जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोश फोरम, कानपुर नगर।
अध्यासीनः डा0 आर0एन0 सिंह........................................अध्यक्ष
पुरूशोत्तम सिंह...............................................सदस्य
उपभोक्ता वाद संख्या-540/2011
श्रीमती निर्मल साहू पत्नी स्व0 षिवलाल साहू, निवासिनी मकान नं0-130/12सी, वगाही भट्ठा कानपुर नगर।
................परिवादिनी
बनाम
1. षाखा प्रबन्धक, सहारा इण्डिया कामर्षियल कारपोरेषन लि0 षाखा किदवई नगर, कानपुर नगर द्वारा मैनेजर सहारा इण्डिया कामर्षियल कारपोरेषन लि0 षाखा किइवई नगर, कानपुर नगर।
2. सक्षम अधिकारी सहारा इण्डिया, कामर्षियल कारपोरेषन लि0, भवन-1, कपूरथला काम्प्लेक्स, लखनऊ उ0प्र0 द्वारा सक्षम अधिकारी।
...........विपक्षीगण
परिवाद दाखिल होने की तिथिः 25.08.2011
परिवाद निर्णय की तिथिः 14.01.2016
डा0 आर0एन0 सिंह अध्यक्ष द्वारा उद्घोशितः-
ःःःनिर्णयःःः
1. परिवादिनी की ओर से प्रस्तुत परिवाद पत्र इस आषय से योजित किया गया है कि विपक्षी से परिवादिनी को रू0 3,15,000.00 आर्थिक क्षति के रूप में दिलाया जाये तथा 12 प्रतिषत वार्शिक ब्याज प्रार्थनापत्र प्रस्तुत करने की तिथि से वास्तविक भुगतान की तिथि तक के लिए दिलाया जाये।
2. परिवाद पत्र के अनुसार परिवादिनी का संक्षेप में यह कथन है कि परिवादिनी के पति षिवलाल साहू ने विपक्षी सं0-1 सहारा इण्डिया कामर्षियल कारपोरेषन लि0 षाखा किदवई नगर कानपुर के यहां आवास हेतु अचल सम्पत्ति/फ्लैट क्रय करने के लिए सिल्वर ईयर लाभ योजना के अंतर्गत बतौर एडवांस धनराषि रू0 7000.00 दिनांक 31.12.03 को जमा किया गया, जो विपक्षी सं0-1 द्वारा स्वीकृत करके पाॅलिसी खाता पासबुक सं0-17219205764 जारी किया गया तथा इस कंट्रोल संख्या द्वारा आवेदक
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द्वारा दुर्घटना मृत्युपरान्त दावा धनराषि भी देना स्वीकार किया गया, जिसमें परिवादिनी नामनी है। परिवादिनी के पति षिवलाल साहू की मृत्यु दिनांक 10.03.08 को सड़क दुर्घटना में हो गयी थी, जिसकी सूचना परिवादिनी द्वारा विपक्षी सं0-1ृ को दिनांक 08.04.08 को लिखित रूप में दी गयी। विपक्षी सं0-1 द्वारा परिवादिनी को क्लेम फार्म प्रेशित नहीं किया गया। तब परिवादिनी स्वयं विपक्षी सं0-1 के कार्यालय गयी, जहां पर उसे क्लेम फार्म दिया गया। तदोपरान्त परिवादिनी द्वारा समस्त औपचारिकतायें पूर्ण करके दिनांक 18.04.08 को विपक्षी सं0-1 की षाखा किदवई नगर में आवेदन दिया गया। परिवादिनी द्वारा विपक्षी सं0-1 के निर्देषानुसार असल पासबुक/बाण्ड भी जमा किया गया। परिवादिनी द्वारा विपक्षी सं0-1 से मौखिक तथा लिखित रूप में दिनांक 08.02.11 को निवेदन करने पर भी विपक्षी सं0-1 द्वारा परिवादिनी का क्लेम नहीं दिया गया। तदोपरान्त परिवादिनी द्वारा विपक्षी सं0-2 सहारा इण्डिया परिवार कर्तव्य काउसिंल सहारा इंडिया टावर-7 कपूरथला काम्प्लेक्स एवं सहारा इंडिया कामर्षियल कारपोरेषन लि0 सहारा इण्डिया भवन-1 लखनऊ को दिनांक 17.01.11 को नोटिस भेजी गयी। विपक्षीगण द्वारा बावत नोटिस बीमा क्षतिपूर्ति न देने से परिवादिनी एवं उसके परिवार के समक्ष जीवकोपार्जन का संकट उत्पन्न हो गया। परिवादिनी के पति ने दिनांक 31.12.03 को विपक्षी की षाखा से सहारा रजत योजना के अंतर्गत खाता खोला था। परिवादिनी के पति का देहावसान उक्त खाता खोलने के 4 वर्श 2 माह 10 दिन पष्चात हो गया। अतः परिवादिनी सहारा रजत योजना नियम-18 के अंतर्गत विपक्षी से क्षतिपूर्ति धनराषि रू0 2,00,000.00 प्राप्त करने की अधिकारिणी है। विपक्षी द्वारा बावजूद नोटिस भुगतान नहीं किया गया। विपक्षी के प्रधान सक्षम अधिकारी द्वारा परिवादिनी को पत्र दिनाक 07.05.11 गलत तथ्यों पर आधारित भेजा गया। परिवादिनी, विपक्षी की स्कीम फार्म में अंकित नियम व षर्त के अनुसार विपक्षी से बीमा क्षतिपूर्ति प्राप्त करने की अधिकारिणी है। परिवादिनी एवं विपक्षी सं0-1 के मध्य कोई विवाद नहीं है। यदि परिवादिनी को विपक्षी सं0-1 व 2 बीमा क्षतिपूर्ति की धनराषि बीमा नियम 18 के अनुसार देता है, तो कोई विवाद नहीं है। परिवादिनी ने
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अपने पति षिवलाल साहू की मृत्यु की सूचना समय पर विपक्षी सं0-1 को दी थी। फोरम के आदेष दिनांक 29.01.13 के अनुपालन में परिवादिनी द्वारा विपक्षी सं0-3 का नाम दौरान मुकद्मा डिलीट कर दिया गया है। विपक्षीगण द्वारा परिवादिनी का दावा क्षतिपूर्ति न देने से, परिवादिनी को, विवष होकर प्रस्तुत परिवाद योजित करना पड़ा है।
3. विपक्षी सं0-1 व 2 की ओर से प्रारम्भिक आपत्ति के रूप में जवाब दावा प्रस्तुत करके परिवादिनी की ओर से प्रस्तुत किये गये परिवाद पत्र में अंकित अंतरवस्तु का प्रस्तरवार खण्डन किया गया है और अतिरिक्त कथन में यह कहा गया है कि स्व0 षिललाल साहू ने दिनांक 31.12.03 को सिल्वर ईयर लाभ योजना के अंतर्गत सहारा इंण्डिया कार्पोरेषन लि0 की षाखा किदवईनगर में कंट्रोल सं0-17219205764 से अचल सम्पत्ति व कपंनी तथा उसके व्यवसायिक सहयोगियों के एडवांस के मद में रू0 7000.00 जमा करते समय षिवलाल साहू ने भली-भाॅति समझने के बाद कि नियम एवं षर्त-18 के अनुसार, दुर्घटना बीमा, बीमा कंपनी विपक्षी सं0-3 से ली गयी कम्प्रीहेन्सिव बीमा पाॅलिसी की षर्तों को पूरा करने पर मिलेगा। उन्हें यह पता था कि बीमा राषि प्राप्त करने के लिए दुर्घटना मृत्यु तिथि से 30 दिन के अंदर दावा करना अनिवार्य है। विपक्षी उत्तरदाता बीमा कंपनी क्षतिपूर्ति राषि का भुगतान स्वयं नहीं करती। उक्त कार्य विपक्षी सं0-3 का है। अभिकथित बीमा पाॅलिसी थर्ड पार्टी कम्प्रीहेन्सिव ग्रुप बीमा पाॅलिसी ली गयी। एस.आई.सी.सी.एल. विपक्षी सं0-1 मात्र एक फैसीलिटेटर है। विपक्षी सं0-1 द्वारा स्वयं कोई पाॅलिसी षिवलाल साहू के द्वारा नहीं ली गयी और न ही तो विपक्षी सं0-1 बीमा कंपनी है। सुसंगत अवधि की बीमा पालिसी दिनांक 05.09.07 से 04.09.08 की अवधि से रू0 1,34,42,668.00 प्रीमियम अदा किया गया है। जिसके बदले में बीमा कंपनी ने यह वायदा किया था कि कंपनी के निवेषकों को दुर्घटना बीमा का लाभ बीमा कंपनी अदा करेगी। स्व0 षिवलाल साहू ने एडवांस बुकिंग करते समय यह स्वीकार किया था कि दुर्घटना बीमा क्षतिपूर्ति वह बीमा कंपनी से प्राप्त करेंगे न कि विपक्षी सं0-1 से। अतः
