Madhya Pradesh

Seoni

CC/18/2014

PRADEEP KUMAR SURYAVANSI - Complainant(s)

Versus

SAKHA PRABNDHAK UNITED INDIA INSURANCE COMPANY LMD. - Opp.Party(s)

ISRAR KHAN

19 May 2014

ORDER

जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोषण फोरम, सिवनी(म0प्र0)


प्रकरण क्रमांक -18-2014                              प्रस्तुति दिनांक-13.03.2014


समक्ष :-
अध्यक्ष - रवि कुमार नायक
सदस्य - श्री वीरेन्द्र सिंह राजपूत,

प्रदीप कुमार सूर्यवंषी, वल्द श्री सुखदास
सूर्यवंषी, आयु लगभग 29 वर्श, साकिन
ग्राम-छीतापार, थाना व तहसील कुरर्इ, 
जिला सिवनी (म0प्र0)।..........................................आवेदकपरिवादी।


                :-विरूद्ध-: 
श्रीमान षाखा प्रबंधक महोदय,
यूनार्इटेड इंडिया इंष्योरेंस कंपनी 
लिमिटेड, चर्च कैम्पस, एन.एच-7,
सिवनी (म0प्र0)।.......................................................अनावेदकविपक्षी।    


                 :-आदेश-:
     (आज दिनांक- 19-05-2014      को पारित)
द्वारा-अध्यक्ष:-
(1)        परिवादी ने यह परिवाद उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम की धारा 12 के तहत, अनावेदक बीमा कम्पनी षाखा द्वारा, परिवादी के बीमित वाहन की गोंदिया रेल्वे स्टेषन से दिनांक-25.08.2012 को चोरी हो जाने पर, परिवादी के बीमा क्लेम को दिनांक-18.12.2013 के पत्र के द्वारा अस्वीकार कर दिये जाने को अनुचित व सेवा में कमी बताते हुये, वाहन का बीमित मूल्य 22,000-रूपये व हर्जाना दिलाने के अनुतोश हेतु पेष किया है।
(2)        यह स्वीकृत तथ्य है कि-परिवादी वाहन-मोटरसायकिल क्रमांक-एम0पी0 22 जे.0614 का स्वामी था और उसके उक्त वाहन को अनावेदक बीमा कम्पनी द्वारा, बीमा पालिसी क्रमांक-1909033111 0105424 के तहत दिनांक-14.011.2012 से 13.01.2013 तक की अवधि के लिए बीमित किया गया था। यह भी विवादित नहीं है कि-परिवादी का उक्त वाहन रेल्वे स्टेषन गोंदिया (महाराश्ट्र) के बाहर खड़ा किये जाने पर चोरी हो जाने बाबद, दिनांक-03.09.2012 को पुलिस थाना कोतवाली, गोंदिया द्वारा प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज की गर्इ थी। और यह भी विवादित नहीं कि-परिवादी के बीमा क्लेम को अनावेदक क्रमांक-1 द्वारा इस आधार पर अस्वीकार कर दिया गया कि-9 दिन के विलम्ब से दिनांक-03.09.2012 को पुलिस स्टेषन में प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज करार्इ गर्इ और दिनांक-05.09.2012 को बीमा कम्पनी को घटना की सूचना दी गर्इ, जो कि-विलम्ब से सूचना दिया जाना पालिसी षर्तों का उल्लघंन है।
