जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच, जैसलमेर(राज0)
1. अध्यक्ष ः श्री रामचरन मीना ।
2. सदस्या : श्रीमती संतोष व्यास।
3. सदस्य ः श्री मनोहर सिंह नरावत।
परिवाद प्रस्तुत करने की तिथी - 25.02.2015
मूल परिवाद संख्या:- 09/2015
1. श्री नुपुर सांखला पुत्री श्री भरत लाल सांखला, जाति- सांखला,
निवासी- मकान नम्बर 404, जयनारायण व्यास काॅलोनी जैसलमेर,
तह.व जिला जैसलमेर
............परिवादी।
बनाम
01. साक्षी होंडा, गडीसर रोड जैसलमेर
02. धर्म होंडा, 8 कमला नेहरू महिला कालेज के सामने, राई का बाग, जोधपुर
03. भ्वदकं डवजवतबलबसम - ैबववजमत प्दकपं च्अजण् स्जक च्सवज छवण्1ए ैमबजवत.3ए प्डज् डंदमेंतए क्पेज.ळनतहंवदए भ्ंतलंदं .122050 प्दकपंण्
.............अप्रार्थीगण।
प्रार्थना पत्र अंतर्गत धारा 12, उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986
उपस्थित/-
1. श्री विपिन कुमार व्यास, अधिवक्ता परिवादी की ओर से।
2. श्री राणीदान सेवक, अधिवक्ता अप्रार्थी की ओर से ।
ः- निर्णय -ः दिनांक ः 27.04.2016
1. परिवादी का सक्षिप्त मे परिवाद इस प्रकार है कि परिवादीया ने अपने घरेलू व निजी उपयोग हैतु एक मोटरसाईकिल होडा कम्पनी की माॅडल भ्व्छक्। ब्ठत्250त् चेसिस नम्बर डम्4डब्421क्ब्80009941 इंजन नम्बर डब्42म्0016795 रजिस्ट्रेषन नम्बर त्श्र15.ैब्.1001 दिनांक 09.03.2013 को अप्रार्थी सं. 1 से कम्पनी की प्रतिष्ठा को देखते हुए 1,53,573 रू मे नकद खरीद की उक्त वाहन पर अप्रार्थी कम्पनी ने 2 साल या 50,000 किलोमीटर की गारंटी व वारंटी बताई गई थी। परिवादीया द्वारा वाहन का उपयोग अप्रार्थी कम्पनी के बताये अनुसार ही किया गया व समय-समय पर अप्रार्थी सं. 1 के यहा सर्विस भी करवायी गई परन्तु 4 माह पश्चात् मोटर धुआ ज्यादा छोड़ने लगी एवं ईजन में अत्यधिक आवाज आने लगी जिसकी सूचना सर्विस के समय अप्रार्थी सं. 1 को दी गई। अप्रार्थी सं. 1 ने गाड़ी सही करने का आष्वासन दिया जब एक दो सर्विस के कबाद भी गाड़ी सही नही हुई तो अप्रार्थीगण द्वारा सर्विस के समय उक्त मोटरसाईकिल को 819 कि.मी. चलने के बाद ही अप्रार्थी सं. 1 के सर्विस सेन्टर मे ईजन को खोलकर सही किया लेकिन परिवाददिया का वाहन सही नही हुआ फिर अप्रार्थी सं. 1 ने वाहन को 7 हजार कि.मी. चलने पर ईजन को पुनः खोला फिर भी उक्त वाहन सही नही चला इसके बाद बार-बार अप्रार्थी कम्पनी को सूचना दी गई फिर भी कम्पनी द्वारा वाहन को सही नही किया वाहन अधिक आवाज करता है व अधिक धुआ देता है परिवादीया द्वारा अप्रार्थी कम्पनी को 29.03.2014 को एक ईमेल भेजकर पुनः समस्या बताई लेकिन उसका कोई जवाब अप्रार्थीगण ने नही दिया। परिवादीया द्वारा खरीद की गई मोटरसाईकिल शुरू से ही खराब थी जिससे स्पष्ठ है कि वाहन में निर्माणात्मक दोष है अप्रार्थी का यह कृत्य सेवा दोष की श्रेणी मे आता है अतः अप्रार्थीगण को नया वाहन दिलाया जावें या वाहन की कीमत दिलाये जावें साथ ही मानसिक व आर्थिक हर्जाना 50,000 रू व परिवाद व्यय 10,000 रू अप्रार्थीगण से दिलाये जाने का निवेदन किया।
