Uttar Pradesh

Azamgarh

CC/79/2012

JAI PRAKASH SINGH - Complainant(s)

Versus

SAHARA INDIA - Opp.Party(s)

RAVI NARAYAN RAI

04 Oct 2021

ORDER

 

जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग- आजमगढ़।

परिवाद संख्या 79 सन् 2012

प्रस्तुति दिनांक 16.08.2012

                                                                                               निर्णय दिनांक 04.10.2021

जय प्रकाश सिंह पुत्र स्वo देवनाथ सिंह निवासी गुलामी का पुरा, पी.ओ. एण्ड तहसील- सदर, जनपद- आजमगढ़।       

     .........................................................................................परिवादी।

बनाम

  1. सहारा इण्डिया कॉमर्शियल कॉर्पोरेशन लिमिटेड इन्फ्रास्ट्रक्चर एण्ड हाउसिंग डिवीजन एच.ओ. सहारा इण्डिया सेन्टर, 2 कपूरथला कॉम्प्लेक्स अलीगंज लखनऊ- 226024 (यू.पी.) जरिए मैनेजर।
  2. मैनेजर सहारा इण्डिया कॉमर्शियल कॉर्पोरेशन लिमिटेड इन्फ्रास्ट्रक्चर एण्ड हाउसिंग डिवीजन एच.ओ. सहारा इण्डिया सेन्टर, 2 कपूरथला कॉम्प्लेक्स अलीगंज लखनऊ- 226024 (यू.पी.)
  3. ब्रॉन्च मैनेजर सहारा इण्डिया लिमिटेड सिविल लाइन्स, आजमगढ़, जनपद- आजमगढ़।       
  4. विपक्षीगण।

उपस्थितिः- कृष्ण कुमार सिंह “अध्यक्ष” तथा गगन कुमार गुप्ता “सदस्य”

  •  

कृष्ण कुमार सिंह “अध्यक्ष”

परिवादी ने अपने परिवाद पत्र में यह कहा है कि विपक्षी द्वारा किए गए विज्ञापन के आधार पर दिनांक 23.04.2005 को टाइप 2 बेडरूम जिसमें यूनिट एरिया/टैरेस एरिया/प्लॉट एरिया, 88.73 स्कावयर मीटर/एन.ए./एन.ए. के लिए आवेदन पत्र दिया था और उसने विपक्षी को बुकिंग एमाउन्ट भी दे दिया था। विपक्षी ने फ्लैट यूनिट नं. बी.20/702 टाइप 2 बेडरूम सातवें मंजिल पर दिनांक 08.02.2008 को एलाट किया गया। एलाटमेन्ट लेटर दिनांकित 08.02.2008 में लिखा गया था कि एलाटमेन्ट के 38 महीने बाद अप्रैल 2011 तक फ्लैट का कब्जा दे दिया जाएगा। परिवादी ने समय से सारे टर्म और कंडीशन्स पूरा कर दिया था। दिनांकित 08.02.2008 के पत्र के सारे शर्तों को पूरा करने बावजूद उसे फ्लैट का कब्जा नहीं दिया गया। परिवादी ने उनसे कई बार लिखित अनुरोध किया कि वह फ्लैट का कब्जा दे दे, लेकिन उन्होंने कोई ध्यान नहीं दिया। तब उसके पश्चात् परिवादी ने विपक्षी को नोटिस दिया। लेकिन विपक्षी ने न तो फ्लैट पर कब्जा दिया न ही नोटिस का कोई जवाब दिया। अतः विपक्षीगण को आदेशित किया जाए कि वह परिवादी को फ्लैट पर कब्जा दे तथा कब्जा मिलने में हो रही देरी के लिए टेण्डर रु. 3,53,256/-15% ब्याज अदा करे। शारीरिक व मानसिक कष्ट हेतु 1,00,000/- रुपए भी दिलाया जाए।         