(3)        स्वीकृत तथ्यों के अलावा, परिवाद का सार यह है कि- दिनांक-25.08.2012 को रेल्वे स्टेषन गोंदिया (महाराश्ट्र) से परिवादी का वाहन चोरी चला गया था, जिसकी रिपोर्ट तत्काल संबंधित थाना में कर दी गर्इ थी, लेकिन पुलिस थाना गोंदिया ने दिनांक-25.08.2012 को परिवादी की सूचना पर रिपोर्ट नहीं लिखी गर्इ और एक सादे कागज में रिपोर्ट लिखकर जांच की जाती रही, फिर परिवादी ने पुलिस के उच्चाधिकारियों से जाकर षिकायत किया, तब दिनांक-03.09.2012 को पुलिस थाना, गोंदिया द्वारा रिपोर्ट लिखी गर्इ, परिवादी ने सिवनी आकर अनावेदक क्रमांक-1 के कार्यालय में वाहन चोरी की सूचना मौखिक रूप से दो दिन पष्चात ही दे-दी थी, फिर भी अनावेदक क्रमांक-1 के द्वारा, दिनांक-18.12.2013 के पत्र के माध्यम से सूचना देने में विलम्ब का आधार बताकर, अनुचित रूप से परिवादी के क्लेम को निरस्त किया गया है, जबकि-प्रथम सूचना रिपोर्ट दिनांक-03.09.2012 को पंजीबद्ध की गर्इ, इसलिए अनावेदक के पास लिखित रूप से सूचना देने में विलम्ब हुआ, तो विलम्ब का कारण, न्यायहित में सदभावी रहा है और जानबूझकर परिवादी ने बीमा षर्तों का उल्लघंन नहीं किया है, जो कि-परिवादी को वाहन चोरी के बाद 2-3 बार गोंदिया (महाराश्ट्र) जाकर अपने वाहन की पतासाजी करना पड़ा, इसलिए प्रथम सूचना रिपोर्ट विलम्ब से लिखी गर्इ। अत: वाहन का मूल्य 22,000-रूपये व 10,000-रूपये हर्जाना चाहा गया है।
(4)        अनावेदक ने परिवाद-पत्र से इंकार करते हुये, यह अतिरिक्त कथन किया है कि-दिनांक-25.08.2012 को मोटरसायकिल चोरी हो जाने की प्रथम सूचना रिपोर्ट थाना में 9 दिन विलम्ब से दिनांक-03.09.2012 को दी गर्इ और बीमा कम्पनी को सूचना दिनांक-05.09.22012 को दी गर्इ, पालिसी षर्तों के अनुसार तत्काल चोरीदुर्घटना की सूचना बीमाधारक द्वारा दिया जाना आवष्यक है और पालिसी षर्तों के उल्लघंन होने के कारण दावा निरस्त किया गया। परिवाद झूठे मनगढं़त आधारों पर पेष किये जाने से सव्यय निरस्त किया जाये।
(5)        मामले में निम्न विचारणीय प्रष्न यह हैं कि:-        
        (अ)    क्या अनावेदक द्वारा, परिवादी के क्लेम को
            अस्वीकार किया जाना अनुचित होकर, परिवादी
            के प्रति-की गर्इ सेवा में कमी है?
        (ब)    सहायता एवं व्यय?
                -:सकारण निष्कर्ष:-
        विचारणीय प्रष्न क्रमांक-(अ) :-
(6)        परिवादी की ओर से उक्त वाहन के रजिस्ट्रेषन प्रमाण-पत्र प्रदर्ष सी-10, बीमा पालिसी दस्तावेज की प्रति प्रदर्ष सी-5 पेष की गर्इ है, हालांकि उसमें जो नियम व षर्तें संलग्न होने का उल्लेख है, वे संलग्न नहीं की गर्इं हैं, जिन्हें संलग्न करते हुये, अनावेदक की ओर से प्रदर्ष आर-1 पालिसी दस्तावेज की प्रति पेष की गर्इ है, जिससे दर्षित है कि- वाहन चोरी की कथित अवधि हेतु वाहन बीमित रहा है। परिवादी की ओर से प्रदर्ष सी-7 प्रथम सूचना रिपोर्ट की प्रति, प्रदर्ष सी-8 परिवादी को न्यायायिक दण्डाधिकारी द्वारा कथन हेतु भेजा गया संमंस और प्रदर्ष सी-9 पुलिस के अंतिम प्रतिवेदन की प्रतियां पेष की गर्इं हैं। और प्रदर्ष सी-6 परिवादी द्वारा दिनांक-05.09.2012 को आर0टी0ओ0 कार्यालय में वाहन चोरी की लिखित सूचना की प्रति पेष की गर्इ है, जो सब स्वीकृत दस्तावेज हैं और अनावेदक-पक्ष से भी पेष हुये हैं, जो कि-प्रदर्ष सी-7 की प्रथम सूचना रिपोर्ट दिनांक-03.09.2012 को सूचना देकर लेख कराया जाना उल्लेख है।
