View 19537 Cases Against Sahara India
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PRAVESH SINGH filed a consumer case on 22 Oct 2021 against SAHARA INDIA in the Azamgarh Consumer Court. The case no is CC/80/2012 and the judgment uploaded on 16 Nov 2021.
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग- आजमगढ़।
परिवाद संख्या 80 सन् 2012
प्रस्तुति दिनांक 16.08.2012
निर्णय दिनांक 22.10.2021
श्रीमती प्रवेश सिंह पत्नी श्री जय प्रकाश सिंह अस्थाई निवास- 25/06 इन्दिरा नगर लखनऊ, स्थाई निवास- गुलामी का पुरा, पी.ओ.एण्ड तह.- सदर, जिला- आजमगढ़।
......................................................................................परिवादिनी।
बनाम
उपस्थितिः- कृष्ण कुमार सिंह “अध्यक्ष” तथा गगन कुमार गुप्ता “सदस्य”
कृष्ण कुमार सिंह “अध्यक्ष”
परिवादिनी ने अपने परिवाद पत्र में यह कहा है कि वह विपक्षी के फ्लैट के एलाटमेन्ट के विज्ञापन के आधार पर दिनांक 12.12.2008 को टाइप 2 बेडरूम जिसमें यूनिट एरिया/टैरेस एरिया/प्लॉट एरिया, 88.73 स्कावयर मीटर/एन.ए./एन.ए. थी सहारा प्राईम सिटी लखनऊ में बुक कराया और सारी धनराशि जमा कर दिया। विपक्षी ने दूसरे तल पर फ्लैट आवंटित किया। एलाटमेन्ट लेटर 30.12.2008 का है। वह लगातार अप्रैल 2010 तक कुल धनराशि 6,79,766/- रुपए जमा किया। मार्च 2010 में परिवादी ने एक पत्र लिखा कि उसके पुत्र नवीन प्रकाश सिंह को एलाटी के रूप में शामिल कर लिया जाए जिससे कि हाउसिंग लोन बैंक से प्राप्त कर दिया जाए। चूंकि वह हाउस वाईफ है इसलिए उसे बैंक से लोन नहीं मिल सकता है, लेकिन विपक्षी द्वारा कोई जवाब नहीं दिया गया। दिनांक 23.03.2011 को परिवादी विपक्षी के ऑफिस में मिली और अपने पुत्र का नाम एलाटी के रूप में शामिल करने के लिए कहा। दिनांक 23.03.2011 को विपक्षी ने यह कहा कि वह अपने पुत्र को एलॉटी के रूप में शामिल करने के लिए नोटोरियल शपथ पत्र दे और वह विपक्षी के दिनांक 23.03.2011 के आदेशानुसार परिवादिनी ने नोटोरियल शपथ पत्र दिनांक 17.05.2011 को दिया जो कि विपक्षी को 18.05.2011 को प्राप्त हो गया। को-एलॉटी नवीन प्रकाश सिंह द्वारा शपथ पत्र भेजा गया जो दिनांक 21.05.2011 को प्राप्त हुआ। उसके द्वारा बार-बार नवीन प्रकाश सिंह को को-एलॉटी के रूप में शामिल करने के लिए पत्र लिखा गया, लेकिन इस सन्दर्भ में कोई भी सूचना प्राप्त नहीं हुई। अतः उसने वकील रवि नरायन राय द्वारा दिनांक 25.04.2012 को लीगल नोटिस दिया। याची एलाटमेन्ट के सारे शर्तों को पूरा करने के लिए तैयार है, लेकिन विपक्षीगण याची को फ्लैट उपलब्ध कराने के लिए तैयार नहीं हैं। अतः विपक्षीगण को आदेशित किया जाए कि वह फ्लैट जो एलाट किया गया था तथा को-एलॉटी से बकाया कब्जा दे दे, मानसिक व शारीरिक कष्ट हेतु 1,00,000/- रुपया तथा वाद व्यय के लिए 10,000/- रुपया परिवादिनी को अदा करें।
परिवादिनी द्वारा अपने परिवाद पत्र के समर्थन में कोई भी शपथ पत्र नहीं दिया गया है।