परिवादी द्वारा अपने परिवाद पत्र के समर्थन में शपथ पत्र प्रस्तुत किया गया है।

प्रलेखीय साक्ष्य में परिवादी द्वारा कागज संख्या 6/1 एलाटमेन्ट आदेश की छायाप्रति, कागज संख्या 6/2 रजिस्ट्रेशन ऑफ बुकिंग फॉर यूनिट इन सहारा सिटी होम लखनऊ की छायाप्रति, कागज संख्या 6/3 व 6/4 भुगतान किए गए धनराशि का विवरण, कागज संख्या 6/5 नोटिस की छायाप्रति, कागज संख्या 6/6 होम लोन के विषय में दिए गए कान्टेक्ट का विवरण तथा कागज संख्या 8/1 व 8/2 लीगल नोटिस की छायाप्रति प्रस्तुत किया गया है।     

कागज संख्या 13क विपक्षीगण द्वारा जवाबदावा प्रस्तुत किया गया है, जिसमें उन्होंने यह कथन किया है कि बुकिंग में यह प्रावधान था कि विवाद का निस्तारण आरबीट्रेशन द्वारा किया जाएगा। टर्म और कंडीशन के पैरा 16 के क्लाज 18 में यह प्रावधान दिया गया था कि किसी निर्माण डेवलपमेन्ट के लिए किसी अप्रत्याशित घटना जो कि कम्पनी के कन्ट्रोल में नहीं है उसके लिए कम्पनी उत्तरदायी नहीं होगी। उच्चतम न्यायालय द्वारा कई निर्णयों में पारित किया गया है कि उस समय स्थाई सम्पत्ति के विषय में नहीं गिनी जाएगी एग्रीमेन्ट के पैरा 16 में यह प्रावधान दिया गया है कि कब्जा के हस्तान्तरण में देरी जो अप्रत्याशित घटना के कारण हुई है उसके लिए कम्पनी जिम्मेदार नहीं होगी। चूंकि परिवादी ओरिजनल एलाटी नहीं था इसलिए उसे परिवाद दाखिल करने का हक नहीं था। परिवादी कन्ज्यूमर की परिभाषा में नहीं आता है। यह परिवाद चलने योग्य नहीं है। यह फोरम के समक्ष नहीं चल सकता है। परिवाद के परिशीलन से यह स्पष्ट है कि परिवादी एक सिविल सूट दाखिल किया है जो कि सिविल कोर्ट द्वारा निस्तारण किया जाएगा। परिवाद विपक्षी को हैरान व परेशान करने के लिए दाखिल किया गया है। अतः परिवाद चलने योग्य नहीं है और उसे कोई अनुतोष प्रदान नहीं किया जा सकता है। यह विवाद पूरी तरह से सिविल कोर्ट द्वारा निस्तारित किया जाना है। परिवाद समय सीमा से बाधित है। परिवादी कुछ तथ्यों को छिपाने के लिए दोषी है। परिवादी टाइप 2 बेडरूम में इन्क्ल्यूड सहारा सिटी होम लोन के लिए बुक किया था। परिवादी द्वारा कुल 19,22,460/- रुपया अग्रिम धनराशि जमा की गयी थी। परिवादी अप्लीकेशन के सम्बन्ध में सारे तथ्यों से अपरिचित है। पैरा 16 में यह प्रावधान दिया गया था कि यदि अप्रत्याशित घटना के कारण कब्जा में देरी होती है तो जो कि कम्पनी के कन्ट्रोल में नहीं है उसके लिए कम्पनी उत्तरदायी नहीं होगी। न तो कोई क्षतिपूर्ति देगी। यहाँ इस बात का सन्दर्भ देना आवश्यक है कि एक पत्र दिनांकित 22.05.2012 को परिवादी को भेजा गया कि वह 1,56,124/- रुपया कामन एरिया जो कि कार पार्किंग के लिए था अविलम्ब ब्याज और सर्विस टैक्स के साथ जमा कर दे और वह आकर अपना क्लेम निष्पादित करवा दे। दिनांक 22.05.2012 के पत्र के द्वारा परिवादी को बुलाया गया था कि वह सारा बकाया अदा कर दे और शेष पंजीकृत करवाकर कब्जा ले लें, लेकिन परिवादी ने कोई इस सन्दर्भ का स्पष्ट आशय व्यक्त नहीं किया। विपक्षी एक भी रुपया परिवादी को देने के लिए बाध्य नहीं है। परिवाद के पैरा 01 व 02 इस शर्त के साथ स्वीकार है कि परिवादी ने टाइप 2 बेडरूम बुक किया था परिवादी किसी दूसरे व्यक्ति से ट्रान्सफर करना चाहता था। परिवादी द्वारा 19,22,407/- एडवांस में जमा किया था। शेष कथन अमान्य है। परिवाद का पैरा 03 व 06 झूठा है अतः उसे अस्वीकार किया जाता है। पैरा 16 में यह कहा गया है कि किसी अप्रत्याशित घटना होने पर कब्जा देने में देरी हो सकती है। रजिस्ट्रेशन लेटर और एलाटमेन्ट लेटर दिनांकित 08.02.2008 परिवादी को दिया गया और उसे सूचित किया गया कि टाइप 2 बेडरूम जिसमें यूनिट एरिया/टैरेस एरिया/प्लॉट एरिया, 88.73 स्कावयर मीटर है जिसे उसके पक्ष में पंजीकृत कर दिया गया है। एलाटमेन्ट लेकर में यह लिखा गया था कि कब्जा 38 माह में दे दिया जाएगा और यह भी प्रावधान था कि कोई अप्रत्याशित घटना होने पर कब्जा देने में देरी हो सकती है। इसलिए विपक्षी कोई भी क्षतिपूर्ति देने के लिए उत्तरदायी नहीं है। परिवाद पत्र का पैरा 09 झूठी है। परिवाद के परिशीलन से यह स्पष्ट है कि परिवादी ने सिविल सूट दाखिल किया है जो कि सिविल कोर्ट द्वारा निस्तारित किया जाएगा। इस आधार पर यह परिवाद निरस्त होने योग्य है। अतः परिवाद निरस्त किया जाए।

