न्यायालय जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम, चन्दौली।
परिवाद संख्या 10 सन् 2016ई0
प्रभावती देवी पत्नी भवन यादव ग्राम व पो0 बबुरी परगना मझवार तहसील व जिला चन्दौली।
...........परिवादिनी बनाम
1-सक्षम अधिकारी चोला मण्डलम/जनरल इश्योरेंस कम्पनी लि0 4 मेरी गोल्ड द्वितीय तल शाह नजफ रोड लखनऊ 226001
2-ई0आर0 अनिल कुमार पाण्डेय सर्वेयर एण्ड लांस एसेसर आफिस एण्ड आवास होटेल अवध कोठी,अपोजिट रेलवे स्टेशन वाराणसी।
3-विकास गुप्ता असिस्टेन्ट मैनेजर चोला मण्डलम/जनरल इश्योरेंस कम्पनी लि0 4 मेरी गोल्ड द्वितीय तल शाह नजफ रोड लखनऊ। 226001
4-शाखा प्रबन्धक,सेन्ट्रल बैंक आफ इण्डिया शाखा बबुरी जिला चन्दौली।
.............................विपक्षी
उपस्थितिः-
रामजीत सिंह यादव, अध्यक्ष
लक्ष्मण स्वरूप सदस्य
निर्णय
द्वारा श्री रामजीत सिंह यादव,अध्यक्ष
1- परिवादिनी ने यह परिवाद विपक्षीगण से अपने मकान के मरम्मत एवं मानसिक प्रताडना व परेशानी एवं खर्चा मुकदमा के लिए कुल रू0 600000/- दिलाये जाने हेतु प्रस्तुत किया है।
2- परिवादिनी की ओर से परिवाद प्रस्तुत करके संक्षेप में कथन किया गया है कि परिवादिनी के पुत्र ने सितम्बर 2014 में सेन्ट्रल बैंक आफ इण्डिया की शाखा बबुरी जिला चन्दौली से मकान पर ऋण लिया और मकान का बीमा विपक्षी संख्या 1 को रू0 11144/-प्रीमियम देकर दिनांक 1-10-2014 को कराया जिसका बीमा पालिसी संख्या 2130/0042373/000/00 है। उक्त बीमा दिनांक 30-9-2024 तक प्रभावी है। दिनांक 25-4-2015 को आये भीषण भूकम्प के कारण परिवादिनी के मकान की दीवारें क्षतिग्रस्त हो गयी तथा उनमें दरारे आ गयी जिसकी मरम्मत हेतु परिवादिनी ने विपक्षी बीमा कम्पनी के यहॉं दावा प्रस्तुत किया जिसका क्लेम नं0 213000/800 है। परिवादिनी द्वारा क्लेम प्रस्तुत करने पर बीमा कम्पनी के क्षेत्रीय अधिकारी ई0आर0 अनिल कुमार पाण्डेय सर्वेयर एण्ड लांस एसेसर ने अपने अलग प्रतिनिधि को ले जाकर सर्वे कराया और क्षतिग्रस्त मकान की दीवारों का फोटो भी खीचा। बीमा कम्पनी ने अपने पत्र दिनांक 7-5-2015 द्वारा परिवादिनी से फोटोग्राफ उपलब्ध कराने को कहा जिसको परिवादिनी ने कोरियर के माध्यम से भेज दिया। दिनांक 2-6-2015 को असिस्टेन्ट मैनेजर विकास गुप्ता विपक्षी संख्या 3 द्वारा भी फोटोग्राफ की मांग की गयी तो परिवादिनी ने समाचार पत्र की कापी, ग्रामप्रधान द्वारा प्रदत्त प्रमाण पत्र,महेन्द्र प्रताप सिंह बी0ई0 सिविल इंजीनियर द्वारा रिपेयरिंग स्टीमेट तथा नक्शा शपथ पत्र व फोटो कोरियर के माध्यम से दिनांक 12-8-2015 को भेज दिया। दिनांक 10-7-2015 को कम्पनी के अनिल कुमार पाण्डेय द्वारा अन्तिम पत्र भेजा गया जिसमे परिवादिनी को सी.बी.आर.आई. आफ
2
सिविल डिपार्टमेन्ट बी0एच0यू0 से इस बात का प्रमाण पत्र लाने को कहा गया कि परिवादिनी के मकान में जो क्षति हुई है वह भूकम्प के कारण क्षति पहुंची हुई न कि निर्माण के कमी के कारण हुई है। परिवादिनी ने अपना मकान सन् 2013-2014 में बनवाया है जिसमे उच्च क्वालिटी की सामग्री लगवायी है और किसी भी घटिया सामग्री का उपयोग नहीं किया है। परिवादिनी का मकान जनपद चन्दौली में पडता है तथा यहॉं कोई आई0आई0टी0 विभाग नहीं हैं,तथा परिवादिनी का मकान ग्रामसभा के अर्न्तगत आता है और यहॉं