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भारतीय संविदा अधिनियम 1872 की धारा-41 के प्राविधानानुसार बीमा क्षतिपूर्ति का दावा केवल नेषनल इंडिया इंष्योरेन्स कंपनी लि0 से ही किया जा सकता है। परिवाद क्वनइसम श्रमवचंतकल के सिद्धांत से बाधित है। परिवादिनी द्वारा स्व0 षिवलाल साहू की मृत्यु के 30 दिन के अंदर कोई क्षतिपूर्ति हेतु दावा या प्रार्थनापत्र प्रस्तुत नहीं किया गया। परिवादिनी ने दिनांक माह मई 2010 में पहली बार दुर्घटना बीमा लाभ की मांग की। उन्होंने जैसे ही दावा किया, उनका दावा नेषनल इंडिया इंष्योरेन्स कंपनी विपक्षी सं0-3 को पत्र दिनांकित 10.06.10 से अग्रसारित किया गया। जिसकी सूचना परिवादिनी को तत्काल दे दी गयी। विपक्षी सं0-1 को किसी भी प्रकार से उत्तरदायी नहीं ठहराया जा सकता। परिवादिनी ने जमा धनराषि व ब्याज कुल रू0 10,219.00 का भुगतान पूर्ण संतुश्टि के साथ बिना किसी प्रतिवाद के दिनांक 04.07.08 को भुगतान बाउचर सं0-172108807451 से प्राप्त कर लिया है। स्व0 षिवलाल साहू को स्कीम व पाॅलिसी षर्तों की जानकारी दी गयी थी, उन्हें यह बताया गया था कि निवेष तिथि से एक वर्श पष्चात दुर्घटना में मृत्यु होने पर उनके नामित को पाॅलिसी की षर्त के अनुसार ही बीमा क्षतिपूर्ति नेषनल इंडिया इंष्योरेन्स कंपनी विपक्षी सं0-3 से ली गयी थर्ड पार्टी बीमा पाॅलिसी के अनुसार ही अनुमन्य होगी। विपक्षी ने पाॅलिसी का प्रीमियम समय से अदा करके अपनी सेवा प्रदान की है। विलम्ब से दावा प्रस्तुत करने के लिए परिवादिनी स्वयं जिम्मेदार है। स्व0 षिवलाल साहू द्वारा किया गया निवेष बीमा पाॅलिसी नहीं है। क्योंकि बीमा पाॅलिसी में पाॅलिसी धारक द्वारा किस्तें प्रीमियम के रूप में अदा की जाती है। जबकि सिल्वर ईयर लाभ योजना में एडवांस बुकिंग होल्डर से कोई प्रीमियम नहीं लिया जाता है। यदि माननीय मंच इस निश्कर्श पर पहुॅचती है कि बीमा लाभ देय है, तो उस स्तर पर समस्त जिम्मेदारी नेषनल इंडिया इंष्योरेन्स कंपनी लि0 विपक्षी सं0-3 की है। परिवादिनी को कोई वाद कारण विपक्षी सं0-1 के विरूद्ध उत्पन्न नहीं हुआ है। अतः परिवाद पत्र निरस्त किया जाये।
परिवादिनी की ओर से प्रस्तुत किये गये अभिलेखीय साक्ष्यः-
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4. परिवादिनी ने अपने कथन के समर्थन में स्वयं का षपथपत्र दिनांकित 25.08.11 व 11.07.13 तथा अभिलेखीय साक्ष्य के रूप में जमा रसीद की प्रति, बाण्ड की प्रति, पहचान पत्र की प्रति, प्रथम सूचना रिपोर्ट की प्रति, पोस्टमार्टम रिपोर्ट की प्रति, मृत्यु प्रमाण पत्र की प्रति, विपक्षी को मृत्यु दुर्घटना दिये जाने से सम्बन्धित प्रार्थनापत्र दिनांकित 08.04.08, मृत्युपरान्त सहायता प्राप्त क्षतिपूर्ति हेतु आवेदन पत्र की प्रति, सर्वे रिपोर्ट की प्रति, हाईस्कूल की मार्कषीट की प्रति, परिवादिनी द्वारा विपक्षी सं0-1 को प्रेशित पत्र की प्रति, समाचार पत्र की कटिंग की प्रति, परिवादिनी द्वारा विपक्षी को प्रेशित पत्र दिनांकित 17.01.11 की प्रति, नोटिस की प्रति, प्राप्ति रसीद की प्रति दाखिल किया है।
