Rajasthan

Ajmer

CC/303/2013

KUSUM LATA SUKHWAL - Complainant(s)

Versus

SAHARA INDIA - Opp.Party(s)

ADV GOPAL SHARMA

22 May 2015

ORDER

Heading1
Heading2
 
Complaint Case No. CC/303/2013
 
1. KUSUM LATA SUKHWAL
AJMER
...........Complainant(s)
Versus
1. SAHARA INDIA
AJMER
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
  Gautam prakesh sharma PRESIDENT
  Jyoti Dosi MEMBER
 
For the Complainant:
For the Opp. Party:
ORDER

जिला    मंच,      उपभोक्ता     संरक्षण         अजमेर

श्रीमति  कुसुमलता सुखवाल पत्नी श्री बृजेष ओझा, निवासी-78/45, पीली कोठी के सामने, फाॅयसागर रोड, अजमेर ।  
                                                    प्रार्थीया

                            बनाम

1.  सहारा इण्डिया परिवार, प्रधान कार्यालय-1, कपूरथला काॅम्पलेक्स अलीगंज, लखनउ जरिए उसके मुख्य प्रबन्धक । 
2.  सहारा इण्डिया परिवार षाखा नगीना बाग जरिए उसके सेक्टर प्रबन्धक
3.  श्रीमति षकुन्तला मित्तल अधिकृत एजेन्ट, सहारा इण्डिया, 15 विकास काॅलोनी, फाॅयसागर रोड, अजमेर । 
                                                   अप्रार्थीगण
                  परिवाद संख्या 303/2013

                            समक्ष
                   1.  गौतम प्रकाष षर्मा    अध्यक्ष
           2.  श्रीमती ज्योति डोसी   सदस्या

                           उपस्थिति
                  1.श्री गोपाल षर्मा, अधिवक्ता, प्रार्थीया
                  2.श्री विभौर गौड,  अधिवक्ता अप्रार्थी सं. 1 व 2 
                  3.श्री राजेष सक्सेना, अधिवक्ता, अप्रार्थी सं. 3 

                              
मंच द्वारा           :ः- आदेष:ः-      दिनांकः- 15.06.2015

1.               विवाद के तथ्य संक्षेप में इस प्रकार है कि  प्रार्थीया ने अप्रार्थीगण  की सहारा स्वर्ण योजना के विज्ञापन से प्रभावित होकर  दिनांक 31.3.2003 को रू. 1,00,000/- 10 वर्ष के लिए निवेष किए  जिसकी अप्रार्थी संख्या 2 ने रसीद संख्या 010038385425 जारी की ।  जिसकी परिपक्वता दिनांक 31.3.2013 थी । प्रार्थीया ने  परिपक्वता राषि के भुगतान बाबत् अप्रार्थीगण  को  पत्र दिनांक 8.4.13, 12.4.13  के निवेेदन किया  किन्तु अप्रार्थीगण द्वारा राषि का भुगतान नहीं किए जाने पर उसने दिनांक 30.4.2013 को नोटिस भी दिया जिसका भी कोई जवाब नहीं दिया गया ।  
    प्रार्थीया का कथन है कि  अप्रार्थी की सहारा स्वर्ण योजना के अन्तर्गत मासिक ड्रा में दो कूपन  प्रार्थीया के नाम निकले जिनके तहत प्रथम कूपन के अनुसार  दिनांक 25.4.2004 से निवेष की मूल रकम पर 10 प्रतिषत अतिरिक्त लाभ तथा दूसरे कूपन के अनुसार दिनांक 28.2.2011 से निवेष की मूल रकम पर 6 प्रतिषत सलाना अतिरिक्त लाभ दिया जाना था । 
    प्रार्थीया ने परिवाद  प्रस्तुत कर  अप्रार्थीगण द्वारा परिपक्वता राषि का भुगतान नहीं किए जाने को सेवा में कमी बतलाते हुए परिवाद में वर्णित अनुतोष दिलाए जाने की प्रार्थना की है । 
2.          अप्रार्थी संख्या 1 व 2 ने परिवाद का जवाब प्रस्तुत करते हुए प्रारम्भिक आपत्तियों में दर्षाया है कि  परिवाद ईनामी कूपन दिनांक 25.4.2004 व 28.2.2011 का लाभ प्राप्त करने  के संबंध में  दिनांक 15.0.5.2013 को प्रस्तुत किया है  जो   उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के अन्तर्गत 2 वर्ष की समय सीमा में प्रस्तुत नहीं किया गया है । प्रार्थीया का परिवाद समयावधि बाद प्रस्तुत किए जाने से निरस्त किए जाने योग्य है  और इस संबंध में अप्रार्थी की ओर से अनेक न्यायिक दृष्टान्तों का हवाला दिया गया है ।  अप्रार्थी का आगे कथन है कि  प्रार्थीया ने समयावधि में वाद प्रस्तुत किए जाने का कोई युक्तियुक्त कारण भी अपने परिवाद में नहीं दर्षाया है । 
    अप्रार्थीगण का आगे कथन है कि प्रार्थीया ने  अचल सम्पति क्रय करने  व कम्पनी के उत्पादों को क्रय करने की मंषा से निवेष किया था  बेनीफिट कूपन का उपहार उपलब्ध कराने के लिए अप्रार्थी ने प्रार्थीया से कभी कोई अनुबन्ध नहीं किया  और ना ही इस संबंध में कोई ष्षुल्क ही लिया गया ।     
    आगे मदवार जवाब में दर्षाया है कि अप्रार्थीगण प्रार्थीया को निवेषित  परिपक्वता राषि  देने के लिए तैयार है  किन्तु प्रार्थीया ने यह राषि प्राप्त करने के लिए कोई आवेदन नहीं किया । अपने अतिरिक्त कथनों में उपर किए गए तथ्यों को दोहराते हुए परिवाद खारिज होना दर्षाया ।
3.    अप्रार्थी संख्या 3 ने परिवाद  का जवाब प्रस्तुत कर दर्षाया है कि  प्रार्थीया ने सहारा स्वर्ण योजना में अपार्थी संख्या 1 व 2  के यहां निवेष किया था और इनके द्वारा ही प्रार्थीया को  परिपक्वता राषि लाभ सहित प्रार्थीया को अदा करनी थी । उत्तरदाता अप्रार्थी केवल मात्र एजेण्ट है  और उसका इस संबंध में कोई उत्तरदायित्व नहीं बनता है । अन्त में परिवाद खारिज होना दर्षाया ।  
4.    हमने पक्षकारान को सुना एवं पत्रावली का अनुषीलन किया । 


