जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, प्रथम, लखनऊ।
परिवाद संख्या:- 655/2022
उपस्थित:-श्री नीलकंठ सहाय, अध्यक्ष।
श्रीमती सोनिया सिंह, सदस्य।
श्री कुमार राघवेन्द्र सिंह, सदस्य।
परिवाद प्रस्तुत करने की तारीख:-25.11.2022
परिवाद के निर्णय की तारीख:-12.08.2024
अभय कुमार श्रीवास्तव, आयु-लगभग 29 वर्ष, पुत्र श्री प्रभात कुमार श्रीवास्तव, निवासी-मकान नम्बर-डी-50, सेक्टर-पी, अलीगंज, लखनऊ-226024 ।
.............परिवादी।
बनाम
शाखा प्रबन्धक, साहू लैण्डमार्क प्राइवेट लिमिटेड, शुभम टाकीज, कैण्ड रोड, लखनऊ-226001 । ..............विपक्षी।
परिवादी के अधिवक्ता का नाम:- श्री राजेश कुमार सिंह।
विपक्षी के अधिवक्ता का नाम:-कोई नहीं।
आदेश द्वारा-श्री कुमार राघवेन्द्र सिंह, सदस्य।
निर्णय
1. परिवादी द्वारा प्रस्तुत परिवाद उ0प्र0 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 2019 की धारा-34 के अन्तर्गत योजित किया गया है। परिवादी द्वारा एक हजार वर्ग फिट एरिया पर निर्मित भवन क्रय करने हेतु विपक्षी को दी गयी धनराशि 6,64,000.00 रूपये मय 12 प्रतिशत ब्याज अगस्त 2015 से निर्णय की तिथि तक दिये जाने, भूखण्ड का विक्रय विलेख उपलब्ध कराने तथा मानसिक क्लेश तथा आर्थिक क्षति की पूर्ति हेतु 50,000.00 रूपये एवं वाद व्यय 20,000.00 रूपये दिलाये जाने की प्रार्थना के साथ प्रस्तुत किया गया है।
2. संक्षेप में परिवाद के कथन इस प्रकार हैं कि विपक्षी द्वारा प्रस्तावित भूखण्ड क्षेत्रफल 1000 वर्गफिट पर भवन निर्माण करके क्रय करने हेतु प्रस्ताव रखा जिसके क्रम में परिवादी ने विपक्षी के कार्यालय में उक्त भूखण्ड पर भवन हेतु 8,000.00 रूपये प्रतिमाह की दर से अगस्त 2015 से जून 2021 तक 72 किश्तों में जमा कर दिया इस प्रकार कुल धनराशि 5,84,000.00 रूपये तथा विकास शुल्क के रूप में 80,000.00 रूपये दिनॉंक 26.08.2021 को जमा कर दिये अर्थात कुल 5,84,000+80,000=6,64,000.00 रूपये जमा कर चुका है। परिवादी ने विपक्षी के कार्यालय जाकर अनेक अवसर पर उपरोक्त वर्णित भूखण्ड की भौतिक स्थिति एवं अन्य विवरण की जानकारी हेतु व्यक्तिगत रूप से उनके एजेंटो श्री मोहित श्रीवास्तव, आलोक श्रीवास्तव के माध्यम से तथा दूरभाष के माध्यम से संपर्क करता रहा, किन्तु आज तक विपक्षी द्वारा कुछ नहीं बताया गया।
3. विकास शुल्क जमा किये हुए एक वर्ष से अधिक का समय व्यतीत हो चुका है परन्तु परिवादी को उपरोक्त भूखण्ड की बैनामा संबंधी कोई जानकारी विपक्षी द्वारा नहीं दी गयी है। इस संबंध में परिवादी ने विपक्षी को दिनॉंक 23.07.2022 को पत्र भेजा था। परन्तु विपक्षी द्वारा प्रार्थना पत्र का कोई उत्तर आज तक नहीं दिया गया। जबकि परिवादी द्वारा विपक्षी से अनुरोध किया गया था कि पत्र प्राप्त होने के एक माह के अन्दर भूखण्ड का बैनामा कर दे। परन्तु विपक्षी द्वारा आज तक उक्त भूखण्ड का बैनामा नहीं किया गया।