2. अप्रार्थीगण की तरफ से जवाब पेष कर प्रकट किया कि अप्रार्थी कम्पनी द्वारा नियमानुसार मोटरसाईकिल के सम्बध मे वारंटी अवष्य दी गई थी परिवादीया द्वारा अपनी मोटरसाईकिल की तीन सविर्सिग तक कोई षिकायत व एतराज नही किया था तथा अप्रार्थी सं. 1 द्वारा मोटरसाईकिल का ईजन नही खोला गया है बल्कि अप्रार्थी सं. 1 के कुषल मिस्त्री द्वारा परिवादीया की सन्तुष्टी के लिए वाहन चेक किया गया वाहन का सही तरह से उपयोग नही करने व सड़क के गडड्ो मे वाहन को चलाने से वाहन मे हलकी आवाज आ रही थी इस हैतु वाहन के हैडल के कोसिट बदले गए अप्रार्थी सं. 1 ने कुषल मिस्त्रीयों से चेक करवाया लेकिन उक्त वाहन मे किसी प्रकार की मेनूफेक्चरीग डीफेक्ट नही पाई गई वाहन उच्च तकनीक से बना होने के कारण परिवादीया द्वारा कम्पनी के निर्देषों के अनुसार नही चलाने से इंजन की आवाज मे फर्क पड़ सकता है। परिवादीया का परिवाद मय हर्जे खर्चे के खारीज किये जाने का निवदेन किया।
3. हमने विद्वान अभिभाषकगण पक्षकारान की बहस सुनी और पत्रावली का ध्यानपूर्वक अवलोकन किया ।
4. विद्वान अभिभाषकगण पक्षकारान द्वारा की गई बहस पर मनन करने, पत्रावली में पेष किए गए शपथ पत्रों एवं दस्तावेजी साक्ष्य का विवेचन करने तथा सुसंगत विधि को देखने के पष्चात इस प्रकरण को निस्तारित करने हेतु निम्नलिखित विवादित बिन्दु कायम किए जाते है -
1. क्या परिवादीगण एक उपभोक्ता की तारीफ में आता है ?
2. क्या विपक्षी का उक्त कृत्य एक सेवा त्रुटि के दोष की तारीफ में आता है?
3. अनुतोष क्या होगा ?
5. बिन्दु संख्या 1:- जिसे साबित करने का संपूर्ण दायित्व परिवादीया पर है जिसके तहत कि क्या परिवादीगण उपभोक्ता की तारीफ में आता है अथवा नहीं और मंच का भी सर्वप्रथम यह दायित्व रहता है कि वे इस प्रकार के विवादित बिन्दु पर सबसे पहले विचार करें, क्यों कि जब तक परिवादीया एक उपभोक्ता की तारीफ में नहीं आता हो, तब तक उनके द्वारा पेष किये गये परिवाद पर न तो कोई विचार किया जा सकता है और न ही उनका परिवाद उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के प्रावधानों के तहत पोषणिय होता है, लेकिन हस्तगत प्रकरण में परिवादीया ने अप्रार्थी कम्पनी से वाहन माटरसाईकिल हीरो होडा 1,53,573 रू नकद जमा कर घरेलू उपयोग हैतु खरीदा है। इसलिए हमारी विनम्र राय में परिवादीया उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम की धारा 2; 1द्ध;क्द्ध के तहत एक उपभोक्ता की तारीफ में आता है, फलतः बिन्दु संख्या 1 परिवादीया के पक्ष में निस्तारित किया जाता है ।
