Uttar Pradesh

Azamgarh

CC/6/2015

SHYAM SUNDAR VERMA - Complainant(s)

Versus

SAJJAY RAI & ETC. - Opp.Party(s)

AKHILESH KUMAR RAI

23 Mar 2022

ORDER

 

जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग- आजमगढ़।

परिवाद संख्या 06 सन् 2015

प्रस्तुति दिनांक 06.01.2015

                                                                                               निर्णय दिनांक 23.03.2022

श्यामसुन्दर वर्मा आयु लगभग 65 वर्ष पुत्र स्वo सालिक राम वर्मा, निवासी ग्राम- हीरापट्टी, थाना- कोतवाली, पोस्ट- हीरापट्टी, तहसील- सदर, जनपद- आजमगढ़।      

     .........................................................................................परिवादी।

बनाम

  1. प्रोपराइटर आटो सेल्स निकट निरंकारी भवन हरवंशपुर, पोस्ट- सदर, थाना- कोतवाली, तहसील- सदर, जनपद- आजमगढ़ द्वारा संजय कुमार राय।
  2. अम्ब्रेला कारपोरेटशन थ्री व्हीलर (डान थ्री) ई.4 फोकल प्वाइन्ट फगवाड़ा रोड होसियारपुर 148001 द्वारा प्रबन्ध निदेशक।      
  3. विपक्षीगण।

उपस्थितिः- कृष्ण कुमार सिंह “अध्यक्ष” तथा गगन कुमार गुप्ता “सदस्य”

  •  

कृष्ण कुमार सिंह “अध्यक्ष”

परिवादी ने अपने परिवाद पत्र में यह कहा है कि वह अपने भरण-पोषण के लिए दिनांक 10.10.2013 को विपक्षी संख्या 01 द्वारा अम्ब्रेला कम्पनी के डान थ्री-3 आटो रिक्शा की गुणवत्ता कम डीजल में अधिक औसर दूरी तय करने, उच्च तकनीकि क्षमता तथा अत्यधिक शक्तिशाली इंजन एवं सुलभ तथा आसान सेवा तथा गारण्टी एवं वारण्टी की उत्तम सुविधा के आधार पर प्रोत्साहित कर दबाव बनाने पर विपक्षी संख्या 01 से उसे क्रय किया और उसके लिए काशी गोमती संयुत ग्रामीण शाखा सिधारी से मुo 2,25,950/- रुपया ऋण लेकर वित्तपोषित करवाया। विपक्षी संख्या 01 ने वाहन के डिलेवरी के ही समय वाहन में टूल बॉक्स न होने की शिकायत किया तब विपक्षी ने अगले दिन टूल बॉक्स उपलब्ध कराने का आश्वासन दिया किन्तु आजतक विपक्षी संख्या 01 ने परिवादी को टूल बॉक्स नहीं दिया। परिवादी उक्त वाहन को क्रय करके डिलेवरी के पश्चात् जब घर ले जा रहा था तो उक्त तिपहिया वाहन आटो रिक्शा की स्टेयरिंग दाहिने ओर खिंच रही थी। उपरोक्त वाहन में स्टेपनी सहित कुल चार चक्के लगे हुए थे, जिनमें इनलप टायर तथा यंग स्टार कम्पनी का लगा हुआ था। ट्यूब पुराना एवं खराब किस्म का होने के कारण बार-बार जोड़ से खराब हो रहा था। इसके अतिरिक्त गेयर बाक्स से मोबिल का रिसाव डिलेवरी के दिन से ही निरन्तर हो रहा था तथा स्पीडोमीटर भी कार्य नहीं कर रहा था। जिसकी सूचना वाहन क्रय करने के दूसरे ही दिन परिवादी ने विपक्षी संख्या 01 को दिया जिस पर विपक्षी संख्या 01 ने कम्पनी के इंजीनियर से दिखाने की बात कहकर टाल दिया। परिवादी पुनः विपक्षी संख्या 01 के यहाँ वाहन को लेकर गया तथा हेड लाइट खराब होने तथा नाजिल लीक होने सहित उपरोक्त के सम्बन्ध में पुनः शिकायत किया तो विपक्षी संख्या 01 ने याची के वाहन को अपने गैराज में खड़ा करा लिया और समस्त शिकायतों का समाधान अतिशीघ्र कराकर वाहन देने की बात कही, किन्तु कई दिनों तक वाहन गैराज में खड़ा कराने के उपरान्त भी वाहन ठीक न कराने पर याची अपना उपरोक्त वाहन अपने कब्जे में लेकर निजी मैकेनिक के पास ले जाकर ठीक कराया और संचालन कर रहा है। चूंकि एक माह वाहन विपक्षी संख्या 01 के यहाँ खड़ा रहा, जिसके वजह से आर्थिक आय न हो पाने एवं बैंक का ब्याज लगातार बढ़ता गया। उक्त वाहन का पंजीयन परिवादी ने उपसम्भागीय परिवहन अधिकारी कार्यालय आजमगढ़ में कराया था, जिसका पंजीयन क्रमांक यू.पी.50 ए.टी. 6987 है तथा बीमा भी बजाज एलियान्स जनरल इन्श्योरेन्स कम्पनी लिमिटेड शाखा आजमगढ़ से कराया। विपक्षी संख्या 01 ने परिवादी को अनावश्यक रूप से महीनों भर गलत ढंग से दौड़ाया। वाहन में शुरू से ही निर्माण सम्बन्धी त्रुटि थी, जिसके लिए विपक्षीगण पूर्णतया उत्तरदायी है। विपक्षीगण के उत्तरदायित्व विहीन कुकृत्य से परिवादी की लगभग 95,000/- रुपए की आर्थिक, शारीरिक व मानसिक क्षति हुई है। अतः विपक्षी द्वारा परिवादी के वाहन में इंजन सम्बन्धी दोष के लिए मुo 50,000/- रुपए तथा ट्यूब हेड लाइट एवं अन्य तकनीकी दोष के लिए मुo 25,000/- रुपए तथा शारीरिक, मानसिक व आर्थिक क्षति हेतु मुo 20,000/- रुपए कुल मुo 95,000/- रुपए मय ब्याज विपक्षीगण से परिवादी को दिलाया जाए।  

