View 19537 Cases Against Sahara India
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SHIVAM PANDEY filed a consumer case on 21 Jan 2021 against SAHARA INDIA in the Azamgarh Consumer Court. The case no is CC/95/2011 and the judgment uploaded on 08 Feb 2021.
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जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग- आजमगढ़।
परिवाद संख्या 95 सन् 2011
प्रस्तुति दिनांक 16.09.2011
निर्णय दिनांक 21.01.2021
शिवम् पाण्डेय उम्र तखo 19 साल पुत्र स्वo श्री रमाकान्त पाण्डेय साकिन मौजा बहेलियापार पोस्ट- नन्दना जिला- आजमगढ़।
.........................................................................................परिवादी।
बनाम
उपस्थितिः- कृष्ण कुमार सिंह “अध्यक्ष” तथा गगन कुमार गुप्ता “सदस्य”
कृष्ण कुमार सिंह “अध्यक्ष”
परिवादी ने अपने परिवाद पत्र में यह कहा है कि उसके पिता स्वo रमाकान्त पाण्डेय सहारा इण्डिया परिवार के शाखा बूढ़नपुर आजमगढ़ में विपक्षी संख्या 01 के यहां सिल्वर ईयर लाभ योजना के तहत खाता धारक थे, जिन्होंने उस योजना के तहत दिनांक 31.10.2003 को मुo 10,748/- रुपया जमा किया था जिसका खाता संख्या 11569202581 है। यह कि इस योजना के अन्तर्गत नियम 18 के तहत दुर्घटना मृत्योपरान्त सहायता के सम्बन्ध में वर्णन किया गया है। जिसके विपक्षीगण पूर्णतया पाबन्द हैं। याची के पिता की दिनांक 23.05.2009 को दुर्घटना में मौत हो गयी। उसने मृत्यु के सम्बन्ध में एजेन्ट द्वारा सहयोगित लिखित प्रार्थना पत्र के साथ एक प्रार्थना पत्र दिया। इसके बाद विपक्षी संख्या 01 द्वारा पोस्ट मार्टम रिपोर्ट को पुलिस अधीक्षक आजमगढ़ द्वारा प्रमाणित कराने को निर्देशित किया गया। इसके बाद उसको प्रमाणित भी कराया गया इसके बाद जो जो प्रमाण पत्र विभाग द्वारा मांगा गया तो परिवादी द्वारा विपक्षीगण को सारे प्रमाण पत्र उपलब्ध करा दिया। इसके बाद विपक्षीगण ने कहा कि पहले पैसा ले लो बाद में दुर्घटना के सम्बन्ध में विचार किया जाएगा। नियम 18 के तहत दुर्घटना मृत्योपरान्त सहायता की धनराशि को याची के पिता को मुo दो लाख रुपया मिलनी थी। याची विपक्षीगण की बातों पर विश्वास करते हुए सर्वप्रथम दिए हुए प्रदत्त
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धनराशि को ले लिया। बाद में जब दुर्घटना की धनराशि मांगी गयी तो विपक्षीगण द्वारा टाल-मटोल किया जाने लगा। जिससे याची असन्तुष्ट हो गया और यह परिवाद प्रस्तुत करने के लिए मजबूर हो गया। अतः विपक्षीगण को यह निर्देश दिया जाए कि वह सिल्वर ईयर लाभ योजना के नियम 18 के तहत परिवादी को उसके पिता की दुर्घटना में हुई मृत्यु के पश्चात् 2,00,000/- रुपया माय 10% वार्षिक ब्याज के साथ अदा करे तथा याची को मानसिक व आर्थिक कष्ट के लिए भी 10,000/- रुपया अदा करे।
परिवादी द्वारा अपने परिवाद पत्र के समर्थन में शपथ पत्र प्रस्तुत किया गया है।
प्रलेखीय साक्ष्य में परिवादी द्वारा कागज संख्या 7/1 शाखा प्रबन्धक सहारा इण्डिया को लिए गए पत्र की छायाप्रति, कागज संख्या 7/2 नागेन्द्र पाण्डेय द्वारा दिए गए पत्र प्रार्थना पत्र की छायाप्रति, कागज संख्या 7/3 सहारा इण्डिया की ओर से जारी एक पत्र की छायाप्रति है, जिसमें सहारा इण्डिया ने यह कहा है कि मृतक का उत्तराधिकारी शिवम् पाण्डेय है, कागज संख्या 7/4 मृत्यु प्रमाण पत्र की छायाप्रति, कागज संख्या 7/5 प्रथम सूचना रिपोर्ट की छायाप्रति, कागज संख्या 7/6 इन्वेस्टीगेशन रिपोर्ट की छायाप्रति, कागज संख्या 7/7 पोस्ट मार्टम की छायाप्रति, कागज संख्या 7/10 परिवार रजिस्टर की नकल की छायाप्रति, कागज संख्या 7/11 मृत्यु प्रमाण पत्र की छायाप्रति, कागज संख्या 7/13 खाता के विवरण की छायाप्रति तथा कागज संख्या 7/14 ता 7/19 टर्म एण्ड कन्डीशन्स की छायाप्रति प्रस्तुत किया गया है।
