जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम फैजाबाद ।
उपस्थित - (1) श्री चन्द्र पाल, अध्यक्ष
(2) श्रीमती माया देवी शाक्य, सदस्या
(3) श्री विष्णु उपाध्याय, सदस्य
परिवाद सं0-158/2007
राम तेज वर्मा पुत्र त्रिवेणी प्रसाद पेषा कृशि निवासी ग्राम पातू पुर दोहरी परगना पष्चिम राठ तहसील व थाना बीकापुर जिला फैजाबाद .......... परिवादी
बनाम
1-सचिव सहकारी गन्ना विकास समिति मसौधा मोती नगर जिला फैजाबाद।
2-प्रबन्धक के0एम0 षुगर मिल लिमिटेड मोती नगर मसौधा फैजाबाद .........विपक्षीगण
निर्णय दिनाॅंक 16.02.2016
उद्घोषित द्वारा: श्रीमती माया देवी षाक्य, सदस्या
निर्णय
परिवादी ने यह परिवाद षुगर मिल के सचिव व प्रबन्धक के विरूद्व क्षतिपूर्ति दिलाये जाने हेतु योजित किया है।
संक्षेप में परिवादी का परिवाद इस प्रकार है कि परिवादी लगभग 25 बीधे कच्चे पर खेती का कार्य करता है। उसी से अपना एवं अपने परिवार की जीविका चलाता है। गत वर्शो की भंाति इस वर्श भी परिवादी के पास 14 बीधा पेडी तथा 3 बीधा पौधा (बुआई) का गन्ना मौजूद था। सर्वे गन्ना सचिव विकास निरीक्षक मसौधा द्वारा कराया गया था परन्तु जब माह जनवरी 2007 में पेराई सत्र 2006-07 का कलेण्डर मिला तो परिवादी को पता चला कि उसका रकबा कैलेण्डर में कम करा दिया गया तथा बिग फार्मर के स्थान पर स्माल फार्मर दर्षा दिया गया है। सप्लाई नीति के अनुसार परिवादी को न तो पर्ची भेजी गयी ओैर न ही कैलेण्डर में रकबे के अनुसार कालम भरा गया। जिस किसान के पास ज्यादा गन्ना बचा हुआ है अपनी खतौनी कैलेण्डर के साथ संलग्न करें उसके अनुसार उनकी पर्ची भेजी जाय। परिवादी की अपनी खतौनी व कैलेण्डर समिति पर जमा किया। इसके बावजूद कोई पर्ची नही जारी की गयी। परिवादी को मिली पर्ची उन सभी पर परिवादी ने मिल पर गन्ना दिया परन्तु सही ढंग से सटट्ा सम्पूर्ण एवं रकबे पर न दिये जाने से लगभग 250 कुन्तल गन्ना सूख गया जिससे परिवादी का 25000/-का नुकसान हुआ है। परिवादी को क्षतिपूर्ति 25000/- तथा मानसिक क्षतिपूर्ति 25000/- कुल मिलाकर 50,000/- दिलाया जाय।
विपक्षीगण ने अपना जवाबदावा दाखिल किया हैैै। विपक्षी ने परिवादी के केस से इन्कार किया है तथा कथन किया है कि सहकारी गन्ना समिति मसौधा के गन्ना कृशकों के गन्ने का सर्वेक्षण समिति के गन्ना परिवेक्षक तक के0 एम0 सुगर मिल मोती नगर मसौधा के परिवेक्षक द्वारा संयुक्त रूप से किया जाता है और उसका कलेन्डर गन्ना मिल द्वारा तैयार करके मिल में रखे कम्प्यूटर में फीड किया जाता है तथा गंन्ना मिल द्वारा ही सप्लाई पर्ची तैयार करके सहकारी समिति के पास किसानो को वितरण करने के लिये आती है जिसे समिति के कर्मचारी द्वारा सदस्य किसानो को पर्ची दी जाती है और किसान सीधे मिल को गन्ना सप्लाई करता है और मिल से ही किसान के खाते में गन्ने का दाम सीधे बैंक मे जमा हो जाता है पर्ची वितरण के बाद समिति की जिम्मेदारी समाप्त हो जाती है।
मैं पत्रावली में उपलब्ध साक्ष्य का व परिवादी की लिखित बहस का अवलोकन किया। परिवादी को पेराई 2006 व 2007 का कलेन्डर मिला तो पता चला कि उसको स्माल फार्मर दर्षाया गया है। सप्लाई के अनुसार परिवादी को न तो पर्ची भेजी गयी और न ही कलेन्डर में रकबे के अनुसार कालम भरा गया। परिवादी ने मिल पर गन्ना दिया, परन्तु सही ढंग से सटट्ा सम्पूर्ण एवं रकबे पर न दिये जाने से 250/- कुन्तल गन्ना सूख गया जिससे परिवादी का 25000/- का नुकसान हुआ है जिसकी क्षतिपूर्ति परिवादी ने विपक्षी से मांगा। सम्मानीय राज्य अयोग लखनऊ ने जनरल मैनेजर के0 एम0 षुगर मिल लिमिटेड फैजाबाद बनाम श्री राम प्रसाद वर्मा अपील नं0 1544/ 1994 निर्णीत दिनंाक 20-11-2009 में कहा है कि गन्ना किसान उपभोक्ता नही होता हैं क्योंकि वह गन्नों का विक्रय करता है। मिल गन्ना खरीदती है, खरीदने वाला उपभोक्ता होता है। गन्ना सूखने का कोई प्रमाण नही लगाया है। इस प्रकार परिवादी उपभोक्ता के श्रेणी में नही आता है। परिवादी का परिवाद खारिज किये जाने योग्य है।
आदेष
परिवादी का परिवाद खारिज किया जाता है।
(विष्णु उपाध्याय) (माया देवी शाक्य) (चन्द्र पाल)
सदस्य सदस्या अध्यक्ष
निर्णय एवं आदेश आज दिनांक 16.02.2016 को खुले न्यायालय में हस्ताक्षरित एवं उद्घोषित किया गया।
(विष्णु उपाध्याय) (माया देवी शाक्य) (चन्द्र पाल)
सदस्य सदस्या अध्यक्ष