जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, प्रथम, लखनऊ।
परिवाद संख्या:- 105/2017 उपस्थित:-श्री नीलकंठ सहाय, अध्यक्ष।
श्रीमती सोनिया सिंह, सदस्य।
श्री कुमार राघवेन्द्र सिंह, सदस्य।
परिवाद प्रस्तुत करने की तारीख:-21.03.2017
परिवाद के निर्णय की तारीख:-23.02.2023
1. Nirbhay Kumar Saxena, R/o H.No. C-5684, Sector-12, Rajajipuram Lucknow-226017.
2. Kalpna Saxena Wife of Sri Nirbhay Kumar Saxena C-5684, Sector-12, Rajajipuram Lucknow-226017.
.................COMPLAINANT.
VERSUS
1. Sahara India Life Insurance Ltd, Sahara India Center, 2, Kapoorthala Complex, Lucknow-226024.
2. Sahara India, Sahara Bhawan Kapoorthala Aliganj Lucknow through its Deputy Managing Dirctor.
.............OPPOSITE PARTIES.
परिवादीगण के अधिवक्ता का नाम:-श्री नितिन खन्ना।
विपक्षी संख्या 01 के अधिवक्ता का नाम:-श्री अभिनव मणि त्रिपाठी।
विपक्षी संख्या 02 के अधिवक्ता का नाम:-श्री आलोक कुमार श्रीवास्तव।
आदेश द्वारा-श्री कुमार राघवेन्द्र सिंह, सदस्य।
निर्णय
1. परिवादीगण द्वारा प्रस्तुत परिवाद अन्तर्गत धारा 12 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 के तहत विपक्षीगण से 95,852.00 रूपये फरवरी, 2016 तक मय 18 प्रतिशत ब्याज, एवं 25,000.00 रूपये वाद व्यय दिलाये जाने की प्रार्थना के साथ प्रस्तुत किया है।
2. संक्षेप में परिवादीगण का कथानक है कि निर्भय सक्सेना परिवादी संख्या 01 व 02 आपस में पति पत्नी हैं। विपक्षी संख्या 01 विपक्षी संख्या 02 के अधीन कार्य करता है, जो कि सीनियर एक्जीक्यूटिव आफिस है। विपक्षी संख्या 01 से जरिए विपक्षी संख्या 02, दो पालिसी क्रमश: पॉलिसी नम्बर-00559898 एवं 00559890 कल्पना सक्सेना द्वारा निर्भय कुमार के पक्ष में क्रय की थी।
3. विपक्षी संख्या 01 द्वारा पालिसी लेते समय यह बताया गया कि यह प्रस्ताव Premium deduction स्कीम के तहत है, जिसमें यह करार हुआ कि Premium धनराशि पालिसी के शेड्यूल्ड के तहत की जायेगी, जबतक नियोक्ता की नियुक्ति जारी रहेगी तथा उस वक्त तक deduction स्कीम लागू रहेगी। परिवादी संख्या 01 की पालिसी दिनॉंक 28.12.2004 प्रारम्भ हुई, तथा परिवादी संख्या 02 की पालिसी दिनॉंक 05.09.2012 एवं 06.10.2012 को प्रारम्भ हुई थी।
4. मनी बैक पालिसी नम्बर 00559890 की अक्टूबर 2015 में देय धनराशि बकाया थी जिसका भुगतान नहीं किया गया। परिवादी संख्या 02 द्वारा दिनॉंक 06.02.2016 को विपक्षी संख्या 01 के पास प्रस्ताव भेजा गया जिसमें यह कहा गया कि विपक्षी द्वारा निर्धारित तिथि/समय पर धनराशि का भुगतान नहीं किया जा रहा है और धनराशि का भुगतान नहीं किया जाना सेवा में त्रुटि है।
5. दिनॉंक 26.02.2016 को विपक्षीगण द्वारा सूचित किया गया कि परिवादी संख्या 01 के वेतन से वर्ष 2016 फरवरी माह से कटौती नहीं की जा रही है और यह सूचना दी गयी कि परिवादी मासिक प्रीमियम की जगह यदि चाहे तो वार्षिक
/अर्धवार्षिक/त्रैमासिक में कर सकते हैं। परिवादी का कथन है कि इन्श्योरेंस संविदा के तहत मासिक प्रीमियम की व्यवस्था थी, और परिवादी संख्या 01 की सेवा अवधि में उसी के अनुरूप प्रीमियम का भुगतान किया जाना था। बिना परिवादी की अनुमति के प्रीमियम को परिवर्तित किये जाने के संबंध में सूचना दी गयी, इस प्रकार विपक्षीगण द्वारा सेवा में कमी की गयी। इस संबंध में परिवादी द्वारा दिनॉंक 28.03.2016 को चीफ मैनेजर को भी पत्र भेजा गया और यह कहा गया था कि पूर्व निर्धारित शर्तों के अनुरूप मोड मासिक प्रीमियम का भुगतान करें।
6. दिनॉंक 18.05.2022 को परिवादी की ओर से विपक्षी संख्या 02 को डिलीट किये जाने हेतु प्रार्थना पत्र दिया गया था। जबकि विपक्षी संख्या 02 के विरूद्ध दिनॉंक 07.02.2018 को एकपक्षीय कार्यवाही अग्रसारित की गयी थी।