(7)        दिनांक-25.08.2012 को परिवादी ने पुलिस थाना गोंदिया में कोर्इ मौखिक सूचना दी हो, ऐसा कोर्इ प्रमाण या दस्तावेज पेष नहीं, पुलिस के वरिश्ठ अधिकारियों को षिकायत परिवादी द्वारा की गर्इ हो और उनके निर्देष पर रिपोर्ट दर्ज हुर्इ हो, ऐसा दर्षाने कोर्इ षिकायती-पत्र की प्रति भी पेष नहीं। और प्रदर्ष सी-7 की प्रथम सूचना रिपोर्ट में भी परिवादी द्वारा ऐसा कोर्इ उल्लेख नहीं कराया गया कि-उसने दिनांक-25.08.2012 को पुलिस को कोर्इ मौखिक सूचना दी थी या पुलिस ने पूर्व में दी, परिवादी की लिखित षिकायत पर कोर्इ मामला दर्ज नहीं किया, जो कि-दिनांक-03.09.2012 के पहले कभी पुलिस थाना में लिखित षिकायत किये जाने बाबद कोर्इ पावती प्रति भी परिवादी-पक्ष की ओर से पेष नहीं। और क्लेम अस्वीकार हो जाने के बाद, दिनांक-28.01.2014 को जो लिखित नोटिस परिवादी ने अनावेदक को दिया था, उसकी प्रति प्रदर्ष सी-1 में भी कहीं ऐसा उल्लेख नहीं है कि-प्रथम सूचना रिपोर्ट पुलिस में दर्ज कराने के पूर्व ही पुलिस में कोर्इ मौखिक या लिखित सूचना व षिकायत की गर्इ हो। तो ऐसे में स्पश्ट है कि-यह परिवाद पेष करते समय रिपोर्ट में 9 दिन के विलम्ब के कारण बाबद, पूर्व में पुलिस को सूचना दे-दिये जाने की आधारहीन कहानी बना दी गर्इ है। 
(8)        अनावेदक बीमा कम्पनी के कार्यालय में दिनांक-05.09.2012 को लिखित सूचना दिया जाना परिवादी द्वारा परिवाद में लेख किया गया है, पर उसके पूर्व कोर्इ मौखिक सूचना दिये जाने का परिवाद में अविषिश्ट उल्लेख जो किया गया, उसके लिए कोर्इ आधार नहीं। और नोटिस में भी कहीं परिवादी ने दिनांक-05.09.2012 के पूर्व बीमा कम्पनी के कार्यालय को कोर्इ मौखिक सूचना देने का उल्लेख नहीं किया है, तो यह भी परिवाद पेष करते समय बनार्इ कहानी होना स्पश्ट है, जिसका कोर्इ आधार नहीं।
(9)        प्रदर्ष आर-1 की बीमा पालिसी दस्तावेज में ही पेज नंबर-4 पर यह उल्लेख रहा है कि-इंडियन मोटर टैरिफ के नियमषर्त ही लागू होंगे, जिसकी व्यकितगत प्रति भी निवेदन पर नि:षुल्क उपलब्ध करार्इ जा सकती है और बीमा कम्पनी की सभी षाखाओं में उपलब्ध है, इसके अलावा कम्पनी का बेवसार्इड नंबर देते हुये, उस पर भी उपलब्ध होना, उक्त बीमा दस्तावेज में भी दर्षाया गया है। जबकि-परिवादी की ओर से पेष पालिसी दस्तावेज की खराब फोटोप्रिंट की प्रति प्रदर्ष सी-5 जो पेष की गर्इ है, उसमें भी तीसरे पृश्ठ पर यह उल्लेख है कि-बीमा नियमषर्तें लागू होंगी जिसकी प्रति संलग्न की गर्इ हैं, तो परिवादी ने ऐसे नियम षर्तों की प्रति जानबूझकर पेष नहीं किया, जिसे प्रदर्ष आर-1 के रूप में अनावेदक-पक्ष से पेष किया गया है और उसकी षर्त क्रमांक-1 में यह उल्लेख रहा है कि-किसी भी क्लेम की घटना के घटित होने पर बीमा कम्पनी को तत्काल लिखित सूचना बीमाधारक द्वारा दी जायेगी।