4. परिवाद का नोटिस विपक्षी को भेजा गया, परन्तु विपक्षी की ओर से कोई उपस्थित नहीं आया, अत: आदेश दिनॉंक-06.07.2023 द्वारा विपक्षी के विरूद्ध एकपक्षीय कार्यवाही अग्रसारित की गयी। अत: परिवाद में परिवादी के कथन साक्ष्य व तथ्यों के आधार पर ही निर्णय करना होगा।
5. परिवादी ने अपने कथानक के समर्थन में मौखिक साक्ष्य के रूप में शपथ पत्र एवं दस्तावेजी साक्ष्य के रूप में जमा धनराशि की रसीदें, पत्र की छायाप्रतियॉं दाखिल की गयी हैं।
6. आयोग द्वारा परिवादी के विद्वान अधिवक्ता के तर्कों को सुना गया तथा पत्रावली का परिशीलन किया गया।
7. परिवादी का कथानक है कि उसने विपक्षी से 1000 वर्गफुट के प्लॉट पर भवन निर्माण कर उपलब्ध कराने हेतु अगस्त 2015 से जून 2021 तक कुल 72 किश्तों में प्रति किश्त 8,000.00 रूपये की दर से कुल 5,84,000.00 रूपये जमा किया था। इसके अलावा दिनॉंक 26.08.2021 को 80,000.00 रूपये विकास शुल्क के लिये जमा किये थे, जिसकी रसीद संलग्न की गयी है। विपक्षी कई वर्षो से भूखण्ड सहित भवन निर्माण करके विक्रय करने का कार्य/व्यवसाय करता रहा है। परिवादी भवन निर्माण की प्रगति की जानकारी करने हेतु विपक्षी के कार्यालय आता जाता रहा। उसने कम्पनी के एजेन्टों मोहित श्रीवास्तव तथा आलोक श्रीवास्तव के माध्यम से लगातार संपर्क करता रहा किन्तु आज तक भवन निर्माण की प्रगति से अवगत नहीं कराया गया।
8. विकास शुल्क जमा करने के एक वर्ष बाद भी जब विपक्षी द्वारा प्रगति की कोई सूचना नहीं दी गयी तो परिवादी ने दिनॉंक 23.07.2022 को विपक्षी को नोटिस भेजी। परन्तु उसका भी जवाब विपक्षी ने नहीं दिया। अंत में थक हारकर उसने मा0 उपभोक्ता आयोग में परिवाद दाखिल किया।
9. पत्रावली व परिवादी द्वारा प्रस्तुत दस्तावेजों, रसीदों व पत्रों का परिशीलन किया गया। परिवादी द्वारा साहू लैंडमार्क प्रा0 लिमिटेड द्वारा जारी की गयी रसीदें प्रस्तुत की गयी हैं। ये रसीदें भूखण्ड/भवन के लिये दी गयी धनराशि से संबंधित हैं या किसी अन्य प्रयोजन के लिये जमा की गयी धनराशि से, यह स्पष्ट नहीं हो रहा है। पत्रावली में भूखण्ड/भवन का आवंटन पत्र, एग्रीमेंट, आदि उपलब्ध नहीं है। रसीदों से मात्र इतना ही स्पष्ट हो रहा है कि परिवादी ने साहू लैंडमार्क प्रा0 लिमिटेड को विभिन्न तिथियों में कुल 6,64,000.00 रूपये दिये हैं। किस प्रयोजन के लिये दिए है उसका तश्करा परिवादी ने भूखण्ड/भवन निर्माण के बाबत किया गया है। चॅूंकि परिवाद में विपक्षी उपस्थित नहीं हुए हैं, तथा परिवादी द्वारा शपथ पत्र के माध्यम से यह तश्करा किया गया है तो यह विधिक रूप से मान्य है।