परिवादी द्वारा अपने परिवाद पत्र के समर्थन में शपथ पत्र प्रस्तुत किया गया है।

प्रलेखीय साक्ष्य में परिवादी ने कागज संख्या 6/1 नोटिस की छायाप्रति, कागज संख्या 6/2 ऑटो सेल्स इनवायस की छायाप्रति, कागज संख्या 6/3 डीलर ऑथराइजेशन सर्टिफिकेट की छायाप्रति, कागज संख्या 6/4 इन्श्योरेन्स का प्रपत्र, कागज संख्या 6/5 आर.सी. की छायाप्रति, कागज संख्या 6/6 रजिस्ट्रेशन के सम्बन्ध में टेम्पॉरेरी ऑथराइजेशन प्रपत्र की छायाप्रति तथा कागज संख्या 6/7 वाहन दुरुस्त कराने में लगे पैसे की रसीद की छायाप्रति प्रस्तुत किया है।    

कागज संख्या 13क² विपक्षी संख्या 01 द्वारा जवाबदावा प्रस्तुत किया गया है, जिसमें उसने परिवाद पत्र के कथनों से इन्कार किया है। अतिरिक्त कथन में उसने यह कहा है कि परिवाद गलत आधार पर प्रस्तुत किया गया है। परिवादी ने विपक्षी संख्या 01 के यहाँ से वाहन आटो रिक्शा काफी जाँच परख कर दुरुस्त हालत में लिया था। परिवादी को उक्त आटो रिक्शा के बाबत वारण्टी दी गयी थी इसलिए वारण्टी पीरियड में यदि कोई खराबी आती तो उसको ठीक करने की जिम्मेदारी कम्पनी के सर्विस सेन्टर की थी। परिवादी ने आटो रिक्शा लेने के बाद कभी भी कोई शिकायत विपक्षी से नहीं किया और न ही आटो रिक्शा में किसी प्रकार की कोई खराबी ही आयी इसलिए परिवादी का आटो रिक्शा गैराज में खड़ा कराने का कोई प्रश्न ही नहीं उठता। अतः परिवाद खारिज किया जाए।   

विपक्षी संख्या 01 द्वारा अपने जवाबदावा के समर्थन में शपथ पत्र प्रस्तुत किया गया है।

बहस के दौरान पुकार कराए जाने पर उभय पक्षकारों के विद्वान अधिवक्ता उपस्थित आए तथा उभय पक्षकारों के विद्वान अधिवक्ताओं ने अपना-अपना बहस सुनाया। बहस सुना तथा पत्रावली का अवलोकन किया। विपक्षी से जो वाहन याची ने प्राप्त किया था उसकी रसीद कागज संख्या 6/2 के रूप में लगाया है, जिसमें यह लिखा हुआ है कि उसने वाहन गुड रनिंग कंडीशन में प्राप्त किया था, इसमें यह भी लिखा हुआ है कि टर्म्स एण्ड कन्डीश्न्स इसके साथ जो दिया गया था वह याची को पढ़कर सुनाया गया था और इसके पश्चात् वह वाहन को क्रय करने के लिए सहमत हुआ। चूंकि वाहन को विपक्षी ने विक्रय किया था। अतः वाहन में आयी गड़बड़ी को दूर करने के लिए विपक्षी ही जिम्मेदार था, लेकिन उसने वाहन की गड़बड़ी को दूर नहीं किया। तब याची गुरुनानक आटो मोटर से अपनी गाड़ी का मरम्मत करवाया, जिसमें उसका मुo 3,830/- रुपया खर्च हुआ जिसे देने के लिए विपक्षी जिम्मेदार है। ऐसी स्थिति में हमारे विचार से परिवाद स्वीकार होने योग्य है। 

 

आदेश

    परिवाद स्वीकार किया जाता है। विपक्षी को आदेशित किया जाता है कि वह परिवादी को उसके वाहन में बनवाने में हुए खर्च मुo 3,830/- रुपया (रु.तीन हजार आठ सौ तीस मात्र) अन्दर 30 दिन अदा करे, जिस पर परिवादी वाद दाखिला की तिथि अन्तिम भुगतान की तिथि तक 09% वार्षिक ब्याज पाने का हकदार होगा। साथ ही विपक्षी को यह भी आदेशित किया जाता है कि वह मानसिक, शारीरिक व आर्थिक कष्ट हेतु मुo 1,000/- रुपए (रु.एक हजार मात्र) परिवादी को अदा करे।  

     

 

 

 

                                                                        गगन कुमार गुप्ता                कृष्ण कुमार सिंह 

                                                      (सदस्य)                            (अध्यक्ष)

 

          दिनांक 23.03.2022

                                          यह निर्णय आज दिनांकित व हस्ताक्षरित करके खुले न्यायालय में सुनाया गया।

 

 

 

                                            गगन कुमार गुप्ता                कृष्ण कुमार सिंह

                                                             (सदस्य)                             (अध्यक्ष)

 

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