7. विपक्षी संख्या 01 ने प्रारम्भिक आपत्ति दाखिल किया तथा कथन किया कि परिवादी संख्या 01 ने सहारा लाइफ से जीवन बीमा पालिसी संख्या 00000048 ‘ सहारा निश्चिंत भविष्य क्रय किया था। एवं परिवादी संख्या 02 ने जीवन बीमा पॉलिसी संख्या 00559890 ‘सहारा समृद्धि’ एवं पॉलिसी संख्या 00559898 ‘सहारा सम्पन्न’ योजना के अन्तर्गत क्रय किया था। परिवादीगण का परिवाद पोषणीय नहीं है, तथा निरस्त किये जाने योग्य है। परिवादीगण द्वारा क्रय किये गये पालिसियों में भुगतान किये जाने हेतु प्रीमियम के स्वरूप को बदलने के संबंध में सहारा लाइफ द्वारा जो भी कार्यवाही की गयी वह पॉलिसिों के अधीन उल्लिखित नियम एवं शर्तों के तहत की गयी थी, जिसे परिवादीगण ने स्वयं स्वीकार करते हुए ही उक्त पालिसियों को क्रय किया था।
8. पालिसियों के प्रीमियम का भुगतान समयानुसार सहारा लाइफ को प्राप्त न होने के कारण पालिसियॉं लैप्स की श्रेणी में आने के कारण उन्हें देय लाभ प्राप्त नहीं हो सका था, जिसमें सहारा की ओर से कोई कमी नहीं की गयी थी। परिवादी संख्या 01 सहारा इण्डिया फाइनेंशियल कार्पोरेशन लि0 का कर्मचारी नहीं है। परिवादी निर्भय कुमार सक्सेना ने सहारा लाइफ के कर्यालय से दिनॉंक 21.12.2004 को अपने जीवन पर सहारा निश्चिंत भविष्य योजना के अन्तर्गत 1,00,000.00 रूपये का जीवन बीमा 18 वर्षों की अवधि हेतु प्रस्ताव पत्र के माध्यम से क्रय किये जाने हेतु आवेदन किया था।
9. परिवादिनी श्री कल्पना सक्सेना ने सहारा लाइफ के कार्यालय से दिनॉंक 21.08.2012 को अपने जीवन पर सहारा समृद्धि एवं सम्पन्न योजना के अन्तर्गत एक-एक लाख की दो जीवन बीमा पॉलिसी 15 वर्षों की अवधि हेतु प्रस्ताव पत्र के माध्यम से क्रय किये जाने हेतु आवेदन किया था तथा उक्त पालिसियों में प्रीमियम के रूप में 1700.00 रूपये एवं 779.00 रूपये जमा किया था जिसमें परिवादिनी ने अपने पति श्री निर्भय कुमार सक्सेना को नामिनी के रूप में नामित किया था।
10. यदि परिवादीगण द्वारा अपनी अपनी पालिसियों को सरेण्डर करना चाहते हैं तो भारतीय बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण के नियम के अनुसार दिनॉंक 24.04.2017 तक पॉलिसी संख्या 00559890 में 7942.20 रूपये, पालिसी संख्या 00559898 में 11462.06 रूपये एवं पालिसी संख्या 00000048 में 13,666.82 रूपया देय है। विपक्षी ने स्वीकार किया है कि फरवरी 2016 तक प्रीमियम का भुगतान किया गया है। मनीबैक की निर्धारित तिथि अक्टूबर 2015 थी।
11. परिवादी ने अपने साक्ष्य में शपथपत्र तथा पालिसी बाण्ड, रसीदें व अन्य पत्राचार से संबंधित अभिलेख प्रस्तुत किया है।
12. मैंने उभयपक्ष के विद्वान अधिवक्ता के तर्कों को सुना तथा पत्रावली का परिशीलन किया।
13. विपक्षी संख्या 01 द्वारा दिनॉंक 29.03.2016 के पत्र द्वारा परिवादी को सूचना दी गयी थी कि नियोक्ता की सलाह पर मासिक किस्त बन्द कराये जाने के लिये कहा गया था, इस कारण ऐसा किया गया। बिना परिवादी की अनुमति लिये प्रीमियम मोड परिवर्तित किया गया जो सेवा में कमी को दर्शाता है। विपक्षी ने जानबूझकर पालिसी मोड परिवर्तित किया। विपक्षी संख्या 01 द्वारा इस तथ्य को स्वीकार किया गया कि फरवरी, 2016 तक प्रीमियम अदा किया गया है, परन्तु फिर भी मनीबैक जो अक्टूबर 2015 में देय व बकाया था इसे क्यों नहीं दिया गया। इस प्रकार विपक्षी द्वारा सेवा में कमी कई अवसरों पर की गयी है।
आदेश
परिवादी का परिवाद आंशिक रूप से स्वीकार किया जाता है। विपक्षीगण को निर्देशित किया जाता है कि परिवादी द्वारा जमा कुल धनराशि मुबलिग 95,852.00 रूपये का भुगतान 09 प्रतिशत वार्षिक ब्याज के साथ परिवाद दायर करने की दिनॉंक से भुगतान की दिनॉंक तक निर्णय के 45 दिन के अन्दर अदा करेंगे। वाद व्यय के रूप में मुबलिग 10,000.00 (दस हजार रूपया मात्र) भी अदा करेंगें। निर्धारित अवधि में यदि आदेश का अनुपालन नहीं किया जाता है तो उपरोक्त सम्पूर्ण धनराशि पर 12 प्रतिशत वार्षिक ब्याज भुगतेय होगा।
(कुमार राघवेन्द्र सिंह) (सोनिया सिंह) (नीलकंठ सहाय)
सदस्य सदस्य अध्यक्ष
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, प्रथम,
लखनऊ।
आज यह आदेश/निर्णय हस्ताक्षरित कर खुले आयोग में उदघोषित किया गया।
(कुमार राघवेन्द्र सिंह) (सोनिया सिंह) (नीलकंठ सहाय)
सदस्य सदस्य अध्यक्ष
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, प्रथम,
लखनऊ।
दिनॉंक- 23.02.2023