कागज संख्या 16/1ता16/9 जवाबदावा विपक्षीगण द्वारा प्रस्तुत किया है, इसमें प्रारम्भिक आपत्ति में यह कहा गया है कि सहारा सिल्वर ईयर लाभ योजना के अन्तर्गत निवेशकर्ता को प्रदान की जाने वाली दुर्घटना मृत्योपरान्त सहायता की सुविधा हेतु उत्तरदाता विपक्षीगण द्वारा ओरिएन्ट इन्श्योरेन्स कम्पनी लिमिटेड से कम्प्रीहेन्सिव ग्रुप बीमा पॉलिसी ली गयी है। उत्तरदाता विपक्षीगण द्वारा स्वयं कोई बीमा पॉलिसी निवेशकर्ता को दी गयी। बीमा कम्पनी से ली गयी बीमा पॉलिसी के लिए निवेशकर्ता से कोई प्रीमियम अथवा शुल्क नहीं लिया गया है। बीमा पॉलिसी का स्वरूप थर्ड पार्टी बीमा का है, जिसमें बीमाकृत निवेशकर्ता है एवं बीमाकर्ता ओरिएन्टल इन्श्योरेन्स कम्पनी लिमिटेड है। इस प्रकार बीमा क्षतिपूर्ति प्राप्त करने के लिए निवेशकर्ता के नामिनी बीमा कम्पनी के विरुद्ध दावा कर सकते हैं न कि उत्तरदाता विपक्षीगण के विरुद्ध। उत्तरदाता विपक्षीगण केवल बीमा पॉलिसी का प्रीमियम अदा करते हैं। विपक्षीगण को गलत आधार पर पक्षकार बनाया गया है। इस प्रकार ओरिएन्टल इन्श्योरेन्स कम्पनी लिमिटेड पंजीकृत एवं मुख्य कार्यालय,
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ए-25/27, आसफ अली रोड, नई दिल्ली परिवाद का आवश्यक पक्षकार है। निवेशकर्ता श्री रमाकान्त पाण्डेय की दुर्घटना मृत्यु दिनांक 23.05.2009 को हुई जबकि वर्तमान परिवाद 2 वर्ष पश्चात् दिनांक 18.08.2011 को दायर किया गया। जो संधार्य नहीं है। इसके पश्चात् विपक्षीगण की ओर से पैरा 6 ता पैरा 10 में कुछ निर्णयों का उल्लेख किया गया है। प्रस्तरवार जवाब में परिवाद पत्र के कथनों से इन्कार किया है। अतिरिक्त कथन में उसने यह कहा है कि दिनांक 31.10.2003 को सिल्वर ईयर लाभ योजना के अन्तर्गत सेवाकेन्द्र बूढ़नपुर, जिला- आजमगढ़ में कन्ट्रोल संख्या 11569202581 के अन्तर्गत अचल सम्पत्ति के आबंटन की बुकिंग एवं कम्पनी तथा उसके व्यावसायिक सहयोगियों के उत्पाद क्रय करने हेतु अग्रिम धनराशि के रूप में 10,752/- रुपया जमा किया था। निवेश के पूर्व स्कीम के नियम एवं शर्तों को पढ़कर श्री रमाकान्त पाण्डेय को सुनाया गया, जिसे भलीभांति समझने के पश्चात् उनका पालन करने के लिए स्वयं को बाध्य करते हुए श्री रमाकान्त पाण्डेय ने उत्तरदाता विपक्षीगण से अनुबन्ध किया। निवेश हेतु भरे गए आवेदन या अनुबन्ध पत्रों की प्रति संलग्नक 7 है। सहारा सिल्वर ईयर लाभ योजना के नियम व शर्त 18 के अनुसार एडवांस बुकिंग होल्डर (निवेशक) के नामिनी को दुर्घटना मृत्योपरान्त सहायता उपलब्ध कराने के लिए उत्तरदाता विपक्षीगण ने ओरिएण्टल इन्श्योरेन्स कम्पनी लिमिटेड से कम्प्रीहेन्सिव ग्रुप बीमा पॉलिसी करवाया है। निवेशक को उक्त सहायता प्राप्त करने हेतु उत्तरदाता विपक्षीगण द्वारा ओरिएण्टल इन्श्योरेन्स कम्पनी लिमिटेड पंजीकृत एवं मुख्य कार्यालय, ए-25/27, आसफ अली रोड, नई दिल्ली द्वारा बीमा लिया गया है। जिसका नवीनीकरण प्रति वर्ष उत्तरदाता विपक्षीगण द्वारा स्वयं अपने पास से प्रीमियम जमा करके कराया जाता है। जमाकर्ता उक्त पॉलिसी के अन्तर्गत
