Uttar Pradesh

StateCommission

A/2006/1405

Motor Transport of India Pvt Ltd - Complainant(s)

Versus

Sahitya Bhawan Publishers and Distributers Pvt Ltd - Opp.Party(s)

S K Sharma

30 May 2022

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/2006/1405
( Date of Filing : 09 Jun 2006 )
(Arisen out of Order Dated in Case No. of District State Commission)
 
1. Motor Transport of India Pvt Ltd
a
...........Appellant(s)
Versus
1. Sahitya Bhawan Publishers and Distributers Pvt Ltd
a
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. Rajendra Singh PRESIDING MEMBER
 HON'BLE MR. Vikas Saxena JUDICIAL MEMBER
 
PRESENT:
 
Dated : 30 May 2022
Final Order / Judgement

                                                    (सुरक्षित)

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।

                                                                                                अपील संख्‍या- 1405/2006

(जिला उपभोक्‍ता आयोग, प्रथम आगरा द्वारा परिवाद संख्‍या- 101/1998 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 06-05-2006 के विरूद्ध)

 

मोटर्स ट्रांसपोर्ट आफ इण्डिया प्रा०लि० तारा निवास, बेलनगंज आगरा।

                                                                            .अपीलार्थी

                              बनाम 

1- साहित्‍य भवन पब्लिशर्स एण्‍ड डिस्‍ट्रीब्‍यूटर्स प्रा०लि० 34, लाजपत कुंज, आगरा द्वारा डायरेक्‍टर।

2- मैसर्स जया इण्‍टरप्राइजेज द्वारा मैनेजर मेन रोड, बेतुलगंज मैनेजर, एम०पी०

3- मोटर्स ट्रांसपोर्ट आफ इण्डिया प्रा०लि० रजिस्‍टर्ड आफिस नया बाजार ग्‍वालियर, एम०पी०।

                                                                              .प्रत्‍यर्थीगण

मक्ष:-  

 माननीय श्री राजेन्‍द्र सिंह, सदस्‍य

 माननीय श्री विकास सक्‍सेना, सदस्‍य

 

अपीलार्थी की ओर से उपस्थित :  विद्वान अधिवक्‍ता श्री सुशील कुमार शर्मा

प्रत्‍यर्थी सं०1 की ओर से उपस्थित :  विद्वान अधिवक्‍ता श्री गणेश गुप्‍ता

प्रत्‍यर्थी सं० 2 व 3 की ओर से :     कोई उपस्थित नहीं।

 

दिनांक. 23-06-2022

 

माननीय सदस्‍य श्री राजेन्‍द्र सिंह, द्वारा उदघोषित

                                                                                                    निर्णय

     प्रस्‍तुत अपील, परिवाद संख्‍या– 101 सन् 1998 साहित्‍य भवन पब्लिशर्स एण्‍ड डिस्‍ट्रीब्‍यूटर्स प्रा०लि० बनाम मोटर्स ट्रांसपोर्ट आफ इण्डिया प्रा०लि० तारा निवास, बेलनगंज आगरा व दो अन्‍य में जिला उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, प्रथम आगरा द्वारा पारित निर्णय और आदेश दिनांक 06-05-2006 के विरूद्ध धारा-15 उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम के अन्‍तर्गत राज्‍य आयोग के समक्ष प्रस्‍तुत की गयी है।

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     संक्षेप में अपीलार्थी का कथन है कि विद्वान जिला आयोग ने अपीलार्थी के प्रार्थना-पत्र पर विचार नहीं किया जिसमें सामान के प्रकाशन के लिए कमीशन को भेजने की बात कही गयी और जो मूल भूत साक्ष्‍य था। विद्वान जिला आयोग ने परिवाद संख्‍या– 101/1998 को बिना मूलभूत साक्ष्‍यों के निर्णीत किया है जिससे न्‍याय का हनन हुआ है। प्रश्‍नगत निर्णय एवं आदेश मनमाना और अतार्किक है। विद्वान जिला आयोग का यह कथन कि अपीलार्थी ने कोई साक्ष्‍य नहीं दिया त्रुटिपूर्ण है जबकि अपीलार्थी का प्रार्थना पत्र दिनांक      26-05-2000 साक्ष्‍य प्रस्‍तुत करने के लिए था जो कि जिला फोरम के समक्ष लम्बित है। प्रश्‍नगत निर्णय एवं आदेश विधि विरूद्ध और सिद्धान्‍तों के भी विरूद्ध है। अत: माननीय राज्‍य आयोग से निवेदन है कि वर्तमान अपील स्‍वीकार करते हुए प्रश्‍नगत निर्णय एवं आदेश अपास्‍त किया जाए।

       हमने अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता श्री सुशील कुमार शर्मा एवं प्रत्‍यर्थी संख्‍या-1 की ओर से उपस्थित विद्वान अधिवक्‍ता श्री गणेश गुप्‍ता को सुना तथा पत्रावली का सम्‍यक रूप से परिशीलन किया। प्रत्‍यर्थीगण संख्‍या-2 व 3 की ओर से कोई उपस्थित नहीं हुआ है।