10. विपक्षी द्वारा धनराशि 6,64,000.00 रूपये परिवादी से प्राप्त किये गये हैं, यह रसीदों से प्रमाणित हो रहा है। परिवादी का अनुरोध है कि उसे उसका 6,64,000.00 रूपये मय 12 प्रतिशत ब्याज के साथ वापस दिलाया जाए। भूखण्ड/भवन की रजिस्ट्री (विक्रय विलेख) उपलबध करायी जाए। जहॉं तक भूखण्ड/भवन की रजिस्ट्री के विलेख उपलब्ध कराने का प्रश्न है वह तो संभव नहीं दिख रहा है। जब कोई आवंटन पत्र व एग्रीमेंट ही नहीं हुआ है तो उसे विपक्षी से किस विधि उपबंधों के आधार पर अनुपालन कराया जा सकता है। भूखण्ड/भवन की लोकेशन/पता/नंबर भी एलॉट नहीं है। ऐसी दशा में विपक्षी को परिवादी द्वारा दी गयी धनराशि की वापसी के बारे में विचार किया जा सकता है। यह तो प्रमाणित है कि परिवादी ने विपक्षी को 6,64,000.00 रूपये दिया है। परिवादी ने रसीदें प्रस्तुत की हैं, जिस पर विश्वास किया जाना उचित प्रतीत होता है। चॅूंकि उसके संबंध में विपक्षी की कोई आपत्ति नहीं प्राप्त हुई है। अत: उसे स्वीकार किया जाना उचित प्रतीत होता है। यह तथ्य भी स्पष्ट है कि परिवादी विपक्षी का उपभोक्ता है। पूर्व धनराशि प्राप्त करने के बावजूद भी विपक्षी द्वारा भूखण्ड/भवन न उपलब्ध कराया जाना सेवा में कमी व अनुचित व्यापार प्रक्रिया की श्रेणी में आता है। अत: परिवादी का परिवाद आंशिक रूप से स्वीकार किये जाने योग्य है।
आदेश
परिवादी का परिवाद आंशिक रूप से स्वीकार किया जाता है। विपक्षी को निर्देशित किया जाता है कि परिवादी द्वारा भूखण्ड/भवन के निर्माण के लिये दी गयी धनराशि मुबलिग 6,64,000.00 (छह लाख चौसठ हजार रूपया मात्र) मय 09 प्रतिशत वार्षिक ब्याज के साथ अगस्त 2015 से निर्णय की तिथि तक आगणित कर भुगतान सुनिश्चित करेंगे। मानसिक, शारीरिक व आर्थिक शोषण के लिये मुबलिग 20,000.00 (बीस हजार रूपया मात्र) एवं वाद व्यय के लिये मुबलिग 10,000.00 (दस हजार रूपया मात्र) भी अदा करेंगें। उक्त आदेश का अनुपालन यदि 45 दिन के अन्दर नहीं किया जाता है तो विपक्षी सम्पूर्ण धनराशि पर 12 प्रतिशत ब्याज का भुगतान करेंगें।
पत्रावली पर उपलब्ध समस्त प्रार्थना पत्र निस्तारित किये जाते हैं।
निर्णय/आदेश की प्रति नियमानुसार उपलब्ध करायी जाए।
(कुमार राघवेन्द्र सिंह) (सोनिया सिंह) (नीलकंठ सहाय)
सदस्य सदस्य अध्यक्ष
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, प्रथम,
लखनऊ।
आज यह आदेश/निर्णय हस्ताक्षरित कर खुले आयोग में उदघोषित किया गया।
(कुमार राघवेन्द्र सिंह) (सोनिया सिंह) (नीलकंठ सहाय)
सदस्य सदस्य अध्यक्ष
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, प्रथम,
लखनऊ।
दिनॉंक:- 12.08.2024