विपक्षी सं0-1 व 2 की ओर से प्रस्तुत किये गये अभिलेखीय साक्ष्यः-
5. विपक्षी सं0-1 व 2 ने अपने कथन के समर्थन में षाखा प्रबन्धक प्रबन्धक का षपथपत्र दिनांकित 12.02.14 एवं ओ0पी0 सिंह का षपथपत्र दिनांकित 15.10.14 दाखिल किया है।
निष्कर्श
6. फोरम द्वारा उभयपक्षों के विद्वान अधिवक्तागण की बहस सुनी गयी तथा पत्रावली में उपलब्ध साक्ष्यों का सम्यक परिषीलन किया गया।
उभयपक्षों को सुनने तथा पत्रावली के परिषीलन से विदित होता है कि प्रस्तुत मामले में परिवादिनी का कथन यह है कि परिवादिनी के पति ने विपक्षी सं0-1 के यहां आवास हेतु सिल्वर ईयर लाभ योजना के अंतर्गत बतौर एडवांस रू0 7000.00 जमा करके पालिसी ली गयी थी। उक्त पालिसी के नियमानुसार आवेदक द्वारा दुर्घटना मृत्युपरान्त दावा धनराषि देना स्वीकार किया गया था। उक्त बीमा पालिसी में परिवादिनी नाम्नी है। परिवादिनी के पति की मृत्यु दिनांक 10.03.08 को सड़क दुर्घटना में हो गयी, जिसकी सूचना परिवादिनी द्वारा विपक्षी सं0-1 को दिनांक 08.04.08 को दे दी गयी। किन्तु विपक्षी सं0-1 के द्वारा बीमा क्षतिपूर्ति नहीं दी गयी। जबकि परिवादिनी उक्त बीमा योजना के अंतर्गत रू0 2,00,000.00
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प्राप्त करने की अधिकारिणी है। परिवादिनी का यह भी कथन है कि यदि परिवादिनी को विपक्षी सं0-1 व 2 को बीमा की धनराषि प्रदान कर देते हैं, तो उनके मध्य कोई विवाद नहीं है। विपक्षी सं0-1 व 2 का मुख्य कथन यह है कि दुर्घटना बीमा विपक्षी सं0-3 से ली गयी। कम्प्रीहेन्सिव बीमा पाॅलिसी की षर्तों के अनुसार 30 दिन के अंदर दुर्घटना मृत्यु की सूचना दी जानी चाहिए जो कि विलम्ब से दी गयी है। क्षतिपूर्ति धनराषि का भुगतान विपक्षी सं0-3 के द्वारा किया जाता है। विपक्षी उत्तरदाता के द्वारा क्षतिपूर्ति की अदायगी नहीं की जाती है। विपक्षी सं0-1 मात्र एक फैसीलिटेटर है। स्व0 षिवलाल साहू ने बीमा कराते समय यह स्वीकार किया था कि दुर्घटना बीमा धनराषि विपक्षी सं0-3 से प्राप्त करेंगे न कि विपक्षी सं0-1 से। पूर्व में परिवादिनी ने ब्याज धनराषि रू0 10,219.00 का भुगतान पूर्ण संतुश्टि के साथ बिना किसी प्रतिवाद के दिनांक 04.07.08 को भुगतान बाउचर सं0-172108807451 से प्राप्त कर लिया है। अतः परिवाद क्वनइसम श्रमवचंतकल के सिद्धांत से बाधित है। स्व0 षिवलाल साहू के द्वारा किया गया निवेष बीमा पाॅलिसी नहीं है।