5.    जहां तक प्रार्थीया ने दिनंाक  31.3.2003 को रू. 1,00,000/- की  राषि निवेषित की है इस संबंध में अप्रार्थी संख्या 2 की ओर से पत्रावली पर जो जवाब प्रस्तुत हुआ है उसको देखने से प्रार्थीया ने परिवाद की चरण संख्या 1  में वर्णित दिनांको को  यह राषि 10 साल के लिए निवेषित की, के संबंध में कोई विवाद नहीं, पाया गया है ।  उनके जवाब की चरण संख्या 19 में वर्णित अनुसार अप्रार्थी  प्रार्थीया को निवेषित राषि की परिपक्वता राषि देने के लिए तैयार है किन्तु उनका कथन है कि प्रार्थीया ने वर्तमान समय तक उक्त राषि को प्राप्त करने हेतु कोई आवेदन नहीं किया । यह राषि दिनांक 30.3.2013 को देय होती है  तथा परिवाद में वर्णित  अनुसार प्रार्थीया की ओर से दिनंाक 08.04.2013/ 12.04.2013 को मांग पत्र दिए  जो उन्हें दिनांक 13.4.2013 को प्राप्त हो चुके थे  तथा दिनांक 30.4.2013 को एक नोटिस अधिवक्ता के माध्यम से दिए जाने का उल्लेख भी परिवाद की चरण संख्या 3 में किया गया । इस प्रकार हम पाते है कि प्रार्थीया  निवेषित की गई राषि रू. 1,00,000/- की परिपक्वता राषि रू. 2,89,100/- अप्रार्थी से प्राप्त करने की अधिकारणी है  जो राषि अप्रार्थी द्वारा प्रार्थीया को  अदा नहीं की गई है । अतः हमारे विनम्र मत में प्रार्थीया का यह परिवाद  परिपक्वता राषि रू. 2,89,100/- के लिए डिक्री  होने योग्य है ।   
6.       परिवाद में प्रार्थीया द्वारा दो ईनामी कूपन दिनांक  25.4.2004 तथा 28.2.2011 लाटरी से प्रार्थीया के पक्ष में निकले, उसकी राषि की भी मांग की गई है । इस संबंध में अप्रार्थी ने अपनी प्रारम्भिक आपत्तियों में कथन किया है कि इस हेतु प्रार्थीया का परिवाद अवधि बाहर है । दिनांक  25.4.2004 के कूपन हेतु परिवाद दिनांक  24.4.2006 तक लाना आवष्यक था  व इसी तरह से दिनंाक 28.2.2011 के कूपन हेतु परिवाद दिनांक 27.1.2013 तक लाना आवष्यक था जबकि इन दोनो कूपन के संबंध में यह परिवाद दिनांक 15.5.2013 को लाया गया है । कूपन के संबंध में अधिवक्ता की यह भी बहस रही है कि ये कूपन  जो राषि प्रार्थीया ने निवेष की , से भिन्न ष्षर्तो के साथ  दिए गए है एवं  कूपन की षर्तो के अनुसार  प्रार्थीया को इन दोनों कूपन के संबंध में  बनने वाली राषि से सामान ही क्रय करना था उनके कथनानुसार  प्रार्थीया ने कुछ सामान भी क्रय किया है ।
7.            जहां तक  दोनो कूपन के संबंध में परिवाद मियाद बाहर है, के संबंध में हमारी विेवचना है कि इन कूपन के लिए कोई परिपक्वता की दिनांक निष्चित नहीं की गई थी । अतः हमारे  विनम्र मत में अप्रार्थी का यह एतराज सही है कि प्रार्थीया को  कूपन दिनांक  25.4.2004 व  28.02.2011  को निकले, के संबंध में  वाद 2 वर्ष के भीतर लाना चाहिए था किन्तु प्रार्थीया द्वारा  यह परिवाद दिनांक 15.5.2013 को लाया गया है जो इन दोनों तिथियों के 2 वर्ष बाद लाया गया है तथा देरी के संबंध में देरी माफी का आवेदन भी पेष नहीं हुआ है । इसी तरह से  अप्रार्थी की ओर से पेष दृष्टान्त  त्मअपेपवद च्मजपजपवद  छवण् 244ध्1992 व्तकमत क्ंजमक 15ण्04ण्1993 