प्रलेखीय साक्ष्य में परिवादिनी द्वारा कागज संख्या 6/1 व 6/2 याची ने जो धनराशि जमा किया था उसकी रसीद, कागज संख्या 7 सहारा सिटी होम्स इन्सटालमेन्ट बैलेन्स 17,79,234/- के सन्दर्भ में प्रस्तुत कागजात, कागज संख्या 8/1 मैनेजर सहारा सिटी होम्स लखनऊ को लिखा गया मूल पत्र, कागज संख्या 8/2 सहारा प्राईम सिटी लिमिटेड को लिखे गए पत्र की छायाप्रति, कागज संख्या 9/1 सहारा प्राईम सिटी लिमिटेड द्वारा याची को लिखा गया पत्र कि उसके द्वारा दिए गए प्रार्थना पत्र 12.12.2008 के अनुसार विपक्षी बी.28/203, टाईप 2 बेडरूम दूसरे तल पर जिसकी एरिया 88.73 स्क्वायर मीटर/एन.ए./एन.ए. सहारा सिटी होम्स लखनऊ जिसकी कीमत 24,59,000/- है जिसमें कोई अन्य चार्ज शामिल नहीं है, देने के लिए तैयार है की प्रति, कागज संख्या 9/2 रजिस्ट्रेशन के लिए सहारा सिटी द्वारा लिखे गए पत्र की छायाप्रति, कागज संख्या 9/3 व 9/4 जमा धनराशि का विवरण, कागज संख्या 9/5 सहारा प्राईम सिटी लखनऊ द्वारा याची को लिखे गए पत्र की प्रति, कागज संख्या 10/1 याची द्वारा मैनेजर सहारा सिटी होम्स लखनऊ को इस सन्दर्भ का लिखा गया पत्र की छायाप्रति कि वह उसके पुत्र को को-एलॉटी के रूप में शामिल कर लें, कागज संख्या 10/2 नवीन प्रकाश द्वारा लिखे गए पत्र की छायाप्रति तथा कागज संख्या 10/3 नोटोरियल शपथ पत्र की छायाप्रति प्रस्तुत किया गया है।
कागज संख्या 15क विपक्षीगण द्वारा जवाबदावा प्रस्तुत किया गया है, जिसमें उन्होंने यह कहा है कि अनुबन्ध में यह लिखा गया था कि कोई विवाद होने पर उसका निस्तारण आरबीट्रेशन द्वारा किया जाएगा। अतः इस फोरम न्यायालय को परिवाद के निस्तारण का अधिकार हासिल नहीं है। यह परिवाद विपक्षी को केवल हैरान व परेशान करने के उद्देश्य से दाखिल किया गया है। याची टाइप 2 बेडरूम सहारा सिटी होम्स लखनऊ के बुक करने के लिए दिनांक 12.12.2008 को एक पत्र लिखा था। जिसके सन्दर्भ में 6,79,766/- रुपए धनराशि अग्रिम जमा की गयी। यूनिट की कीमत 24,59,000/- थी। याची अनुबन्ध की शर्तों से पूरी तरह परिचित थी। यदि परिवादिनी एलाटमेन्ट को निरस्त करना चाहती है तो विपक्षी उसके द्वारा जमा धनराशि बिना ब्याज के अदा करने के लिए तैयार है। रजिस्ट्रेशन लेटर दिनांक 13.12.2008 को दे दिया गया था। जिसके द्वारा याची को सूचित किया गया था कि उसे टाईप 02 बेडरूम सेकेण्ड फ्लोर पर 88.73 स्क्वायर मीटर देखकर परिवादिनी के पक्ष में पंजीकृत कर दिया गया है। को-एलॉटमेन्ट लेटर में यह उल्लिखित किया गया था कि 45 दिन के अन्दर यदि एलॉटमेन्ट की पूरी धनराशि जमा नहीं की जाती तो एलॉटमेन्ट निरस्त कर दिया जाएगा, लेकिन उसके बावजूद परिवादिनी लगातार बुकिंग एमाउन्ट जमा करने में असमर्थ रही। दिनांक 19.05.2010 के उसे पुनः रिमाइंडर भेजा गया। इसके पश्चात् याची यह सोचने लगी कि उसके लड़के का नाम को-एलॉटी के रूप में शामिल कर दिया जाए जिससे कि वह बैंक से लोन ले सके। यह आश्चर्य की बात है कि फाइनेन्स एलॉटमेन्ट लेटर दिनांकित 30.12.2008 को याची धनराशि को भुगतान