जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, प्रथम, लखनऊ।
परिवाद संख्याप:- 158/2019 उपस्थित:-श्री नीलकंठ सहाय, अध्य क्ष।
श्री अशोक कुमार सिंह, सदस्यक।
परिवाद प्रस्तु त करने की तारीख:-17.01.2019
परिवाद के निर्णय की तारीख:-03.12.2021
सुशील कुमार यादव पुत्र श्री बनवारीलाल यादव निवासी-गंजरिया फार्म, मस्ते मऊ, चकगंजरिया, लखनऊ। ..........परिवादी।
बनाम
1. सर्विस कार्यालय इंचार्ज, सर्विस कार्यालय गोसाईगंज, सहारा क्यूी शाप यूनिक प्रोडक्ट्स रेन्जल लि0 को-आपरेटिव बैंक के सामने, मोहनलाल गंज रोड, गोसाईगंज, लखनऊ।
2. मुख्य् प्रबन्ध क, सहारा क्यूव शाप यूनिक प्रोडक्ट्सन रेन्जन लि0, सहारा इण्डिया भवन-1 कपूरथला काम्प लेक्स , कपूरथला, अलीगंज, लखनऊ। .........विपक्षीगण।
आदेश द्वारा-
श्री नीलकंठ सहाय, अध्य क्ष।
श्री अशोक कुमार सिंह, सदस्य ।
एकपक्षीय निर्णय
1. परिवादी ने प्रस्तुपत परिवाद धारा-12 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 के तहत विपक्षीगण से 30,432.00 रूपये मय 18 प्रतिशत चक्रबृद्धि ब्यािज परिपक्ववता तिथि-28.05.2018 से भुगतान की तिथि तक, मानसिक, शारीरिक एवं आर्थिक क्षति 50,000.00 रूपये एवं विधिक व्ययय 55,00.00 रूपये दिलाये जाने की प्रार्थना के साथ प्रस्तुपत किया है।
2. संक्षेप में परिवाद के कथन इस प्रकार हैं कि विपक्षीगण अपनी कम्प नी की विभिन्नर योजनाओं के द्वारा आम जनता की रकम निवेश करवाते हैं तथा योजना की प्री मेच्योपरिटी होने पर परिपक्वाता अवधि पूर्ण होने पर योजना में जमा की गयी रकम मय ब्या ज सहित भुगतान कर देते हैं।
3. परिवादी ने विपक्षी संख्यात 01 के कहने पर कम्पानी की पुरानी योजना सहारा इण्डिया रीयल एस्टेनट कारपोरेशन लि0 में आयी सम्पूनर्ण रकम 12,950.00 रूपये दिनॉंक 29.05.2012 को कम्परनी की नयी योजना सहारा क्यू शाप यूनिक प्रोडक्टनस रेन्ज. लि0 में जमा करा दी।
4. विपक्षीगण की नयी योजना 06 वर्ष की थी, तथा उसके पश्चाहत जमा धनराशि 12,950.00 का 2.35 गुना परिपक्वतता धनराशि 30,432.00 रूपये का भुगतान विपक्षीगण द्वारा परिवादी को प्राप्ती होना था। विपक्षी संख्यान 01 ने रूपये जमा होने के बाद उक्ता योजना का प्रमाण पत्र प्राप्ता कराया।
5. उपरोक्त योजना की परिपक्वमता की अवधि पूर्ण होने पर परिवादी परिपक्वेता रकम का भुगतान प्राप्तव करने विपक्षी संख्यार 01 के कार्यालय गया तो कर्मचारियों ने परिवादी से प्रमाण पत्र की छायाप्रति मॉंगी तथा धनराशि का भुगतान प्राप्त करने के लिये 15 दिन के बाद आने को कहा। जून, 2018 में परिवादी अपनी रकम का भुगतान प्राप्त करने के लिये पुन: विपक्षी संख्याा 01 के कार्यालय गया, किन्तु वहॉं के कर्मचारियों ने रकम ना आने की बात कहकर भुगतान करने से इन्का,र कर दिया।
6. परिवादी भुगतान प्राप्ता न होने की शिकायत विपक्षी संख्या 01 से की, किन्तु विपक्षी संख्यान 01 ने कोई ध्याकन नहीं दिया। परिवादी ने अपने अधिवक्तात के माध्यम से एक विधिक नोटिस को विपक्षी संख्याी 01 को भेजा तथा अपनी परिपक्वयता धनराशि का भुगतान प्राप्त् करने की मॉंग की, किन्तुा नोटिस में वर्णित मियाद व्यवतीत होने के बाद भी विपक्षीगण ने परिवादिनी को धनराशि का भुगतान नहीं किया।
7. परिवाद का सम्मरन विपक्षीगण को भेजा गया, परन्तुध विपक्षीगण की ओर से कोई उपस्थित नहीं हुआ और न ही उत्तषर पत्र प्रस्तुित किया गया। अत: आदेश दिनॉंक 07.11.2019 द्वारा एकपक्षीय कार्यवाही अग्रसारित की गयी।
8. परिवादी ने साक्ष्य् में शपथ पत्र, सहारा क्यूस शाप योजना के नियम व शर्तों, कम्प.नी के द्वारा जमाकर्ताओं को जारी किये गये योजना के लाभ संबंधित दस्तादवेज, परिवादिनी को भुगतान किये गये संबंधित दस्ताभवेज आदि की छायाप्रतियॉं दाखिल किया है।