उपरोक्तानुसार उभयपक्षों को सुनने तथा पत्रावली के सम्यक परिषीलन से विदित होता है कि स्वीकार्य रूप से परिवादिनी के पति स्व0 षिवलाल साहू के द्वारा विपक्षी सं0-1 व 2 के यहां आवास हेतु अचल सम्पत्ति/फ्लैट क्रय करने के लिए सिल्वर ईयर लाभ योजना के अंतर्गत बतौर एडवांस धनराषि रू0 7000.00 का निवेष किया गया। जिसे विपक्षी सं0-1 द्वारा स्वीकृत करके पाॅलिसी खाता पासबुक सं0-17219205764 जारी किया गया तथा इस कंट्रोल संख्या द्वारा आवेदक को दुर्घटना मृत्युपरान्त दावा धनराषि देना स्वीकार किया गया। जिसमें परिवादिनी नाम्नी है। इस विशय पर भी विपक्षीगण का कोई विवाद नहीं है कि परिवादिनी के पति स्व0 षिवलाल साहू की मृत्यु दिनांक 10.03.08 को सड़क दुर्घटना में न हुई हो। इस विशय पर भी कोई विवाद नहीं है कि अभिकथित सहारा रजत योजना नियम-18 के अंतर्गत लाभार्थी को रू0 2,00,000.00 दिया जाना है।
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अब विपक्षीगण के प्रष्नानुसार विशय यह है कि क्या परिवादिनी द्वारा उसके पति की दुर्घटना मृत्यु की सूचना विलम्ब से दी गयी है। इस सम्बन्ध में परिवादिनी का कथन यह है कि उसके पति स्व0 षिवलाल साहू की सड़क दुर्घटना में मृत्यु दिनांक 10.03.08 को हुई थी, जिसकी सूचना दिनांक 08.04.08 को दी गयी। इस सम्बन्ध में परिवादिनी द्वारा विपक्षी को प्रेशित पत्र दिनांकित 08.04.08 की छायाप्रति प्रस्तुत की गयी है, जिसमें सहारा इंडिया की प्राप्ति की मुद्रा अंकित है। जिससे विपक्षी का यह तर्क खण्डित हो जाता है कि परिवादिनी द्वारा स्व0 षिवलाल साहू की मृत्यु की सूचना विलम्ब से दी गयी है।
विपक्षी सं0-1 व 2 का अग्रिम कथन यह है कि यदि कोई देय धनराषि क्षतिपूर्ति के रूप में देय बनती है, तो वह विपक्षी सं0-3 के द्वारा दिया जाना चाहिए। विपक्षी सं0-3 को फोरम के पूर्वआदेषानुसार, परिवादिनी द्वारा, विपक्षी की सूची से हटा दिया गया है। इस विशय पर उभयपक्षों की ओर से प्रस्तुत किये गये तर्कों के आलोक में पत्रावली के परिषीलन से फोरम का यह मत है कि चूॅकि परिवादिनी के पति स्व0 षिवलाल साहू के द्वारा विपक्षी सं0-1 के यहां अचल सम्पत्ति/फ्लैट के लिए निवेष किया गया है और विपक्षी सं0-1 के द्वारा ही निवेषकर्ताओं को उक्त लाभ देने के लिए प्राविधान बनाया गया है। इसलिए विपक्षी सं0-1 व 2 को उपरोक्त उत्तरदायित्व से उन्मुक्त नहीं किया जा सकता। अर्थात विपक्षी सं0-1 व 2 प्रष्नगत क्षतिपूर्ति अदा करने के लिए उत्तरदायी हैं।
विपक्षी सं0-1 व 2 की ओर से एक तर्क यह किया गया है कि स्व0 षिवलाल साहू ने एडवांस बुकिंग करते समय यह स्वीकार किया है कि दुर्घटना क्षतिपूर्ति बीमा कंपनी से प्राप्त करेंगे। इस सम्बन्ध में विपक्षीगण के द्वारा कोई साक्ष्य प्रस्तुत नहीं किया गया है। अतः विपक्षी सं0-2 की ओर से किया गया उपरोक्त तर्क स्वीकार किये जाने योग्य नहीं है।