6. बिन्दु संख्या 2:- जिसे भी साबित करने का संपूर्ण दायित्व परिवादीया पर है जिसके तहत कि क्या विपक्षी का उक्त कृत्य एक सेवा त्रुटी के दोष की तारीफ में आता है अथवा नहीं ? विद्वान परिवादीया अभिभाषक की दलील है कि परिवादीनी ने अपने घरेलू उपयोग हैतु एक मोटरसाईकिल होडा कम्पनी की माॅडल भ्व्छक्। ब्ठत्250त् चेसिस नम्बर डम्4डब्421क्ब्80009941 इंजन नम्बर डब्42म्0016795 रजिस्ट्रेषन नम्बर त्श्र15.ैब्.1001 दिनांक 09.03.2013 को अप्रार्थी सं. 1 से कम्पनी की प्रतिष्ठा को देखते हुए 1,53,573 रू मे नकद खरीद की उक्त वाहन पर अप्रार्थी कम्पनी ने 2 साल या 50,000 किलोमीटर की गारंटी व वारंटी बताई गई थी। लैकिन उक्त मोटरसाईकिल 4 माह पश्चात् धुआ ज्यादा छोडने लगी। व ईजन मे ज्यादा आवाज आने लगी जिसकी सूचना परिवादीया ने कम्पनी के सर्विस सेन्टर मे दी गई 2 सर्विस के बाद भी मोटरसाईकिल सही नही हुई तो अप्रार्थी सं. 1 को मोटरसाईकिल का ईजन खोलना पड़ा और सही करने का पर्यास किया गया तब भी वाहन सही नही चला तो उसकी सूचना फोन पर अप्रार्थी कम्पनी को दी गई एवमं परिवादीया द्वारा 29.10.2014 को ईमेल भेजकर समस्या को बताया गया लैकिन उसका भी कोई जवाब अप्रार्थीगण ने नही दिया। परिवादीया द्वारा खरीद की गई मोटरसाईकिल शुरू से ही खराब थी जो एक प्रकार से निर्माण ऋटि है अप्रार्थीगण का यह कृत्य सेवा दोष की श्रेणी मे आता है। परिवादीया ने अप्रार्थीगण से मोटरसाईकिल की पुरी किमत या बदलकर दिलाने व साथ ही आर्थिक व मानसिक हर्जाना पेटे 50,000 रूश्व परिवाद व्यय 10,000 रू दिलाये जाने का तर्क प्रस्तुत किया।
7. इसका प्रबल विरोध करते हुए अप्रार्थीगण विद्वान अभिभाषक की दलील है कि परिवादीया द्वारा अपनी मोटरसाईकिल की 3 सर्विस कराई गई लेकिन उस समय तक परिवादीया द्वारा कोई ऐतराज नही किया गया साथ ही उनकी यह दलील है कि अप्रार्थी सं. 1 द्वारा परिवादीया की मोटरसाईकिल का कोई ईजन नही खोला गया एवं उनकी यह भी दलील है कि प्रार्थीया द्वारा उक्त वाहन का सही तरीके से उपयोग नही करने पर हैडल मे खराबी आने पर हैडल के सीर के पाईप को बदला गया और परिवादीया को उक्त वाहन दिनांक 01.10.2014 को सही हालत में सुपुद्व किया गया उनकी अन्य यह भी दलील है कि परिवादीया द्वारा दिनंाक 30.09.2014 को षिकायत की थी इस हैतु दिनांक 10.02.2015 को सर्विस करने हेतु वाहन दिया गया और उसे परिवादीया की सन्तुष्टि हैतु चेक किया गया प्रार्थीया के वाहन मे कोई निर्माण सम्बधी त्रुटि नही थी एवं वाहन मे त्रृटि के बाबत् परिवादीया द्वारा वाहन विषेषज्ञ की मैकेनिकल रिपोर्ट भी पेष नही की है। अतः वाहन मे कोई निर्माण सम्बधी त्रुटि साबित नही है अतः परिवादीया का परिवाद मय हर्जे खर्चे के खारीज किये जाने का निवेदन किया।
8. उभयपक्षों के तर्को पर मनन किया गया तथा पत्रावली पर उपलब्ध साक्ष्य के आधार पर उभयपक्षों के तर्को की रोषनी मे हमारी राय इस प्रकार है कि परिवादीया ने अपने परिवाद व साक्ष्य मे प्रकट किया है कि परिवादीया ने अपने घरेलू व निजी उपयोग हैतु एक मोटरसाईकिल होडा कम्पनी की माॅडल भ्व्छक्। ब्ठत्250त् चेसिस नम्बर डम्4डब्421क्ब्80009941 इंजन नम्बर डब्42म्0016795 रजिस्ट्रेषन नम्बर त्श्र15.ैब्.1001 दिनांक 09.03.2013 को अप्रार्थी सं. 