Madhya Pradesh

Seoni

CC/37/2014

LAKCHAMAN DAS JETHANI - Complainant(s)

Versus

SAKHA PRABNDHAK UNITED INDIA INSURANCE - Opp.Party(s)

YAGULKISHOR

18 Feb 2015

ORDER

 

जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोषण फोरम, सिवनी(म0प्र0)

प्रकरण क्रमांक 372014                 प्रस्तुति दिनांक-25.04.2014

समक्ष :-
अध्यक्ष - व्ही0पी0 षुक्ला
    सदस्य - वीरेन्द्र सिंह राजपूत,

लक्ष्मणदास, पिता स्वर्गीय श्री
हरिप्रसाद जेठानी, आयु लगभग 45 
वर्श, जाति सिंधी, निवासी-मेजर
ध्यानचंद वार्ड सिवनी, थाना सिवनी
तहसील व जिला सिवनी (म0प्र0)                  ........................परिवादी
               
        :-विरूद्ध-: 

षाखा प्रबंधक,
यूनार्इटेड इणिडया इंष्योरेंस कम्पनी
लिमिटेड, षाखा कार्यालय चर्च
कम्पाउण्ड, एन.एच.7 सिवनी, तहसील
वा जिला सिवनी (म0प्र0)                          .....................अनावेदक    

:-आदेश-:

(आज दिनांक-18.02.2015 को पारित)

पीठासीन अध्यक्ष :- विमल प्रकाश शुक्ला,

1.              परिवादी ने अनावेदक के विरूद्ध धारा 12 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के अन्तर्गत सेवा में कमी के आधार पर मोटरसाइकिल कमांक-एम.पी.22 एम.बी. 3304 के चोरी होने के कारण बीमाधन राषि 41,850-रूपये वापस दिलायें जाने, मानसिक प्रताड़ना हेतु 10,000-रूपये, विलंब हेतु 10,000- रूपये एवं वाद-व्यय 3,000-रूपये कुल-64,850-रूपये मय ब्याज दिलाये जाने हेतु यह परिवाद प्रस्तुत किया है। 

2.            परिवादी का पक्ष संक्षेप में इस प्रकार है कि परिवादी हीरो होण्डा पेषन मोटरसार्इकिल जिसका पंजीयन क्रमांक-एम.पी. 22 एम.बी. 3304 का मालिक है। परिवादी ने अनावेदकबीमा कम्पनी को दिनांक-13.12.2011 को 992-रूपये प्रीमियम  अदा कर हीरो होण्डा क्रमांक-एम.पी.22 एम.बी. 3304 का दिनांक-14.12.2011 से 13.12.2011 की अवधि के लिए बीमा कराया था। अनावेदकबीमा कम्पनी द्वारा परिवादी को बीमा पालिसी क्रमांक-19090331 110100004651 जारी की गर्इ थी। परिवादी ने दिनांक-15.10.2012 को मोटरसार्इकिल अपने निवास स्थान के बाहर खड़ी कर दिया था। कुछ देर बाद परिवादी जब घर से बाहर निकला, तब मोटरसार्इकिल नहीं मिली। कोर्इ चोर मोटरसार्इकिल चुराकर ले गया था, उसने मोटरसार्इकिल ढूंढने का प्रयास किया, किन्तु मोटरसार्इकिल नहीं मिली। 

 

प्रकरण क्रमांक 372014     

उसने दिनांक-18.10.2012 को मोटरसार्इकिल चोरी होने की सूचना नगर निरीक्षक कोतवाली, सिवनी को दी थी, किन्तु मोटरसार्इकिल बरामद नहीं हुर्इ। आरक्षी केन्द्र कोतवाली नेे मुख्य न्यायिक दण्डाधिकारी सिवनी के न्यायालय में खात्मा प्रकरण क्रमांक-5313 प्रस्तुत किया था। परिवादी ने अनावेदक को दिनांक-17.01.2013 को घटना की लिखित सूचना दी थी, अनावेदक द्वारा परिवादी से दिनांक-09.09.2013 को आवष्यक दरूतावेजों की मांग की गर्इ, परिवादी ने अनावेदक को वांछित दस्तावेज भी उपलब्ध करा दिया था। अनावेदकबीमा कम्पनी द्वारा परिवादी का बीमा दावा दिनांक-18.02.2014 को बिना किसी युकितयुक्त आधार के ही निरस्त कर दिया गया, जो अनावेदक की सेवा में कमी है। अतएव परिवादी ने अनावेदक के विरूद्ध मोटरसार्इकिल क्रमांक-एम.पी.22 एम.बी. 3304 का बीमाधन राषि 41850-रूपये, मानसिक कश्ट हेतु 10,000-रूपये, विलंब हेतु 10,000-रूपये तथा वाद-व्यय 3,000-रूपये मय ब्याज के दिलाये जाने हेतु परिवाद प्रस्तुत किया है। 