का सक्षम अधिकारी ग्रामप्रधान होता है जिससे प्रमाण पत्र लेकर परिवादिनी ने शपथ पत्र इस आशय कि मकान की क्षति भूकम्प के कारण हुई है, न कि निर्माण में कमी के कारण हुई है, बीमा कम्पनी को भेज दिया। परिवादिनी द्वारा बीमा कम्पनी तथा उनके क्षेत्रीय अधिकारी को समस्त कागजात उपलब्ध करा दिये जाने के बावजूद बीमा कम्पनी द्वारा परिवादिनी को क्षतिपूर्ति देने में आना-कानी की जा रही है। परिवादिनी के मकान के मरम्मत में वैवुवर रिर्पोट के अनुसार रू0 678000/- की लागत आयेगी। परिवादिनी ने अपने मकान के मरम्मत हेतु कई बार निवेदन किया लेकिन बीमा कम्पनी द्वारा परिवादिनी के प्रार्थना पत्र को अनदेखा कर दिया गया परिवादिनी थक-हार कर अपने मकान की मरम्मत करायी जिसमे लगभग रू0 500000/-खर्च आया।
3- विपक्षी 1 की ओर से जबाबदावा प्रस्तुत करके संक्षेप में कथन किया गया है कि परिवादिनी उपभोक्ता नहीं है। जैसा कि उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 की धारा 2(1)डी में उल्लिखित है। परिवादी ने विपक्षी से किसी प्रकार की सेवा हेतु कोई धनराशि प्राप्त नहीं किया है। अतः प्रस्तुत परिवाद उक्त अधिनियम के प्राविधानों के अर्न्तगत पोषणीय नहीं है और खारिज किये जाने योग्य है। परिवादी द्वारा प्रस्तुत परिवाद में कोई वाद कारण अथवा सेवा में त्रुटि विपक्षीगण के खिलाफ नहीं है। अतःकोई उपभोक्ता विवाद अथवा सेवा में त्रुटि जैसा कि धारा(1)ए 2(1) 9 के प्राविधानों के अर्न्तगत पोषणीय नहीं है और खारिज होने योग्य है। प्रस्तुत परिवाद में उल्लिखित तथ्य अत्यन्त ही तकनीकी है एवं साक्षियों का बयान जिरह आवश्यक है तथा जटिल प्रश्न जो तथ्यों व कानूनों से सम्बन्धित है माननीय फोरम द्वारा निस्तारित होने योग्य नहीं है, उनका समाधान व्यवहार न्यायालय द्वारा ही किया जा सकता है। प्रस्तुत परिवाद अधिनियम के प्राविधानों के बाहर है और इस आधार पर निरस्त होने योग्य है।परिवादिनी जो स्वयं के मकान की गृहस्वामी है खुद अपने नाम से ऋण न लेकर विधि विरूद्ध तरीके से अपने पुत्र के नाम से ऋण लिया है जो गैर कानूनी है। परिवादिनी द्वारा मकान पर बीमा कराया गया और ऋण पुत्र के नाम से और लेस परिवादिनी के नाम से जारी किया गया। परिवादिनी द्वारा मानक के विपरीत घटिया किस्म के बालू,सीमेन्ट का इस्तेमाल करके अपने मकान का निर्माण कराया जो मकान भूकम्प रोधी न होने के कारण दिनांक 25-4-2015को आये हल्के भूकम्प के झटके के कारण क्षतिग्रस्त हो गया।परिवादिनी का मकान विकास प्राधिकरण द्वारा अनुमोदित नहीं है और न ही परिवादिनी ने इस बात का जिक्र अपने परिवाद में किया है।
3
सिविल इंजीनियर संजय मिश्रा की रिर्पोट में परिवादिनी का मकान,स्कूल,बस स्टाप हास्पिटल से करीब 1 किलोमीटर की दूरी पर है जहॉं परिवादिनी का मकान क्षतिग्रस्त हुआ है। किन्तु स्कूल,बस स्टाप हास्पिटल की बिल्डिंग आदि क्षतिग्रस्त नहीं हुई। परिवादिनी के भूतल क्षेत्रफल 25फिट /55फिट-1375.5 वर्गफिट है। परिवादिनी के मकान का प्रथम तल 25फिट/26फिट-650 वर्गफिट है और परिवादिनी के दीवारों को क्षति पहुंचती है तो सम्पूर्ण मकान को भी क्षति होती लेकिन केवल परिवादिनी के दीवालों को ही क्षति पहुंची है परिवादिनी ने मकान की नीव कम गहरी बनवाया इसीलिए मकान को क्षति पहुंची। बीमा कम्पनी के अनिल कुमार द्वारा अपने पत्र में परिवादिनी से सी.