Uttar Pradesh

Lucknow-I

CC/219/2010

Nidhi Srivastava - Complainant(s)

Versus

Sai Kids Kingdom - Opp.Party(s)

28 Apr 2015

ORDER

Heading1
Heading2
 
Complaint Case No. CC/219/2010
 
1. Nidhi Srivastava
Lucknow
...........Complainant(s)
Versus
1. Sai Kids Kingdom
Mahanagar Lucknow
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. Vijai Varma PRESIDENT
 HON'BLE MR. Rajarshi Shukla MEMBER
 HON'BLE MRS. Anju Awasthy MEMBER
 
For the Complainant:
For the Opp. Party:
ORDER

जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम-प्रथम, लखनऊ।
वाद संख्या 219/2010

श्रीमती निधी श्रीवास्तव,
पत्नी श्री पंकज कुमार श्रीवास्तव,
निवासी- आई 67, जानकीपुरम गार्डन,
निकट सेक्टर जे0, लखनऊ।        
                                     ......... परिवादिनी
बनाम

मैसर्स साई किडस किंगडम,
बी0 0940, सेक्टर ए0,
निकट गोल मार्केट चैराहा,
महानगर, लखनऊ।
                                             ..........विपक्षी
उपस्थितिः-
श्री विजय वर्मा, अध्यक्ष।
श्रीमती अंजु अवस्थी, सदस्या।
श्री राजर्षि शुक्ला, सदस्य।
निर्णय
    परिवादिनी द्वारा यह परिवाद विपक्षी से पुरानी गाड़ी के बदले उसी मूल्य व श्रेणी की नयी गाड़ी प्राप्त करने अथवा गाड़ी की कुल कीमत रू.4,612.00 मय 12 प्रतिशत ब्याज तथा क्षतिपूर्ति के रूप में        रू.5,000.00 दिलाने हेतु प्र्र्र्र्र्र्र्र्रस्तुत किया गया है।
    संक्षेप में परिवादिनी का कथन है कि उसने दिनांक 06.12.2009 को अपने पुत्र के लिए पीले रंग की बैटरी चालित गाड़ी विपक्षी की दुकान से रू.4,100.00 में खरीदी थी जिसका कोई कैश मेमो उस समय परिवादिनी को नहीं दिया गया था। विपक्षी द्वारा परिवादिनी को आश्वासन दिया गया था कि यदि खरीदी गयी गाड़ी खराब हो जाती है तो उसे ठीक करने की जिम्मेदारी विपक्षी की होगी और मौखिक रूप से वारंटी का आश्वासन विपक्षी द्वारा परिवादिनी को दिया गया था। विपक्षी द्वारा कैश मेमो दिनांक 06.12.2009 को तीन दिन बाद वैट निर्धारण करके कुल रू.4,612.00 का प्रदान किया गया जिस पर 

-2-
परिवादिनी ने वैट दर रू.512.00 विपक्षी को दिये। गाड़ी खरीदे जाने के एक सप्ताह बाद ही गाड़ी खराब हो गयी तब परिवादिनी ने विपक्षी से संपर्क किया जिस पर विपक्षी द्वारा गाड़ी मरम्मत हेतु अपनी दुकान पर मंगाई और परिवादिनी ने गाड़ी विपक्षी को मरम्मत हेतु प्रदान की दी, परंतु परिवाद दाखिल करने की तिथि तक उपरोक्त गाड़ी विपक्षी की दुकान पर ही रखी हुई है और विपक्षी द्वारा उसकी मरम्मत नहीं की गयी और न ही उसके एवज में दूसरी गाड़ी परिवादिनी को दी गई है। परिवादिनी द्वारा विपक्षी से संपर्क करने पर विपक्षी द्वारा हमेशा झूठा आश्वासन दिया जाता रहा, परंतु न तो विपक्षी ने गाड़ी की मरम्मत ही की और न ही उसे एवज में परिवादिनी को दूसरी गाड़ी ही दी गई। परिवादिनी ने दिनांक 16.01.2010 को एक नोटिस विपक्षी को भेजा। विपक्षी का कृत्य सेवा में कमी की परिभाषा में आता है। अतः परिवादिनी द्वारा यह परिवाद विपक्षी से पुरानी गाड़ी के बदले उसी मूल्य व श्रेणी की नयी गाड़ी प्राप्त करने अथवा गाड़ी की कुल कीमत रू.4,612.00 मय 12 प्रतिशत ब्याज तथा क्षतिपूर्ति के रूप में रू.5,000.00 दिलाने हेतु प्र्र्र्र्र्र्र्र्रस्तुत किया गया है।
    विपक्षी की ओर से अपना लिखित कथन दाखिल किया गया जिसमें मुख्यतः यह कथन किया गया है कि परिवादिनी द्वारा अपने पुत्र हेतु विपक्षी की दुकान से एक बैटरी चालित गाड़ी दिनांक 06.12.2009 को खरीदी गई थी और खरीदे जाने के समय परिवादिनी द्वारा कोई कैश मैमो नहीं लिया गया था और ऐसा परिवादिनी द्वारा संभवतः टैक्स बचाने हेतु किया गया था। विपक्षी अनेक वर्ष से साइकिल के व्यवसाय में संलग्न है और उसकी इस क्षेत्र में अपनी एक प्रतिष्ठा है। यद्यपि खरीदी गई साइकिल मेड इन चाइना है और इस पर किसी भी प्रकार की वारंटी या गारंटी नहीं मिलती है, तथापि अपनी गुडविल बनाये रखने के लिए विपक्षी अपने ग्राहकों को मौखिक आश्वासन देता है कि यदि निकट भविष्य में कोई खराबी होगी तो वह उसे ठीक करवा देगा। परिवादिनी तीन दिन बाद विपक्षी की दुकान में आई और कहा कि वह 12.5 प्रतिशत वैट देने हेतु तैयार है उसे कैश मैमो जारी कर दिया जाए इस पर विपक्षी ने वैट का 12.5 प्रतिशत रू.512.00 लेकर परिवादिनी को कैश मैमो दे दिया। परिवादिनी ने गाड़ी खरीदे जाने से कुछ दिन बाद विपक्षी की दुकान पर आकर कहा कि गाड़ी खराब हो गई है जिस 