3.            अनावेदक का पक्ष संक्षेप में इस प्रकार है कि अनावेदकबीमा कम्पनी द्वारा परिवादी की मोटरसार्इकिल क्रमांक-एम.पी.22 एम.बी. 3304 का बीमा षर्तों के आधीन बीमा किया गया था। परिवादी ने मोटरसार्इकिल क्रमांक-एम.पी.22 एम.बी. 3304 की सूचना आरक्षी केन्द्र कोतवाली सिवनी को दिनांक-09.01.2013 को दिया था, परिवादी द्वारा अतिरिक्त क्षेत्रीय परिवहन अधिकारी, सिवनी को मोटरसार्इकिल चोरी होने की सूचना दिनांक-18.01.2013 को दी गर्इ थी, परिवादी ने अनावेदकबीमा कम्पनी को भी मोटरसार्इल चोरी होने की सूचना विलंब से दिया था। बीमा पालिसी की षर्तों के अनुसार वाहन चोरी की सूचना बीमाधारक को तत्काल दी जानी चाहिये थी। बीमा षर्तों के उल्लघंन के कारण परिवादी का बीमा दावा आमान्य किया गया है। अतएव अनावेदक ने परिवादी का परिवाद निरस्त किये जाने का निवेदन किया है। 

4.            विचारणीय बिन्दु यह हैं कि क्या अनावेदक द्वारा परिवादी का बीमा     दावा आमान्य कर, सेवा में कमी की गर्इ है?
            
5.            यह स्वीकृत तथ्य है कि परिवादी मोटरसार्इकिल हीरो होण्डा पेषन, जिसका पंजीयन क्रमांक-एम.पी.22 एम.बी. 3304 है, का मालिक है। परिवादी ने अनावेदकबीमा कम्पनी को दिनांक-13.12.2011 को 992-रूपये प्रीमियम राषि अदा कर, दिनांक 14.12.2011 से 13.12.2012 की अवधि के लिए मोटरसार्इकिल का बीमा कराया था, अनावेदकबीमा कमपनी द्वारा परिवादी को बीमा पालिसी क्रमांक-19090331110100004651 जारी की गर्इ थी। 

6.            परिवादी-लक्ष्मणदास ने षपथ-पत्र पर प्रकट किया है कि वह दिनांक-15.10.2012 को भोजन करने के लिए अपने  घर गया था, उसने मोटरसार्इकिल घर के बाहर लाक कर खड़ा कर दिया था। कुछ देर बाद जब वह घर से बाहर निकला, तब मोटरसार्इकिल नहीं मिली। कोर्इ चोर मोटरसार्इकिल चुराकर ले गया था , उसने दिनांक-18.10.2012 को नगर निरीक्षक कोतवाली, सिवनी को घटना की सूचना दी थी, आरक्षी केन्द्र कोतवाली द्वारा मुख्य न्यायिक दण्डाधिकारी, सिवनी के न्यायालय में घटना के संबंध में खात्मा प्रकरण क्रमांक-5313 दिनांक-30.11.2013 प्रस्तुत किया 

 

प्रकरण क्रमांक 372014

गया था। उसने अनावेदक से एक सप्ताह के अन्दर अनावेदकबीमा कम्पनी से संपर्क किया, तब अनावेदकबीमा कम्पनी द्वारा उसकी मोटरसार्इकिल खोजबीन करने का निर्देष दिया गया था, उसने अनावेदकबीमा कम्पनी को दिनांक-17.01.2013 को घटना की लिखित सूचना दी थी, जिसके आधार पर अनावेदकबीमा कम्पनी द्वारा उससे दिनांक-09.09.2013 को आवष्यक दस्तावेजों की मांग की गर्इ, उसने अनावेदकबीमा कम्पनी को आवष्यक दस्तावेज उपलब्ध करा दिया था। इसके पष्चात अनावेदकबीमा कम्पनी द्वारा उसका बीमा दावा दिनांक-18.02.2014 को निरस्त कर दिया गया। 

7.            अनावेदकबीमा कम्पनी की ओर से प्रस्तुत जवाब एवं संजीव कुमार डे के षपथ-पत्र में यह आपतित ली गर्इ है कि परिवादी ने मोटरसार्इकिल क्रमांक-एम.पी.22 एम.बी. 3304 की दिनांक-15.10.2012 को चोरी होने के बाद दिनांक-09.01.2013 को आरक्षी केन्द्र कोतवाली, सिवनी में रिपोर्ट दर्ज कराया था। परिवादी ने अतिरिक्त क्षेत्रीय परिवहन अधिकारी सिवनी को मोटर सार्इकिल चोरी होने की सूचना दिनांक-18.01.2013 को दिया था। परिवादी ने बीमा कम्पनी को भी मोटर सार्इकिल के चोरी होने की विलंब से सूचना दी थी, जिसके कारण अनावेदक बीमा कम्पनी द्वारा बीमा पालिसी की षर्त क्रमांक-1 का उल्लघंन होने के कारण परिवादी का बीमा दावा आमान्य किया गया है।