करने के सन्दर्भ में सोचने लगी और उसने कहा कि वह अपने लड़के का नाम को-एलॉटी के रूप में शामिल नहीं करने की दशा में बैंक से लोन नहीं ले सकते हैं। दिनांक 23.03.2011 के पहले याची विपक्षी से कभी भी नहीं मिली। यह कहना आवश्यक है कि याची ने पेमेन्ट करने का प्रयास कभी नहीं किया। यहाँ यह भी कहना आवश्यक है कि कोई भी विवाद टर्म और कन्डीशन पर उत्पन्न होने पर वह ऑरबीट्रेटर को रेफर किया जाएगा, जिसे कि कम्पनी नियुक्त करेगी। इस प्रकार लखनऊ स्थित ऑरबीट्रेटर को ही परिवाद सुनने का क्षेत्राधिकार हासिल है। इस न्यायालय को कोई क्षेत्राधिकार हासिल नहीं है। अतः परिवाद खारिज किया जाए।
विपक्षीगण द्वारा अपने जवाबदावा के समर्थन में कोई भी शपथ पत्र प्रस्तुत नहीं किया गया है।
दौरान बहस उभय पक्षकार उपस्थित आए। उभय पक्षकारों के विद्वान अधिवक्ताओं अपनी-अपनी बहस सुनायी। उभय पक्षकारों के विद्वान अधिवक्ताओं की बहस को सुना तथा पत्रावली का अवलोकन किया। परिवादिनी ने विपक्षी संख्या 01 से मार्च 2010 में इस आग्रह का पत्र लिखा था कि उसके पुत्र नवीन प्रकाश सिंह को को-एलॉटी बना दिया जाए, जिससे कि एच.डी.एफ.सी. बैंक से लोन प्राप्त हो सके क्योंकि वह गृहणी है अतः उसे लोन प्राप्त नहीं हो सकता है। जब परिवादिनी यह जानती थी कि वह गृहणी है और उसे बैंक से लोन प्राप्त नहीं हो सकता था तो फ्लैट के एलॉटमेन्ट के समय ही उसे तथा उसके पुत्र नवीन प्रकाश सिंह को एलॉटमेन्ट के लिए पक्षकार बनाना चाहिए था। यहाँ यह भी कहना आवश्यक है कि परिवादिनी ने कुल 6,79,766/- रुपए जमा कर दिया है। शेष रकम जमा होना बाकी है। बीच में हमारे विचार से उसके पुत्र नवीन प्रकाश सिंह को को-एलॉटी नहीं बनाया जा सकता है। जहाँ तक प्रतिवादी का सम्बन्ध है तो उसने अपने जवाबदावा में यह लिखा है कि नियमों व शर्तों के अनुसार मुकदमा ऑरबीट्रेटर जिसकी नियुक्ति कम्पनी करेगी, जो लखनऊ में बैठेगी और वही विवाद का निस्तारण करेगा। इस प्रकार इस कोर्ट को विवाद के निस्तारण का क्षेत्राधिकार हासिल नहीं है। इस सन्दर्भ में यदि हम न्याय निर्णय “तप्पन दत्ता बनाम वेदिक कॉन्क्लेव प्राइवेट लिमिटेड 01(2019) सी.पी.जे.(वेस्ट बंगाल)” का अवलोकन करें तो इसमें यह प्राविधान किया गया है कि यदि टर्म एण्ड कन्डीशन में यह लिखा हुआ है कि मामले का निस्तारण ऑरबीट्रेटर के माध्यम से किया जाएगा, तो भी यह फोरम को क्षेत्राधिकार से वंचित नहीं कर सकता है। इस प्रकार ऑरबीट्रेशन के टर्म एण्ड कन्डीशन के होने के बावजूद भी फोरम को परिवाद के निस्तारण के लिए क्षेत्राधिकार हासिल है। उपरोक्त विवेचन से हमारे विचार से परिवाद खारिज किए जाने योग्य है।
आदेश
परिवाद पत्र खारिज किया जाता है। पत्रावली दाखिल दफ्तर हो।
गगन कुमार गुप्ता कृष्ण कुमार सिंह
(सदस्य) (अध्यक्ष)
दिनांक 22.10.2021
यह निर्णय आज दिनांकित व हस्ताक्षरित करके खुले न्यायालय में सुनाया गया।
गगन कुमार गुप्ता कृष्ण कुमार सिंह
(सदस्य) (अध्यक्ष)
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