राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
(सुरक्षित)
अपील संख्या :934/2013
(जिला मंच, हाथरस द्धारा परिवाद सं0-25/2007 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 06.02.2013 के विरूद्ध)
The Oriental Insurance Co. Ltd. Regional Office, Hazratganj, Lucknow, through the Manager.
........... Appellant/Opp. Party
Versus
M/s Sahil Furniture, through its Prop. Jafarruddin Khan S/o Yusuf Khan, In front of Ramwali Filling Station Sasani, Distt. Hathras.
……..…. Respondent/Complainant.
समक्ष :-
मा0 श्री उदय शंकर अवस्थी, पीठासीन सदस्य
मा0 श्री गोवर्द्धन यादव, सदस्य
अपीलार्थी के अधिवक्ता : श्री आलोक कुमार सिंह
प्रत्यर्थी के अधिवक्ता : श्री सुशील कुमार शर्मा
दिनांक :16-03-2017
मा0 श्री उदय शंकर अवस्थी, पीठासीन सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
प्रस्तुत अपील, जिला मंच, हाथरस द्वारा परिवाद सं0-25/2007 मै0 साहिल फर्नीचर प्रो0 जफरूद्दीन खान बनाम शाखा प्रबन्धक दि ओरियन्टल इंश्योरेंस कम्पनी लिमिटेड में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 06.02.2013 के विरूद्ध योजित की गई है।
संक्षेप में तथ्य इस प्रकार है कि परिवादी/प्रत्यर्थी के कथनानुसार उसने बैंक से वित्त पोषित कराकर एक दुकान खोली थी और उसका बीमा विपक्षी/अपीलार्थी बीमा कम्पनी से कराया था, जिसकी बीमा अवधि दिनांक 05.6.2006 से 04.06.2010 तक थी। परिवादी की उक्त बीमित दुकान में बीमित अवधि के मध्य दिनांक 02/3-7-2006 की रात्रि में ताला तोड़कर चोरी हो गई और उस चोरी में कुल रू0 40,868.00 का सामान चोरी हुआ, जिसकी सूचना परिवादी/प्रत्यर्थी ने दिनांक 03.7.2006 को विपक्षी बीमा कम्पनी के कार्यालय एवं सम्बन्धित थाने में भी दी गई, लेकिन थाने वालो ने रिपोर्ट दर्ज नहीं की, तब परिवादी/प्रत्यर्थी द्वारा चोरी की सूचना डाक से पुलिस को दी गई तथा बीमा दावा प्रेषित किया गया, किन्तु विपक्षी/अपीलार्थी बीमा कम्पनी
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ने बीमा दावा सर्वे रिपोर्ट के आधार पर तथा पुलिस में एफ0आई0आर0 दर्ज नहीं है, के आधार पर अस्वीकार कर दिया। अत: सेवा में कमी अभिकथित करते हुए परिवाद जिला मंच के समक्ष बीमित धनराशि, क्षतिपूर्ति तथा वाद व्यय की अदायगी हेतु योजित किया गया है।
विपक्षी/अपीलार्थी बीमा कम्पनी के कथनानुसार परिवादी के व्यापारिक प्रतिष्ठान का बीमा सेंधमारी के संबंध में रू0 4,00,000.00 बीमित धन का किया गया था। बीमा कम्पनी सेंधमारी की क्षतिपूर्ति तभी करती है जब वास्तव में सेंधमारी हुई हो। बीमा कम्पनी ने सेंधमारी की सूचना प्राप्त होते ही दिनांक 03.7.2006 को श्री उमेश कुमार गर्ग को सर्वेयर नियुक्त किया और उन्होंने मौके पर जाकर सभी तथ्यों की जॉच की तथा परिवादी से सेंधमारी के कारण हुए नुकसान की बावत कागजात व रिकार्ड मॉगे, जो परिवादी/प्रत्यर्थी द्वारा उपलब्ध नहीं कराए गये, अत: सेंधमारी को संदिग्ध मानते हुए बीमा कम्पनी ने परिवादी/प्रत्यर्थी का बीमा दावा निरस्त कर दिया।
विद्वान जिला मंच ने प्रत्यर्थी/परिवादी का परिवाद स्वीकार करते हुए अपीलार्थी/विपक्षी बीमा कम्पनी को बीमा धनराशि 40,868.00 रू0 मय 07 प्रतिशत वार्षिक साधारण ब्याज के अदा करने हेतु आदेशित किया है। इसके अतिरिक्त यह भी आदेशित किया गया कि प्रत्यर्थी/परिवादी अपीलार्थी/विपक्षी से 2000.00 रू0 मानसिक क्षति व 2000.00 रू0 परिवाद व्यय पाने का अधिकारी होगा। इस निर्णय/आदेश से क्षुब्ध होकर यह अपील योजित की गई है।
हमने अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता श्री आलोक कुमार सिंह तथा प्रत्यर्थी की ओर से विद्वान अधिवक्ता श्री सुशील कुमार शर्मा के तर्क सुने तथा अभिलेखों का अवलोकन किया।