     हमने पत्रावली पर उपलब्‍ध समस्‍त साक्ष्‍यों एवं विद्वान जिला आयोग द्वारा पारित प्रश्‍नगत निर्णय एवं आदेश का अवलोकन किया।

      परिवादी ने विपक्षीगण से ट्रांसपोर्ट के माध्‍यम से भेजी पुस्‍तकों का मूल्‍य और क्षतिपूर्ति पाने के लिए परिवाद प्रस्‍तुत किया है। परिवादी के अनुसार उसने विपक्षी संख्‍या-3 के लिए 14 बण्‍डल पुस्‍तकें जिनका मूल्‍य 64.860.00 रू० दिनांक 18-07-97 को विपक्षी संख्‍या-1 ट्रांसपोर्ट कम्‍पनी के माध्‍यम से बुक कराया तथा मूल बिल व विल्टी डिस्ट्रिक कोआपरेटिव बैंक मेन ब्रांच बैतुल को

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भेजा। परिवादी ने जब विपक्षी सं०1 से भेजी गयी पुस्‍तकों के बारे में जानकारी की तो मालूम हुआ कि विपक्षी संख्‍या-1 ट्रांसपोर्ट कम्‍पनी लि0 के माध्‍यम से बुक कराए गये सभी पुस्‍तकों के बण्‍डल विपक्षी संख्‍या-3 के किसी शीतल लोटे नामक व्‍यक्ति को भोपाल में प्राप्‍त करा दिये गये जबकि मूल बिल व विल्‍टी परिवादी के पास थे। जब परिवादी को भेजे गये माल की कीमत नहीं मिली तब उसने विपक्षी ट्रांसपोर्ट कम्‍पनी को  64.860.00 अदा करने के लिए पत्र लिखा। विपक्षी ने दिनांक  02-01-98 को पत्र लिखा कि माल रि-बुक होकर आगरा के ट्रांसपोर्ट कार्यालय पर आ गया है जबकि यह सम्‍भव नहीं था।

         विपक्षीगण संख्‍या-1 और 2 ने बिल व विल्‍टी के विपक्षी संख्‍या-3 के किसी व्‍यक्ति को बिना कीमत प्राप्‍त किये माल प्राप्‍त कराकर कर सेवा में कमी की है। विपक्षी संख्‍या-3 एक व्‍यापारिक संस्‍था है। परिवादी माल की कीमत विपक्षी संख्‍या-3 से प्राप्‍त कर चुका है। ऐसी स्थिति में वह दोबारा माल को प्राप्‍त करने का अधिकारी नहीं है। विपक्षी संख्‍या-1 ने कहा कि परिवादी का माल रि-बुक होकर ट्रांसपोर्ट कम्‍पनी आ चुका है और वह अपना माल ट्रांसपोर्ट कम्‍पनी आकर ले सकता है।

         विद्वान जिला आयोग ने अपने निर्णय में लिखा है कि परिवादी द्वारा भेजा गया माल बिना बिल व विल्‍टी व बिना माल की कीमत का भुगतान किये शीतल नामक व्‍यक्ति को दिनांक 29-07-1997 को भोपाल में दे दिया गया। यहॉं पर मुख्‍य प्रश्‍न यह है कि माल बिना बिल व विल्‍टी के प्राप्‍त कराया गया है। विपक्षी संख्‍या-3 के किसी व्‍यक्ति को माल देकर सेवा में कमी की गयी है। विद्वान जिला आयोग ने सेवा में इस कमी के आधार पर ही विपक्षीगण संख्‍या– 1 व 2 को आदेशित किया है। भले ही माल वापस किया

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गया हो लेकिन बिना बिल व बिल्‍टी के किसी अनाधिकृत व्‍यक्ति को माल देना ही सेवा में कमी है। अत: ऐसी स्थिति में विद्वान जिला आयोग द्वारा पारित प्रश्‍नगत निर्णय एवं आदेश उचित प्रतीत होता है जिसमें किसी हस्‍तक्षेप की आवश्‍यकता नहीं है तदनुसार प्रस्‍तुत अपील खारिज किये जाने योग्‍य है।

आदेश

     प्रस्‍तुत अपील निरस्‍त की जाती है और विद्वान जिला आयोग द्वारा पारित प्रश्‍नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक 06-05-2006 की पुष्टि की जाती  है।

उभय-पक्ष अपना-अपना वाद व्‍यय स्‍वयं वहन करेंगे।

     आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस आदेश को आयोग की वेबसाइड पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।

 

 

(विकास सक्‍सेना)                            (राजेन्‍द्र सिंह)

  सदस्‍य                                          सदस्‍य

            

        निर्णय आज दिनांक- 23-06-2022 को खुले न्‍यायालय में हस्‍ताक्षरित/दिनां‍कित होकर उद्घोषित किया गया।

 

 

(विकास सक्‍सेना)                                              (राजेन्‍द्र सिंह)            

      सदस्‍य                                                       सदस्‍य

 

कृष्‍णा–आशु0

कोर्ट-2

 

 

 
 
[HON'BLE MR. Rajendra Singh]
PRESIDING MEMBER
 
 
[HON'BLE MR. Vikas Saxena]
JUDICIAL MEMBER
 

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