1 से कम्पनी की प्रतिष्ठा को देखते हुए 1,53,573 रू मे नकद खरीद की उक्त वाहन पर अप्रार्थी कम्पनी ने 2 साल या 50,000 किलोमीटर की गारंटी व वारंटी बताई गई थी। परिवादीया द्वारा वाहन का उपयोग अप्रार्थी कम्पनी के बताये अनुसार ही किया गया व समय-समय पर अप्रार्थी सं. 1 के यहा सर्विस भी करवायी गई परन्तु 4 माह पश्चात् मोटर धुआ ज्यादा छोड़ने लगी एवं ईजन में अत्यधिक आवाज आने लगी इसकी षिकायत अप्रार्थी के यहा की गई तो मोटरसाईकिल को सर्विस सेन्टर पर ठीक किया गया लेकिन वाहन सही नही चला और ईजन आवष्यकता से अधिक आवाज करता ओर धुआ देता इसकी षिकायत अप्रार्थी कम्पनी को दिनांक 29.09.2014 को ईमेल भेजकर की ओर मोटरसाईकिल को पुनः अप्रार्थी सं. 1 के यहा सर्विस सेन्टर मे दिया लेकिन मोटरसाईकिल मे यह समस्या बनी रही। अतः मोटरसाईकिल को बार-बार ठीक करने के बावजूद भी वह ठीक नही हो पाई ।
9. प्रार्थीया की तरफ से पेष गवाह जुनेद ने अपनी साक्ष्य मे बताया है कि वह मोटर साईकिल की रिर्पेयरिग का कार्य करीब 13 वर्ष से कर रहा है उसने करीब ढाई वर्ष तक साक्षी होण्डा मोटर्स में बतौर मिस्त्री कार्य किया है। परिवादीया द्वारा एक वाहन मोटरसाईकिल क्रय किया गया था जिसमें धुआ एवं अत्यधिक आवाज की समस्या आई थी जिस पर हमारे सर्विस सेन्टर द्वारा वाहन की सर्विस की गई थी जब एक दो सर्विस के बाद ही गाडी सही नही हुई तो जोधपुर के मिस्त्रीयों के सलाह पर उक्त मोटरसाईकिल के ईजन को करीब 1 हजार कि.मी. चलने पर मैरे व अन्य मिस्त्रीयों द्वारा खोलकर साक्षी मोटर्स मे सही किया गया था। लैकिन दूबारा वही समस्या रही और गाडी ठीक नही हुई मेरे द्वारा जब परिवादीया को वाहन सुपुद्व किया गया था तो मोटरसाईकिल सही नही होने का कहा था जाॅबकार्ड मे भी लिखा था इस प्रकार इस गवाह ने इस बात की ताईद की है कि मोटरसाईकिल मे ज्यादा धुआ छोड़ना व ईजन मे अत्यधिक आवाज आने की समस्या गाडी मे थी जो ठीक नही हुई परिवादीया द्वारा प्रस्तुत जाॅब कार्ड मे भी मोटरसाईकिल को जब ठीक करने के बाद सुपर्द किया गया था तो प्रार्थीया ने जाॅब कार्ड पर नोट अंकित किया कि मै मेरी बाईक से सन्तुष्ट नही हुॅ ईजन में आवाज जैसी की वैसी है मै सर्विस से पूर्णतया असन्तुष्ट हॅू ।
10. गवाह मिस्त्री जुनेद की साक्ष्य व जाॅब कार्ड से भी यह प्रकट है कि उक्त मोटरसाईकिल सर्विस के बाद भी सही स्थिति मे नही थी ईजन मे आवाज आती थी अप्रार्थीगण द्वारा प्रस्तुत जवाब व साक्ष्म मे भी यह तथ्य आया है कि प्रार्थीया ने मौखिक रूप से यह बताया कि मोटरसाईकिल कुछ आवाज कर रही है जिस पर प्रार्थीया की सन्तुष्टि के लिए अप्रार्थी सं. 