राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
मौखिक
अपील संख्या-32/1997
(जिला उपभोक्ता फोरम, सोनभद्र द्वारा परिवाद संख्या-755/1996 में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 09.12.1996 के विरूद्ध)
ब्रांच मैनेजर, इलाहाबाद बैंक, ब्रांच राबर्ट्सगंज, जिला सोनदभद्र।
अपीलार्थी/विपक्षी संख्या-1
बनाम्~
1. सैय्यद मेराज अहमद पुत्र सैय्यद आफताब अहमद, निवासी रोडवेज रोड, राबर्ट्सगंज, जिला सोनदभद्र।
2. जनरल मैनेजर, डिस्ट्रिक्ट इण्डस्ट्रिज सेण्टर, सोनदभद्र।
प्रत्यर्थीगण/परिवादी/विपक्षी संख्या-2
समक्ष:-
1. माननीय श्री जितेन्द्र नाथ सिन्हा, पीठासीन सदस्य।
2. माननीय श्री संजय कुमार, सदस्य।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : कोई नहीं।
प्रत्यर्थीगण की ओर से उपस्थित : कोई नहीं।
दिनांक 28.11.2016
मा0 श्री संजय कुमार, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
प्रकरण पुकारा गया। वर्तमान अपील, परिवाद संख्या-755/1996, सैय्यद मेराज अहमद बनाम विपक्षी संख्या-1 शाखा प्रबन्धक इलाहाबाद बैंक एवं विपक्षी संख्या-2 महा प्रबन्धक जिला उद्योग केन्द्र में जिला फोरम, सोनभद्र द्वारा पारित निर्णय/आदेश दिनांक 09.12.1996 से क्षुब्ध होकर विपक्षी संख्या-1/अपीलार्थी की ओर से योजित की गयी है, जिसके अन्तर्गत जिला फोरम द्वारा निम्नवत् आदेश पारित किया गया है :-
-2-
‘’ शिकायत स्वीकार की जाती है। विपक्षी-1 को निर्देशित किया जाता है कि वह एक माह के अन्दर शिकायकर्ता को ऋण जो अस्वीकृत हो गया है, भुगतान करें, और जो भी औपचारिकतायें हैं वह शिकायतकर्ता से पूरी करा ले। शिकायतकर्ता को विपक्षी-1 अपनी जेब से मु0 200/- हर्जा-खर्चा का भी अदा करें, ऋण के भुगतान के बाद। आदेश का अनुपालन एक माह में कर दें। अन्यथा उनके विरूद्ध दफा-27 की कार्यवाही योजित की जा सकती है। ‘’
उपरोक्त वर्णित निर्णय/आदेश से क्षुब्ध होकर वर्तमान अपील विपक्षी संख्या-1/अपीलार्थी की ओर से योजित की गयी है।
कोई पक्ष उपस्थित नहीं है। पत्रावली के परिशीलन से प्रकट होता है कि प्रत्यर्थी संख्या-1/परिवादी को पंजीकृत डाक के माध्यम से नोटिस निर्गत किया गया था, जो इस टिप्पणी के साथ वापस प्राप्त हुआ है कि प्राप्तकर्ता का पता नहीं चला। पंजीकृत नोटिस उसी पते पर निर्गत किया गया था, जो पता परिवाद पत्र में परिवादी/प्रत्यर्थी संख्या-1 का उल्लिखित है, ऐसी स्थिति में पुन: नोटिस निर्गत किये जाने का कोई औचित्य नही है। अत: प्रत्यर्थी संख्या-1 पर नोटिस की तामीला पाया जाता है। प्रत्यर्थी संख्या-2/विपक्षी संख्या-2 को भी पंजीकृत नोटिस दिनांक 29.07.2016 को निर्गत होना पाया जाता है, जो एक माह से अधिक समय व्यतीत हो जाने के बाद भी बिना तामील वापस प्राप्त नहीं हुआ है, ऐसी स्थिति में प्रत्यर्थी संख्या-2/विपक्षी संख्या-2 पर भी सूचना पर्याप्त पायी जाती है। चूंकि यह अपील वर्ष 1997 से निस्तारण हेतु लम्बित है, अत: यह पाया जाता है कि वर्तमान अपील को गुणदोष के आधार पर निर्णीत कर दिया जाये। तदनुसार हमने आधार अपील एवं प्रश्नगत निर्णय/आदेश तथा उपलब्ध अभिलेखों का गम्भीरतापूर्वक परिशीलन किया।