प्रस्तुत अपील प्रश्नगत निर्णय दिनांकित 06.02.2013, जिसकी प्रतिलिपि अपीलार्थी को दिनांक 08.02.2013 को प्राप्त हुई, के विरूद्ध दिनांक 30.04.2013 को योजित की गई है। इस प्रकार अपील उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम की धारा-15 के अन्तर्गत निर्धारित समयावधि के अन्तर्गत योजित नहीं की गई है। अपील के प्रस्तुतीकरण में हुए विलम्ब को क्षमा किये जाने के संदर्भ में प्रार्थना पत्र प्रस्तुत किया गया है और इस प्रार्थना पत्र के समर्थन में श्री सुधाकर त्रिपाठी, मैनेजर ओरियन्टल इंश्योरेंस कम्पनी लिमिटेड का शपथपत्र संलग्न किया गया है। इस शपथपत्र के विरूद्ध कोई प्रार्थना पत्र
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परिवादी की ओर से प्रस्तुत नहीं किया गया है। अपील के प्रस्तुतीकरण में हुए विलम्ब को क्षमा किये जाने हेतु प्रस्तुत स्पष्टीकरण को संतोषजनक पाते हुए अपील के प्रस्तुतीकरण में हुए विलम्ब को क्षमा किया जाता है।
अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता द्वारा यह तर्क प्रस्तुत किया गया कि प्रश्नगत पालिसी सेंधमारी की पालिसी थी। प्रत्यर्थी/परिवादी द्वारा जिला मंच के समक्ष ऐसा कोई साक्ष्य प्रस्तुत नहीं किया गया, जिससे कथित सेंधमारी की घटना प्रमाणित होती हो।
अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता द्वारा यह तर्क भी प्रस्तुत किया गया कि सेंधमारी की कथित घटना की सूचना प्राप्त होने पर सर्वेयर को नियुक्त किया गया और सर्वेयर द्वारा घटनास्थल का निरीक्षण किया गया तथा जॉच के बाद आख्या प्रस्तुत की गई। अपीलार्थी के कथनानुसार सेंधमारी की कथित घटना में प्रत्यर्थी/परिवादी द्वारा छ: टी0वी0 चोरी होना बताया गया, जबकि सर्वेयर द्वारा दुकान का निरीक्षण किए जाने पर 36 अन्य सामान भी दर्शित किये गये हैं। यह नितांत अस्वाभाविक है कि निरीक्षण में दर्शित सामानों में से मात्र छ: टी0वी0 ही चोरों द्वारा क्यों चोरी किए गए और अन्य सामानों की चोरी क्यों नहीं की गई। अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता ने हमारा ध्यान सर्वेयर आख्या के पृष्ठ सं0-23 लगायत 26 की ओर आकृष्ठ किया। सर्वेयर ने अपनी आख्या में यह उल्लिखित किया है कि बीमाधारक ने चोरी गये सामान से सम्बन्धित खरीद की रसीद तथा उनके मूल्य से सम्बन्धित अभिलेख सर्वेयर के अवलोकनार्थ प्रस्तुत नहीं किए गए, जिससे चोरी गये कथित सामान के मूल्य की जॉच में वह कोई आख्या प्रस्तुत नहीं कर सकें। सर्वेयर द्वारा अपनी आख्या में यह तथ्य भी उल्लिखित किया है कि घटनास्थल के निरीक्षण के समय पुलिस अधिकारी भी विवेचना हेतु आये थे और पुलिस द्वारा यह मत व्यक्त किया गया कि सेंधमारी की यह घटना संदिग्ध है तथा सम्भवत: यह घटना बीमाधारक के कर्मचारियों द्वारा ही कारित की गई है। पुलिस द्वारा कथित घटना के संदर्भ में कोई प्रथम सूचना रिपोर्ट भी दर्ज नहीं की गई है।
यह भी उल्लेखनीय है कि बीमाधारक ने पुलिस द्वारा प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज न किये जाने के बाद न्यायालय में धारा-156 (3) द0प्र0 संहिता के अन्तर्गत प्रार्थना पत्र, प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज कराने हेतु प्रस्तुत नहीं किया। आख्या में सर्वेयर द्वारा यह तथ्य भी उल्लिखित किया गया है कि
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कथित घटना की विवेचना के मध्य पुलिस ने बीमाधारक के कर्मचारियों से पूंछ-तॉछ करने हेतु बीमाधारक को उन्हें प्रस्तुत करने हेतु निर्देशित किया, किन्तु बीमाधारक द्वारा कर्मचारियों से पूंछ-तॉछ पर सहमति नहीं व्यक्त की गई।
बीमा कम्पनी द्वारा नियुक्त सर्वेयर एक निष्पक्ष व्यक्ति है और उसकी आख्या पर अविश्वास किये जाने का कोई औचित्य प्रतीत नहीं होता है। मामले के तथ्य और परिस्थितियों के आधार पर हमारे विचार से सेंधमारी का तथ्य प्रमाणित नहीं है, इसलिए बीमा कम्पनी ने बीमा दावा अस्वीकार करके सेवा में कोई त्रुटि नहीं की है। अत: प्रस्तुत अपील स्वीकार किये जाने योग्य है।
आदेश
प्रस्तुत अपील स्वीकार करते हुए जिला मंच, हाथरस द्वारा परिवाद सं0-25/2007 मै0 साहिल फर्नीचर प्रो0 जफरूद्दीन खान बनाम शाखा प्रबन्धक दि ओरियन्टल इंश्योरेंस कम्पनी लिमिटेड में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 06.02.2013 अपास्त किया जाता है।
(उदय शंकर अवस्थी) (गोवर्द्धन यादव)
पीठासीन सदस्य सदस्य
हरीश आशु.,
कोर्ट सं0-3