1 के कुषल मिस्त्री द्वारा वाहन चेक किया गया तथा वाहन के हैडल से कुछ हल्की आवाज आ रही थी इस प्रकार अप्रार्थीगण ने भी माना है कि वाहन के हैडल मे आवाज आ रही थी अतः इससे भी इस बात की पुष्टि होती है कि वाहन मे खराबी थी अप्रार्थीगण ने अपने साक्ष्य मे यह बताया है कि वाहन को रफ तरीके से उपयोग करने व चलाने से हैडल मे यह समस्या आ सकती है इस हैतु वाहन के हैडल के काॅसिट बैरिग हैड पाईप बदले गए जो प्रार्थीया को सही हालत मे सुपर्द की लेकिन हम अप्रार्थीगण की इस बात मे बल नही पाते की सही तरीके से उपयोग नही करने व गडड्े आदि मे चलाने से यह खराबी आ सकती है क्योंकि इस प्रकार की कोई साक्ष्य अप्रार्थीगण की नही है कि मोटरसाईकिल का गलत तरीके से उपयोग किया गया हो ओर गडड्े मे गाड़ी को चलाया हो हम अप्रार्थीगण की इस साक्ष्य से भी सहमत नही है कि परिवादीया को वाहन सही हालत में सुपर्द किया गया हो क्योकि जाॅबकार्ड मे परिवादीया ने ईजन मे पहले जैसी आवाजे आना बताया है तथा सर्विस से असन्तुष्ट होना प्रकट किया है तथा जुनेद मिस्त्री का भी शपथ-पत्र पेष हुआ है जो साक्षी मोटर्स का ही मिस्त्री था उसने अपनी साक्ष्य मे यह बताया है कि गाडी चलाने के बाद गाडी सही नही होने का बताया था तथा जाॅबकार्ड मे लिख दिया था यदि गाडी की त्रुटि दूरस्त करके सुपर्द की जाती तो परिवादीया द्वारा जाॅबकार्ड मे उसका अंकन सुपर्दगी के समय क्यांे किया जाता तथा मिस्त्री जुनेद प्रार्थीया का समर्थन क्यो करता।
11. जहा तक विद्वान परिवादीया अभिभाषक की दलील है कि मोटरसाईकिल मे शुरूश्से ही निर्माणात्मक त्रुटि थी लैकिन इस बात की कोई साक्ष्य या मैकेनिकल रिपोर्ट निर्माण त्रुटि बाबत् परिवादीया की तरफ से पेष नही की गई है इसके अभाव में निर्माण त्रुटि साबित नही है लेकिन परिवादीया ने अपनी साक्ष्य से यह साबित किया है कि मोटरसाईकिल द्वारा ज्यादा धुआ छोडना और ईजन मे आवाज आने की समस्या दूरस्त नही की गई जो अप्रार्थीगण का सेवा दोष है।
फलतः बिन्दु संख्या 2 प्रार्थीया के पक्ष में आंषिक रूप से निस्तारित किया जाता है ।
12. बिन्दु संख्या 3:- अनुतोष । बिन्दु संख्या 2 प्रार्थीया के पक्ष में आंषिक रूप से निस्तारित होने के फलस्वरूप परिवादीया का परिवाद स्वीकार किये जाने योग्य है जो आंषिक रूप से स्वीकार किया जाता है ।
ः-ः आदेष:-ः
परिणामतः प्रार्थीया का परिवाद अप्रार्थीगण के विरूद्व आंषिक रूप से स्वीकार किया जाकर अप्रार्थीगण को आदेषर््िात किया जाता है कि वे आज से 2 माह के भीतर भीतर परिवादीया की खराब मोटरसाईकिल में आई खराबी को दूरस्त कर देवें साथ ही मानसिक वेदना के 3000 रूपये अक्षरे रू तीन हजार मात्र व परिवाद व्यय के 2000 रू अक्षरे रू दो हजार मात्र अदा करे ।
( मनोहर सिंह नारावत ) (संतोष व्यास) (रामचरन मीना)
सदस्य, सदस्या अध्यक्ष,
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच, जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच,
जैसलमेर। जैसलमेर। जैसलमेर।
आदेश आज दिनांक 27.04.2016 को लिखाया जाकर खुले मंच में सुनाया गया।
( मनोहर सिंह नारावत ) (संतोष व्यास) (रामचरन मीना)
सदस्य, सदस्या अध्यक्ष,
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच, जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच,
जैसलमेर। जैसलमेर। जैसलमेर।