एक बीमित व्यक्ति था। उक्त बीमा पॉलिसी लेने अथवा उसके नवीनीकरण के लिए उत्तरदाता विपक्षीगण ने जमाकर्ता से कोई शुल्क नहीं अथवा प्रीमियम नहीं लिया है। यह एक निःशुल्क सहायता है। उत्तरदाता विपक्षीगण मात्र एक फैसिलेटर है। पैरा 25 में परिवादी द्वारा प्रस्तुत किए जाने वाले प्रलेखों का वर्णन किया गया है।
विपक्षीगण द्वारा अपने जवाबदावा के समर्थन में शपथ पत्र प्रस्तुत किया गया है।
विपक्षी संख्या 04 द्वारा कागज संख्या 38क जवाबदावा प्रस्तुत किया गया है, जिसमें परिवाद पत्र के कथनों से इन्कार किया गया है। अतिरिक्त कथन में यह कहा गया है कि परिवाद आधारहीन व विधिविरुद्ध है। परिवादी द्वारा अपने परिवाद पत्र की धारा 1,2,3 में किए गए कथनों के अनुसार उसके पिता स्वo रमाकान्त पाण्डेय सहारा इण्डिया कम्पनी की शाखा बूढ़नपुर
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आजमगढ़ के खाता धारक अथवा डिपाजिटर थे और उन्होंने कम्पनी की सिल्वर लाभ योजना के तहत दिनांक 31.10.2003 को मुo 10,748/- रुपया जमा किया था और उनकी 23.05.2009 को सड़क दुर्घटना में मृत्यु हो गयी। ऐसी स्थिति में परिवादी अथवा उसके पिता कम्पनी के उपभोक्ता नहीं है। अतः विपक्षी संख्या 04 को परिवाद दाखिल किए जाने के समय हमें पार्टी नहीं बनाया गया। परिवादी अथवा विपक्षी संख्या 1, 2, 3 सहारा इण्डिया कम्पनी ने विपक्षी संख्या 04 को को कभी मृतक के मृत्यु के बारे में कोई सूचना नहीं दिया। परिवाद उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 की धारा 14 (ए) में दिए गए प्रावधानों से बाधित है। विपक्षी संख्या 1,2,3 द्वारा निर्धारित समय के अन्दर विपक्षी संख्या 04 को कोई भी सूचना नहीं दिया।
विपक्षी संख्या 04 द्वारा अपने जवाबदावा के समर्थन में शपथ पत्र प्रस्तुत किया गया है।
सुना तथा पत्रावली का अवलोकन किया। सहारा इण्डिया ने अपने जवाबदावा में यह कहा है कि विपक्षी संख्या 04 से बीमा करवाया गया था। विपक्षी संख्या 04 द्वारा प्रस्तुत जवाबदावा में इस बात से इन्कार नहीं किया गया है कि उसने मृतक खाताधारक का सिल्वर ईयर लाभ योजना बीमा नहीं किया था। नियमानुसार यदि खाताधारक सिल्वर ईयर लाभ योजना के तहत खोले गए खाते का खाताधारक यदि 04 वर्ष पश्चात् किन्तु 10 वर्ष तक के मध्य मरता है तो उसे बीमा कम्पनी 2,00,000/- लाख रुपया नियमानुसार देने के लिए बाध्य है।
इस प्रकार नियमानुसार परिवादी अपने पिता की मृत्यु के पश्चात् विपक्षी संख्या 04 से मुo 2,00,000/- रुपए पाने का अधिकारी है। ऐसी स्थिति में हमारे विचार से परिवाद स्वीकार होने योग्य है।
आदेश
परिवाद स्वीकार किया जाता है। विपक्षी संख्या 04 को आदेशित किया जाता है कि वह परिवादी को अन्दर 30 दिन मुo 2,00,000/- रुपया (रु. दो लाख मात्र) अदा करें, जिस पर परिवाद दाखिला के दिन से अन्तिम भुगतान तक परिवादी 09% वार्षिक ब्याज पाने का हकदार होगा। परिवादी को आर्थिक व मानसिक क्षति के लिए मुo5,000/- (रु.पांच हजार मात्र) रुपया भी अदा करें।
गगन कुमार गुप्ता कृष्ण कुमार सिंह
(सदस्य) (अध्यक्ष)
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दिनांक 21.01.2021
यह निर्णय आज दिनांकित व हस्ताक्षरित करके खुले न्यायालय में सुनाया गया।
गगन कुमार गुप्ता कृष्ण कुमार सिंह
(सदस्य) (अध्यक्ष)
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