बी.आर.आई. आफ सिविल डिपार्टमेन्ट बी0एच0यू0 से मकान की क्षति भूकम्प के कारण होने का प्रमाण पत्र मांगा गया किन्तु परिवादिनी द्वारा कोई भी स्पष्ट कारण का दस्तावेज पत्रावली में दाखिल नहीं है। परिवादिनी का मकान नव निर्मित है और दिनांक 10.13-14 में निर्माण कराया गया है जिसमे कम मात्रा की सामग्री का इस्तेमाल एवं घटिया किस्म का मैटेरियल लगाया गया है जिससे नव निर्मित मकान को क्षति पहुंची है। परिवादिनी द्वारा प्रस्तुत परिवाद फर्जी व गलत तथ्यों के आधार पर विपक्षी के विरूद्ध प्रस्तुत किया है अतः विपक्षी रू0 20000/- बतौर खर्चा मुकदमा परिवादिनी से प्राप्त करने का अधिकारी है।
4- इस फोरम द्वारा विपक्षी संख्या 2 व 3 को रजिस्टर्ड डाक से नोटिस भेजी गयी जो उनपर तामिल भी हुई किन्तु विपक्षी संख्या 2 व 3 न तो हाजिर आये एवं न ही जबाबदावा दाखिल किये। अतः यह परिवाद विपक्षी संख्या 2 व 3 के विरूद्ध एक पक्षीय चल रहा है।
5- विपक्षी संख्या 4 शाखा प्रबन्धक सेन्ट्रल बैंक आफ इण्डिया शाखा बबुरी की ओर से आपत्ति दाखिल की गयी है जिसमे मुख्य रूप से यह कहा गया है कि सेन्ट्रल बैक आफ इण्डिया शाखा बबुरी से परिवादिनी के पुत्र द्वारा ऋण लिये जाने का कथन स्वीकार है और उसका बीमा भी कराया गया है किन्तु परिवाद के पैरा 2 लगा0 15 का कोई सम्बन्ध विपक्षी संख्या 4 से नहीं है और न ही परिवादिनी ने विपक्षी संख्या 4 के विरूद्ध कोई अनुतोष चाहा है। अतः विपक्षी संख्या 4 को इस परिवाद से मुक्त रखा जाय।
6- परिवादिनी की ओर से परिवादिनी प्रभावती देवी का शपथ पत्र दाखिल किया गया है तथा दस्तावेजी साक्ष्य के रूप में इश्योरेंस प्रमाण पत्र की छायाप्रति,संजय मिश्रा,के बैंक वैल्यूएशन रिर्पोट की छायाप्रतियां,ग्रामप्रधान ग्रामपंचायत बबुरी के प्रमाण पत्र की छायाप्रति,इंजीनियर महेन्द्र प्रताप सिंह द्वारा परिवादिनी के मकान के मरम्मत के स्टीमेट तथा नक्शा की छायाप्रति,प्रभावती देवी के शपथ पत्र की छायाप्रति,कोरियर तथा रजिस्ट्री रसीदों की छायाप्रति,समाचार पत्रों की छायाप्रतियॉं,चोला मण्डलम इश्योरेंस कम्पनी के पत्र दिनांकित 2- 6- 2015 की
4
छायाप्रति,इंजीनियर अनिल कुमार पाण्डेय के सर्वे तथा असेसमेन्ट सम्बन्धी रिमाइन्डर की छायाप्रति, निर्माण सामग्री खरीदें जाने की रसीदों की छायाप्रतियॉं तथा मजदूरी आदि का विवरण दाखिल किया गया है। जो कागज संख्या 11ग/1 लगायत 11ग/39 है।
7- विपक्षी की ओर से दिनांक 10-7-2015 के रिमाइन्डर पत्र की छायाप्रति तथा मो0 वामिक खान,विधि अधिकारी चोला मण्डलम जनरल इश्योरेंस कम्पनी का शपथ पत्र दाखिल किया गया है।
8- पक्षकारों के विद्वान अधिवक्तागण के तर्को को सुना गया है। पक्षकारों द्वारा दाखिल लिखित तर्क तथा पत्रावली का सम्यक रूपेण परिशीलन किया गया।