-3-
पर विपक्षी ने गाड़ी लाए जाने हेतु परिवादिनी से निवेदन किया एवं दुबारा जब परिवादिनी गाड़ी लेकर आई तब विपक्षी ने मुआयना कर बताया कि गाड़ी की बैटरी चार्ज न करने से खराब हो गई है। अतः  रू.250.00 में नई ड्राई बैटरी लगवा ले गाड़ी चलने लगेगी जिस पर परिवादिनी तैयार नहीं हुई और कहा कि वह गाड़ी ले जा रही है और अब अदालत में विपक्षी से निपट लगेगी। यह कहना गलत है कि गाड़ी विपक्षी के पास है क्योंकि गाड़ी यदि विपक्षी अपने पास जमा करता है तो वह एक कार्ड पर लिखकर अपने ग्राहकों को देता है। परिवादिनी ने कभी भी विपक्षी से संपर्क नहीं किया। गाड़ी परिवादिनी के ही पास है और उसकी बैटरी चार्ज न करने से खराब हो गई थी और नई बैटरी खरीदने हेतु परिवादिनी तैयार नहीं थी इस कारण बेवजह परिवाद दाखिल कर विपक्षी को परेशान कर रही है। विपक्षी का कोई भी कृत्य सेवा में कमी की श्रेणी में नहीं आता है। परिवादिनी किसी भी अनुतोष को पाने की अधिकारी नहीं है। परिवादिनी का परिवाद सव्यय खारिज किये जाने योग्य है। 
    परिवादिनी द्वारा अपना शपथ पत्र मय संलग्नक 1 और 2 संलग्नक अपने परिवाद पत्र के साथ दाखिल किये गये। विपक्षी की ओर से श्री रणवीर बजाज, मैनेजर, साई किडस किंगडम का शपथ पत्र दाखिल किया गया।
    पक्षकार के विद्वान अधिवक्तागण की बहस सुनी गयी एवं पत्रावली का अवलोकन किया गया।
    अब देखना यह है कि क्या परिवादिनी द्वारा जो बैटरी चालित गाड़ी विपक्षी के यहां से क्रय की गयी वह खराब होने पर विपक्षी को मरम्मत हेतु दिये जाने पर विपक्षी द्वारा न तो उसकी मरम्मत की गई और न ही परिवादिनी को वापस की गयी और इस प्रकार विपक्षी द्वारा सेवा में कमी की गयी या नहीं और यदि हां तो उसके प्रभाव।
    विपक्षी द्वारा यह स्वीकार किया गया है कि परिवादिनी ने उसकी दुकान से दिनांक 06.12.2009 को रू.4,612.00 में एक बैटरी चालित गाड़ी ;इपामद्ध क्रय की थी। इसके अतिरिक्त परिवादिनी द्वारा उपरोक्त क्रय के संबंध में एक रसीद परिवाद पत्र के संलग्नक सं.1 के रूप में दाखिल की गयी है जिससे यह स्पष्ट है कि परिवादिनी द्वारा     
  