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विपक्षी सं0-1 व 2 की ओर से एक तर्क यह किया गया है कि चूॅकि परिवादिनी द्वारा पूर्व में बिना किसी प्रतिवाद के दिनांक 08.04.08 को ब्याज धनराषि रू0 10,219.00 का प्राप्त कर लिया गया है। इसलिए परिवाद क्वनइसम श्रमवचंतकल के सिद्धांत से बाधित है और परिवादिनी कोई अनुतोश प्राप्त करने की अधिकारिणी नहीं है। इस बिन्दु पर परिवादिनी की ओर से यह तर्क किये गये हैं कि उपरोक्त धनराषि जो निवेष के लिए जमा की गयी थी वह प्राप्त की गयी है। उक्त निवेष के अंतर्गत प्रदान की जाने वाली बीमा क्षतिपूर्ति अलग है। अतः परिवाद क्वनइसम श्रमवचंतकल के सिद्धांत से बाधित नहीं है।
उपरोक्त बिन्दु पर उभयपक्षों को उपरोक्तानुसार सुनने तथा पत्रावली के परिषीलन से विदित होता है कि स्वयं विपक्षीगण के द्वारा यह स्वीकार किया गया है कि परिवादिनी द्वारा जमा धनराषि व ब्याज कुल रू0 10,219.00 का भुगतान प्राप्त किया है। विपक्षीगण के द्वारा यह नहीं कहा गया है कि परिवादिनी द्वारा स्व0 षिवलाल साहू के दुर्घटना मृत्युपरान्त क्षतिपूर्ति प्राप्त की गयी है। अतः फोरम इस मत का है कि विपक्षी सं0-1 व 2 बीमा षर्तों के अनुसार रू0 2,00,000.00 की क्षतिपूर्ति परिवादिनी को अदा करने के लिए उत्तरदायी है। परिवाद क्वनइसम श्रमवचंतकल के सिद्धांत से बाधित नहीं है।
उपरोक्त प्रस्तरों में दिये गये निश्कर्श के आधार पर फोरम इस मत का है कि परिवादिनी का प्रस्तुत परिवाद आंषिक रूप से इस आषय से स्वीकार किये जाने योग्य है कि प्रस्तुत निर्णय पारित करने के 30 दिन के अदंर विपक्षी सं0-1 व 2 संयुक्त रूप से अथवा प्रथक-प्रथक (जिस प्रकार से परिवादिनी चाहे) परिवादिनी को रू0 2,00,000.00 मय 8 प्रतिषत वार्शिक ब्याज के प्रस्तुत परिवाद योजित करने की तिथि से वास्तविक वसूली की तिथि तक अदा करने के लिए उत्तरदायी हैं तथा रू0 5000.00 परिवाद व्यय भी अदा करने के लिए उत्तरदायी हैं। जहां तक परिवादिनी की ओर से याचित अन्य उपषम का सम्बन्ध है- याचित अन्य उपषम के
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लिए परिवादिनी की ओर से कोई सारवान तथ्य अथवा सारवान साक्ष्य प्रस्तुत नहीं किये गये हैं। अतः परिवादिनी का प्रस्तुत परिवाद अन्य याचित उपषम के लिए स्वीकार किये जाने योग्य नहीं है।
ःःःआदेषःःः
7. परिवादिनी का प्रस्तुत परिवाद विपक्षी सं0-1 व 2 के विरूद्ध आंषिक रूप से इस आषय से स्वीकार किया जाता है कि प्रस्तुत निर्णय परित करने के 30 दिन के अंदर विपक्षी सं0-1 व 2, परिवादिनी को रू0 2,00,000.00 (रू0 दो लाख मात्र) मय 8 प्रतिषत वार्शिक ब्याज, प्रस्तुत परिवाद योजित करने की तिथि से तायूम वसूली अदा करे तथा रू0 5000.00 परिवाद व्यय भी अदा करें।
(पुरूशोत्तम सिंह) (डा0 आर0एन0 सिंह)
सदस्य अध्यक्ष
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोश जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोश
फोरम कानपुर नगर। फोरम कानपुर नगर।
आज यह निर्णय फोरम के खुले न्याय कक्ष में हस्ताक्षरित व दिनांकित होने के उपरान्त उद्घोशित किया गया।
(पुरूशोत्तम सिंह) (डा0 आर0एन0 सिंह)
सदस्य अध्यक्ष
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोश जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोश
फोरम कानपुर नगर। फोरम कानपुर नगर।