9- परिवादिनी की ओर से मुख्य रूप से यह तर्क दिया गया है कि परिवादिनी ने अपने मकान का बीमा विपक्षी बीमा कम्पनी से दिनांक 1-10-2014 को कराया था और वह बीमा दिनांक 30-9-2024 तक प्रभावी था। दिनांक 25-4-2015 को आये भीषण भूकम्प के कारण परिवादिनी के मकान की दीवारें क्षतिग्रस्त हो गयी और उसमे दरारे आ गयी जिसकी मरम्मत के लिए परिवादिनी ने विपक्षी चोला मण्डलम जनरल इश्योरेंस कम्पनी लि0 के यहॉं क्लेम दाखिल किया और बीमा कम्पनी ने अपने सर्वेयर एण्ड लास एसेसर से सर्वे भी कराया और क्षतिग्रस्त दीवारों की फोटो भी खीची गयी। बीमा कम्पनी के पत्र दिनांक 7-5-2015 के द्वारा परिवादिनी से मकान का फोटोग्राफ मांगा गया था। जिसे परिवादिनी ने कोरियर द्वारा भेज था जिसकी रसीद दाखिल की गयी है। दिनांक 2-6-2015 को विपक्षी बीमा कम्पनी के असिस्टेन्ट मैनेजर विकास गुप्ता ने पत्र के माध्यम से परिवादिनी से फोटोग्राफ सहित सभी कागजात मांगे थे और दिनांक 12-8-2015 को कोरियर द्वारा वांछित फोटो व कागजात विपक्षी के लखनऊ कार्यालय को भेज दिया गया जिसकी रसीद दाखिल की गयी है। परिवादिनी की ओर से समाचार पत्र की छायाप्रति बीमा पालिसी की प्रति,ग्रामप्रधान के प्रमाण पत्र एवं सिविल इंजीनियर महेन्द्र प्रताप सिंह द्वारा दी गयी रिपेयरिंग स्टीमेट तथा नक्शा की छायाप्रति तथा शपथ पत्र व फोटो भी विपक्षी को भेजा गया था। दिनांक 10-7-2015 को विपक्षी बीमा कम्पनी के अनिल कुमार पाण्डेय ने परिवादिनी को एक पत्र भेजकर सी.बी.आर.आई.एफ. सिविल डिपार्टमेन्ट बी0एच0यू0 से इस बात का प्रमाण पत्र लाने को कहा कि परिवादिनी के मकान में जो क्षति पहुंची है वह भूकम्प के कारण पहुंची है,न कि निर्माण में कमी के कारण। परिवादिनी के अधिवक्ता द्वारा यह भी तर्क दिया गया कि परिवादिनी ने अपना मकान सन् 2013-2014 में बनवाया है जिसमे उच्च गुणवत्ता की सामग्री लगायी गयी है उसमे किसी घटिया सामग्री का प्रयोग नही किया गया है। परिवादिनी का मकान चन्दौली जनपद में स्थित है जहॉं आई.आई.टी. का कोई विभाग नहीं है। परिवादिनी का मकान ग्रामसभा के अंर्तगत आता है और परिवादिनी ने ग्रामप्रधान का प्रमाण पत्र कम्पनी को भेजा है तथा शपथ पत्र भी इस आशय का दिया है कि उसके मकान में जो क्षति हुई है वह भूकम्प के कारण हुई है न कि निर्माण में कमी के कारण। परिवादिनी का मकान ग्रामीण क्षेत्र में पडता है अतः यहॉं
5
पर कोई विकास प्राधिकरण नहीं है और विकास प्राधिकरण से स्वीकृति लेने की कोई आवश्यकता नहीं है। दिनांक 25-4-2015 को आये भूकम्प में वाराणसी,चन्दौली तथा पूर्वाचल के समस्त जिलों में भारी नुकसान हुआ था और तमाम मकान पूर्ण रूप से या आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त हो गये है। परिवादिनी ने अपने मकान की सुरक्षा के लिए उसका बीमा विपक्षी बीमा कम्पनी से करवाया था जिसके लिए उसने एक मुश्त बीमा की किश्त अदा किया था और बीमा कागजात में लिखा गया है कि भूकम्प या अन्य प्राकृतिक आपदा के कारण जो क्षति होगी उसकी भरपाई बीमा कम्पनी द्वारा की जायेगी। बीमा कम्पनी ने परिवादिनी के नव निर्मित मकान को बखूबी देखकर मकान का बीमा किया था और उस समय मकान का नक्शा पास होने या मकान के भूकम्प रोधी होने की कोई बात परिवादिनी से नहीं पूछी गयी थी और उसे बीमा कम्पनी की ओर से यह बताया गया था कि यदि भूकम्प आदि से कोई क्षति कारित होगी तो परिवादिनी को क्षतिपूर्ति दी जायेगी। परिवादिनी के मकान में भूकम्प के कारण जो क्षति हुई है वह बीमा अवधि में ही हुई है और उससे सम्बन्धित अभिलेख परिवादिनी ने विपक्षी बीमा कम्पनी को उपलब्ध करा दिया है और बीमा कम्पनी जानबूझकर परिवादिनी के क्लेम का पैसा नहीं दे रही है। अतः परिवादिनी ने यह परिवाद दाखिल किया है जो स्वीकार किये जाने योग्य है।