परिवाद पत्र का अभिवचन संक्षेप में इस प्रकार है कि परिवादी/प्रत्यर्थी संख्या-1 एक शिक्षित बेरोजगार है और मेडिकल स्टोर की दुकान राबर्ट्सगंज में करना चाहता था, अत: उसने विपक्षी संख्या-2/प्रत्यर्थी संख्या-2, जिला उद्योग केन्द्र, सोनभद्र से जानकारी प्राप्त की और औपचारिकतायें पूर्ण करने के पश्चात ऋण प्राप्ति
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हेतु प्रार्थना पत्र प्रस्तुत किया। विपक्षी संख्या-2/प्रत्यर्थी संख्या-2, जिला उद्योग केन्द्र द्वारा ऋण स्वीकार कर लिया गया और प्रकरण विपक्षी संख्या-1/अपीलार्थी, इलाहाबाद बैंक राबर्ट्सगज को एलाट कर दिया गया। विपक्षी संख्या-2/प्रत्यर्थी संख्या-2 ने जॉच
पड़ताल के बाद दिनांक 17.06.1996 ऋण जो स्वीकृत किया गया था, उसे निरस्त कर दिया गया, जिससे क्षुब्ध होकर प्रश्नगत परिवाद जिला फोरम के समक्ष योजित किया गया।
विपक्षीगण जिला फोरम के समक्ष उपस्थित हुए और परिवाद पत्र का विरोध करते हुए मुख्य रूप से यह अभिवचित किया गया कि परिवादी उपभोक्ता की श्रेणी में नहीं आता है, क्योंकि उसे ऋण ही स्वीकार नहीं किया गया था। परिवादी ऋण प्राप्ति की पात्रता नहीं रखता था एवं गलत पता दिखाकर ऋण प्राप्त करने की चेष्टा परिवादी द्वारा की गयी थी तथा यह भी अभिवचित किया गया कि प्रश्नगत दुकान शिकायतकर्ता की नहीं है, बल्कि उसके बहनोई की है।
जिला फोरम द्वारा उभय पक्ष के अभिवचनों एवं तर्कों पर विचार करते हुए उपरोक्त वर्णित निर्णय/आदेश पारित किया गया है।
अविवादित रूप से जो ऋण स्वीकृत किया गया था, वह निरस्त कर दिया गया था। इस प्रकार परिवादी/प्रत्यर्थी संख्या-1 के पक्ष में ऋण की स्वीकृति होना नहीं पाया जाता है। विपक्षी संख्या-1/अपीलार्थी को इस तथ्य के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता है कि वह अमुक व्यक्ति को अनिवार्य रूप से ऋण स्वीकृत ही करें। इस प्रकार विपक्षी संख्या-1/अपीलार्थी द्वारा ऋण का आवेदन जो निरस्त किया गया, उसमें किसी प्रकार की त्रुटि होना नहीं पायी जाती है एवं विपक्षी संख्या-1/अपीलार्थी का कृत्य सेवा में कमी में नहीं आता है। तदनुसार जिला फोरम द्वारा जो आदेश पारित किया गया है, वह अपास्त होने एवं वर्तमान अपील स्वीकार होने योग्य है।
आदेश
वर्तमान अपील स्वीकार की जाती है। जिला फोरम, सोनभद्र द्वारा परिवाद संख्या-755/1996, सैय्यद मेराज अहमद बनाम विपक्षी संख्या-1 शाखा प्रबन्धक
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इलाहाबाद बैंक एवं विपक्षी संख्या-2 महा प्रबन्धक जिला उद्योग केन्द्र में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 09.12.1996 अपास्त किया जाता है।
पक्षकारान अपना-अपना अपीलीय व्यय स्वंय वहन करंगे।
(जितेन्द्र नाथ सिन्हा) (संजय कुमार)
पीठासीन सदस्य सदस्य
लक्ष्मन, आशु0, कोर्ट-2