(10)        परिवादी के द्वारा, दिनांक-05.09.2012 को सूचना दिया जाना विवादित नहीं किया गया है। तो स्पश्ट है कि-वाहन के चोरी जाने की पुलिस में रिपोर्ट 9 दिन विलम्ब से और बीमा कम्पनी को लिखित सूचना कथित चोरी की घटना दिनांक के 11 दिन पष्चात दी गर्इ। और अनावेदक-पक्ष की ओर से माननीय राश्ट्रीय आयोग के रिवीजन नंबर- 19642013 आदेष दिनांक-18 फरवरी-2014 रामप्रसाद बनाम बजाज एलार्इंज जनरल इंष्योरेंस कम्पनी व अन्य की प्रति पेष की गर्इ है, जिसमें न्यू इंडिया इंष्योरेंस कम्पनी बनाम त्रिलोचन जैन वाले मामले में दी गर्इ प्रतिपादना को अनुसरित करते हुये, बीमा कम्पनी को भुगतान की सूचना के बारे में यह व्याख्या की गर्इ कि-जहां बीमित वाहन के चोरी हो जाने वाली जैसी घटना हो, तो 9 दिन के विलम्ब से रिपोर्ट किये जाने और 9 दिन के विलम्ब से बीमा कम्पनी को सूचित किया जाना घातक है, क्योंकि इस अवधि में वाहन को डिस्मेंटल कर, कबाड़ी को बेचा जा सकने का अवसर रहता है या वाहन को बहुत दूर ले जाया जा सकना संभव रहता है।
(11)        प्रस्तुत मामले में भी उक्त आधार पर विचार किया जाये, तो स्पश्ट है कि-परिवादी द्वारा, वाहन मोटरसायकिल चोरी की 9 दिन विलम्ब से पुलिस में रिपोर्ट दर्ज करार्इ जाना और 11 दिन विलम्ब से बीमा कम्पनी को लिखित सूचना दिया जाना बीमा पालिसी की शर्त का उल्लघंन है और ऐसा विलम्ब घातक है, बीमा कम्पनी द्वारा चोरी गये वाहन का पतासाजी करा पाने के अवसर को गंभीर रूप से प्रभावित करता है और इसलिए ऐसा विलम्ब बीमा  शर्त  का मूलभूत भंग होने से अनावेदक द्वारा जो परिवादी के बीमा क्लेम को अस्वीकार किया गया है, उसे किसी भी तरह अनुचित होना नहीं कहा जा सकता। और अनावेदक द्वारा, परिवादी के प्रति-कोर्इ सेवा में कमी किया जाना स्थापित नहीं। तदानुसार विचारणीय प्रष्न क्रमांक-'अ' को निश्कशित किया जाता है। 
        विचारणीय प्रष्न क्रमांक-(ब):-
(12)        विचारणीय प्रष्न क्रमांक-'अ के निश्कर्ष के आधार पर, प्रस्तुत परिवाद स्वीकार योग्य न होने से निरस्त किया जाता है। पक्षकार अपना- अपना कार्यवाही व्यय वहन करेंगे।

   मैं सहमत हूँ।                              मेरे द्वारा लिखवाया गया।         

(श्री वीरेन्द्र सिंह राजपूत)                          (रवि कुमार नायक)
      सदस्य                                                   अध्यक्ष
जिला उपभोक्ता विवाद                           जिला उपभोक्ता विवाद
प्रतितोषण फोरम,सिवनी                         प्रतितोषण फोरम,सिवनी        

            (म0प्र0)                                        (म0प्र0)

                        

 

 

 

        
            

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

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