10- इसके विपरीत विपक्षी संख्या 1 चोला मण्डलम जनरल इश्योरेंस कम्पनी लि0 की ओर से मुख्य रूप से यह तर्क दिया गया है कि परिवादिनी उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 की धारा 2 (1)डी के तहत उपभोक्ता नहीं है। परिवादिनी को कोई वाद कारण प्राप्त नहीं है और विपक्षी द्वारा सेवा में कोई त्रुटि नहीं की गयी है। परिवादिनी ने केवल विपक्षीगण को परेशान करने के लिए फर्जी व गलत तथ्यों के आधार पर यह परिवाद दाखिल किया गया है जो निरस्त किये जाने योग्य है और विपक्षी बतौर खर्चा मुकदमा परिवादिनी से रू0 20000/- प्राप्त करने का अधिकारी है। परिवादिनी जो कि स्वयं मकान की स्वामिनी है, ने अपने नाम से ऋण न लेकर विधि विरूद्ध ढंग से अपने पुत्र के नाम से बैक से ऋण लिया है जो गैर कानूनी है। परिवादिनी ने मानक के विपरीत घटिया किस्म के बालू,सीमेन्ट के इस्तेमाल से अपने मकान का निर्माण कराया है जो मकान भूकम्प रोधी न होने के कारण दिनांक 25-4-2015 को आये हल्के भूकम्प के झटके के कारण क्षतिग्रस्त हो गया। परिवादिनी का मकान विकास प्राधिकरण द्वारा एप्रूव्ड नहीं किया गया है। सिविल इंजीनियर संजय मिश्रा की रिर्पोट में परिवादिनी का मकान स्कूल,बस स्टाप,हास्पिटल के करीब से 1 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है लेकिन स्कूल हास्पिटल या बस स्टाप के भवनों में कोई भी क्षतिग्रस्त नहीं हुआ है इससे यह स्पष्ट है कि परिवादिनी ने घटिया किस्म की मैटेरियल का इस्तेमाल किया है जिसके कारण उसका मकान क्षतिग्रस्त हुआ है न कि भूकम्प के कारण क्षतिग्रस्त हुआ है। परिवादिनी के मकान की भूतल 1375.5वर्गफिट तथा प्रथम तल 650वर्गफिट में निर्मित है अगर परिवादिनी की दीवारों को क्षति पहुंची होती तो सम्पूर्ण मकान को भी क्षति होती लेकिन परिवादिनी के मकान के दीवारों को ही क्षति पहुंची है।
6
परिवादिनी ने अपने मकान की नीव कम गहरी बनाया था जिसके कारण भी उसके मकान को क्षति पहुंची है। परिवादिनी ने बीमा कम्पनी के सर्वेयर अनिल कुमार द्वारा मांगा गया सी.बी.आर.आई.एफ. सिविल डिपार्टमेन्ट बी0एच0यू0 का प्रमाण पत्र इस आशय का कि उसके मकान में जो क्षति पहुंची है वह भूकम्प के कारण पहुंची है, नहीं दिया गया। विपक्षी के अधिवक्ता का तर्क है कि परिवादिनी ने अपने मकान में घटिया किस्म का मैटेरियल लगाया था जिसके कारण उसका मकान क्षतिग्रस्त हुआ। ऐसी स्थिति में वह कोई क्षतिपूर्ति प्राप्त करने की अधिकारिणी नहीं है।
11- उभय पक्ष के तर्को को सुनने तथा पत्रावली के अवलोकन से यह स्पष्ट है कि यह स्वीकृत तथ्य है कि परिवादिनी ने अपने मकान का बीमा विपक्षी संख्या 1 चोला मण्डलम जनरल इश्योरेंस कम्पनी लि0 से दिनांक 1-10-2014 को कराया था और यह बीमा दिनांक 25-4-2015 तक वैध था। यह भी स्वीकृत तथ्य है कि दिनांक 25-4-2015 को इस क्षेत्र में भूकम्प आया था। परिवादिनी का अभिकथन है कि भीषण भूकम्प के कारण उसके मकान की दीवारें क्षतिग्रस्त हो गयी और उनमें दरारें आ गयी थी जिसके मरम्मत के खर्च के लिए उसने विपक्षी बीमा कम्पनी के यहॉं क्लेम दाखिल किया किन्तु विपक्षी बीमा कम्पनी द्वारा परिवादिनी के क्लेम का भुगतान इस आधार पर नहीं किया गया कि परिवादिनी ने अपने मकान का निर्माण घटिया निर्माण सामग्री से करवाया था जिसके कारण उसके मकान की दीवारों में दरार आ गयी। विपक्षी का यह भी अभिकथन है कि परिवादिनी ने बीमा कम्पनी के अनिल कुमार द्वारा मांगा गया प्रमाण पत्र इस आशय का दाखिल नहीं किया कि परिवादिनी के मकान की क्षति भूकम्प के कारण हुई थी।
