प्रकरण क्र.सी.सी./14/332
प्रस्तुती दिनाँक 20.11.2014
राजेन्द्र शर्मा आ श्री डी.आर. शर्मा, निवासी-तलवार भवन के पास वार्ड क्र 41, सुभाषनगर, दुर्ग ंतह व जिला दुर्ग (छ.ग.)
- - - - परिवादी
विरूद्ध
सांई राम हाण्डा, गुरूद्वारा के पास, स्टेशन रोड, दुर्ग (छ.ग.)
- - - - अनावेदक
आदेश
(आज दिनाँक 11 मार्च 2015 को पारित)
श्रीमती मैत्रेयी माथुर-अध्यक्ष
परिवादी द्वारा अनावेदक से दुपहिया वाहन हेतु अतिरिक्त शुल्क पर च्वाईस नंबर न प्रदान कर की गई सेवा मंे कमी के लिए 2,000रू मय ब्याज दिलाए जानें, मानसिक कष्ट क्षतिपूर्ति हेतु 10,000रू इस प्रकार कुल 12,000रू मय ब्याज व अन्य अनुतोष सहित दिलाने हेतु यह परिवाद धारा-12 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 के अंतर्गत प्रस्तुत किया है।
(2) प्रकरण अनावेदक के विरूद्ध एकपक्षीय हैं।
परिवाद-
(3) परिवादी का परिवाद संक्षेप में इस प्रकार है कि परिवादी के द्वारा अनावेदक से एक वाहन हीरो हाॅण्डा शाईन क्रय किया गया था जिस पर अनावेदक के द्वारा मनपसंद नंबर प्रदान किए जानें के ऐवज में परिवादी से वाहन मूल्य 66,234रू के अतिरिक्त 2,000रू च्वाईस नंबर के प्राप्त किए थे किंतु अनावेदक के द्वारा परिवादी को उसके द्वारा च्वाईस किया गया नंबर 6400 न प्रदान कर उसके स्थान पर 5406 प्रदान कर की गई सेवा में कमी के लिए परिवादी को अनावेदक से अतिरिक्त अदा की गई राशि 2,000रू दिलाए जानें साथ ही शारीरिक आर्थिक तथा मानसिक कष्ट क्षतिपूर्ति हेतु 10,000रू इस प्रकार कुल 12,000रू तथा उपरोक्त रकम पर आवेदन दिनांक से 2रू सैकड़ा माहवार की दर से ब्याज सहित दिलाए जानें हेतु यह परिवाद प्रस्तुत किया गया।
(4) उभयपक्ष के अभिकथनों के आधार पर प्रकरण मे निम्न विचारणीय प्रश्न उत्पन्न होते हैं, जिनके निष्कर्ष निम्नानुसार हैं:-
1. क्या परिवादी, अनावेदक से वाहन का च्वाईस नंबर न प्रदान कर की गई सेवा मंे कमी के लिए 2,000रू मय 2रू सैकड़ा माहवार की दर से ब्याज प्राप्त करने का अधिकारी है? हाँ
2. क्या परिवादी, अनावेदक से मानसिक परेशानी के एवज में 10,000रू. प्राप्त करने का अधिकारी है? हाँ
3. अन्य सहायता एवं वाद व्यय? परिवाद स्वीकृत
निष्कर्ष के आधार
(5) प्रकरण का अवलोकन कर सभी विचारणीय प्रश्नों का निराकरण एक साथ किया जा रहा है।
फोरम का निष्कर्षः-
(6) प्रकरण के अवलोकन से स्पष्ट है कि परिवादी नें एनेंक्सर 3 बी. अनुसार च्वाईस नंबर 6400 हेतु अनावेदक 2,000रू अदा कर पावती प्राप्त की थी। परिवादी का तर्क है कि अनावेदक नें रकम प्राप्ति उपरांत भी उसे च्वाईस नंबर 6400 प्रदान नहीं किया बल्कि 5406 नंबर दिया और इस प्रकार अनावेदक अनुचित व्यापार व्यवहार किया जो कि अनावेदक सेवा में कमी को सि़द्ध करता है।
(7) जब कोई व्यक्ति इतनी महंगी वाहन को खरीदता है और उसके लिए कोई खास नंबर चाहता है और इस हेतु अतिरिक्त रकम अदा करता है तो डीलर की यह जिम्मेदारी है कि वह अपनें ग्राहक की भावनाओं का ध्यान रखते हुए उसे उचित सेवाऐं दें, निश्चित रूप से परिवादी को च्वाईस नंबर नहीं दिया गया है, जिसके कारण उसे मानसिक वेदना होना स्वाभाविक है जिसके ऐवज में यदि परिवादी नें मानसिक वेदना की क्षतिपूर्ति के लिए 10,000रू की मांग की है तो उसे अत्यधिक नहीं कहा जा सकता क्योंकि च्वाईस नंबर न मिलनें से परिवादी की भावनाऐं आहत हुईं है।
(8) उपरोक्त परिस्थिती में हम परिवादी द्वारा प्रस्तुत परिवाद स्वीकार किए जानें का समुचित आधार पाते हैं एवं यह निष्कर्षित करते हैं कि अनावेदक नें परिवादी से च्वाईस नंबर हेतु अतिरिक्त रकम प्राप्त करनें के बाद भी परिवादी को च्वाईस नंबर 6400 प्रदान नहीं किया और न ही परिवादी द्वारा अधिवक्ता मार्फत नोटिस एनेक्सर 4 का जवाब न देकर घोर सेवा में निम्नता एवं व्यवसायिक दुराचरण किया है।
(9) तदानुसार हम परिवादी द्वारा प्रस्तुत परिवाद स्वीकार करते है और यह आदेश देते हैं कि अनावेदक परिवादी को आदेश दिनांक से एक माह की अवधि के भीतर 2,000रू (दो हजार रूपये) अदा करे तथा उक्त राशि पर परिवाद प्रस्तुती दिनंाक से राशि अदायगी दिनांक तक 9 प्रतिशत सालाना की दर से ब्याज भी अदा करे। अनावेदक परिवादी को मानसिक कष्ट हेतु 10,000रू एवं वाद व्यय 5000रू अदा करेंगे