रस्तुत अपील अपीलकर्ता द्वारा '' नाट प्रेस '' किए जाने के कारण खारिज की जाती है।
(आर0सी0 चौधरी) (गोवर्धन यादव)
पीठासीन सदस्य सदस्य
कोर्ट-4
(S.K.Srivastav,PA)