12- इस प्रकार प्रस्तुत मामले में सर्वप्रथम विचारणीय प्रश्न यह है कि क्या दिनांक 25-4-2015 को आये भूकम्प के कारण परिवादिनी के मकान की दीवारें क्षतिग्रस्त हुई थी और उनमें दरार आई थी जैसा कि परिवादिनी का अभिकथन है या फिर परिवादिनी का मकान घटिया निर्माण सामग्री से बना होने के कारण क्षतिग्रस्त हो गया।परिवादिनी के शपथ पत्र तथा उसके द्वारा दाखिल की गयी समाचार पत्रों की कटिंग से यह स्पष्ट है कि दिनांक 25-4-2015 को इस क्षेत्र में भूकम्प आया था जिसमे क्षेत्र के तमाम मकान क्षतिग्रस्त हुये थे स्वयं विपक्षी ने अपने जबाबदावा के पैरा 18 में दिनांक 25-4-2015 को भूकम्प आने के तथ्य को स्वीकार किया है। यद्यपि उसका अभिकथन है कि यह भूकम्प हल्का था और परिवादिनी ने अपना मकान मानक के विपरीत घटिया किस्म के बालू व सीमेन्ट का इस्तेमाल करके बनवाया था जो भूकम्परोधी नहीं था इसलिए क्षतिग्रस्त हो गया। विधिक रूप से इस तथ्य को सिद्ध करने का भार विपक्षी पर ही है, कि परिवादिनी के मकान का निर्माण घटिया किस्म के सामग्री से किया गया था क्योंकि परिवादिनी ने अपने परिवाद व शपथ पत्र में स्पष्ट रूप से कहा है कि उसने अपने मकान का निर्माण उच्च क्वालिटी की सामग्री से करवाया था। विपक्षी की ओर से शाखा प्रबन्धक मो0 वामिक हुसैन खान के शपथ पत्र के अलावा अन्य कोई ऐसा विश्वसनीय साक्ष्य नहीं दिया
7
गया है जिससे यह सिद्ध हो सके कि परिवादिनी के मकान का निर्माण घटिया किस्म की सामग्री से किया गया था। मो0 वामिक हुसैन खान विपक्षी बीमा कम्पनी के शाखा प्रबन्धक है। अतः हितबद्ध साक्षी की श्रेणी में आते है और वे किसी मकान के निर्माण सामग्री की जांच करने के विशेषज्ञ भी नहीं माने जा सकते है। बीमा कम्पनी की ओर से सर्वेयर आदि मौके पर गये थे किन्तु उनकी या किसी विशेषज्ञ की ऐसी रिर्पोट दाखिल नहीं है जिससे यह सिद्ध हो सके कि परिवादिनी के मकान का निर्माण घटिया सामग्री से किया गया था। सामान्य तौर पर एक सामान्य व्यक्ति अपने जीवन काल में निवास हेतु बडी मुश्किल से एक मकान बनवा पाता है और कोई भी प्रज्ञावान व्यक्ति अपने रहने के लिए बनाये गये मकान में जानबूझकर घटिया सामग्री का प्रयोग नहीं करेगा। परिवादिनी ने अपने शपथ पत्र व परिवाद पत्र में कहा है कि उसने अपने मकान का निर्माण उच्च गुणवत्ता की सामग्री से किया था और उसके इस अभिकथन पर अविश्वास करने का कोई समुचित कारण प्रतीत नहीं होता है। अतः फोरम की राय में पत्रावली पर उपलब्ध साक्ष्यों से यह सिद्ध नहीं होता है कि घटिया निर्माण सामग्री से बना होने के कारण परिवादिनी का मकान क्षतिग्रस्त हुआ था बल्कि पत्रावली पर उपलब्ध साक्ष्यों से यहीं निष्कर्ष निकलता है कि दिनांक 25-4-2015 को भूकम्प आया था और भूकम्प के कारण ही परिवादिनी का मकान क्षतिग्रस्त हुआ था।