8.            प्रदर्ष पी-11 के पत्र के जरिये परिवादी को यह अवगत कराया गया था कि मोटर सार्इकिल की चोरी होने की सूचना अनावेदकबीमा कम्पनी को 93 दिन पष्चात दिनांक 17.01.13 को दिया गया था, जो बीमा पालिसी की षर्त क्रमांक-1 का उल्लंघन है। परिवादी ने परिवाद पत्र की कंडिका-7 में यह अभिवचन किया है कि मोटर सार्इकिल चोरी होने के एक सप्ताह के भीतर उसने अनावेदकबीमा कम्पनी से सम्पर्क किया, किन्तु उसे अनावेदकबीमा कम्पनी द्वारा पुलिस खोजबीन की कार्यवाही के उपरांत आवेदन पत्र देने का निर्देष दिया गया था। परिवादी का यह अभिवचन मौखिक सूचना पर आधारित है। परिवादी ने बीमा कम्पनी को प्रेशित पत्र प्रदर्ष पी-4 मूलत: प्रस्तुत किया है, जिसके अनुसार परिवादी ने अनावेदकबीमा  कम्पनी को  मोटर सार्इकिल  चोरी होने की सूचना दिनांक   17.01.13 को दी है। प्रदर्ष पी-4 के पत्र पर बीमा कम्पनी के सक्षम अधिकारी द्वारा दिनांक 17.01.13 को पावती दी गर्इ है। 

9.             प्रथम सूचना रिपोर्ट प्रदर्ष पी-3 में आरक्षी केन्द्र सिवनी में मोटर सार्इकिल चोरी होने की सूचना दिनांक 09.01.13 को 22:05 बजे दिये जाने का उल्लेख है। परिवादी अधिवक्ता ने हमारा ध्यान प्रदर्ष पी-1 की ओर आकृश्ट किया, जिसके अनुसार परिवादी द्वारा नगर निरीक्षक कोतवाली को मोटर सार्इकिल चोरी होने की लिखित सूचना दी गर्इ है। यधपि प्रदर्ष पी-1 के पत्र में कोर्इ तारीख अंकित नहीं है, किन्तु प्रदर्ष पी-1 के पत्र पर नगर निरीक्षक के हस्ताक्षर के नीचे दिनांक 18.10.12 की तारीख अंकित है। तर्क के लिये यह मान्य कर लिया जावे कि नगर निरीक्षक कोतवाली सिवनी को मोटर सार्इकिल चोरी होने की सूचना दिनांक 18.10.12 को दी थी, तब भी परिवादी द्वारा 2 दिन विलंब से आरक्षी केन्द्र कोतवाली, सिवनी को मोटर सार्इकिल चोरी होने की सूचना दी गर्इ है। इसी प्रकार परिवादी ने अतिरिक्त क्षेत्रीय परिवहन अधिकारी सिवनी को सम्बोधित पत्र प्रदर्ष पी-5 की छायाप्रति प्रस्तुत 

 

प्रकरण क्रमांक 372014
 
किया है, जिसके अनुसार परिवादी द्वारा अतिरिक्त क्षेत्रीय परिवहन अधिकारी को मोटर सार्इकिल चेारी होने की सूचना दिनांक 18.01.13 को दी गर्इ है। परिवादी ने मोटर सार्इकिल चोरी होने की सूचना बीमा कम्पनी को 93 दिन बाद दिया है। 

10.            न्याय दृश्टांत एच.डी.एफ.सी. आर्गो जनरल इंष्योरेंस कम्पनी लिमिटेड विरूद्ध भागचंद सैनी । (2015) सी.पी.जे. 206 (एन.सी.) में माननीय राश्ट्रीय आयोग ने अभिनिर्धारित किया है कि वाहन चोरी होने की 4 माह विलंब से बीमा कम्पनी को सूचना दिया जाना बीमा षर्तो का उल्लंघन है एवं परिवादी बीमा कम्पनी को विलंब से सूचना दिये जाने के कारण कोर्इ भी राषि पाने का अधिकारी नहीं है। इस मामले में भी परिवादी ने अनावेदकबीमा कम्पनी को मोटर सार्इकिल चोरी होने की 93 दिन बाद सूचना दी है, जो बीमा षर्तो का उल्लंघन है, जिसके अनुसार अनावेदकबीमा कम्पनी द्वारा परिवादी का बीमा दावा अमान्य कर सेवा में कमी नहीं की गर्इ है। 

11.            अत: उपरोक्त विवेचना के आधार पर हम परिवादी को कोर्इ सहायता न दिलाते हुये अनावेदक के विरूद्ध परिवादी का परिवाद निरस्त करते हैं। 

12.            मामले में आये तथ्यों को देखते हुये पक्षकार अपना-अपना वाद व्यय स्वयं वहन करें। 

13.               आदेष की प्रति नि:षुल्क प्रदान की जावे।


¿ विमल प्रकाष शुक्लाÀ                         मैं सहमत हू।                      अध्यक्ष 
                        जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम, 
     ¿वीरेन्द्र सिंह राजपूतÀ               सिवनी म0प्र0          
            सदस्य    
  

      
  
 

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