विपक्षी की ओर से कोई भी शपथ पत्र अथवा प्रलेखीय साक्ष्य प्रस्तुत नहीं किया गया है।     

बहस के समय उभय पक्षकारों के विद्वान अधिवक्ता उपस्थित आए। दोनों पक्षों के विद्वान अधिवक्ताओं की बहस को सुना तथा पत्रावली का अवलोकन किया। चूंकि कागज संख्या 6/1 के परिशीलन से यह स्पष्ट है कि विपक्षी परिवादी को 17,66,283/- रुपए का भुगतान करने पर यूनिट नं. बी.20/702 टाइप 2 बेडरूम सातवें मंजिल पर जिसकी एरिया 88.73 स्कावयर मीटर है और जिसकी कीमत 17,66,283/- रुपया है, देने के लिए तैयार है। यह इस धनराशि में कोई अन्य चार्ज सम्मिलित नहीं है। चूंकि इस पत्र से यह साबित है कि विपक्षी सन्दर्भित आवंटित टाइप 2 बेडरूम देने के लिए तैयार है। उभय पक्षों के मध्य तय धनराशि को जमा करके फ्लैट पर कब्जा प्राप्त सकता है। ऐसी स्थिति में हमारे विचार से परिवाद स्वीकार होने योग्य है।

 

आदेश

    परिवाद स्वीकार किया जाता है विपक्षी को आदेशित किया जाता है कि वह संविदा में लिखी हुई धनराशि प्राप्त कर 30 दिन के अन्दर आवंटित सन्दर्भित फ्लैट को परिवादी के कब्जे में दे दे और उसका पंजीयन करवा दे।  

 

 

 

 

 

                                                                           गगन कुमार गुप्ता                कृष्ण कुमार सिंह  

                                                          (सदस्य)                           (अध्यक्ष)

 

    दिनांक 04.10.2021

                                                यह निर्णय आज दिनांकित व हस्ताक्षरित करके खुले न्यायालय में सुनाया गया।

 

 

 

 

                                              गगन कुमार गुप्ता                कृष्ण कुमार सिंह

                                                                (सदस्य)                              (अध्यक्ष)

 

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