-4-
रू.4,612.00 में एक बैटरी चालित गाड़ी विपक्षी से क्रय की गयी थी। परिवादिनी की उक्त गाड़ी खराब हो गयी और वह उसे ठीक कराने विपक्षी के यहां ले गयी, किंतु विपक्षी ने मरम्मत हेतु गाड़ी अपनी दुकान पर रख ली, किंतु न तो गाड़ी की मरम्मत की और न ही उसे परिवादिनी को वापस किया। विपक्षी के अनुसार परिवादिनी उसके पास गाड़ी की मरम्मत के लिए आयी थी, किंतु जब परिवादिनी को यह बताया गया कि गाड़ी की बैटरी चार्ज न होने के कारण खराब हो गयी है और रू.250.00 की नयी ड्राई बैटरी लगाने पर वह चलने लगेगी तो परिवादिनी तैयार नहीं हुई और गाड़ी वापस लेकर चली गयी। अतः विपक्षी के अनुसार परिवादिनी द्वारा गाड़ी दुकान पर मरम्मत हेतु छोड़ी नहीं गयी थी, किंतु इस संबंध में परिवादिनी की ओर से अपने शपथ पत्र के साथ संलग्नक 1 के रूप में दिनांक 24.12.2009 को एक गाड़ी चेकिंग के लिए प्राप्त करने हेतु एक रसीद की फोटोप्रति दाखिल की गयी है जिसके संबंध में परिवादिनी का कहना है कि उक्त रसीद गाड़ी को लेने के उपरांत परिवादिनी को दी गयी थी। विपक्षी के अनुसार उक्त रसीद जबरदस्ती परिवादिनी द्वारा ले ली गयी थी और वास्तविकता में गाड़ी उसके यहां नहीं छोड़ी गयी थी, किंतु विपक्षी के इस कथन पर बिल्कुल भी विश्वास नहीं किया जा सकता कि परिवादिनी द्वारा ऐसी कोई रसीद जबरदस्ती बनवाकर बिना गाड़ी दिये प्राप्त की गयी हो। उक्त रसीद से यह स्पष्ट है कि गाड़ी विपक्षी द्वारा मरम्मत करने हेतु ली गयी थी। साथ ही परिवादिनी के इस कथन को बल भी देता है कि विपक्षी द्वारा गाड़ी प्राप्त करने के बाद भी न तो उसकी मरम्मत की गई और न ही उसे वापस किया गया। यह भी उल्लेखनीय है कि विपक्षी द्वारा अपने शपथ पत्र में यह कहा गया है कि वह गाड़ी की ड्राई बैटरी बदलने के लिए अभी भी तैयार है, किंतु परिवादिनी इस पर सहमत नहीं है। यहां पर यह प्रश्न उठना स्वाभाविक है कि जब विपक्षी के अनुसार बैटरी बदलने से गाड़ी ठीक हो सकती थी तो उसके द्वारा बिना बैटरी का चार्ज लिये क्यों नहीं उसी समय बैटरी बदली गयी और अब विपक्षी क्यों बैटरी बदलने को तैयार है। स्पष्टतया विपक्षी के उपरोक्त कृत्य से अनावश्यक रूप से वर्षों से गाड़ी बिना मरम्मत के उसकी दुकान पर पड़ी हुई है जिसका कोई उपयोग इतने वर्षों बाद नहीं रह जाता है। स्पष्टतया विपक्षी द्वारा 

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न केवल सेवा में कमी की गयी, अपितु अनावश्यक रूप से परिवादी को परेशान भी किया गया है। अतः परिवादिनी विपक्षी से गाड़ी का कुल मूल्य मय ब्याज प्राप्त करने की अधिकारिणी है। साथ ही इस संबंध में परिवादिनी को जो मानसिक एवं शारीरिक कष्ट हुआ है उसके लिए वह क्षतिपूर्ति तथा वाद व्यय भी प्राप्त करने की अधिकारिणी है।
आदेश
    परिवाद आंशिक रूप से स्वीकार किया जाता है। विपक्षी को आदेशित किया जाता है कि वे परिवादिनी को गाड़ी का कुल मूल्य रू.4,612.00 (रूपये चार हजार छह सौ बारह मात्र) का भुगतान 9 प्रतिशत प्रतिवर्ष ब्याज सहित परिवाद दाखिल करने की तिथि से अंतिम भुगतान की तिथि तक अदा करें। 
    साथ ही विपक्षी को यह भी आदेशित किया जाता है कि वह परिवादी को मानसिक कष्ट के लिए क्षतिपूर्ति के रूप में रू.3,000.00 (रूपये तीन हजार मात्र) एवं वाद व्यय के रूप में रू.3,000.00 (रूपये तीन हजार मात्र) अदा करें। विपक्षीगण उपरोक्त आदेश का अनुपालन एक माह में करें।
        
(राजर्षि शुक्ला)        (अंजु अवस्थी)             (विजय वर्मा)
  सदस्य                सदस्या                  अध्यक्ष

दिनांकः   28 अप्रैल, 2015

 
 
[HON'BLE MR. Vijai Varma]
PRESIDENT
 
[HON'BLE MR. Rajarshi Shukla]
MEMBER
 
[HON'BLE MRS. Anju Awasthy]
MEMBER

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