9. मैने परिवादी के विद्वान अधिवक्ताे को सुना तथा पत्रावली का परिशीलन किया। परिवादी द्वारा परिवाद संस्थित किये जाने के पूर्व नोटिस विपक्षीगण को दी गयी थी।
10. परिवादी का कथानक है कि परिवादी ने विपक्षी संख्यास 01 के कहने पर कम्पयनी की पुरानी योजना सहारा इण्डिया रीयल एस्टेाट कारपोरेशन लि0 में आयी सम्पू।र्ण रकम 12,950.00 रूपये कम्पलनी की नयी योजना सहारा क्यूक शाप यूनिक प्रोडक्टणस रेन्जा लि0 में जमा करा दी।
11. विपक्षीगण की नयी योजना 06 वर्ष की थी, तथा उसके पश्चाीत जमा धनराशि का 2.35 गुना परिपक्व0ता धनराशि 30,432.00 रूपये का भुगतान विपक्षीगण द्वारा परिवादी को प्राप्तल होना था। विपक्षी संख्या3 01 ने 12,950.00 रूपये जमा होने के बाद उक्तन योजना का प्रमाण पत्र प्राप्तक कराया।
12. उपरोक्तक योजना की परिपक्व ता की अवधि पूर्ण होने पर परिवादी परिपक्वमता रकम का भुगतान प्राप्ति करने विपक्षी संख्यान 01 के कार्यालय गया तो कर्मचारियों ने परिवादी से प्रमाण पत्र की छायाप्रति मॉंगी तथा धनराशि का भुगतान प्राप्त करने के लिये 15 दिन के बाद आने को कहा। जून, 2018 में परिवादी अपनी रकम प्राप्तय करने के लिये पुन: विपक्षी संख्या 01 के कार्यालय गया, किन्तुक वहॉं के कर्मचारियों ने रकम ना आने की बात कहकर भुगतान करने से इन्का,र कर दिया। परिवादी ने अपने कथानक की पुष्टि अपने शपथ पत्र के माध्य्म से भी किया है।
13. परिवादी द्वारा योजना से संबंधित बाइलाज की भी प्रतिलिपि दाखिल की गयी है जिसमें यह उल्लिखित किया गया है कि ‘’आपके पास वार्षिक आधार पर कम्पजनी से एडवान्स की वापसी (विड्राल) न लेने का एक विकल्पध है तब छठे वर्ष के अन्त में एल0बी0पी0 का रिडेप्श न मूल्य् रू0 27087.00 तथा साथ में रू0-20,000.00 अग्रिम राशि रू0-47087.00 प्राप्तू होगा जो एडवान्स का 2;35 गुना है। इस प्रकार बाइलाज के तहत 06 वर्ष के अंत में 2;35 गुना परिपक्व3ता धनराशि होने का परिवादी द्वारा अपने परिवाद पत्र में भी धनराशि की मॉंग की है। इस बाइलाज के आधार पर परिवादी के कथनों को बल मिलता है। परिवादी द्वारा दाखिल दस्ताकवेजी साक्ष्यव के अवलोकन से विदित है कि विपक्षी संख्या 01 द्वारा सेवा में कमी की गयी है, पत्रावली पर कोई भी ऐसा साक्ष्य् मौजूद नहीं है जिससे कि परिवादी के कथनों पर अविश्वाीस प्रकट किया जा सके।
14. उल्ले खनीय है कि समस्ते कृत्यव में परिवादी को मानसिक एवं शारीरिक कष्ट4 हुआ और उसे न्याययालय की शरण में भी आना पड़ा। इन सब स्थितियों को मद्देनजर रखते हुए परिवादी को 10,000.00 रूपये दिलाया जाना न्यारयसंगत प्रतीत होता है। उपरोक्ते समस्ता तथ्यों एवं परिस्थितियों को दृष्टिगत रखते हुए परिवादी का परिवाद स्वीीकार किये जाने योग्य0 है।
आदेश
15. परिवादी का परिवाद आंशिक रूप से स्वीजकार किया जाता है। विपक्षी को निर्देशित किया जाता है कि परिवादी को मुबलिग-30,432.00 (तीस हजार चार सौ बतीशि स रूपया मात्र) परिवाद दायर करने की तिथि से भुगतान की तिथि तक 09 प्रतिशत वार्षिक ब्यााज के साथ 45 दिन के अन्द र अदा करें। परिवादी को हुए मानसिक, शारीरिक एवं आर्थिक कष्टि के लिये मुबलिग-10,000.00 (दस हजार रूपया मात्र) भी अदा करेंगें। यदि उपरोक्तस आदेश का अनुपालन निर्धारित अवधि के अन्दार नहीं किया जाता है तो उपरोक्तो सम्पूदर्ण धनराशि पर 12 प्रतिशत वार्षिक ब्यादज भुगतेय होगा।
(अशोक कुमार सिंह ) (नीलकंठ सहाय)
सदस्यक अध्यलक्ष
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, प्रथम,
लखनऊ।
आज यह आदेश/निर्णय हस्ताजक्षरित कर खुले आयोग में उदघोषित किया गया।
(अशोक कुमार सिंह ) (नीलकंठ सहाय)
सदस्यक अध्यलक्ष
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, प्रथम,
लखनऊ।