13- विपक्षी के अधिवक्ता द्वारा यह तर्क दिया गया कि परिवादिनी से सी0बी0आर0आई0 आफ सिविल डिपार्टमेन्ट बी0एच0यू0 से इस बात का प्रमाण लाने के लिए कहा गया था कि परिवादिनी के मकान में जो क्षति हुई है वह भूकम्प के कारण हुई है न कि निर्माण में कमी के कारण हुई है किन्तु परिवादिनी ने ऐसा कोई प्रमाण पत्र बीमा कम्पनी में जमा नहीं किया है इससे यही निष्कर्ष निकलता है कि परिवादिनी का मकान भूकम्प में क्षतिग्रस्त नहीं हुआ था किन्तु फोरम की राय में विपक्षी के अधिवक्ता के उपरोक्त तर्क में कोई बल नहीं है क्योंकि परिवादिनी ने अपने परिवाद में स्पष्ट रूप से कहा है कि उसका मकान ग्रामीण क्षेत्र में स्थित है और जनपद चन्दौली में कोई आई0आई0टी0 नहीं है। परिवादिनी के अधिवक्ता द्वारा यह तर्क दिया गया है कि जब बीमा कम्पनी ने परिवादिनी से आई0आई0टी0 बी0एच0यू0 से प्रमाण पत्र लाने को कहा था तो परिवादिनी बी0एच0यू0 गयी थी लेकिन वहॉं से उसे कोई प्रमाण पत्र नहीं दिया गया और यह कहा गया कि ऐसा कोई प्रमाण पत्र नहीं दिया जाता है और यह भी कहा गया कि चन्दौली जिला उनके क्षेत्राधिकार में नहीं है इस सम्बन्ध में परिवादिनी ने बीमा कम्पनी के अनिल कुमार पाण्डेय को एक शपथ पत्र जिसकी छायाप्रति कागज संख्या 11ग/31 व 11ग/32 है प्रेषित किया था और उसमे भी स्पष्ट रूप परिवादिनी ने यह कहा है कि उसके जिले चन्दौली में कोई आई0आई0टी0 नहीं है और वह आई0आई0टी बी0एच0यू0 गयी थी लेकिन वहॉं उससे कहा गया कि आपका मकान चन्दौली जिले में आता है इसलिए हम लोग प्रमाण पत्र जारी नहीं कर सकते है और यहॉं ऐसा कोई प्रमाण पत्र जारी भी नहीं किया जाता है। परिवादिनी के इस शपथ पत्र के
8
खण्डन में विपक्षी की ओर से कोई प्रतिशपथ पत्र या अन्य साक्ष्य दाखिल नहीं है इस प्रकार परिवादिनी का यह शपथ पत्र अखण्डित होने के कारण पूर्णतः विश्वसनीय है यहॉं यह तथ्य भी उल्लेखनीय है कि बीमा कराने के पहले बीमा कम्पनी की ओर से परिवादिनी के मकान की जांच करायी गयी थी और उसके बाद ही बीमा किया गया था। परिवादिनी ने बीमा के पहले इंजीनियर संजय मिश्रा द्वारा जारी परिवादिनी के मकान की वैल्यूएशन रिर्पोट की छायाप्रति कागज संख्या 11ग/3 ता 11ग/6 भी दाखिल किया है जिसमे यह कहा गया है कि परिवादिनी का मकान सन् 2012-2013 में बना है जिसका निर्माण आर0सी0सी0 से किया गया है इससे यह स्पष्ट होता है कि परिवादिनी का मकान बिल्कुल नया था जिसका निर्माण सही ढंग से किया गया था अतः इस आधार पर भी यहीं निष्कर्ष निकलता है कि परिवादिनी के मकान का निर्माण घटिया सामग्री से नहीं हुआ है और न इस वजह से मकान क्षतिग्रस्त हुआ है बल्कि भूकम्प के कारण मकान क्षतिग्रस्त हुआ था।
14- विपक्षी की ओर से यह तर्क दिया गया है कि परिवादिनी उपभोक्ता की श्रेणी में नहीं आती है और विपक्षी द्वारा सेवा में कोई त्रुटि नहीं की गयी है और परिवाद पोषणीय नहीं है किन्तु विपक्षी के उपरोक्त तर्क में कोई बल नहीं पाया जाता है क्योंकि प्रस्तुत मामले में यह स्वीकृत तथ्य है कि परिवादिनी ने एक मुश्त किस्त जमा करके विपक्षी बीमा कम्पनी से अपने मकान का बीमा करवाया था जिसके तहत विपक्षी बीमा कम्पनी परिवादिनी के मकान की भूकम्प से हुई क्षति की क्षतिपूर्ति हेतु कानूनी रूप से बाध्य है क्योंकि परिवादिनी का मकान जिस दिन क्षतिग्रस्त हुआ उस दिन बीमा वैध था ऐसी स्थिति में परिवादिनी वैधानिक रूप से उपभोक्ता की श्रेणी में आती है और विपक्षी द्वारा परिवादिनी को क्षतिपूर्ति न देना निश्चित रूप से सेवा में कमी माना जायेगा। अतः इस वाद की सुनवाई का क्षेत्राधिकार इस फोरम को प्राप्त है।