में माननीय  राष्ट्रीय आयोग  ने अभिनिर्धारित  किया है कि किसी वस्तु को खरीदने के संबंध में कोई कूपन या ईनामी योजना निकाली गई है और उक्त योजना के अनुसार अप्रार्थी प्रार्थी को  भुगतान या सुविधा नहीं देता है तो ऐसी योजना या कूपन के संबंध में संबंधित प्राथी को उपभोक्ता नहीं माना गया है । इस प्रकार हस्तगत प्रकरण में जो कूपन प्रार्थीया के निकले उसके संबंध में दृष्टान्त(उपरोक्त) के संबंध में प्रार्थीया को उपभोक्ता नहीं पाते है । 
8.    उपरोक्त विवेचन अनुसार प्रार्थीया का परिवाद उसके द्वारा निवेषित  की गई  राषि रू. 1,00,000/- की परिपक्वता राषि रू. 2,89,100/- की प्राप्ति हेतु डिक्री होने योग्य है एवं यह राषि प्रार्थीया अप्रार्थी संख्या 1 व 2 से प्राप्त  करने की अधिकारणी है । परिपक्वता दिनांक 29.3.2013 के बाद दिनांक 18.4.2013 व 30.4.2013 को अप्रार्थीगण को नोटिस भेजे गए, की प्रतिया भी पत्रावली पर उपलब्ध है । अप्रार्थी संख्या 1 व 2 द्वारा परिपक्वता राषि का भुगतान  नोटिस प्राप्ति के उपरान्त भी नहीं किया है  जिसके कारण प्रार्थीया को यह परिवाद लाना पडा है ।  अतः प्रार्थीया मानसिक संताप व वाद व्यय के मद में भी समुचित राषि प्राप्त करने की अधिकारणी है ।  
9.    जहां तक  अप्रार्थी संख्या 3 का प्रष्न है वह एजेण्ट मात्र है अतः उसे हम सेवा में कमी का दोषी नहीं पाते है ।   अतः उसके विरूद्व परिवाद खारिज होने योग्य है । 
10.    उपरोक्त समस्त विवेचन अनुसार प्रार्थीया का परिवाद अप्रार्थी संख्या 1 व 2 के विरूद्व स्वीकार होने योग्य है । अतः आदेष है कि
                           :ः- आदेष:ः-
11.    (1)      प्रार्थीया अप्रार्थी संख्या 1 व 2 से निवेषित की गई राषि रू. 1,00,000/- की परिपक्वता राषि रू. 2,89,100/-  प्राप्त करने की अधिकारणी है । 
    (2)     प्रार्थीया अप्रार्थी संख्या 1 व 2 से  मानसिक संताप व वाद व्यय के मद में राषि रू. 5000/- भी प्राप्त करने की अधिकारणी है । 
          (3)     क्र.सं. 1 व 2 में वर्णित राषि अप्रार्थी संख्या 1 व 2 प्रार्थीया को इस आदेष से दो माह की अवधि में अदा करें अथवा आदेषित राषि डिमाण्ड ड््राफट से प्रार्थी के पते पर रजिस्टर्ड डाक से भिजवावें ।  
         (4)    दो माह  में आदेषित राषि का भुगतान  नहीं करने पर  प्रार्थीया अप्रार्थी संख्या 1 व 2 से  उक्त राषियों पर  निर्णय की दिनांक से  ताअदायगी 09 प्रतिषत वार्षिक  दर से ब्याज भी प्राप्त कर सकेगी  ।
        (5)       अप्रार्थी संख्या 3 के विरूद्व परिवाद खारिज किया जाता है । 

                
(श्रीमती ज्योति डोसी)                              (गौतम प्रकाष षर्मा)
           सदस्या                                           अध्यक्ष    
12.        आदेष दिनांक 15.06.2015 को  लिखाया जाकर सुनाया गया ।

           सदस्या                                           अध्यक्ष
 

 
 
[ Gautam prakesh sharma]
PRESIDENT
 
[ Jyoti Dosi]
MEMBER

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