15- अब प्रश्न यह उत्पन्न होता है कि परिवादिनी विपक्षी से कितनी क्षतिपूर्ति प्राप्त करने की अधिकारिणी है ? अपने परिवाद में परिवादिनी ने यह कहा है कि उसके क्षतिग्रस्त मकान की मरम्मत कराने में उसका रू0 500000/- खर्च हुआ है अतः उसने उक्त रू0 500000/- तथा मानसिक प्रताडना व परेशानी की क्षतिपूर्ति के रूप में रू0 100000/- अर्थात कुल रू0 600000/- क्षतिपूर्ति की मांग किया है। परिवादिनी ने इंजीनियर महेन्द्र प्रताप सिंह द्वारा क्षतिग्रस्त मकान के मरम्मत में आने वाले खर्च के सम्बन्ध में दिये गये स्टीमेट की छायाप्रति कागज संख्या 11ग/8 व 11ग/9 दाखिल किया है जिसमें मरम्मत का खर्च रू0 6,78000/-दिखाया गया है किन्तु स्वयं परिवादिनी ने परिवाद में मरम्मत में रू0 500000/- खर्च होना बताया है लेकिन परिवादिनी की ओर से अपने मकान की मरम्मत में प्रयुक्त सामग्रीयों के क्रय करने की जो रसीद कागज संख्या 11ग/27 लगा0 11ग/37 तथा 11ग/39 दाखिल की गयी है वे रू0 167223/- की है इसके अतिरिक्त परिवादिनी की ओर से मजदूरी आदि के खर्च का विवरण कागज संख्या 11ेग/38 के रूप में दाखिल किया गये है किन्तु इसमे लेवर,राजमिस्त्री,पलम्बर,इलेक्ट्रीशियन,बढई आदि की
9
मजदूरी का जो विवरण दिया गया है उसके सम्बन्ध में कोई रसीद दाखिल नहीं की गयी है। इसी प्रकार इमारती लकडी तथा ईट,बास बल्ली व ट्रांसपोर्ट भाडा आदि का भी कोई रसीद दाखिल नहीं की गयी है जबकि इन मदों में लगभग रू0 305500/- का खर्च दिखाया गया है यह विश्वसनीय प्रतीत नहीं होता है कि रू0 167223/- की निर्माण सामग्री से कराये गये निर्माण कार्य की मजदूरी आदि में रू0 305500/- व्यय हो जाय। सम्पूर्ण तथ्यों एवं परिस्थितियों को देखते हुए फोरम की राय में परिवादिनी को उसके निर्माण सामग्री के रूप में हुए व्यय हुए रू0 167223/-तथा राजमिस्त्री,मजदूर,इलेक्ट्रीशियन,पलम्बर बढई आदि की मजदूरी व ट्रांसपोर्ट के खर्च के रूप में रू0 100000/- अर्थात कुल रू0 267223/- व्याज सहित दिलाया जाना न्यायोचित प्रतीत होता है इसके अतिरिक्त परिवादिनी को मानसिक व शारीरिक पीडा की क्षतिपूर्ति के रूप में रू0 3000/- तथा वाद व्यय के रूप में रू0 1000/- भी दिलाया जाना न्यायोचित प्रतीत होता है और इस प्रकार परिवादिनी का परिवाद आंशिक रूप से स्वीकार किये जाने योग्य है।
आदेश
परिवादिनी का परिवाद आंशिक रूप से स्वीकार किया जाता है विपक्षी संख्या 1 ता 3 को आदेशित किया जाता है कि वे आज से 2 माह के अन्दर परिवादिनी को उसके मकान के मरम्मत में हुए खर्च की क्षतिपूर्ति के रूप में रू0 267223/-(दो लाख सडसठ हजार दौ सौ तेइस)तथा इस धनराशि पर दावा दाखिल करने की तिथि दिनांक 16-2-2016 से पैसा अदा करने की तिथि तक 8 प्रतिशत साधारण वार्षिक व्याज भी अदा करें। विपक्षीगण को यह भी आदेशित किया जाता है कि वे इसी अवधि में परिवादिनी को शारीरिक एवं मानसिक पीडा की क्षतिपूर्ति हेतु रू0 3000/-(तीन हजार) तथा वाद व्यय के रूप में रू0 1000/-(एक हजार) भी अदा करें।
(लक्ष्मण स्वरूप) (रामजीत सिंह यादव)
सदस्य अध्यक्ष
दिनांकः11-05-2018